RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
21
शाम का समय हो गया था….विनय अपने रूम में बैठा हुआ छुट्टियों के लिए मिला होमवर्क पूरा कर रहा था….दूसरी तरफ वशाली हॉल में बैठी हुई टीवी देख रही थी की, तभी रिंकी उनके घर आई…जब से रिंकी ने विनय का मज़ाक उड़ाया था….तब से उन दोनो के बीच बात चीत बिल्कुल बंद थी….इस दौरान ना तो रिंकी ही उनके घर आई थी….और ना ही वशाली उनके घर गयी थी….किरण भी हाल में बैठी हुई रात के खाने के लिए सब्जी काट रही थी….
किरण: (रिंकी को देखते हुए…) अर्रे रिंकी आओ अंदर आओ…आज बड़े दिनो बाद आई हो…कही घूमने गयी थी….?
रिंकी: (वशाली की तरफ देखते हुए…) नही आंटी जी वो ऐसे ही तबीयत थोड़ी खराब थी….इसीलिए नही आई…
किरण ने सब्जी काट ली थी….इसीलिए वो उठ कर किचन में चली गयी… रिंकी वशाली के साथ जाकर कुर्सी पर बैठ गयी….”नाराज़ हो अभी तक मुझसे..” रिंकी ने भोला सा फेस बनाते हुए कहा….”तुम अब यहाँ क्या लेने आई हो. उस दिन तुम्हारा पेट नही भरा मेरे भाई का मज़ाक उड़ा कर….” वशाली ने अपने दिल की भडास निकालते हुए कहा….
रिंकी: सॉरी यार उस दिन मुझसे ग़लती हो गयी थी….मुझे माफ़ नही करेगी तू….प्लीज़ यार माफ़ कर दे ना….
वशाली: ठीक है…पहले प्रॉमिस कर….अब फिर कभी ना तो भाई और ना ही मेरा मज़ाक उड़ाएगी….
रिंकी: प्रॉमिस माइ स्वीटू….अब खुश….
ये कहते हुए रिंकी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो, वशाली ने उससे हाथ मिलाया….”अच्छा सुन कल सुबह मम्मी पापा जा रहे है बाहर ….और भाई भी बाहर गया हुआ मामा के पास…तू कल सुबह मेरे घर चलना मेरे साथ…कुछ बहुत ही हॉट आइटम्स दिखाउन्गी….” वशाली ने कुछ देर सोचा और फिर धीरे से बोली….” ठीक है कल चलूंगी मैं तुम्हारे साथ. उसके बाद रिंकी अपने घर चली गयी…वशाली को थोड़ी हैरानी ज़रूर हुई, रिंकी बदले हुए रवैये को देख कर…पर उसने कुछ ज़्यादा सोचा नही…
दोस्तो दरअसल रिंकी ने उस दिन के बाद फिर से बहुत ट्राइ किया कि, उसकी सेट्टिंग किसी लड़के से हो जाए…पर माँ बाप की सख़्त निगरानी के कारण…वो ऐसा नही कर पाई थी..अब विनय तो घर की बात थी….एक बार फिर से आज़माने में क्या जाता उसका…इसीलिए उसने वशाली से फिर से दोस्ती कर ली थी….उस दिन और कुछ ख़ास ना हुआ, दिन तो जैसे तैसे कट गया था. पर रात विनय ने करवटें बदलते हुए गुज़ारी थी…..
सुबह के 8 बज रहे थे….किरण अजय को ऑफीस भेज चुकी थी….वो पहले अपने रूम मे गयी, जहाँ वशाली अभी तक सो रही थी…उसने वशाली को उठाया और फ्रेश होने को कहा और फिर वो विनय के रूम मे आई, जो अभी तक सो रहा था…..मामी बेड के किनारे जाकर बैठी और विनय के सर को सहलाते हुए बोली…”उठ जाओ विनय देखो 8 बज गये है…” विनय जो रात को ठीक से सो नही पाया था….मामी की आवाज़ सुन कर उसकी नींद खुली, उसने अपनी बोझिल आँखो से बेड पर बैठी अपनी मामी की तरफ देखा…
विनय: मामी थोड़ी देर और सो जाउ….
