RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
आज घर में सभी खुश थे क्योंकि करण को जॉब जो मिल गयी थी. सब ने मिलकर रात को डिन्नर किया और फिर अपने-2 रूम में जाने लगे. करण भी रूम में चले गये और फिर मैने और कोमल ने थोड़ी देर बैठ कर बात की और फिर हम भी अपने-2 रूम में जाने लगे. मैने रूम में जैसे ही एंटर किया तो करण की हालत देख कर मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट बिखर आई. वो बेड के उपर बिना कपड़ों के लेटे हुए थे और जनाब के कपड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे. मैने उनकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा.
मे-ये क्या हाल बना रखा है रूम का. कपड़ों को खोल कर सही तरह से नही रख सकते आप.
और मैं उनके कपड़े उठाने लगी. वो बिस्तर से उठे और आकर मुझे पीछे से बाहों में भरते हुए कहा.
करण-डार्लिंग छोड़ो कपड़ों को अभी तो इनके साथ तुम्हारे कपड़े भी यहीं पे आने है फिर उठा देना बाद में.
और उन्हो ने मुझे गोद में उठा लिया और बिस्तेर के उपर लिटा दिया. मैने उनकी बाहों में कसमसाते हुए कहा.
मे-छोड़िए ना कपड़े तो उठाने दो.
मगर जनाब ने बिना मेरी बात सुने मेरे शरीर को अपने शरीर के नीचे छुपा लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पे टिका दिए. हम दोनो के होंठ एक दफ़ा जुड़े तो काफ़ी देर तक अलग नही हो पाए. आख़िरकार मैने कसमसाते हुए उन्हे अपने उपर से उतारा और अपने होंठों को अलग करते हुए कहा.
मे-आप भी ना बस सबर नही कर सकते.
उन्होने अपनी एक टाँग मेरी कमर पे चढ़ाते हुए कहा.
करण-जिसकी तुम्हारे जैसी मस्त बीवी हो वो सबर भला कैसे कर सकता है.
मे-ये सब छोड़ो ये बताओ की जॉब कैसी है.
करण-जॉब की बातें करने के लिए सारी जिंदगी पड़ी है. तुम फालतू की बातों में टाइम वेस्ट मत करो. अच्छा ये बताओ कि हनिमून के लिए कहाँ जाना है मेरी जान को.
मे-मुझे नही कही भी जाना.
करण-अरे ये क्या बात हुई.
मे-बस नही जाना तो नही जाना ये घर और ये रूम है ना हमारे हनिमून के लिए.
करण-अरे ये तो ठीक है मगर फिर भी...
मे-अगर मगर कुछ नही मैने कह दिया नही जाना तो नही जाना.
करण-रीतू डार्लिंग तुम्हारा दिल तो लग गया है ना यहाँ.
मे-बिल्कुल लगा है ऐसा क्यूँ पूछ रहे हो.
करण-मुझे तो नही लगता.
मे-आप भी ना बस अरे बाबा दिल क्यूँ नही लगेगा इतनी अच्छी फॅमिली मिली है मुझे. मम्मी-पापा जैसे मम्मी और पापा एक क्यूट सी ननद और एक नटखट देवर और सबसे ख़ास एक बुधु पति.
करण-अच्छा तो मैं बुधु नज़र आता हूँ तुम्हे अब देखना ये बुधु आज तुम्हारी क्या हालत करता है.
कहते हुए करण ने मुझ खीच कर अपने उपर चढ़ा लिया.
उन्होने मेरा कमीज़ पकड़ा और उसे उपर की ओर चढ़ाने लगे. मैं भी अब उनके हर कदम के लिए रेडी थी सो मैने भी अपने हाथ सीधे करते हुए आसानी से अपना कमीज़ शरीर से अलग होने दिया. अब करण ने मुझे करवट लेते हुए अपने नीचे कर लिया और उपर उठते हुए मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर झटके के साथ खोल दिया. मैने अपनी टाँगो को उपर छत की तरफ किया और करण ने सलवार को बाहर निकाल दिया. अब मेरे शरीर पे केवल पिंक ब्रा न्ड पैंटी थी. करण तो थे ही बिल्कुल नंगे उन्होने मेरी टाँगों को पकड़ा और मेरी पैंटी को एक हाथ से पकड़ कर नीचे उतारने लगे और आख़िरकार मेरी पैंटी ने भी मेरे जिस्म का साथ छोड़ दिया. अब मेरे दोनो पैर एक साथ उपर छत की ओर थे और मेरे नितंब और उनके बीच छिपि मेरी योनि इनके सामने आ गई थी. करण ये नज़ारा देखते ही अपने होश गँवा बैठे और मेरी टाँगो को मोड़ कर मेरे कंधो तक कर दिया. मेरे घुटने अब मेरे बूब्स को टच हो रहे थे. करण ने अपना चेहरा मेरी योनि के पास किया और अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि के बीच घुसने लगे.
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