non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:11 PM,
#9
RE: non veg kahani एक नया संसार
विराज के रुकते ही गौरी ने जाने किस भावना के तहत विराज के दोनो गालों पर थप्पड़ों की बरसात कर दी।

"ये तूने क्या किया, तू इतना क्रूर और निर्दयी कैसे हो गया?" गौरी रोए जा रही थी__"क्या मैंने तुझे यही संस्कार दिए थे कि तू किसी को इस तरह क्रुरता से मारे?"
"ये इसी लायक था माॅ।" माॅ का मारना जब रुक गया तो विराज कह उठा, उस पर गुस्सा अब भी विद्यमान था बोला__"इसने आपको और मेरी गुड़िया को कितना गंदा बोला था माॅ। किसी के सामने इतना भी नहीं झुक सकता मैं। मेरे सामने कोई आपको और गुड़िया को ऐसी सोच के साथ अपशब्द कहे मैं हर्गिज भी बरदास्त नहीं करूॅगा। मैं ऐसी गंदी जुबान बोलने वाले का किस्सा ही खतम कर दूॅगा।"

"ये तूने ठीक नहीं किया बेटे।" गौरी की आखें नम थी__"उसकी हालत तो देख। ऐसी हालत में उसे जब उसके माॅ बाप देखेंगे तो वो चैन से नहीं बैठेंगे।"
"क्या करेंगे वो?" विराज के लहजे मे पत्थर सी कठोरता थी__"मैं किसी से नहीं डरता। जिसे जो करना है करे अब मैं भी पीछे हटने वाला नहीं हूॅ माॅ और.....और आप भी अब मुझे अपनी कसम देकर रोकेंगी नहीं। हर बार आपकी कसम मुझे कुछ भी करने से रोंक लेती है। आपको ये एहसास भी नहीं है माॅ कि उस हालत में मुझ पर क्या गुज़रती है? मुझे खुद से ही नफरत होने लगती है माॅ। मैं अपने आपसे नज़रें नहीं मिला पाता। मुझे ऐसे बंधन में मत बाॅधा कीजिए माॅ वरना मैं जी नहीं पाऊॅगा।"

"नहीं मेरे बच्चे।" गौरी उसे अपने सीने से लगा कर रो पड़ी__"ऐसा मत कह मैं माॅ हू तेरी। तुझे कुछ हो न जाए इस लिए डर कर तुझे अपनी कसम में बाॅध देती हूॅ। मुझे माफ कर दे मेरे लाल, मैं जानती हूॅ कि मेरा बेटा एक सच्चा मर्द है। मेरी कसम में बॅध कर तेरी मरदानगी व खुद्दारी को चोंट लगती है। मगर, मैं तेरे पिता और अपने सुहाग को खो चुकी हूॅ अब तुझे नहीं खोना चाहती। तू हम दोनो मां बेटी का एक मात्र सहारा है बेटा। इस दुनिया में कोई हमारा नहीं है।"

"मुझे कुछ नहीं होगा माॅ।" विराज ने माॅ के सीने से अलग हो कर तथा अपने दोनों हाथों से मां का मासूम सा चेहरा सहलाते हुए बोला__"इस दुनिया की कोई भी ताकत मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अब समय आ गया है ऐसे बुरे लोगों को उनके किये की सज़ा देने का।"

"ये तू क्या कह रहा है बेटा ?" गौरी के चेहरे पर न समझने वाले भाव उजागर हो उठे__"नही नही, हमें किसी को कोई सज़ा नहीं देना है बेटा। हम यहाॅ अब एक पल भी नहीं रुकेंगे। इससे पहले कि शिवा की हालत के बारे में किसी को कुछ पता चले हमें यहाॅ से निकल जाना चाहिए।"

"माॅ सही कह रही हैं भइया।" निधि ने भी पास आते हुए कहा__"अब हमें यहाॅ एक पल भी नहीं रुकना चाहिए। आप नहीं जानते हैं हम लोगों की पल पल की ख़बर बड़े पापा को होती है और इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें अब तक ये न पता चल गया हो कि यहाॅ क्या हुआ है?"

"हाॅ बेटा चल जल्दी चल यहा से।" गौरी ने घबराते हुए कहा__"उनका कोई भरोसा नहीं है कि वो कब यहा आ जाएं।"
"मैं भी देखना चाहता हूं माॅ कि बड़े पापा क्या कर लेंगे मेरा और आप दोनों का?" विराज ने कहा__"बहुत हो गया अब। वो समझते होंगे कि हम उनसे डरते हैं। आज मैं उन्हें दिखाऊंगा कि मैं कायर और डरपोंक नहीं हूॅ। अब तक इस लिए चुप था क्योंकि आपने मुझे अपनी कसम से बाॅधे रखा था। मगर अब और नही माॅ, मैं कायर और डरपोंक नहीं बन सकता। मेरा ज़मीर मुझे चैन से जीने नहीं देगा। क्या आप चाहती हैं माॅ कि मैं घुट घुट कर जिऊॅ?"

"नहीं मेरे लाल।" गौरी मानो तड़प उठी, बोली__"मैं ये कैसे चाह सकती हूं भला कि मेरे जिगर का टुकड़ा मेरी आॅखों का नूर यूॅ घुट घुट कर जिये वो भी सिर्फ मेरी वजह से? मगर तू तो जानता है बेटा कि मै एक माॅ हूं, दुनिया की कोई भी माॅ ये नहीं चाहती कि उसके लाल के ऊपर किसी भी तरह का कोई संकट आए।"

"फिक्र मत कीजिए माॅ।" विराज ने कहा__"आपका प्यार और आशीर्वाद इतना कमज़ोर नहीं है जिससे कोई बला मुझे किसी तरह का नुकसान पहुॅचा सके।"
"बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगा है तू तो।" गौरी ने विराज के चेहरे को अपने दोनो हाथों में लेकर कहा__"लगता है मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है।"

"हाॅ माॅ, भइया अब बहुत बड़े हो गए हैं।" निधि ने मुस्कुराते हुए कहा__"और इतना ही नहीं मेरे भइया किसी सुपर हीरो से कम नहीं हैं। मेरे अच्छे और प्यारे भइया।" कहने के साथ ही निधि विराज की पीठ से चिपक गई।
"ये कितना ही बड़ा हो गया हो गुड़िया।"गौरी ने कहा__"मगर मेरे लिए तो ये आज भी मेरा छोटा सा बच्चा ही है।"

"और मैं?" निधि ने विराज की पीठ से चिपके हुए ही शरारत से कहा।
"तू तो हम सबकी छोटी सी गुड़िया है।" विराज ने कहा और उसे अपनी पीठ से खींच कर गले से लगा लिया। ये देख गौरी की आखें भर आईं।

"ऐसे ही तुम दोनो भाई बहन में स्नेह और प्यार बना रहे मेरे बच्चों।"गौरी ने अपनी छलक आई आखों को अपने आॅचल के छोर से पोंछते हुए कहा__"मगर इस स्नेह और प्यार में अपनी इस अभागन माॅ को न भूल जाना तुम दोनो।"

विराज ने अपनी माॅ की इस बात को जब सुना तो उसने अपना एक हाथ फैला दिया। गौरी ने जब ये देखा तो वो भी अपने बेटे के चौड़े सीने से जा लगी। कुछ देर यू ही सब एक दूसरे से गले मिले रहे फिर सब अलग हुए।
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