RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैने खाना रेडी किया और कोमल ने फटाफट खाना डिन्निंग टेबल पे पहुंचा दिया. हम सब मिलकर खाना खाने लगे. सभी मेरे खाने की तारीफ कर रहे थे. हम खाना खा रहे थी तभी मुझे लगा कि टेबल के नीचे से कोई अपने अंगूठे से मेरी टाँग को मसल रहा था.
रेहान मेरे सामने की सीट पे बैठा था और पापा और कोमल मेरी दोनो तरफ. मैं आइडिया नही लगा पा रही थी कि कॉन हो सकता है. मैने रेहान के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे से अंदाज़ा लगाना मुश्क़िल था कि वोही ये कर रहा है. पापा के उपर तो मुझे शक भी नही था. कोमल ये ज़रूर कर सकती थी मगर आज तो वो इतनी शर्मिंदा थी कि शरारत के मूड में बिल्कुल भी नही थी.
हम सब ने खाना ख़तम किया और अपने-2 रूम में जाकर सो गये. कोमल आज अपने रूम में ही सो गई थी मैने भी उसे नही रोका.
रात को करण का फोन आया और मैने इधर से उठाया.
मे-हेलो.
करण-हाई डार्लिंग कैसी हो.
मे-अब याद आई मेरी.
करण-जानू याद तो पल-2 सताती है तुम्हारी मगर क्या करूँ.
मे-1 फोन तो कर ही सकते हो.
करण-जान सारा दिन ट्रैनिंग में निकल जाता है बड़ी मुश्क़िल से टाइम निकाल पाया हूँ.
मे-अभी कितने दिन लगेंगे और.
करण-अभी तो 3 दिन ही गुज़रे है डार्लिंग पूरा मंत चलेगी ट्रैनिंग.
मे-उम्म्म मैं बोर हो जाती हूँ सारा दिन अकेले.
करण-अरे तो कोमल के साथ घूम आया करो.
मे-वो और रेहान तो कॉलेज चले जाते हैं.
करण-तुम फिकर मत करो जानू मैं बोलूँगा रेहान को वो तुम्हे और कोमल को घुमा कर लाएगा कल.
मे-ओके.
करण-अच्छा डार्लिंग बाइ फिर बात करूँगा. लव यू डियर.
मे-लव यू 2.
करण से बात करने के बाद मेरे दिल को थोड़ा सा चैन ज़रूर मिल गया था. मैं आँखें बंद करते हुए सोने की कोशिश करने लगी. मुझे थोड़ी पानी की प्यास लगी थी इसलिए मैं उठी और रूम से बाहर निकल कर किचन में चली गई और फ्रीज़ से बोतल निकाली और पानी पीने लगी. मैं पानी पीकर बाहर निकली तो मुझे कोमल के रूम का डोर खुलकर बंद होता दिखाई दिया. मैने सोचा कि ये कोमल अब कहाँ से आ रही है. अगर पानी पीने आई होती तो किचन में ही आती और रही बात वॉशरूम की तो वो उसके रूम के साथ अटॅच्ड ही था. मैं उसके रूम के पास गई तो देखा डोर अब अंदर से लॉक हो चुका था. अंदर से कुछ आवाज़ ज़रूर आ रही थी मगर क्या आवाज़ आ रही थी ये मुझे सुनाई नही दे रहा था. मैने कोमल के रूम की विंडो के पास जाकर अंदर देखने की कोशिश की मगर मुझे कुछ दिखाई नही दिया. क्यूंकी विंडो पूरी तरह से बंद थी. मैं अंदर देखने के लिए कोई जगह ढूंड ही रही थी कि कोमल के साथ वाला रूम जो कि रेहान का था. उसका डोर खुला और रेहान रूम से बाहर निकला. मैं थोड़ा और पीछे को हटकर अंधेरे में छिप गई ताकि रेहान की नज़र मेरे उपर ना पड़े. मेरी नज़र बार-2 रेहान के शरीर के उपर जा रही थी. उसने इस वक़्त सिर्फ़ एक अंडरवेर पहनी थी और उसकी बॉडी एकदम मस्त थी. भले की वो करण से छोटा था मगर बॉडी देखकर लगता था कि वो करण से बड़ा होगा. उसका गातीला बदन और उसकी अंडरवेर में छुपा उसका लिंग मेरी सांसो को उखाड़ने के लिए काफ़ी था. भले ही उसका लिंग अंडरवेर में छुपा था मगर जिस तरह से उसने अंडरवेर को आगे की ओर उठा रखा था तो अंदाज़ा लगाना मुश्क़िल नही था कि उसका साइज़ बड़ा होगा. एक तो मैं पिछले 3 दिन से चुदि नही थी दूसरा रेहान की इतनी सेक्सी बॉडी देख कर मेरा दिल कर रहा था कि अभी जाकर उसकी अंडरवेर नीचे करके उसका लिंग निकाल लूँ और उसे अपने गुलाबी होंठों में भरकर पूरी जी-जान से चुसू लेकिन मैं खुद पे कंट्रोल बनाए हुए थी क्यूंकी मैं जानती थी कि अगर एक दफ़ा मैं फिसल गई तो फिर संभालना बहुत मुश्क़िल था. रेहान किचन में गया और फिर मेरे सामने से होता हुआ अपने रूम में चला गया और उसका डोर लॉक हो गया. खुदा का शूकर था कि उसकी नज़र मेरे उपर नही पड़ी.
