RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
दूसरी तरफ ज़ाहिद को आज अपने पोलीस स्टेशन जाने की जल्दी थी. इसीलिए अपनी अम्मी की नज़रों की परवाह किय बगैर वो अपनी बहन से कही हुई अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में चला गया.
ज़ाहिद के बाथरूम जाने के बाद रज़िया बीबी भी किचन में चली आई.
जिधर उस की बेटी शाज़िया अब उस की बहू के रूप में सब घर वालों के लिए चाय और नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.
रज़िया बीबी भी किचन में आ कर अपनी बेटी का हाथ बंटाने लगी.
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किचेन में चला आया. तो सब ने मिल कर एक साथ नाश्ता किया.
नाश्ते से फारिग होते ही ज़ाहिद अपनी मोटर साइकल ले कर बाहर जाने लगा. तो रज़िया बीबी ने शाज़िया को आहिस्ता से कहा “बेटी जाओ और अपने मियाँ को अलविदा करो”.
अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया पहले तो हिचकचचाई. मगर फिर अपनी अम्मी की हिदायत पर अमल करते हुए अपने भाई ज़ाहिद के पीछे पीछे गेट तक चली गई.
ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का आज यूँ एक बीवी की तरह घर के गेट तक आ कर उसे अलविदा करना अच्छा लगा.
अपनी बहन को उस के पीछे इस तरह गेट तक आता देख कर ज़ाहिद के दिल तो चाहा कि वो जाते जाते अपनी बहन की एक ज़ोर दार चुम्मि ले ले.
मगर फिर उस ने सोचा कि चुम्मि लेते लेते अगर उस का दिल फिर से अपनी बहन की चूत मारने को करने लगा. तो उसे पोलीस स्टेशन जाने में काफ़ी देर हो जाय गी.
इसीलिए अपने दिल पर पत्थर रख कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को किक लगाई और फिर घर से बाहर निकल गया.
घर का गेट बंद कर के शाज़िया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में वापिस आई. तो उस ने अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बैठे पाया.
अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज में बैठा देख कर शाज़िया ने सोचा कि वो जल्दी से किचन में जा कर नाश्ते वाली डिशस को सॉफ कर के अपना काम ख़तम कर ले.
ये ही सोच कर शाज़िया ज्यों ही किचन की तरफ जाने लगी. तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी.“शाज़िया ज़रा इधर मेरे पास आ कर बैठो”.
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर उसे चारो-ना-चार अपनी अम्मी के पास आ कर सोफे पर बैठना ही पड़ा.
अपनी अम्मी के पास बैठ कर कोई बात करने की बजाय शाज़िया ने कमरे का टीवी ऑन कर के टीवी पर लगे हुए मॉर्निंग शो को देखना शुरू कर दिया.
जब रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया उस से कोई बात चीत करने की बजाय अपना ध्यान टीवी में लगा रही है. तो उस ने खुद अपनी बेटी से अपनी बात स्टार्ट करने का सोचा और वो बोली “ शाज़िया मुझे समझ नही आ रही कि तुम्हारे और ज़ाहिद के दरमियाँ इतना सब कुछ होने के बावजूद, ना जाने क्यों तुम अभी तक मुझ से एक जिझक सी महसूस कर रही हो?”.
अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और खामोशी से टीवी की तरफ अपनी नज़रें जमाए रखी.
“मेरी बच्ची मेरी ख्वाहिश है कि आज के बाद तुम मुझे अपनी माँ नही बल्कि नीलोफर की तरह अपनी सहेली समझो बेटी” रज़िया बीबी ने जब शाज़िया के मुँह से कोई जवाब नही सुना तो वो फिर बोली.
