Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 11:59 AM,
#12
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैने वॉशरूम में जाकर अपने हाथ को धोया और सलवार को उतार कर देखा तो मेरी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मेरी जांघों पे भी गीलापन था. मैने पैंटी खोल कर फेंकने की सोची लेकिन फिर फेकना कॅन्सल कर दिया मैने सोचा अगर ऐसे ही पॅंटीस फेंकती रही तो एक दिन बिना पैंटी के ही स्कूल आने की नौबत आ जाएगी. फिर मैने अच्छी तरह से अपनी योनि और जांघों को धोया और वापिस क्लास में आ गई. तुषार पहले ही क्लास में आ चुका था. पहला पीरियड शुरू हुआ और टीचर पढ़ाने लगी. मगर मेरा ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नही था. जैसे तैसे मैने मुश्क़िल से रिसेस तक का टाइम निकाला. रिसेस होते ही तुषार मेरे पास आया और मेरा मोबाइल मुझे पकड़ाते हुए बोला.
तुषार-बाइ रीत मैं आज हाफ टाइम से लीव लेकर जा रहा हूँ घर.
मे-क्यूँ क्या हुआ.
तुषार-कुछ नही यार मम्मी की तबीयत थोड़ी खराब है.
मे-क्या हुया उन्हे.
तुषार-बस ऐसे ही थोड़ा सा बुखार था.
फिर हम दोनो ने हग किया और वो मेरे नितंबो पे चूटी काट ता हुया बाहर निकल गया. उसके जाने के बाद मैने अपना टिफेन उठाया और बाहर जाने लगी तो महक ने मुझे रोका और कहा.
महक-रीत मेरी बात सुन पहले.
मे-हां क्या हुया.
महक-वो...रीत प्लीज़ ना मत करना.
मे-किस बात के लिए. बता तो सही.
महक-वो रीत थोड़ी देर के लिए डोर पे खड़ी होकर ध्यान रख की कोई आ तो नही रहा तब तक मैं और आकाश थोड़ा....समझती है ना....
मे-ना बाबा ना मुझसे नही होगा ये बॉडीगार्ड वाला काम मैं तो चली.
महक मेरा हाथ पकड़ते हुए.
महक-प्लीज़ रीतू यार. तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है इतना भी नही कर सकती मेरे लिए.
मे-ओके मैं खड़ी रहूंगी मगर जब कोई आएगा तो मैं उसे रोकूंगी नही.
महक-ओके ओके मत रोकना बस हमे बता देना जब भी कोई आए.
मैं गेट के पास खड़ी हो गई और महक जल्दी से आकाश के पास चली गई. आकाश ने महक के पास आते ही उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पे टिका दिए. मैं उनकी तरफ से नज़र हटाकर बाहर देखने लगी. थोड़ी देर बाद मेरे मन में आया कि देखु तो सही क्या कर रहे है दोनो. मैने अंदर देखा तो आकाश अभी भी महक के होंठ चूस रहा था और उसके हाथ महक के नितंबों को मसल रहे थे. महक तो आकाश के साथ चिपक कर खड़ी थी. अब आकाश ने महक को दीवार के साथ लगा दिया था अब वो दोनो मुझे साइड से दिख रहे थे. आकाश फिरसे महक के होंठ चूमने लगा था. उसने अपने हाथ नीचे लेजकर महक का कमीज़ किनारों से पकड़ कर उपर उठाना शुरू कर दिया और उसे महक के उरोजो के उपर तक चढ़ा दिया अब महक के उरोज उसकी ब्लॅक ब्रा में क़ैद थे. आकाश ने उसकी ब्रा में नीचे से अपना हाथ डाला और उसे भी उपर की और चढ़ा दिया अब महक के गोरे गोरे उरोज आज़ाद हो चुके थे. आकाश अपने हाथों से उन्हे मसल्ने लगा था. मेरी नज़र नीचे गई तो मैने देखा महक ने अपने हाथ से आकाश का पेनिस उसकी पॅंट के उपर से पकड़ रखा था. आकाश की पॅंट का उभार सॉफ बता रहा था कि उसका पेनिस काफ़ी बड़ा होगा. मेरी तो नज़र जैसे उसकी पॅंट के उभार पे ही अटक चुकी थी. जब मैने वहाँ से अपनी नज़र उपर उठाई तो देखा आकाश मुझे ही देख रहा था. उसने मुझे अपने पेनिस की तरफ देखते हुए देख लिया था. और अब वो गंदी सी स्माइल के साथ मुझे घूर रहा था. मैने गुस्से से उसे देखा और अपना नाक चढ़ाते हुए अपनी नज़र बाहर की ओर कर