किरण: क्या हुआ तबीयत ठीक नही है क्या…
विनय: नही वो मामी रात को नींद नही आ रही थी….
किरण: चल सो जा…
ये कह कर किरण अपने रूम से बाहर आ गयी….पिछले कुछ दिनो से वो विनय में आए बदलाव को देख कर थोड़ा परेशान थी….वो सोच रही थी कि, ये सब विनय की किशोरा अवस्था के शुरू होने के संकेत है…या फिर विनय के साथ कुछ प्राब्लम है….9 बज चुके थे…वशाली नाश्ता करके रिंकी के साथ उसके घर चली गयी थी…रिंकी उसे सुबह-2 ही लेने आ गयी थी….कि तभी डोर बेल बजी, किरण ने जाकर जब गेट खोला तो सामने अंजू खड़ी थी…..अंजू किरण की तरफ देखते हुए मुस्कुराइ और फिर उसके साथ अंदर आ गयी…..
अंजू: बताएँ दीदी जी क्या करना है….
किरण: (कुछ देर सोचने के बाद….) तू ऐसा कर….सबसे पहले सभी कमरो की सफाई करके पोंच्छा लगा दे…मैं तब तक मशीन निकाल देती हूँ…और कपड़े धोना शुरू करती हूँ….
अंजू: जी दीदी….
अंजू ने झाड़ू उठाया और कमरो की सफाई करनी शुरू कर दी….सबसे पहले उसने किरण का कमरा सॉफ किया फिर ममता का….और फिर जब वो विनय के रूम में पहुँची तो, उसने देखा कि विनय अभी भी सो रहा है….विनय को देख कर उसके होंटो पर कामुकता भरी मुस्कान फेल गयी. उसने एक बार बाहर की तरफ झाँका….किरण बाथरूम के बाहर वॉशिंग मशीन में कपड़े डाल रही थी…
और फिर झाड़ू लगाना शुरू कर दिया….जब झाड़ू लगाते हुए वो विनय के बेड के पास आई, तो, उसने एक बार डोर की तरफ देखा और फिर जल्दी से विनय को हिलाया तो, विनय जैसे ही नींद से जागा तो, अपने रूम में अंजू को देख कर चोंका और घबरा भी गया…अंजू ने अपने होंटो पर उंगली रखते हुए, उसे चुप रहने का इशारा किया….और फिर उसकी तरफ देखते हुए, झाड़ू लगाने लगी…..झाड़ू लगाते हुए, वो बार-2 विनय को आँखो ही आँखो से इशारे भी कर रही थी…
अंजू ने आधे घंटे में ही नीचे वाले फ्लोर की सफाई करके पोंचा भी लगा दिया था…बाहर किरण ने वॉशिंग मशीन में कपड़े भी धो लिए थे…विनय भी उठ कर बाहर आ गया…और सीधा बाथरूम में चला गया…फ्रेश हुआ और फिर जब किरण ने देखा तो, उसने अंजू को कपड़ों को ऊपेर धूप मे डाल कर आने को कहा…और खुद विनय के लिए नाश्ता लगाने के लिए किचन में चली गयी…इधर विनय नाश्ता कर रहा था. और उधर अंजू ऊपेर कपड़ों को धूप में सुखाने के लिए छत पर डाल रही थी…
थोड़ी देर बाद अंजू नीचे आई….और नीचे फर्श पर बिछी चटाई पर बैठ कर अपनी साड़ी के पल्लू से अपने चेहरे पर आए पसीने को सुखाने लगी…”हो गया दीदी जी…..अब बताए और क्या करना है…” उसने विनय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा…”थोड़ी देर आराम कर ले…काम तो होता ही रहेगा…अभी 10 ही तो बजे है….” किरण ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..विनय चोर नज़रों से अंजू की तरफ देख रहा था… आज अंजू खूब सजसंवर कर आई थी….उसने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी…हल्का सा मेकप किया हुआ था…
विनय ने नाश्ता ख़तम किया तो, किरण झूठे बर्तन उठाने लगी. तो अंजू ने किरण को रोक दिया…”दीदी मुझे किस लिए रखा है….लाइए मैं उठा लेती हूँ….” ये कहते हुए अंजू उठी और डाइनिंग टेबल के पास आई और झुक कर विनय को अपनी चुचियों के दर्शन करवाते हुए बर्तन उठा कर किचन मे चली गयी….नीचे का काम ख़तम हो चुका था….