“अम्मी कह तो ठीक रही हैं,अब जब कि में अपनी अम्मी की रज़ामंदी से अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ अपनी सुहाग रात मना चुकी हूँ,और आज मेरी अपनी सग़ी अम्मी ने मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर अपनी बहू का दर्जा भी दे दिया है, तो अब मुझे अपने दिल से अपनी रवायती शरम और झिझक निकाल देनी चाहिए” ये बात सोचते हुए शाज़िया ने अपनी नज़रें अपनी अम्मी की तरफ कीं और बोली “ठीक है अम्मी में कोशिश करूँगी कि आइंदा आप से कोई झिझक और शरम महसूस ना करूँ”.
ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनी तो उस ने शाज़िया को खैंच कर अपने साथ चिमटा लिया और खुशी से अपनी बेटी के कान में शरगोशी की “ तो अब मेरी बहू मुझे मेरा पोता कब दे रही है”.
“अम्म्मिईीईई ऐसी बातें ना करो मुझे शरम आती है” अपनी अम्मी के मुँह से पोते की फरमाइश सुन कर शाज़िया अपना मुँह शरम से अपने हाथों में छुपाते हुए बोली.
“हाईईईईईई मेरी बच्ची शादी के बाद बच्चे पैदा होना तो एक क़ुदरती अमल है,इस में शरमाने वाली कौन सी बात है भला” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को फिर शरमाते देखा. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया को प्यार से समझाया.
इस से पहले कि शाज़िया कुछ जवाब देती कि इतनी देर में नीलोफर और जमशेद घर की ऊपर वाली मंज़िल से नीचे आ कर टीवी लाउन्ज में एंटर हुए.
“तुम लोग किधर जा रहे हो सुबह सुबह” शाज़िया ने ज्यों ही नीलोफर और जमशेद को अंदर आते देखा. तो वो उन की तरफ मुँह कर के पूछने लगी.
“शाज़िया में और जमशेद बाज़ार जा रहे हैं,तुम ने कुछ मंगवाना तो नही” टीवी लाउन्ज में आ कर नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.
“नही मुझे कुछ नही चाहिए” शाज़िया ने जवाब दिया तो नीलोफर अपने भाई के साथ घर से बाहर निकल गई.
जमशेद और नीलोफर की इस तरह अचानक आमद का फ़ायदा उठाते हुए शाज़िया भी सोफे से उठ कर नीलोफर के पीछे पीछे किचन की तरफ चली गई.
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जमशेद ने चूँकि कंप्यूटर में डिग्री ली हुई थी . और उसे कंप्यूटर की फील्ड में काम करने का बहुत तजुर्बा भी था.
इस बिना पर जमशेद जानता था. कि आज कल कंप्यूटर की फील्ड में बाहर के मुल्क में काफ़ी जॉब्स अवेलबल हैं.इसीलिए वो अक्सर घर में बैठ कर ही दूसरे देशों में ऑनलाइन जॉब्स अप्लाइ करता रहता था.
अपनी बहन नीलोफर से जेहनी शादी के कुछ दिन बाद ही जमशेद को मलेशिया में एक कंप्यूटर की जॉब ऑफर हुई. जिस में अच्छी सेलरी के साथ साथ फॅमिली वीसा और रिहायश भी शामिल थी.
“ज़ाहिद तुम बताओ कि मुझे किया करना चाहिए” नोकरी की ऑफर मिलने पर जमशेद ने ज़ाहिद से इस बड़े में मशवरा किया.
“यार तुम को पता है कि मेरी अपनी पोलीस सर्विस भी अब चन्द साल की ही रह गई है, इसीलिए वैसे में भी ये चाहता हूँ कि तुम वहाँ जा कर नोकरी के साथ साथ मेरे पैसो से कोई बिजनेस स्टार्ट करो,तो फिर अपनी नोकरी ख़तम होते ही में भी अम्मी और शाज़िया के साथ तुम्हारे पास ही चला आऊँगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात के जवाब में उसे मशवरा दिया.दूसरी तरफ ज़ाहिद को आज अपने पोलीस स्टेशन जाने की जल्दी थी. इसीलिए अपनी अम्मी की नज़रों की परवाह किय बगैर वो अपनी बहन से कही हुई अपनी अम्मी की बात पर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में चला गया.