ली. मैने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो जाए अंदर नही देखूँगी लेकिन मैं अपने इस फ़ैसले पे ज़्यादा देर तक टिक नही पाई और मैने फिर से एक दफ़ा अपनी नज़र अंदर की और घुमा दी. मैने देखा आकाश अब महक के उरोजो को चूस रहा था. वो कभी एक उरोज को अपने होंठो में लेकर चूस्ता तो कभी दूसरे को. महक दीवार के साथ सर टिकाए आँखें बंद करके खड़ी थी. मैने नीचे देखा तो आकाश अपनी ज़िप खोल रहा था और देखते ही देखते उसने अपना पेनिस ज़िप में से बाहर निकाल लिया. उसका पेनिस देखते ही मेरे मूह से अपने आप 'ओह माइ गॉड' निकल गया. सच में उसका पेनिस काफ़ी बड़ा था. कम से कम 7.5इंच लंबा तो होगा ही और साथ ही साथ लगभग 1.5इंच मोटा था. मेरा मूह खुला का खुला रह गया था उसका पेनिस देखकर और मेरी योनि ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मेरा हाथ खुद ही अपनी योनि पे चला गया था. जैसे ही मेरी नज़र उसके पेनिस से हटकर उपर गई तो मैने देखा आकाश मुझे ही देखता हुआ अपने दाँत निकाल रहा था. मैं कभी उसकी आँखों में देख रही थी तो कभी उसके पेनिस को जिसे आकाश अपने हाथ से आगे पीछे कर रहा था. मुझे देखते ही उसने मुस्कुराते हुए एक आँख दबा दी और मुझसे भी अब रहा ना गया और मैं अपनी नज़रें नीची कर के मुस्कुराने लगी. अब आकाश ने महक को नीचे बिठा दिया और महक ने खुद ही उसका पेनिस हाथ में पकड़ा और अपने होंठ खोलते हुए उसे अपने मूह में समा लिया. आकाश का पेनिस महक के होंठों के अंदर बाहर होता देख मैं अपने होंठों पे जीभ फिराने लगी थी. आकाश तेज़ तेज़ महक के होंठों में अपना पेनिस पेल रहा था. महक की आँखें बाहर की और निकल आई थी. अचानक आकाश का शरीर झटके खाने लगा और उसने महक का सर ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पे दबा दिया. उसके मूह से आह निकली और उसकी पकड़ महक के उपर ढीली हो गई. महक ने भी उसका लिंग अच्छे से चाट कर सॉफ कर दिया.

आकाश ने अपना सारा कम महक के मूह में निकाल दिया था और महक कमिनि भी उसका सारा कम अंदर निगल गई थी. आकाश का लिंग अब धीरे-2 ढीला होने लगा था लेकिन महक की बच्ची उसे छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी. वो अपनी जीभ निकाल कर आकाश के लिंग की आगे वाली जगह पे फिरा रही थी. आकाश शायद समझ गया था कि महक की बच्ची का अभी तक जी नही भरा है उसने महक को कंधो से पकड़ कर उपर उठाया और उसके होंठ चूसने लगा और अपने हाथ नीचे लेजा कर महक की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार ढीली होकर महक के घुटनो में पहुँच गई. मैने देखा महक ने उसका बिल्कुल भी विरोध नही किया और आसानी से सलवार को नीचे जाने दिया. अब आकाश घुटनो के बल बैठ गया और महक के नितंबों के उपर हाथ रखते हुए उसे बिल्कुल अपने पास खींच लिया. फिर उसने महक की ब्लॅक पैंटी को किनारों से पकड़ा और खीच कर उसकी जाँघो में अटका दिया. मुझे महक के उपर हैरानी हो रही थी उसे कोई परवाह नही थी अब किसी के आने की बस मस्ती उसके उपर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी. आकाश के हाथ फिरसे महक के नितंबों के उपर पहुँच गये थे और धीरे-2 उन्हे मसल्ने लगे थे. उसने अपनी जीभ निकाली और उसे महक की योनि पे लगा दिया. योनि पे आकाश की जीभ महसूस करते ही महक के मूह से मस्ती भरी सिसकारी निकली और उसके हाथ आकाश के बालों में खेलने लगे. आकाश अब महक की योनि पे अपनी जीभ फिराने लगा था. महक के लिए सहन करना मुश्क़िल हो रहा था उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और