RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
इधर कस कर दस पंद्रह मिनिट की चुदाई के बाद दोनो करण और अर्जुन ने अपने वीर्य को मोहिनी की गान्ड और चूत मे भर दिया और उसके जिस्म से उतर गये. मोहिनी अपनी चाल मे कामयाब हो चुकी थी. साथ ही साथ वो करण और निशा के रिश्तो मे भी दरार डालने का काम कर चुकी थी.
“वाह साहब...आप दोनो ने तो मुझे आगे पीछे से बहुत तगड़ा बजा दिया है....अब आपलोग मोहिनी की चुचियो का दूध पीकर वापस अपनी ताक़त इकट्ठा कर लो ताकि हम फिर से चुदाई कर सके...” कहते हुए मोहिनी ने आजू बाजू लेटे करण और अर्जुन के मूह मे अपनी दोनो चुचि घुसा दी जिसे वो दोनो किसी बच्चे की तरह चूसने लगे.
चुचि से निकलते ताज़ा दूध उन दोनो के मूह मे भरता जा रहा था. जिसे पीकर वो अपने होश गँवाते जा रहे थे.
अगली सुबह जब करण की नींद खुली तो उसके सर मे तेज़ दर्द था. इतना तेज़ कि मानो उसका सर दर्द से फट जाएगा. सब कुछ धुँधला धुन्द्ला दिख रहा था. उसे महसूस हुआ कि वो बिस्तर पर नंगा पड़ा है और कोई उसके खड़े लंड को मूह मे लेकर चूस रहा है.
उसने सर घुमा के देखा तो अर्जुन उसके बगल मे नंगा सो रहा था. उसके शरीर मे जैसे जान ही नही बची थी. धीरे धीरे उसको सब दिखाई देने लगा. वो वापस अपने होटेल मान सिंग पॅलेस के अपने कमरे मे लेटा हुआ था और मोहिनी बिना कपड़ो के पूरी नंगी उसके लौडे को चूस रही थी.
अब धीरे धीरे करण को होश आ रहा था. पर जैसे ही उसका रात का नशा उतरा उसने देखा कि जो भी हो रहा है वो ग़लत है. वो ऐसे अपनी बीवी को धोका नही दे सकता. उसने मोहिनी को अपने लौडे से हटाने की कोशिश की पर उसके शरीर मे ताक़त ही नही बची थी.
मोहिनी करण को जगा देख कर अपनी वही रहस्यमयी मुस्कान से मुस्कुराने लगी. जब तक करण उसे रोकता वो चढ़ कर उसके उपर बैठ गयी थी और उसके लौडे को अपने हाथ मे लेकर अपनी चूत से भिड़ा कर उसपे बैठ गयी.
लॉडा सरसराता हुआ चूत की जड़ तक घुस गया और मोहिनी लौडे पर कूदने लगी. करण ने अपनी पूरी ताक़त बटोरकर मोहिनी को अपने से हटाना चाहा पर तब तक होटेल के रूम का दरवाज़ा खुला और सामने करण को ब्लॅक जीन्स और ग्रीन टॉप पहने निशा खड़ी दिखी.
करण की तो दुनिया ही पलट गयी. मोहिनी अभी भी उसके लौडे पर बेफ़िक्र होकर कूद रही थी और उसे अपनी रसीली चूत मे ले रही थी. निशा वहाँ अब एक पल भी ना रह सकी और गुस्से से रूम का दरवाज़ा भड़ाक से बंद करके चली गयी.
करण ने मोहिनी को वहाँ से धक्का दे के हटाया और अपनी पॅंट शर्ट पहनकर नीचे दौड़ा जहाँ उसे निशा रिसेप्षन से होकर जाती हुई दिखाई दी.
“प्लीज़ निशा मेरी बात तो सुनो...” उसने निशा का हाथ पकड़ते हुए कहा.
निशा पलटी और सबके सामने करण के गालो पर खीच कर एक तगड़ा झापड़ लगा दिया. पूरा होटेल सन्न रह गया, सब के सब करण और निशा की तरफ देख रहे थे. झापड़ इतनी ज़ोर का था कि करण के गोरे गालो पर निशा की पाँचो उंगलिया छप गयी.
“मैं वो सब नही करना चाहता था....” उसने सर झुकाते हुए कहा.
“मैने तुम जैसे घटिया आदमी से प्यार करके सबसे बड़ी भूल की है...और उसे भी बड़ी भूल तुम पर विश्वास करके शादी करने कर के की है...” निशा वही पर रोते हुए बोली.
“प्लीज़ निशा...मैं अपने सेन्स मे नही था....यह सब क्या हो रहा है मुझे खुद कुच्छ भी समझ मे नही आ रहा है....मुझे कुछ याद भी नही आ रहा है...”
“कितने गिरे हुए इंसान हो तुम करण...इतना सब कुछ करने के बाद भी बोल रहे हो तुम्हे कुछ समझ मे नही आ रहा....उस औरत के साथ नाजायज़ संबंध बना कर तुम कह रहे हो तुम्हे कुछ भी याद नही...तुमने मुझे धोका दिया है करण...बेवफ़ाई की है तुमने..”
“मैने तुम्हे धोका नही दिया है निशा....यह सब कैसे और क्यू हो रहा है मुझे कुछ नही पता....प्लीज़ मेरी बात का यकीन करो..”
“यकीन करने को तो कुछ रह ही नही गया डॉक्टर. करण ऱठोड...आज मुझे घिंन आ रही है अपने आप पर जो मैं तुम्हारे साथ उस रात सोई...” और निशा ने फर्श पर थूकते हुए कहा.
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