ज़ाहिद के बाथरूम जाने के बाद रज़िया बीबी भी किचन में चली आई.
जिधर उस की बेटी शाज़िया अब उस की बहू के रूप में सब घर वालों के लिए चाय और नाश्ता बनाने में मसरूफ़ थी.
रज़िया बीबी भी किचन में आ कर अपनी बेटी का हाथ बंटाने लगी.
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद भी किचेन में चला आया. तो सब ने मिल कर एक साथ नाश्ता किया.
नाश्ते से फारिग होते ही ज़ाहिद अपनी मोटर साइकल ले कर बाहर जाने लगा. तो रज़िया बीबी ने शाज़िया को आहिस्ता से कहा “बेटी जाओ और अपने मियाँ को अलविदा करो”.
अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया पहले तो हिचकचचाई. मगर फिर अपनी अम्मी की हिदायत पर अमल करते हुए अपने भाई ज़ाहिद के पीछे पीछे गेट तक चली गई.
ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का आज यूँ एक बीवी की तरह घर के गेट तक आ कर उसे अलविदा करना अच्छा लगा.
अपनी बहन को उस के पीछे इस तरह गेट तक आता देख कर ज़ाहिद के दिल तो चाहा कि वो जाते जाते अपनी बहन की एक ज़ोर दार चुम्मि ले ले.
मगर फिर उस ने सोचा कि चुम्मि लेते लेते अगर उस का दिल फिर से अपनी बहन की चूत मारने को करने लगा. तो उसे पोलीस स्टेशन जाने में काफ़ी देर हो जाय गी.
इसीलिए अपने दिल पर पत्थर रख कर ज़ाहिद ने मोटर साइकल को किक लगाई और फिर घर से बाहर निकल गया.
घर का गेट बंद कर के शाज़िया ज्यों ही टीवी लाउन्ज में वापिस आई. तो उस ने अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज के सोफे पर बैठे पाया.
अपनी अम्मी को टीवी लाउन्ज में बैठा देख कर शाज़िया ने सोचा कि वो जल्दी से किचन में जा कर नाश्ते वाली डिशस को सॉफ कर के अपना काम ख़तम कर ले.
ये ही सोच कर शाज़िया ज्यों ही किचन की तरफ जाने लगी. तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी.“शाज़िया ज़रा इधर मेरे पास आ कर बैठो”.
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर उसे चारो-ना-चार अपनी अम्मी के पास आ कर सोफे पर बैठना ही पड़ा.
अपनी अम्मी के पास बैठ कर कोई बात करने की बजाय शाज़िया ने कमरे का टीवी ऑन कर के टीवी पर लगे हुए मॉर्निंग शो को देखना शुरू कर दिया.
जब रज़िया बीबी ने देखा कि शाज़िया उस से कोई बात चीत करने की बजाय अपना ध्यान टीवी में लगा रही है. तो उस ने खुद अपनी बेटी से अपनी बात स्टार्ट करने का सोचा और वो बोली “ शाज़िया मुझे समझ नही आ रही कि तुम्हारे और ज़ाहिद के दरमियाँ इतना सब कुछ होने के बावजूद, ना जाने क्यों तुम अभी तक मुझ से एक जिझक सी महसूस कर रही हो?”.
अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और खामोशी से टीवी की तरफ अपनी नज़रें जमाए रखी.
“मेरी बच्ची मेरी ख्वाहिश है कि आज के बाद तुम मुझे अपनी माँ नही बल्कि नीलोफर की तरह अपनी सहेली समझो बेटी” रज़िया बीबी ने जब शाज़िया के मुँह से कोई जवाब नही सुना तो वो फिर बोली.
