RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
सब्जी वाला भुन्भुनाता हुआ आगे चला गया….विनय अंजू के पास आया….और अंजू की तरफ पैसे बढ़ाते हुए बोला……”ये पैसे वो अंकल ने दिए थी आपको देने के लिए…” अंजू ने मुस्कराते हुए विनय को ऊपेर से नीचे की तरफ देखा, जैसे बिल्ली चूहे को खाने से पहले देख रही हो, कि कितना गोश्त है उसमे……उसने विनय के हाथ से पैसे लेते हुए, उसके सामने ही अपने ब्लाउस मे हाथ डालते हुए अंदर रख लिए……
अंजू: (कातिल अदा के साथ मुस्कराते हुए) और कुछ तो नही कहा था……?
विनय: (कुछ सोच कर हकलाते हुए) हां वो वो कहा था कि, आप को कुछ काम है मुझसे इसीलिए 12 बजे आपके पास आने के लिए कहा था…..
अंजू: (होंटो पर तीखी जानलेवा मुस्कान लाते हुए…..)और कुछ नही कहा क्या……
विनय: ना नही और कुछ नही कहा….
अंजू: (मन ही मान रामू को कोसने लगी कि, रामू ने उसे सॉफ-2 क्यों नही बताया….अंजू सोच रही थी कि, अब इस चिकने लौन्डे को खुद ही अपने काम जाल मे फसाना होगा..) चल कोई ना…..फिर 12 बजे आ रहे हो ना…..
विनय: जी आ जाउन्गा…..
अंजू: (विनय के बिल्कुल करीब जाकर खड़े होते हुए….इतना करीब कि विनय के नथुनो से निकलने वाली हवा उसे अपनी ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर महसूस होने लगी. विनय की हालत तो एक दम पतली हो गयी थी…..) ठीक है आ जाना…..मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी….
ये कह कर जैसे ही अंजू मूडी, तो उसके ब्लाउस मे कसी हुई चुचियाँ विनय के कंधे से रगड़ खा गई……विनय का पूरा बदन झंझणा उठा…”अहह……” अंजू ने जान बुज कर सिसकते हुए विनय की आँखो मे देखा और फिर कातिल अदा के साथ मुस्कुराते हुए स्कूल के अंदर चली गयी. विनय वापिस घर की तरफ जाने लगा…..वो सारे रास्ते मे अपने ही ख्यालों मे डूबा हुआ था. जैसे ही वो घर के पास पहुचा तो उसे अपने पेंट की पॉकेट मे पढ़ी हुई व्याग्रा टॅब्लेट्स का ख़याल आया……उसका दिल जोरो से धड़क रहा था…..
कि कही मामी की नज़र उसकी पेंट की फूली हुई जेब पर ना पड़ जाए….विनय ने डरते हुए डोर बेल बजाई, तो थोड़ी देर बाद वशाली ने गेट खोला…..विनय ने अंदर आते हुए वशाली से पूछा, “वशाली मामी जी कहाँ है…..”
वशाली: वो अभी शीतल बुआ के घर पर गयी है….
जैसे ही विनय ने सुना कि मामी घर पर नही है, तो उसकी जान मे जान आई…..वो जल्दी से अपने रूम की तरफ चला गया…..रूम मे पहुच कर वो ऐसी जगह तलाश करने लगा. जहाँ पर वो उन टॅब्लेट्स को रख सके…तभी विनय को अपने पिग्गी बॅंक का ख़याल आया….जिसमे उसने पिछले एक साल से काफ़ी पैसे जोड़ कर रखे हुए थे…..उसने जल्दी से अपने पीगी बॅंक का लॉक खोला और उसमे एक टॅबलेट को छोड़ कर बाकी सब रख दी…..
