Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 11:52 AM,
#3
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैं टीवी पे मॅच देख रही थी. मुंबई की हालत काफ़ी अच्छी थी पूरी पकड़ बना रखी थी अपने पंजाबी पुत्तर भज्जी ने मॅच के उपर. फिर मम्मी ने मुझे चाइ का कप दिया और खुद भी मेरे साथ बैठ कर चाइ पीने लगी. मुझे मॅच में पूरा इंटेरेस्ट लेते देख वो बोली.
मम्मी-क्या बीच में घुस जाएगी टीवी के मैं तेरे पास बैठी हूँ कोई बात तो कर.
मे-मम्मी आप भैया से कर लेना जो बातें करनी है मुझे तो मॅच देखना है.
मम्मी-यहाँ पे क्यूँ बैठी है बात लेकर ग्राउंड में ही चली जा.
मम्मी थोड़े गुस्से से बोली मगर मैने ध्यान नही दिया. इतने में भैया भी कॉलेज से वापिस आ गये और आते ही मेरे सर पे हाथ मारते हुए बोले.
हॅरी-आ गई स्वीटू तू स्कूल से.
मैं मॅच में इतना खोई हुई थी कि उनकी बात पे ध्यान ही नही दिया. मम्मी मेरी इस हरकत से गुस्से में आ गई और मेरे हाथ से रिमोट छीन कर चन्नल चेंज कर दिया.
मैं इतराती हुई बोली.
मे-मम्मी........प्लीज़ वहीं पे लगाओ.
मम्मी-चुप चाप अपने रूम में जाकर पढ़ाई कर सारा दिन टीवी में ही घुसी रहती है.
मे-आपको क्या लगता है कि अगर आप चन्नल चेंज कर देंगी तो मैं मॅच नही देख पाउन्गी. मैं जा रही हूँ गुलनाज़ दीदी के पास मॅच देखने.
मम्मी-हां जा जा कम से कम गुल बेटी तुझे कोई अकल की बात तो सिखाएगी.
मैं अपने घर से बाहर निकली और अपने ताया जी के घर की तरफ चल पड़ी.
......................
उनका घर हमारे घर के साथ वाला ही था. उनके घर में ताया जी और ताई जी थे जो कि बहुत ही अच्छे थे और उनकी एक बेटी थी गुलनाज़ न्ड एक गुलनाज़ दीदी से छोटा बेटा था जिसका नाम था जावेद. ताया जी और ताई जी की तरह वो दोनो भी बहुत ही अच्छे थे. ख़ास तौर पे नाज़ दीदी वो मुझे बहुत प्यार करती थी. वैसे तो मैं अपने सारे परिवार की चहेती थी मगर गुलनाज़ दीदी मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करती थी. गुलनाज़ दीदी सुंदरता की मूरत थी. उनकी सुंदरता और उनके सुभाव की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम थी. जब वो कुछ कहने के लिए अपने होंठ खोलती तो ऐसा लगता जैसे उनके मूह से गुलाब के फूल गिर रहे हो और उनके मीठे मीठे बोल जैसे फ़िज़ा में सुंगंध घूल देते थे. सच कहूँ तो गुलनाज़ दीदी जितनी सुंदर थी उस से कही ज़्यादा अच्छी इंसान थी वो.
....................
जैसे ही मैं नाज़ दीदी के घर के सामने पहुँची तो मुझे सामने से आकाश आता दिखाई दिया. नाज़ दीदी के घर के आगे वाला घर आकाश का ही था. जैसे ही मेरी नज़र उस से मिली तो उसने मुझे स्माइल की मगर मैं उसकी स्माइल का कोई जवाब ना देते हुए नाज़ दीदी के घर में घुस गई.
अंदर जाते ही मैं ज़ोर ज़ोर चिल्लाने लगी.
मे-नाअज़ डीडीिईईई...........दीदी कहाँ हो आप........
मेरी आवाज़ सुनकर ताई जी किचन से बाहर निकली और बोली.
ताई जी-अरे रीतू क्यूँ शोर मचा रही है.
मे-ताई जी नाज़ दीदी कहाँ हैं.
ताई जी-वो अपने रूम में है.
मैं सीधा नाज़ दीदी के रूम में जाकर घुस गई. नाज़ दीदी बेड पे बैठी किताब पढ़ रही थी. वो एलएलबी करती थी और बस हमेशा पढ़ती रहती थी. मुझे देखते ही वो बोली.
गुलनाज़-अरे स्वीटू आप यहाँ आज हमारी कैसे याद आ गई.
मे-दीदी रोज़ तो आपके पास आती हूँ मैं.
नाज़-वो तो ठीक है मगर आज आपके तेवर कुछ तीखे लग रहे हैं.
मे-हां दीदी वो आप जल्दी से टीवी ऑन करो.
नाज़-ओह तो बच्ची मॅच देखने आई है यहाँ.
मे-आपको कैसे पता चला.
नाज़-आप जब भी ऐसे तीखे तेवर लेकर यहाँ आती हो तो मुझे पता होता है कि घर में चाची जी ने आपको डांटा होगा और आप यहाँ चली आई मॅच देखने.
मे-ओह हो अब बातें मत करो जल्दी से टीवी ओन करो.
दीदी ने टीवी ऑन किया और मैने रिमोट उठकर सेट मॅक्स लगा दिया.
स्कोर्कार्ड को देखकर दीदी बोली.
नाज़-आज तो लगता है आपकी मुंबई जीत जाएगी.
दीदी जानती थी कि मेरा फेव. क्रिकेटर सचिन है.
मे-लगता तो है दीदी.
फिर मैं वहाँ बैठकर मॅच देखने लगी. मुंबई की बॅटिंग आ गई और उन्हे सिर्फ़ 130 का टारगेट मिला. लेकिन ये क्या मुंबई के 3 विकेट सिर्फ़ 2 रन्स पे ही आउट हो गये.
मैं अपने सर पे हाथ मारती हुई बोली.
मे-ओह तेरी ये क्या हो गया.
नाज़-आपकी मुंबई की हालत पतली हो गई और क्या.
आख़िरकार मॅच ख़तम हुआ और मुंबई हार गई. मैं लटका सा मूह लेकर वहाँ से जाने लगी तो नाज़ दीदी बोली.
नाज़-आप बस मॅच देखने आई थी स्वीटू मेरे पास नही बैठोगी.
मैं दीदी के पास बेड पे जाकर बैठ गई और बोली.
मे-नही दीदी आप जब भी मेरे पास होती हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.
नाज़-मुझे भी आप की ये चुलबुली सी हरकते बहुत अच्छी लगती हैं स्वीतू और बताओ आपकी स्टडी कैसी चल रही है.
मे-ब्स चल रही है दीदी.
नाज़-रीतू बच्चे ध्यान से पढ़ा कर और अच्छे मार्क्स लेकर पास होना है आपको.
मे-क्या दीदी आप भी ना मेरी मम्मी बन जाती हो. और ये क्या 'आप-आप' लगा रखी है आपने. मैं कितनी छोटी हूँ आपसे मुझे 'तुम' कहा करो प्लीज़.
नाज़-अरे स्वीटू एक मैं ही तो हूँ जो आपको इज़्ज़त से बुलाती हूँ. बाकी घर वाले तो आपको गलियाँ ही देते हैं.
मे-ये बात तो है दीदी तभी तो मैं भी आपसे कितना प्यार करती हूँ.
गुलनाज़ दीदी ने मेरे फोर्हेड पे किस की और मैने उनके चीक्स पे किस करते हुए उन्हे बाइ बोला और अपने घर में आ गई.
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