RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
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दोनो जल्दी से बाहर आ गये…..वशाली ने ऐसे एक दम से अलमारी का डोर खोला तो विनय थोड़ा डर गया था…और कुछ ही पॅलो में उसका लंड डर की वजह से सिकुड भी गया था….”अब किसकी टर्न है….” रिंकी ने वशाली की ओर देखते हुए कहा….. “पिंकी (शीतल की बेटी) की टर्न है. “ तीनो रूम से बाहर आ गये….. अब पिंकी की बारी थी….विनय की मासी की बेटी की….अब उसे बाकी सब बच्चो को दूनढना था….इसीलिए वो काउंटिंग करने के लिए नीचे चली गयी…..सब फिर से छुपने के लिए भागे…..
पर विनय कुछ पल वही खड़ा रहा….नज़ाने क्यों उसके मन में आ रहा था कि, रिंकी इस बार भी उसके साथ ही उस अलमारी में छुपे….उसने कुछ देर तक वही खड़े होकर रिंकी और वशाली को दूसरे रूम के अंदर घुसते देखा….रिंकी ने भी डोर पर पहुँच कर एक बार फिर से विनय की तरफ देखा तो उसने उसे देख कर हल्की स्माइल दी…..पर अपने भौंदू विनय को इस स्माइल का मतलब तक नही पता था….वो बुझे हुए मन के साथ वापिस उस रूम में आया…पर नज़ाने क्यों वो उस अलमारी में दोबारा नही छुपा….वो उस रूम में पड़ी हुई चारपाई के पीछे जाकर छुप गया…..
दूसरी तरफ दोनो जिस रूम में थी…..उस रूम में घर का काफ़ी पुराना समान पड़ा हुआ था….दोनो एक टूटे हुए टेबल के पीछे छिप कर बैठी हुई थी…..”तो फिर क्या बना कुछ बात बनी कि नही…..” वशाली ने उत्सकता वश उससे पूछा…….
”तू भी ना वशाली कितनी गंदी टाइमिंग है तेरी थोड़ी और देर बाद आती तो शायद कुछ बात बन जाती…..”
वशाली: अच्छा चल मैं आ भी गयी तो क्या हुआ…..अब तू मेरे साथ क्यों छुपी है… उसके साथ ही छुप जाना था….
रिंकी: वो तो मैं नही चाहती थी कि, जिस जगह तुमने हमें पकड़ा है, कोई और उस छुपने की जगह के बारे में जान सके……देख इस बार जब पिंकी ऊपेर आएगी, तो तू खुद ही जान बुझ कर सबसे पहले पकड़ी जाना…फिर तेरा टर्न आएगा तो, मैं उसके साथ छुप जाउन्गी…..उसी अलमारी में….तू जान बुझ कर हमें मत ढूँढना जब तक हम खुद बाहर नही आ जाते….
वशाली: ठीक है…..पर ध्यान रखना कहीं मम्मी या ममता मासी ऊपेर ना जाए…..
रिंकी: तू कुछ इशारा कर देना ना….अगर उनमे से कोई ऊपेर आए तो….
वशाली: ठीक है…….
फिर रिंकी के प्लान के मुताबिक वशाली ने सबसे पहले अपने आप को पिंकी से पकड़वा लिया…. फिर पिंकी ने धीरे-2 सब को ढूँढ लिया….इस बार फिर से वशाली की टर्न थी….जैसे ही वशाली काउंटिंग करने के लिए नीचे गयी, तो सब फिर से छुपने के लिए इधर उधर कमरों में भाग गये….विनय भी फिर से उसी रूम में चला गया….रिंकी भी उसके पीछे आ गयी. विनय अभी सोच ही रहा था कि, इस बार वो कहाँ छुपे, तो रिंकी ने खुद अलमारी का डोर खोला और उसमे घुसते हुए धीरे से फुसफुसा कर विनय को अंदर आने के लिए कहा…..
विनय: नही तुम छुप जाओ…..उसमे जगह बहुत तंग है…..मैं कही और छुप जाउन्गा….
रिंकी: तू आ तो सही…हम अड्जस्ट कर लेंगे….
विनय: पर वशाली को तो अब इस छुपने की जगह का पता है….वो हमें ढूँढ लेगी…..
रिंकी: तो क्या हुआ, वैसे भी वो इस रूम में बाद में ही आएगी….कॉन सा हम दोनो की टर्न आने वाली है…..चल जल्दी आ…..
अब टाइम भी हो चुका था….वशाली किसी भी वक़्त ऊपर आ सकती थी….इसीलिए विनय ने बिना ज़्यादा सोचे समझे उस अलमारी में छुपना ही सही समझा….फिर जो वो कुछ देर पहले महसूस कर चुका था…उस अहसास को उस लरज़िश मज़े को दोबारा भी तो महसूस करना था…..इस बार रिंकी ने पहले ही अपना माइंड मेक अप किया हुआ था कि, क्या करना है और कैसे करना है…..जैसे ही विनय अलमारी के अंदर हुआ और उसने अलमारी का डोर बंद किया, तो अलमारी के अंदर बेहद अंधेरा हो गया….इतना क़ी कुछ भी दिखाई नही दे रहा था….
इस बार दोनो एक दूसरे की तरफ फेस किए आमने सामने खड़े थे….विनय को जैसे ही अपने चेहरे पर रिंकी की गरम साँसे महसूस हुई, तो उसके बदन में सिहरन सी दौड़ गयी… अगले ही पल उसे अपने शॉर्ट्स की ज़िप्प के ऊपेर से कुछ गरम सा अहसास हुआ, विनय अपने दोनो पैरो को जोड़ कर खड़ा था….जब कि रिंकी के पैर विनय के दोनो पैरो के पास फेले हुए थे. जिस समय विनय ने अलमारी का डोर बंद किया था….रिंकी ने उसी समय, अपनी स्कर्ट को आगे से कमर तक ऊपेर उठा लिया था….जो अब उन दोनो के पेट के बीच में फँसी हुई थी….और अब उसकी स्कर्ट नीचे नही हो सकती थी….दोनो के बदन एक दूसरे को टच हो रहे थे….
रिंकी की सेब के आकर की चुचियाँ विनय को अपनी चेस्ट पर दबति हुई महसूस हो रही थी…. धीरे-2 उसका लंड फिर से उसके शॉर्ट्स में अपनी औकात पर आने लगा था….जिसे महसूस करके रिंकी ने अपनी कमर को धीरे-2 हिलाना शुरू कर दिया…..इस बार तो विनय के लंड और उसकी चूत के बीच सिर्फ़ उसकी पेंटी और विनय का शॉर्ट्स ही था….
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