अब मैं भी वहाँ रुकना नही चाहती थी मैं भी धीरे-2 चलती हुई अपने रूम में आ गई और आकर बिस्तेर पे लेट गई. मुझे नींद नही आ रही थी और अपने आप मेरे हाथ मेरे उरोजो और मेरी योनि को मसल रहे थे और अपने शरीर को मसल्ते हुए जो चेहरा मेरे दिमाग़ में घूम रहा था वो करण का ना होकर रेहान का था. उसका गातीला नंगा बदन और अंडरवेर में झूलता उसका लिंग मेरी उतेज्ना को और बढ़ा रहा था. आख़िर इन्ही बातों को सोचते-2 ही मैं झड गई और फिर कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नही चला.
सुबह मम्मी जी की आवाज़ ने मुझे उठाया और मैं जल्दी से नाहकार किचन में पहुँच गई और ब्रेकफास्ट रेडी किया और फिर सभी साथ मिलकर ब्रेकफास्ट करने लगे. खाना खाते वक़्त रेहान बोला.
रेहान-भाभी आज आपको मेरे साथ चलना है.
हम सभी उसकी ओर देखने लगे.
मैं कुछ बोलू उस से पहले ही पापा बोले.
पापा-बहू और तेरे साथ कभी नही.
रेहान-क्यूँ मुझे कीड़े पड़े हैं क्या.
मम्मी-रेहान पापा है वो तेरे कैसे बात कर रहा है.
रेहान-मुझे कुछ नही पता भैया का फोन आया था मुझे और उन्होने मुझे भाभी को घुमाने के लिए बोला था.
पापा-कहाँ जाएगा.
रेहान-जहाँ भाभी जाना चाहें.
पापा-ओके लेकिन कोमल भी साथ में जाएगी.
कोमल-लेकिन मैं...
मे-लेकिन-वेकीन कुछ नही तुम हमारे साथ जाओगी बस.
मैने शरारत से कोमल की ओर देखते हुए कहा.
मुझे पता था वो क्यूँ नही जाना चाहती उसे आर्यन को पार्क में जो मिलना था आज.
हम तीनो गाड़ी में निकल चुके थे. रेहान और कोमल आगे बैठे थे और मैं पीछे. थोड़ी दूर ही गये थे कि कोमल बोली.
कोमल-भैया मुझे कॉलेज उतार देना आप दोनो जाओ.
मे-कोमल तुम जा रही हो या पापा का नंबर मिलाऊ.
रेहान-भाभी इसे जाने दो ना एकदम बोरिंग है ये.
और रेहान ने गाड़ी कोमल के कॉलेज के पास रोकी और कहा.
रेहान-चल जल्दी भाग गाड़ी में से.
कोमल-जाती हूँ मेरे ड्राइवर और जाते वक़्त मुझे पिक कर लेना यहीं से.
रेहान-अच्छा-2 जल्दी भाग.
कोमल कार में से उतर गई और रेहान ने मुझे अगली सीट पे आने को बोला और मैं अगली सीट पे जाकर बैठ गई और कार आगे बढ़ने लगी.
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