RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
सवाल अनेक थे…..पर जवाब किसी के पास नही था…..कहते है ना जाने वाले तो चले जाते है…..पर जिंदगी कभी नही रुकती….दोनो का अंतिम संस्कार हो चुका था….विनय को उसके मामा मामी अपने साथ अपने घर ले गये…..अब उस बेचारे का था भी कॉन….विजय के मामा भी उसी सिटी में रहते थे…..नीलम के घर के पास ही उनका भी घर था….उस रात संस्कार के बाद शीतल ने अपनी बेहन का दिया हुआ लेटर खोल कर जब देखा, तो उसके रोंगटे खड़े हो गये……उसके सारे सवालो का जवाब उस लेटर के चन्द शब्दों में संहित था…..इस बार जो शीतल की आँखो से आँसू निकले….वो सिर्फ़ पानी के नही थी….बल्की खून के आँसू थे….
पर जो उस लेटर में लिखा था…..उसे वो सब अपने तक सीमित रखना था….शीतल के दो बेटियाँ थी. एक विनय से दो साल छोटी थी…..और एक विनय की हम उम्र……जो शीतल ने अपने भाई को गोद दी हुई थी…..क्योंकि विनय के मामा की अपनी कोई संतान नही थी….क्यों नही थी…..ये मैं भी नही जानता. हां उन्हो ने अपनी संतान के लिए हर संभव जगह ठोकर ज़रूर खाई थी….पर उनके घर बच्चे की किल्कारी नही गूँजी थी……उसके बाद शीतल ने उसे अपनी बेटी दे दी थी….शीतल का एक बेटा भी था…जो सबसे छोटा था…..
उधर मामी के घर में विनय की हम उम्र उसकी बेहन वैशाली थी…..जो उसी की क्लास में थी….हां वो उस गाओं के स्कूल में पढ़ती थी…..मामा मामी और वैशाली के इलावा उनके घर में उसकी मामी की छोटी बेहन भी रहती थी…..जो वहाँ हाइयर स्टडी के लिए आई हुए थी….उसका नाम ममता था….उसकी शादी अभी 6-7 महीने पहले ही हुई थी…..शादी के बाद उसका हज़्बेंड वापिस यूके चला गया था..वो वही पर जॉब करता था…..इसीलिए शादी के बाद भी उसने अपनी स्टडी जारी रखी थी…. धीरे-2 वक़्त बीतता गया….शीतल ने विनय की ज़िम्मेदारी उसके मामा को सॉन्प दी थी…….
विनय के रूप मे उन्हे अपना बेटा मिल गया था……उसके मामा कपड़ों की दुकान चलाते थे… ज़्यादा बड़ा बिज़्नेस तो नही था…..पर दुकान अच्छी चलती थी…..विनय का अड्मिशन भी वशाली के स्कूल मे करवा दिया था…..वैशाली के साथ के कारण विनय जल्द ही अपने मम्मी पापा के गुजरने के गम से बाहर आ गया था….दोनो इकट्ठे स्कूल जाते इकट्ठे घर वापिस आते. साथ में खेलते और साथ में खाना खाते….आम भाई बहनो की तरह ही आपस में झगड़ते भी…..उनके झगडो को देख कर जब विनय की मामी गुस्सा होती तो, उसके मामा मामी को टोक देते….और कहते कि, मत डांटा करो इन्हे….यही बालपन देखने के लिए ही तो हमने पता नही कहाँ-2 धक्के खाए है…..
वैशाली तो किरण को अपनी माँ ही समझती थी…..और उसे माँ ही कहती थी…..उसे तो पता भी नही था कि, उसके मामा ने उससे गोद लिया है…पर विनय अभी भी उन्हे मामा मामी ही कहता था…..उसकी मौसी शीतल रोज दोपहर को उनके घर आती थी….उसके बच्चे भी साथ मे आ जाते थे….बच्चे आपस में मिल कर खूब धमा चोकड़ी मचाते थे….शीतल ने अपने खरचे पर एक दाई को रख लिया था….वो रोज दोपहर को अजय के घर आती, और विनय की मालिश करती….पर बंद कमरे मे…..दाई की एज कोई 65-70 साल के करीब थी….
पर फिर भी किरण को उस दाई का विनय को बंद कमरे में लेजा कर मालिश करना कुछ अटपटा सा लगता था…..पर शीतल ने कह दया था….कि वो ये सब उसके कहने पर कर रही है…..विनय धीरे -2 8थ क्लास में पहुँच गया था…दोस्तो आप तो जानते ही है ये उमेर कैसी होती है…. दुनिया भर की तमाम जानकारी हासिल करने की हसरत इस उम्र में ज़ोर लगाने लगती है…. इस उम्र का हर लड़का या लड़की हर उस चीज़ को जानने की कॉसिश करता है…..जिसे बड़े उनसे छुपा कर रखते है…..यही हाल वशाली और विनय का भी था……..
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