RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
भैया को बाइ बोल कर मैं क्लास में पहुँची और सेधा जाकर अपनी फ़्रेंड महक के पास बैठ गई. महक मुझे देखते ही बोली.
महक-आ गई मेडम आप कभी जल्दी भी आ जाया करो.
मे-क्यूँ जल्दी आकर क्या करना होता है यहाँ.
महक-थोड़ी बहुत एक्सट्रा स्टडी हो जाती है.
मे-बस बस अच्छी तरह से जानती हूँ जो तू एक्सट्रा स्टडी करती है जल्दी आकर.
महक-तो तुम भी मेरे वाली एक्सट्रा स्टडी कर लिया करो कभी.
मे-स्कूल टाइम में जो स्टडी होती है मुझसे वो ठीक ढंग से नही हो पाती एक्सट्रा स्टडी की तो माँ की आँख.
महक-मेरे वाली एक्सट्रा स्टडी किया कर देखना कितनी आसान है वो.
मे-बस बस अब लेक्चर बंद कर आज तेरा लफंगा नही दिख रहा कहीं.
महक-अरे यहीं तो था पता नही कहाँ चला गया.
तभी रूम में एक लड़का एंटर हुया जिसका नाम था आकाश. मैने महक को कोहनी मारते हुए कहा.
मे-लो आ गये तुम्हारे मिस्टर. लफंगा जी.
आकाश हमारे टेबल के साथ में जो टेबल था नेक्स्ट रो में उसपे जाकर बैठ गया. उसी टेबल पे एक लड़का और बैठा था जिसका नाम तुषार था. आकाश और तुषार काफ़ी अच्छे दोस्त थे.
महक ने आकाश को देखकर स्माइल पास की और जवाब में आकाश ने भी महक को स्माइल की.
फिर हमारे टीचर क्लास में आए और पहला पीरियड स्टार्ट हो गया. जैसे तैसे करके पहले 5 पीरियड निकले और फिर रिसेस के लिए बेल हो गई. मैने अपना टिफेन उठाया और बाहर ग्राउंड में आकर बैठ गई. महक मेरे साथ बाहर नही आई थी और मैने उसे बाहर आने को कहा भी नही था. क्यूंकी मैं जानती थी कि वो क्लास में ही आकाश के साथ रहेगी और दोनो लैला-मजनू एक दूसरे को हाथ से खाना खिलाएँगे. ये इनका रोज़ का काम था. मैने खाना ख़तम किया और टिफेन उठा कर क्लास की तरफ चल पड़ी. जब मैं क्लास में एंटर होने लगी तो तुषार ने मुझे रोक दिया और कहा.
तुषार-रीत प्लीज़ अभी अंदर मत जाओ महक और आकाश अंदर है.
ये इनका रोज़ का काम था हर रोज़ रिसेस में खाना खाने के बाद आकाश और तुषार सभी स्टूडेंट्स को रूम से बाहर निकाल देते थे. इन दोनो से सभी डरते थे और चुप चाप बाहर निकल जाते थे. और फिर अंदर शुरू होता था महक और आकाश का लिपटना-च्चिपटना. जितनी देर तक आकाश और महक अंदर होते थे तो तुषार बॉडी-गार्ड बनकर रूम के गेट पे खड़ा रहता था. स्टूडेंट तो कोई अंदर आता नही था बस डर होता था तो सिर्फ़ किसी टीचर के आ जाने का. और इसी सिलसिले में तुषार बॉडी-गार्ड बन कर खड़ा रहता था.
और आज जब मुझे तुषार ने रोका तो मैने थोड़ी शरारत करने की सोची.
मे-मुझे अंदर जाने दो मुझे टिफेन बॅग में रखना है.
तुषार-लाओ मैं रख देता हूँ तुम्हारे बॅग में.
मे-मैं तुम्हे क्यूँ दूं तुमने बॅग में से कुछ निकाल लिया तो चुप चाप मुझे अंदर जाने दो.
