Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 11:57 AM,
#8
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
गुलनाज़ दीदी के घर में घुसते ही मैं उन्हे आवाज़ देने लगी. तभी जावेद भैया अपने रूम में से निकले और बोले.
जावेद-ओये रीतू कहाँ रहती है तू बड़े दिनो बाद देखा आज तुम्हे.
मे-मैं तो यही होती हूँ भैया आप ही गायब रहते हो.
जावेद-आज कैसे आना हुआ.
मे-गुलनाज़ दीदी कहाँ है उनसे मिलना है मुझे.
जावेद-गुल अपने रूम में होगी. जा जाकर मिल ले उसे.
मैं गुलनाज़ दीदी के रूम में चली गई. दीदी हमेशा की तरह अपने बेड पे बैठ कर पढ़ाई कर रही थी. मैं उनके पास गई और बेड पे चढ़ते हुए उन्हे बाहों में भरते हुए पीछे की तरफ गिरा दिया. मेरी इस हरकत से झुंझलाते हुए दीदी बोली.
गुल-ओये रीतू तू सीधी तरह से गले नही मिल सकती क्या.
जवाब में मैं सिर्फ़ हँसते हुए दाँत दिखाने लगी.
गुल-अब हँस रही है देख मेरी बुक के उपर कैसे घुटने टिका कर बैठी है अगर फट जाती तो.
मे-तो अब आपकी बुक आपको मुझ से ज़्यादा प्यारी है.
गुल-बच्ची प्यार की बात नही है. अब आप बड़ी हो गई हैं थोड़ा ढंग से पेश आया करो.
मे-मैं तो ऐसी ही रहूंगी.
गुल-तो रहो जैसी रहना है मुझे क्या.
मे-ओह हो मेरी दीदी को गुस्सा भी आता है. वैसे दीदी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो.
सच में गुलनाज़ दीदी आज बहुत खूबसूरत लग रही थी. उन्होने ब्लॅक कलर का सलवार कमीज़ पहना था जो की उनके उपर बहुत फॅब रहा था.
गुल-ओह हो अब हमारी रीतू मक्खन लगाना भी सीख गई.
मे-नही दीदी सच में अगर विश्वाश नही होता तो आप मार्केट का चक्कर लगाकर आओ फिर देखने लड़के कैसे आहें भरेंगे आपको देखकर.
गुल-चुप कर बदमाश बहुत बोलने लगी हो तुम.
मेरी नज़र बार बार गुल दीदी के उरोजो के उपर जा रही थी जो कि काफ़ी बड़े बड़े थे. लगभग 34डी साइज़ था उनका. मैने थोड़ा झीजकते हुए उनके उरोजो की तरफ इशारा करते हुए दीदी से पूछा.
मे-दीदी आपके ये इतने बड़े कैसे हो गये.
मेरी बात सुनकर दीदी एकदम से चौंक गई और मेरा कान पकड़ते हुए बोली.
गुल-किस से सीखी तुमने ये सब बातें लगता है अब तुम्हारे स्कूल में जाना पड़ेगा मुझे.
मे-दीदी मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी.
गुल-ऐसे कैसे पूछ रही थी आप.
मैने अपने उरोजो को पकड़ते हुए कहा.
मे-अब देखो ना दीदी मेरे ये कितने छोटे हैं और आपके कितने बड़े. क्या आपने किसी से खिचवाए हैं दीदी.
गुल-चुप कर पागल कही की. अरे पगली ये नॅचुरल होता है जैसे जैसे आपकी एज बढ़ेगी तो ये भी बढ़ते जाएँगे.
मैने शरारत में कहा.
मे-नही दीदी मुझे तो अभी बड़े करने है ये.
गुल-अरे ओह पागल लड़की तेरे उरोज तेरी एज के हिसाब से बड़े है. जब तू मेरी एज में आएगी तो देखना मेरे उरोजो से भी बड़े हो जाएँगे ये.
मे-वाउ क्या सच में ऐसा होगा दीदी.
गुल-यस चलो अब मुझे पढ़ने दो. वैसे भी अंधेरा हो गया है या तो यही सो जाओ आप वरना घर पे जाओ जल्दी चाची जी फिकर कर रही होंगी.
मे-ओके दीदी. बाइ.
मैं दीदी के घर से बाहर निकली तो बाहर काफ़ी अंधेरा हो चुका था. मैं अपने घर की तरफ चलने लगी. आचनक मुझे पीछे से किसी ने मज़बूती के साथ दबोचा और एक हाथ मेरे मूह पे रखते हुए मुझे एक साइड में खीचते हुए ले गया. गुलनाज़ दीदी के घर के साथ साथ एक गली मुड़ती थी वो मुझे वही पे ले गया और गली में जाकर उसने मुझे दीवार के साथ सटा दिया. मैं जी तोड़ कोशिश कर रही थी उस से छूटने की मगर बहुत मज़बूती से उसने मुझे थाम रखा था. अब मेरा चेहरा दीवार की ओर था वो बिल्कुल मेरे पीछे मेरे साथ सट कर खड़ा था. उसका एक हाथ मेरे मूह पे था तो दूसरा हाथ मेरे पेट पे था जिसकी वजह से वो मुझे मजबूती से पकड़े हुए था. उसने अपना चेहरा मेरे कानो के पास किया और कहा.
'हाई डार्लिंग कब से तुम्हारा वेट कर रहा हूँ'

