Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:07 PM,
#25
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
भैया की शादी को हुए काफ़ी दिन हो चुके थे. भाभी अब हमारे साथ पूरी तरह से घुल मिल गई थी. बहुत अच्छा नेचर था उनका घर में सबका ख़याल रखती थी वो खास तौर पे मुझे बहुत प्यार करती थी भाभी. मेरी और भाभी की नोक-झोक हमेशा चलती रहती थी. बहुत ही खुशी-2 दिन बीत रहे थे इसी बीच गुलनाज़ दीदी के रिश्ते की बात घर में होने लगी थी लेकिन गुलनाज़ दीदी अभी शादी करना नही चाहती थी क्योंकि वो पहले अपनी स्टडी कंप्लीट करना चाहती थी. लेकिन ताया जी और ताई जी चाहते थे कि वो जल्द से जल्द शादी करले. आख़िरकार उन्हे गुलनाज़ दीदी की ज़िद्द के आगे झुकना पड़ा.

दीदी को अब अपनी नेक्स्ट स्टडी के लिए देल्ही जाना था. वहाँ पे दीदी की मौसी रहती थी और दीदी उन्ही के पास रहने वाली थी. दीदी के देल्ही जाने की बात से अगर कोई सबसे ज़्यादा दुखी था तो वो मैं थी क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी. हालाँकि भाभी भी मुझे कम प्यार नही करती थी मगर दीदी की एक अलग अहमियत थी मेरी लाइफ में.

इसी बीच मेरा रिज़ल्ट भी आ चुका था. मैं 75% मार्क्स के साथ पास हो गई थी और महक के 70% मार्क्स आए थे जबकि आकाश और तुषार के 55% मार्क्स थे. आकाश, महक और तुषार ने मुझे फोन कर के मुबारकबाद दी थी. महक ने मुझसे पूछा था कि अब आगे की स्टडी के लिए कॉन्सा कॉलेज चूज़ कर रही हो तो मैने उसे बता दिया कि मैं तो डीएवी कॉलेज जाय्न करूँगी. महक भी उसी कॉलेज में अड्मिशन ले रही थी और अपना आकाश कमीना तो हमारे पीछे आने ही वाला था. मैने तुषार को कॉल की तो पता चला कि वो अपनी आगे की स्टडी के लिए अपने मामा के यहाँ जा रहा था. मैने उसे बहुत रोकने की कोशिश की मगर उसकी भी शायद कोई मज़बूरी थी. मुझे बहुत दुख हुआ तुषार के इस तरह चले जाने से लेकिन मैं खुश थी क्योंकि मैं पास हो गई थी और उसका सारा क्रेडिट अगर किसी को जाता था तो वो थी गुलनाज़ दीदी. मैने मिठाई का डिब्बा लिया और सीधा दीदी के पास गई और जाते ही बर्फी निकाल कर दीदी के मूह में ठूंस दी. बड़ी मुश्क़िल से दीदी ने बर्फी गले के अंदर की और गुस्से से मुझे कहा.
गुलनाज़-रीतू आप आराम से नही खिला सकती थी बर्फी.
मे-दीदी बात ही इतनी खुशी की है.
गुलनाज़-तो बता ना क्या बात है.
मे-दीदी मेरे 75% मार्क्स आए हैं.
दीदी ने ये बात सुनते ही मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरा माथा चूमते हुए कहा.
गुलनाज़-आइ एम प्राउड ऑफ यू माइ स्वीतू. मैं बहुत खुश हूँ आज.
मे-थॅंक यू दीदी आपकी हेल्प के बिना ये कभी नही हो पाता.
गुलनाज़-ये सब आपकी मेहनत और लगन का रिज़ल्ट है मैने कुछ नही किया. अब हर क्लास में ऐसे ही अच्छे मार्क्स लेने हैं आपको समझी.
मे-जी दीदी.
................
आख़िरकार वो दिन भी आ गया जब दीदी को देल्ही जाना था. मैं दीदी से लिपट कर बहुत रोई और दीदी की आँखों में भी आँसू थे लेकिन मैं ये बात समझती थी कि उनका जाना ज़रूरी था. वो कुछ देर के लिए देल्ही चली गई थी. वक़्त उसी रफ़्तार से निकलता जा रहा था और हमारी अड्मिशन का टाइम आ गया था. इस बीच आकाश का मुझे फोन आता ही रहता था मगर शादी की उस रात के बाद मैं उसके हाथ नही लगी थी. क्योंकि अब मैं सारा दिन घर में ही रहती थी इसलिए वो बेचारा बस दूर-2 से मुझे देखकर आहें भरता रहता था. तुषार से तो बात होना बिल्कुल बंद ही हो गया था शायद उसे कोई और मिल गई थी मैं भी उसे फोन नही करती थी और ज़्यादातर टाइम भाभी के संग ही गुज़ारती थी. आकाश के साथ भी हाई-हेलो तक ही बात होती थी. कहा जा सकता है कि इन्दिनो मेरे जिस्म की भूक काफ़ी कम हो गई थी जिसे अब जगाने जी ज़रूरत थी और शायद मुझे भी उसका ही इंतेज़ार था और मेरा ये इंतेज़ार तो कॉलेज में जाकर ही ख़तम होने वाला था.
वो दिन आ ही गया जिस दिन मैने और महक ने कॉलेज में अड्मिशन लेनी थी.

मैं और महक जैसे ही कॉलेज में पहुँची तो देखा कि बहुत ही बड़ा कॉलेज था और बहुत से कोर्स थे वहाँ और बहुत सारे स्टूडेंट थे कॉलेज में. मैं और महक जैसे-2 आगे बढ़ रही थी तो सभी लड़कों की नज़र हम पर ही टिकती जा रही थी. हम दोनो धीरे-2 आगे बढ़ रही थी. लड़के एकदुसरे के कान में कह रहे थे 'कॉलेज में नया माल क्या जिस्म है सालियों का हे भगवान 1 बार दिला दे इनकी'

मुझे तो लड़को की बात सुनकर हसी आ रही थी. मगर महक थोड़ा परेशान थी. जैसे तैसे हमने अपने अड्मिशन फॉर्म भरे और फी पे की और क्लासस का पता किया तो उन्होने बताया कि 3 दिन बाद क्लासस शुरू होंगी. हम दोनो वहाँ से निकली और ग्राउंड में आ गई और गेट की तरफ चलने लगी.

मैने देखा 3-4 लड़कों ने एक लड़के को कॉलर से पकड़ रखा था. वो लड़का भी दिखने में अच्छा था लेकिन फिर भी 4 के सामने उसकी पेश नही चलने वाली थी. वो उसे मारने लगे थे. मैं उनकी तरफ बढ़ी तो महक ने मुझे रोकते हुए चलने को कहा. मगर मैं अपना हाथ छुड़ा कर उन लड़को के पास गई. मुझे देखते ही उन्होने लड़के को पीटना बंद कर दिया. मैने कहा.
मे-छोड़ दो इसे.

उनमे से एक बोला 'क्यूँ आशिक़ है क्या तेरा जो इतना तड़प रही है'
मे-यस. अब अच्छे बच्चे बन कर उसे छोड़ दो नही तो मैं प्रिन्सिपल सर के पास चली जाउन्गी.
प्रिन्सिपल का नाम सुनकर वो डर गये और वहाँ से खिसक गये. मैने उस लड़के को देखा काफ़ी हॅंडसम था.
मैने कहा.
मे-जाओ आपको बचा दिया मैने.
वो हैरानी से मुझे देखता हुआ चला गया.
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