किरण: अंजू अब तू ऊपेर के रूम्स की सफाई कर दे जाकर….झाड़ू पोंचा ले जा, वैसे रोज-2 करने की तो ज़रूरत नही है….पर हफ्ते मैं एक आध बार कर दिया करना….
अंजू: जी दीदी कर दिया करूँगी…..
अब जब किरण फ्री थी…तो उसने शवर लेने की सोची…इसीलिए वो खुद बाथरूम में घुस्स गयी….अंजू ने पानी से भरी बालटी और झाड़ू उठाया और सीडीयों की तरफ जाते हुए, विनय को इशारे से ऊपेर आने को कहा..विनय अभी भी थोड़ा सा घबराया हुआ था…अंजू के ऊपेर जाने के करीब 5 मिनिट बाद, विनय उठा और दबे पाँव सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपेर जाने लगा…ऊपेर अंजू एक रूम में लगे हुए बेड पर जमी धूल हटा रही थी. जब विनय ऊपेर पहुँचा तो उसने रूम का डोर खुला देखा , तो वो उस रूम के अंदर चला गया…
विनय को रूम मे देख कर अंजू के आँखे चमक उठी…उसने जल्दी से विनय के पास जाकर उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खेंचते हुए धीरे से बोली….”क्यों रे उसके बाद तू आया नही वहाँ पर…” विनय ने अपने गले का थूक गटकते हुए कहा….”वो मामी बाहर नही जाने देती धूप में. “ अंजू विनय की बात सुन कर मुस्कुराने लगी….”चल कोई बात नही तू नही आया तो मैं चली आई…तुम्हारा दिल नही करता वो सब दोबारा करने को…” अंजू ने विनय की आँखो में झाँकते हुए कहा…..
विनय: हां करता है….
अंजू: अभी करना है…..?
विनय: (डोर की तरफ देखते हुए) मामी अगर ऊपेर आ गयी तो…
अंजू: इतनी जल्दी नही आएगी…नहाने गयी है ना…..तू बोल करना है….
विनय: (हाँ में सर हिलाते हुए…) हां…
अंजू ने विनय का हाथ छोड़ा…और फिर जल्दी से बेड पर चढ़ कर बाहर सीढ़ियों की तरफ लगी हुई खिड़की को खोला और फिर से विनय के पास आ गयी…उसने विनय के शॉर्ट्स के ऊपेर उसके लंड पर हाथ रखा…जो डर की वजह से मुरझाया हुआ था….अंजू का हाथ लंड पर पड़ते ही, विनय के बदन ने झटका खाया, “ये तो सोया हुआ है….इसे जगाना पड़ेगा..” अंजू ने विनय के लंड को उसके शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाते हुए कहा…
फिर उसने विनय की आँखो में झाँकते हुए विनय के शॉर्ट्स को उसकी जाँघो तक उतार दिया…और अगले ही पल उसने बेड पर बैठते हुए, विनय के लंड को मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया….”श्िीीई ओह आंटी..” विनय ने सिसकते हुए अंजू के सर को दोनो हाथो से पकड़ लिया…अंजू विनय के लंड के सुपाडे को अपने दोनो होंटो में दबा-2 कर चूसने लगी… जिससे विनय का लंड कुछ ही पलों में एक दम लोहे की रोड की तरह खड़ा हो गया…
|