क्योंकि विनय जानता था कि, उसके पिग्गी बॅंक को कोई भी हाथ नही लगाता….और वैसे भी उसके पिग्गी बॅंक के लॉक की चाबी सिर्फ़ उससे के पास रहती थी…..उसके बाद विनय ने घड़ी मे टाइम देखा तो अभी सिर्फ़ 9:30 बज रहे थे….तभी उसे बाहर से मामी और मासी शीतल की आवाज़ सुनाई दी….दोनो घर आ चुकी थी…..विनय जब रूम से बाहर निकल कर बरामदे मे आया तो, देखा किरण मामी और शीतल मासी के साथ उनके दोनो बच्चे भी आए हुए थे…..
विनय को देखते ही, पिंकी और अभी दोनो उसके पास आ गये……..”चलो भाई हाइड & सीक खेलते है…..” अभी ने विनय का हाथ पकड़ते हुए कहा….विनय का मन तो नही था. पर 12 बजने मे अभी बहुत टाइम था…..इस लिए टाइम पास तो करना ही था….”चलो फिर ऊपेर चलते है…..” विनय ने अभी की ओर देखते हुए कहा…..तो पिंकी वशाली के रूम की तरफ जाने लगी…..”मैं वशाली दीदी को भी बुला कर लाती हूँ…..” और फिर वो वशाली के रूम मे चली गयी…..थोड़ी देर बाद जब वशाली रूम से बाहर आई, तो उसके साथ रिंकी भी थी….रिंकी को देखते ही, विनय को कुछ दिन पहले हुई अलमारी वाली घटना याद आ गयी….
रिंकी बड़ी हसरत भरी नज़रों से विनय की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी…..अब विनय कुछ-2 लड़कियों के चेहरे के हावभाव समझने लग गया था…
15
विनय रिंकी की टीशर्ट में कसी हुई चुचियों को एक टक घुरे जा रहा था…..उसकी चुचियाँ ममता से थोड़ी ही छोटी थी……जब रिंकी ने उसे अपनी चुचियों की तरफ इस तरह घुरता हुआ पाया तो, उसने मुस्कुराते हुए धीरे-2 से वशाली के कान में कुछ कहा, तो वशाली ने भी विनय की नज़रों का पीछा काया, और फिर रिंकी की तरफ देखने लगी…..फिर दोनो एक दम से हँस पढ़ी…..विनय को समझ आ गया कि, ये दोनो उसकी बेफ़्कूफी पर हंस रही है…..इसीलिए उसने शर्मिंदा होते हुए अपने सर को झुका लिया……..
वशाली: अब ऐसे ही कबूतर की तरह खड़ा टुकूर-2 देखता रहेगा……या फिर कुछ करेगा भी…..?
वशाली ने रिंकी की कमर में कोहनी मारते हुए, विनय से कहा तो, विनय एक दम से हड़बड़ा गया…..”क्या क्या करना है…….” वशाली और रिंकी दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर फिर से खिलखिलाने लगी…..”कुछ नही भौंदू राम…..तुम लोग ऊपेर जाकर छुपो…..सबसे पहले में टर्न देती हूँ……” वशाली ने आँखो ही आँखो से रिंकी को इशारा करते हुए कहा….
विनय: क्या बात है, आज बड़ी दयालु हो रही है तू हम सब पर……
वशाली: मेरी मरजी अब जाओ ऊपेर जाकर छुपो ना……में काउंटिंग स्टार्ट करने लगी हूँ…..
वशाली ने इतना कहा ही था कि, सब ने ऊपेर की तरफ दौड़ लगा दी….पिंकी और अभी दोनो अलग -2 कमरो में छुप गये…..जबकि विनय उसी रूम की तरफ बढ़ रहा था…..जहाँ पर वो कुछ दिन पहले रिंकी के साथ अलमारी के अंदर छुपा था…..विनय का दिल उस रूम की तरफ जाते हुए जोरो से धड़क रहा था….कारण ये था कि, रिंकी आज भी उसके पीछे-2 ही आ रही थी…..रूम में पहुँच कर, विनय ने वो अलमारी खोली, और अंदर घुस गया….तो बाहर खड़ी रिंकी ने मिन्नत भरे लहजे में कहा……”विनय में भी अंदर आ जाउ…..”
|