उसने अपना चेहरा उपर की ओर उठा रखा था. आकाश अब तेज़-2 महक की योनि पे जीभ चलाने लगा था और अपनी जीभ को महक की योनि की फांको के बीच घिस रहा था जिसकी वजह से महक का बुरा हाल था और वो हल्की हल्की आहें भर रही थी जो कि मेरे कानो तक भी पहुँच रही थी. अब आकाश ने अपनी जीभ को महक की योनि से हटा लिया था और और अपने होंठों को महक की योनि के होंठों पे रख कर चूसने लगा था. वो कभी योनि की एक फाँक को अपने होंठों में भरने की कोशिश करता तो कभी दूसरी. फिर उसने अपने होंठो के साथ साथ अपनी एक उंगली को भी महक की योनि पे टिका दिया था और धीरे-2 उसे महक की योनि में उतारने लगा था. नीचे से उसकी उंगली महक की योनि में अंदर बाहर हो रही थी और उपर से उसके होंठ महक की योनि को चूसने में लगे थे. उसकी हरकतों ने महक के साथ साथ मेरा भी बुरा हाल कर दिया था. पता नही कैसा दिन चढ़ा था सुबह से लेकर अब तक मेरी योनि और पैंटी गीली की गीली थी. अब आकाश का लंड फिरसे पूरा तन गया था और अपने पहले वाले विकराल रूप में लौट आया था मैं उसके लिंग को देखकर सोच रही थी कि इसके लिंग को देखने से ही मेरा ये हाल हो रहा है तो जब ये मेरी योनि के अंदर जाएगा तब क्या हाल होगा मेरा. अब तो मैं इस कदर गरम हो चुकी थी कि दिल कर रहा था कि महक को हटाकर खुद आकाश के सामने खड़ी हो जाउ और जी भर उसे अपनी योनि चूसने दूं. लेकिन अगले ही पल दिमाग़ में ख़याल आया अरे में ये क्या सोच रही हूँ. मैने अपने सर पे हाथ मारा और अपना ध्यान फिरसे उन्दोनो के उपर लगा दिया.
वो दोनो अब पूरे गरम हो चुके थे आकाश ने अपने होंठों को महक की योनि के उपर से हटा लिया था और अब 2 उंगलियाँ तेज़-तेज़ महक की योनि के अंदर बाहर हो रही थी. महक भी अब अपने पूरे शरीर को मस्ती में हिला रही थी और धीरे-2 बड़बड़ा रही थी 'आहह औचह और तेज़ करो आकाश आहह बहुत मज़ाअ आआ रहाआ है......'

अब महक बुरी तरह से मचलने लगी थी और आकाश भी अब खड़ा हो चुका था मगर उसकी उंगलिया बराबर अपना काम कर रही थी. आकाश की जैसी बॉडी थी बिल्कुल वैसा ही उसका पेनिस था एकदम तगड़ा और जानदार. महक तो उसके सामने बच्ची सी लग रही थी. महक तो महक मैं भी उसके सामने बच्ची ही लगती थी. बहुत स्ट्रॉंग बॉडी थी उसकी.
अब फिरसे उन्दोनो के होंठ जुड़ चुके थे महक अब झड़ने की कगार पर थी वो बुरी तरह से आकाश के हाथों में मचल रही थी. अब उसने आकाश को ज़ोर से पकड़ लिया था और देखते ही देखते महक की योनि का पानी आकाश की उंगलियों की साइड से निकलने लगा था और महक बुरी तरह से हाँफ रही थी. आकाश ने तब तक अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर करनी चालू रखी जब तक आख़िरी बूँद महक की योनि से बाहर नही आ गई. जैसे ही उसने उंगलियाँ बाहर निकाली तो महक उसकी छाती के साथ चिपक गई. आकाश ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए वो दोनो उंगलिया चाटने लगा जो थोड़ी देर पहले महक की योनि में थी. मुझे बहुत अजीब लगी उसकी ये हरकत. वो फिरसे एकदुसरे के होंठ चूसने लगे. मुझे अब फिकर होने लगी थी कि ये लोग अब हटेगे भी या नही. मैने वहाँ खड़े खड़े ही महक को कहा.
मे-मिक्कुह में बाहर जा रही हूँ अपने इस ख़ज़ाने को ढक ले किसी और ने देख लिया तो वो भी पीछे पड़ जाएगा.
मेरी बात सुनते ही महक जैसे नींद से जागी और झट से अपनी पैंटी और सलवार खींच कर उपर कर ली. मैं वहाँ से निकल कर फिरसे वॉशरूम में घुस गई अपनी योनि की हालत को देखने के लिए.
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