RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
घर में अब गुलनाज़ दीदी की शादी की तैयारियाँ चल रही थी. पूरे घर में चहल पहल थी. हर तरफ खुशी का माहौल था. आख़िरकार वो दिन भी आ गया जिसका हम सबका बेसब्री से इंतेज़ार था मतलब गुल दीदी की शादी का दिन. घर में अब मेहमान आने शुरू हो गये थे और आज शाम को तो नाच गाने का प्रोग्राम भी था. रिश्तेदारों से अलावा भैया के दोस्त और जादू भैया के दोस्त भी आए हुए थे. मैं पूरे घर में आग लगाती फिर रही थी. आग लगाने से मेरा मतलब है अपने जिस्म से आग लगा रही थी जो भी देख रहा था बस जल उठता था. हॅरी भैया के दोस्त तो पहले भी मेरे जलवे भैया की शादी में देख चुके थे और इस दफ़ा वो मेरे साथ-2 करू भाभी के जलवे भी देखने वाले थे क्योंकि भाभी भी रेड साड़ी में अपने गोरे और कसे हुए बदन को लपेटे पूरे घर के माहौल को गरम कर रही थी. जादू भैया तो उनके आस पास ही मंडरा रहे थे बस
और जादू भैया को करूँ भाभी के पास भंवरे की तरह फटकता देख दीपा का चेहरा देखने लायक था. भाभी भी खूब जादू भैया और उनके दोस्तों को मटक मटक कर चल कर दिखा रही थी. ये भाभी भी अब कमिनि होती जा रही थी. मैं जादू भैया के पास कुछ काम के लिए गई तो वो अब अपने दोस्तों के साथ अपने रूम में बैठे थे. मैं जब अंदर गई तो वो लोग शराब पी रहे थे. मैने दरवाज़े के पास खड़ी होकर भैया को आवाज़ दी लेकिन इस बीच मुझे जो चेहरा दिखाई दिया उसे देखते ही मेरा शरीर काँपने लगा और एकदम मेरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया. मैने जिसे देखा था वो कोई और नही बल्कि तुषार था. मैं मन में सोच रही थी कि अब ये क्या लेने आया है यहाँ. मैने भैया को बाहर आने को कहा और उनसे तुषार के बारे में पूछा.
मे-भैया ये तुषार यहाँ क्या कर रहा है.
जावेद-अरे तू उसे जानती है.
मे-हां भैया वो मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था.
जावेद-अच्छा मुझे तो आज पता चला. चल छोड़ मैने ही इसे बुलाया है मेरा दोस्त है वो. चल अब जा तू यहाँ से.
मेरा दिल अब घबरा रहा था. मैं सोच रही थी कि अब ये क्या लेने आया है यहाँ. वैसे मुझे उसके आने से कोई प्रॉब्लम नही थी. प्रॉब्लम. थी तो ये कि मैने करण को भी बुलाया था और करण के होते हुए अगर कुछ ऐसा वैसा हो गया तो मेरे लिए मुश्क़िल बढ़ सकती थी. मैं वहाँ खड़ी ही थी कि मुझे आकाश भी उसी रूम में जाता दिखा. अब मेरे हाथ में कुछ नही था मैने सोचा जो होगा देखा जाएगा और मैं घर के कामो में व्यस्त हो गई. महक भी आ चुकी थी अभी मुझे इंतेज़ार था तो सिर्फ़ करण का. मेरा इंतेज़ार भी पूरा हुआ और मुझे करण सामने से आता दिखाई दिया. मैं भाग कर उसके पास गई और उस से लिपट गई. करण ने धीरे से मेरे कान में कहा.
करण-रीत डार्लिंग कंट्रोल करो सब के सामने ही शुरू हो गई.
अचानक मुझे आभास हुया कि मैं तो सब के सामने ही करण से लिपट गई थी. मैं झट से उससे अलग हो गई. करू भाभी ने नज़दीक आकर मेरा कान पकड़ा और कहा.
करू-ननद रानी जी गुलनाज़ के साथ ही आपकी शादी भी फिक्स करवा दूं क्या अगर इतनी ही जल्दी है लिपटने चिपटने की.
मे-भाभी कान छोड़ो और इनसे मिलो ये है करण.
करण-हाई भाभी.
करू-हेलो जी. एक बात सॉफ-2 सुन लो मिस्टर. करण अगर मेरी ननद को अपनी बीवी बनाना है तो सबसे पहले आपको मेरे पैर छूने पड़ेंगे.
करण-लाओ जी आपके चरण है कहाँ हम अभी छु देते हैं.
करू-अरे नो नो ऐसे नही जब मौका आएगा तब.
मे-भाभी क्या इन्हे यही खड़े रखोगी.
करू-ओये होये इतनी फिकर. चलो नंदोई जी अंदर चलो.
हम सब अंदर चले गये और अंदर यहाँ मम्मी, पापा और भैया बैठे थे भाभी हमे वहीं पे ले गई. करण ने मम्मी, पापा को नमस्ते किया और हम सब बैठे गये.
मम्मी-करू बेटा कॉन है ये पहले कभी नही देखा हमने इस लड़के को.
करू-मम्मी जी पहले भले ही ना देखा हो लेकिन आज अच्छे से देख लो.
पापा-लेकिन बेटा ये है कॉन.
करू-ये कॉन है ये तो रीत ही बता सकती है.
मैने भाभी के पेट में कोहनी मारते हुए धीरे से कहा.
मे-भाभी मरवाओगी क्या.
करू-आज तो गिन-2 कर बदले लूँगी.
पापा-अरे तुम दोनो घुसर फुसर क्या कर रहे न सॉफ-2 बताओ बात क्या है.
करू-पापा तो लो अब सॉफ-2 सुनो......................ये लड़का जो है ये चोर है.
हॅरी भैया अपनी जगह से उठते हुए.
हॅरी-क्या.
मैने फिरसे भाभी के कान में कहा.
मे-बहुत पिटोगी आज आप मेरे हाथ से.
करू-अरे नही-2 हॅरी ये वो चोर नही है.
हॅरी-तो कॉन है.
करू-ये दिल चुराने वाला चोर है.
हॅरी-ओह हो तो ये बात है. रीतू यहाँ आना ज़रा.
मैं वहीं खड़ी रही.
पापा-करू बेटी तू भी ना बस पहले ही बता देती कि अपनी रीत की पसंद है.
मम्मी-रीतू बेटा यहाँ तो आ दूर ही खड़ी रहेगी क्या.
मुझे बहुत शरम आ रही थी अब तो मैं हिन्दी फिल्मों की हीरोइन की तरह शरमा कर दूसरे रूम में भाग गई. बाद में वहाँ जो कुछ हुआ वो मुझे भाभी ने बता दिया. फ़ैसला ये हुआ कि करण के घरवालो से मिलकर जल्दी ही हमारी शादी की बात शुरू की जाएगी. ये बात सुनते ही मैं खुशी से झूम उठी.
अब तो 2-2 गुड न्यूज़ मेरे सामने थी. एक मेरी शादी न्ड दूसरी गुलनाज़ दीदी की. बाहर डी.जे की आवाज़ आनी शुरू हो चुकी थी. मैं वॉशरूम में घुस गई ताकि अच्छे से रेडी होके करण को आज खूब जला सकूँ.
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