आवाज़ को सुनते ही मैं पहचान गई कि ये आकाश था. मुझे थोड़ी राहत मिली ये सुन कर कि ये आकाश ही है. लेकिन उसकी हरकत पे अब मुझे गुस्सा आने लगा था. उसने मेरे मूह पे से हाथ हटा लिया और दोनो हाथ मेरे पेट पे फिराने लगा. मैने गुस्से से उसे कहा.
मे-आकाश ये क्या बदतमीज़ी है छोड़ो मुझे.
आकाश-बड़ी मुश्क़िल से हाथ लगी हो अब कैसे छोड़ दूं तुझे.
मे-देखो आकाश हद होती है बेशर्मी की. मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी.
आकाश-मैने कॉन सा तुम्हे उम्मीद रखने को कहा था.
अब उसने मेरी टी-शर्ट को तोड़ा उपर उठा दिया था और उसके हाथ मेरे नंगे पेट पे घूमने लगे थे और उसके होंठ मेरी गर्दन पे घूम रहे थे. मेरे शरीर में उसकी छेड़-छाड़ की वजह से करंट उठने लगा था.
मैने एक दफ़ा फिरसे उसे मिन्नत भरे स्वर में कहा.
मे-आकाश प्लीज़ तुम समझते क्यूँ नही अगर किसी ने देख लिया तो बहुत बदनामी होगी मेरी.

आकाश-कोई नही आएगा इस अंधेरे में डार्लिंग तुम बस मज़े लो.

अब उसका एक हाथ मेरी योनि पे चला गया था और वो उसे लोवर के उपर से मसल्ने लगा था. मैं अब पिघलने लगी थी और हल्की हल्की सिसकारियाँ मेरे मूह से निकल रही थी. उसके होंठ मेरे होंठों तक आना चाहते थे लेकिन मैं अपने होंठों को दूसरी तरफ कर लेती थी. शायद मैं नही चाहती थी कि वो मेरे होंठ चूसे या शायद ये जगह सही नही थी इस सब के लिए.

तभी हमारे कानो में किसी के कदमो की आवाज़ आई. शायद कोई उसी तरफ आ रहा था. आवाज़ को सुनते ही जैसे ही आकाश की पकड़ मुझ पर थोड़ी ढीली हुई तो मैं एकदम से उसकी गिरफ से निकल गई और भागती हुई घर में आ गई.
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