“अम्मी कह तो ठीक रही हैं,अब जब कि में अपनी अम्मी की रज़ामंदी से अपने ही सगे भाई की बीवी बन कर उस के साथ अपनी सुहाग रात मना चुकी हूँ,और आज मेरी अपनी सग़ी अम्मी ने मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर अपनी बहू का दर्जा भी दे दिया है, तो अब मुझे अपने दिल से अपनी रवायती शरम और झिझक निकाल देनी चाहिए” ये बात सोचते हुए शाज़िया ने अपनी नज़रें अपनी अम्मी की तरफ कीं और बोली “ठीक है अम्मी में कोशिश करूँगी कि आइंदा आप से कोई झिझक और शरम महसूस ना करूँ”.
ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुनी तो उस ने शाज़िया को खैंच कर अपने साथ चिमटा लिया और खुशी से अपनी बेटी के कान में शरगोशी की “ तो अब मेरी बहू मुझे मेरा पोता कब दे रही है”.
“अम्म्मिईीईई ऐसी बातें ना करो मुझे शरम आती है” अपनी अम्मी के मुँह से पोते की फरमाइश सुन कर शाज़िया अपना मुँह शरम से अपने हाथों में छुपाते हुए बोली.
“हाईईईईईई मेरी बच्ची शादी के बाद बच्चे पैदा होना तो एक क़ुदरती अमल है,इस में शरमाने वाली कौन सी बात है भला” रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को फिर शरमाते देखा. तो उस ने अपनी बेटी शाज़िया को प्यार से समझाया.
इस से पहले कि शाज़िया कुछ जवाब देती कि इतनी देर में नीलोफर और जमशेद घर की ऊपर वाली मंज़िल से नीचे आ कर टीवी लाउन्ज में एंटर हुए.
“तुम लोग किधर जा रहे हो सुबह सुबह” शाज़िया ने ज्यों ही नीलोफर और जमशेद को अंदर आते देखा. तो वो उन की तरफ मुँह कर के पूछने लगी.
“शाज़िया में और जमशेद बाज़ार जा रहे हैं,तुम ने कुछ मंगवाना तो नही” टीवी लाउन्ज में आ कर नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.
“नही मुझे कुछ नही चाहिए” शाज़िया ने जवाब दिया तो नीलोफर अपने भाई के साथ घर से बाहर निकल गई.
जमशेद और नीलोफर की इस तरह अचानक आमद का फ़ायदा उठाते हुए शाज़िया भी सोफे से उठ कर नीलोफर के पीछे पीछे किचन की तरफ चली गई.
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जमशेद ने चूँकि कंप्यूटर में डिग्री ली हुई थी . और उसे कंप्यूटर की फील्ड में काम करने का बहुत तजुर्बा भी था.
इस बिना पर जमशेद जानता था. कि आज कल कंप्यूटर की फील्ड में बाहर के मुल्क में काफ़ी जॉब्स अवेलबल हैं.इसीलिए वो अक्सर घर में बैठ कर ही दूसरे देशों में ऑनलाइन जॉब्स अप्लाइ करता रहता था.
अपनी बहन नीलोफर से जेहनी शादी के कुछ दिन बाद ही जमशेद को मलेशिया में एक कंप्यूटर की जॉब ऑफर हुई. जिस में अच्छी सेलरी के साथ साथ फॅमिली वीसा और रिहायश भी शामिल थी.
“ज़ाहिद तुम बताओ कि मुझे किया करना चाहिए” नोकरी की ऑफर मिलने पर जमशेद ने ज़ाहिद से इस बड़े में मशवरा किया.
“यार तुम को पता है कि मेरी अपनी पोलीस सर्विस भी अब चन्द साल की ही रह गई है, इसीलिए वैसे में भी ये चाहता हूँ कि तुम वहाँ जा कर नोकरी के साथ साथ मेरे पैसो से कोई बिजनेस स्टार्ट करो,तो फिर अपनी नोकरी ख़तम होते ही में भी अम्मी और शाज़िया के साथ तुम्हारे पास ही चला आऊँगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात के जवाब में उसे मशवरा दिया.
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