RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
किरण अभी इन्ही ख्यालों मे खोई हुई थी कि, उसे अपने चुतड़ों की दरार मे और गान्ड के छेद पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ….उसने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर अपनी गान्ड की दरार मे लगा कर देखा, तो वहाँ कुछ गीला सा फील हुआ….फिर उसने अपनी उंगलियों को अपने आँखो के सामने लाकर देखा तो, ये वाइट कलर की जेल जैसा कुछ था…किरण का दिल ये देख कर मानो जैसे धड़कना ही भूल गया हो….ये विनय के लंड से निकाला उसका वीरे था…..भले ही उस समय विनय रूम मैं नही था… पर वो अपने लंड के चाप किरण के चुतड़ों के बीच मे छोड़ गया था…..
किरण का शक अब यकीन में बदल चुका था….किरण को कुछ समझ में नही आ रहा था…आख़िर उसे ऐसा सपना क्यों आया…उसने कभी भी अपने पति से अपनी गान्ड नही मरवाई थी….किरण जानती थी कि, गान्ड मरवाने मे पहली बार कितनी तकलीफ़ होती है…और विनय ने सपने मे उसकी गान्ड मारी थी…..आख़िर ऐसा ही सपना क्यों आया…शायद विनय जब अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर रगड़ रहा था…तब वो कच्ची पक्की नींद मे हो….इसलिए उससे जब अपनी गान्ड के छेद पर जब विनय के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो इस तरह का सपना देखने लगी हो…..
किरण वही बैठी इसी तरह के क्यास लगा रही थी…कि उससे बाहर से डोर बेल सुनाई दी….वो बेड से उठी अपनी साड़ी ठीक की, और लाइट ऑन करके टाइम देखा तो, 5:30 बज रहे थे….
किरण रूम से निकल कर बाहर आई तो देखा विनय हाल मे बैठा हुआ टीवी देख रहा था….जैसे ही उसने विनय की तरफ देखा तो, विनय ने अपनी नज़रें चुरा ली….किरण विनय की तरफ देखते हुए गेट की तरफ चली गयी. किरण ने गेट खोला तो, सामने वशाली खड़ी थी…वशाली अंदर चली गयी….किरण ने गेट बंद किया और फिर बाथरूम मे घुस गयी…बाथरूम के डोर को अंदर से बंद किया और फिर अपनी साड़ी और पेटिकोट अपनी कमर तक उठा कर अपनी गान्ड पर लगे हुए विनय के सुख चुके वीर्य को धोने लगी…फिर उसने अपने चुतड़ों को टवल से पोन्छा और वहाँ पर लटक रही वाइट कलर की पैंटी उठा कर पहन ली.
दूसरी तरफ वशाली विनय के पास जाकर सोफे पर बैठ गये थे…..जब उसने देखा कि मामी बाथरूम मे घुसी है, तो उसने मोका देखते हुए, विनय से कहा….”विनय….”
विनय: हूँ….
वैशाली: वो रिंकी उस दिन के लिए सॉरी बोल रही है….
विनय: तो मैं क्या करूँ….मुझे अब उससे कोई बात नही करनी…
वशाली: विनय प्लीज़ उसे माफ़ कर दे ना….वो बार बार मुझसे कह रही थी कि, मेरे विनय से फिर से दोस्ती करवा दो…..
विनय: उस दिन तो वो अपने आप मे बड़ी बन रही थी…उससे कह देना कि, अब मुझे उससे दोस्ती नही करनी….
वशाली: प्लीज़ विनय मान जाओ ना….पता है वो कितना रो रही थी…
विनय: क्या वो क्यों रो रही थी….?
वशाली: इसलिए के अब तुम उससे बात नही करते….प्लीज़ भाई एक बार उसे माफ़ कर दो….सॉरी भी तो बोल रही है…..
विनय: ठीक है….पर उससे कह देना….आगे से कभी मेरा मज़ाक ना उड़ाए…..
तभी किरण बाथरूम से बाहर निकली तो दोनो एक दम से चुप हो गये. अब वशाली के पेट मे कीड़े कुलबुला रहे थे….वो जल्द से जल्द ये खबर रिंकी को बताना चाहती थी…आख़िर उसकी चूत का दाना भी तो अब फड़कने लगा था….रिंकी ने उसे अपनी भाई के साथ सेट्टिंग करवाने का प्रॉमिस किया था….इसलिए वशाली भी फिर से रिंकी का साथ देने लगी थी. किरण ने किचन मे पहुँच कर चाइ बनाई और फिर तीनो ने चाइ पी. शीतल भी अपने बच्चों को लेकर वहाँ आ गये…वशाली ने जब देखा के किरण अब मस्सी के साथ बातों में मगन है, तो खिसक कर बाहर चली गयी….और सीधे जाकर रिंकी को ये खबर बताए….
शीतल कुछ देर वहाँ बैठी और फिर किरण से कहा कि, उसे बाज़ार तक सब्जी लेने जाना है…ये बोल कर वो अपने बच्चो को छोड़ कर वही चली गयी…दूसरी तरफ विनय के स्कूल के बाहर एक औरत अपने चेहरे को दुपट्टे से पूरी तरह कवर किए हुए खड़ी थी…उसने गेट को दो तीन बार नॉक किया, तो अंजू ने थोड़ी देर बाद स्कूल का छोटा वाला साइड गेट खोला….”कैसी हो अंजू….?” उसने अंजू की तरफ देखते हुए कहा…..
अंजू: मैं ठीक हूँ….आप यहाँ कोई ज़रूरी काम था….?
औरत: मेने जो कहा था….वो काम हुआ कि नही…?
अंजू: धुँआ उठने लगा है….आग किसी भी समय भड़क सकती है….
औरत: (कुछ पैसे निकाल कर अंजू को देते हुए….) ये रखो जब मेरा काम हो जाएगा, तो तय की हुई कीमत तुझे मिल जाएगी….
अंजू: जी शुक्रिया…..आइए ना अंदर…
औरत: नही अभी मुझे काम है…..
अंजू: ठीक है जैसे आपकी मरजी…
उसके बाद वो औरत चली गयी….अंजू ने गेट बंद कर लिया….इधर किरण रात के खाने की तैयारी मे बिज़ी थी….पर दिमाग़ मे आज जो हुआ था. वही सब घूम रहा था….जब से वो उठी, तब से उसे अपनी चूत मे टीस उठती हुई महसूस हो रही थी….वो किचन मे काम करते हुए बार -2 मूड कर विनय को देख रही थी…विनय उससे नज़रें चुरा रहा था. ये किरण भाँप चुकी थी….और उसका अंदाज़ा अब और पक्का होने लगा था. कहते है ना चोर की दाढ़ी मे तिनका…वही हाल विनय का उस समय था. भले ही किरण ने अभी तक विनय से ऐसा कुछ नही कहा था…जिससे विनय को पता चलता कि, उसकी मामी को उसकी हरकतों का पता चल चुका है……पर फिर भी नज़ाने क्यों विनय के मन मे अजीब सा डर बैठा हुआ था….
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