तुषार-मैने कहा ना तुम अंदर नही जा सकती.
तुषार ने थोड़ा गुस्से में कहा तो मैं खड़ी खड़ी ही काँप गई. मैने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए थोड़ा उचे स्वर में कहा ताकि मेरी बात महक और आकाश तक भी जा सके.
मे-ओके तो अब मैं प्रिन्सिपल सर के पास जा रही हूँ अब वो ही मुझे रूम के अंदर लेकर जाएँगे.
मेरा आइडिया काम कर गया और जैसे ही मैं वहाँ से चलने को हुई तो महक की आवाज़ मुझे सुनाई दी.
महक-अरे रीत.....रीत प्लीज़ सुनो तो.......
मैने पीछे घूम कर देखा तो महक अपने कमीज़ को अपने उरोजो के पास से ठीक करती हुई बाहर आई और पीछे पीछे आकाश पॅंट की ज़िप लगाता हुया बाहर निकला. महक मेरे पास आई और बोली.
महक-पागल हो गई है क्या तू.
मैं उसे देखकर हँसने लगी और मुझे हंसते देख उसने कहा.
महक-हंस क्यूँ रही है.
मे-में किसी के पास नही जाने वाली थी. मैं तो बस तुम लोगो को बाहर निकालना चाहती थी.
और मैं फिरसे हँसने लगी. मैने उसका हाथ पकड़ा और ग्राउंड की तरफ ले गई.
महक-क्या मिला तुझे ये सब करके. अच्छे ख़ासे मज़े आ रहे थे सारा मूड ऑफ कर दिया.
मे-ओह हो तो मुझे भी बताओ कैसे मज़े कर रही थी तुम उस लफंगे के साथ.
महक-तुझे ही भेज देती हूँ अंदर जा खुद ही करले जो मज़े करने है.
मे-तौबा तौबा भगवान बचाए ऐसे मज़े से.
मैने अपने कानो को हाथ लगाते हुए कहा.
महक-देखना जब किसी के प्यार में पड़ गई ना तब पूछूंगी तुझसे.
मे-नो वे ऐसा दिन कभी नही आएगा.
महक-आएगा मेरी जान बहुत जल्द आएगा. वो तुषार है ना तेरे बारे में पूछता रहता है मुझसे.
मे-वो बॉडी-गार्ड. उसको बोलना भूल जाए मुझे.
महक-अरे वो तो बोलता है कि तू उसके सपनो में आती है.
मे-देखना एक दिन सपने में ही चाकू लेकर जाउन्गी और मार डालूंगी उसे.
महक-तेरा कुछ नही हो सकता.
मे-तेरा तो बहुत कुछ हो गया है ना चल अब नेक्स्ट पीरियड स्टार्ट होने वाला है.
रिसेस के बाद वाले 4 पीरियड बड़ी मुश्क़िल से बीते और फिर आख़िरकार छुट्टी हुई तो मैं और महक बॅग उठाकर स्कूल के नज़दीक वाले बस स्टॉप के उपर आ गई. यहाँ बस स्टॉप तो था मगर सिर्फ़ नाम का कियुंकी बस तो यहाँ रुकती नही थी और ऑटो थे जो यहाँ के लोगो का आना-जाना आसान करते थे. एक ऑटो को महक ने हाथ दिया और ऑटो के रुकते ही मैं और महक ऑटो में बैठ गई और ऑटो रोड पे दौड़ने लगी. मेरा गाओं आने पर मैं ऑटो से उतर गई और महक अभी ऑटो में ही थी क्यूंकी उसका गाँव आगे था.
मैं घर आई और मैने टीवी ऑन किया और सेट मॅक्स पे आइपीएल का मुंबई व/स पुणे का मॅच देखने लगी. सचिन मेरा फेव. था और उसका मॅच देखना मैं कभी नही भूलती थी.
क्रमशः......................
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