Hindi Sex Stories By raj sharma
07-19-2017, 10:28 AM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
दिल ही दिल में मैं जानता था के उसका यूँ डरना वाजिब भी था. 5 बार मुझपर हमला उस वक़्त हुआ जबके मैं उसके साथ था. हर बार लाश हमला करने वाले की ही गिरी पर शायद कहीं ये बात मैं भी जानता था के बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी. 


मैने एक नज़र उसपर डाली तो मेरी बाहों में सिमटी, मेरी छाती पर सर रखे वो कबकि नींद के आगोश में जा चुकी थी. घड़ी पर नज़र डाली तो रात के 2 बाज रहे थे. 


ये फ्लॅट मैने ही उसे लेकर दिया था. इंसानी सहूलियत की हर चीज़ इस फ्लॅट में मौजूद थी. उसने जिस चीज़ की ख्वाहिश की, जिस चीज़ पर अंगुली रखी मैने वो लाकर उसे दे दी. 


"सब होता है मेरे पास, एक सिवाय तुम्हारे" वो अक्सर शिकायत किया करती थी. 

उसकी माँ को मरे 2 साल हो गये थे और उसके बाद से वो इस फ्लॅट में अकेली ही रहती थी. उसका दूर का कोई एक मूहबोला भाई भी था जिससे मैं कभी मिला नही था. मेरा तो वैसे ही कोई ठिकाना नही होता था. कभी शहर से बाहर तो कभी देश से बाहर. सच कहूँ मेरा आधे से ज़्यादा वक़्त धंधे के चक्कर में "बाहर" ही गुज़रता था पर जब भी शहर में होता, तो उसके यहाँ ही रुकता था. 


"एहसान करते हो ना बड़ा मुझपे. और बाकी रातें कौन होती है बिस्तर पर तुम्हारे साथ?" अक्सर वो चिड़कर कहा करती थी. 


मैने धीरे से उसका सर अपनी छाती से हटाया और नीचे तकिये पर रख दिया. वो बिना कोई कपड़े पहने बेख़बर सो रही थी. चादर खींच कर मैने उसके जिस्म को ढका और बिस्तर से उठा. 


मुझे सिगरेट की तलब उठ रही थी पर बेडरूम में सिगरेट या शराब पीने की मुझे सख़्त मनाही थी. यूँ तो मेरे साथ रह रहकर वो भी थोड़ी बहुत पीने लगी थी पर जाने क्यूँ बेडरूम में सिगरेट या शराब ले जाना उसे बिल्कुल पसंद नही था. 


बेडरूम से बाहर निकल कर मैने एक सिगरेट जलाई और हल्के कदमों से किचन की तरफ चला. मैं उस रात ही दुबई से इंडिया वापिस आया था और एरपोर्ट से सीधा उसके पास आ गया था. जैसा की हमेशा होता था, वो मेरे इंतेज़ार में बैठी थी और जिस तरह के कपड़े पहेन कर बैठी थी उस हालत में उसको देख कर किसी नमार्द का भी खड़ा हो जाता.


ऐसा ही कुच्छ मेरे साथ भी हुआ था. 


मेरे कमरे में घुसते ही हम एक दूसरे से भीड़ पड़े और फिर ऐसे ही सो गये. नतीजतन मुझे उस वक़्त बहुत तेज़ भूख लगी थी. 


फ्रिड्ज खोला तो उसमें अंदर कुच्छ नही था, सिवाय एक आधे बचे पिज़्ज़ा के. 
मैने एक ठंडी आह भरी और पिज़्ज़ा निकाल कर ओवेन में रखा. मुझे ये अँग्रेज़ी खाने कभी पसंद नही आते थे. दिल से मैं पक्का हिन्दुस्तानी था और जब तक दाल रोटी पेट में ना जाए, तसल्ली नही होती थी. 


पर दाल रोटी उस वक़्त मौजूद थी नही तो पिज़्ज़ा से ही काम चलाना पड़ा. 
क्रमशः....................
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Hindi Sex Stories By raj sharma - by sexstories - 07-17-2017, 12:39 PM
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