Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित अब मैं तुम्हे उस वक़्त मे ले चलता हूँ..जबसे मैं तुम्हारी फॅमिली को जानता हूँ...

आज़ाद मल्होत्रा अपनी फॅमिली के साथ **** गाओं मे एक खुशाल जिंदगी गुज़ारते थे...

आज़ाद की पत्नी बहुत ही सरल स्वाभाव की और पूजा- पाठ करने वाली थी...


(आगे की कहानी एक फ्लॅशबॅक की तरह...)




सुबह-2 रुक्मणी पूजा करके आज़ाद को जगाने आई...

रुक्मणी- उठिए जी...कसरत करने नही जाना...आपके दोस्त इंतज़ार कर रहे होगे...

आज़ाद- अरे यार...ह्म्म...जाना तो है...पर उठने का बिल्कुल मन नही...

रुक्मणी- क्यो भला...दिन निकल आया है...और दिन सोने के लिए नही होता...

आज़ाद( रुक्मणी को अपनी तरफ खीच कर)- पहले अपने स्वादिष्ट होंठो का रस तो चखा दो...

रुक्मणी (शरमाते हुए)- हे राम...आप तो सुबह-सुबह...छोड़िए जी...इन सब कामो के लिए रात होती है..दिन नही ..

आज़ाद- वाह..रात इन सबके लिए और सुबह सो नही सकते ..तो भला बेचारा इंसान सोयगा कब...

रुक्मणी- आप भी ना...बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे ...अब उठ जाइए...

आज़ाद- पहले मेरी बात का जवाब तो दो मेरी जान..

रुक्मणी- आप भी...छोड़िए ना...बेटा जाग चुका है ...और आपका लाड़ला आता ही होगा...

रूमानी ने नाम ही लिया कि आकाश आवाज़ लगाते हुए आ गया....

आकाश- पापा...चलिए ना...जल्दी कीजिए...

आकाश की आवाज़ सुनते ही आज़ाद ने रुक्मणी का हाथ छोड़ दिया और जल्दी से खड़ी हो गई...

आकाश- पापा जल्दी....अरे आप बेड पर ही है...चलिए ना ..हम लेट हो जायगे...

आज़ाद- हाँ बेटा...बस 2 मिनट...अभी आया.. 

आज़ाद फ्रेश होने निकल गया और रुक्मणी अपने बेटे के पास आ गई...और आकाश ने उसके पैर छुये...

आकाश- माँ....प्रसाद कहाँ है...

रुक्मणी(मुस्कुरा कर)- अभी देती हूँ बेटा...चल मेरे साथ....और ये तो बता तेरा भाई कहाँ है...

और दोनो माँ- बेटे रूम से बाहर आने लगे...

आकाश- वो तो सो रहा है ..

रुक्मणी- उसे क्यो नही जगाया...उसे भी ले जा अपने साथ कसरत करने...

आकाश- क्या माँ आप भी...वो अभी छोटा है....उसे सोने दो...

रुक्मणी- और तू बड़ा हो गया...हाँ...

आकाश- हाँ..माँ..मैं बड़ा ही तो हूँ...और मेरे रहते मेरे भाई को तकलीफ़ नही होनी चाहिए...

रुक्मणी-मेरा प्यारा बेटा...पर उसे भी तो कसरत करनी चाहिए ना...और इसमे तकलीफ़ कैसी...

आकाश- हाँ माँ..करेगा...पर अभी उसे जागने मे तकलीफ़ होती है...थोड़े दिन बाद मैं उसे भी अपनी तरह बना दूँगा ...

रुक्मणी- ठीक है...ये ले प्रसाद...

आकाश ने प्रसाद खाया और तभी आज़ाद भी फ्रेश होकर आ गया.....

आज़ाद- चल मेरे शेर....तैयार...

आकाश- जी पापा...चलिए...

आज़ाद- चलो रुक्मणी हम आते है...

और फिर बाप-बेटे कसरत करने ग्राउंड पर निकल गये और रुक्मणी नाश्ते की तैयारी करने.....



ग्राउंड पर आज़ाद के दोस्त उसका इंतज़ार कर रहे थे ...आज़ाद के दो खास दोस्त थे....

अली ख़ान - ये एक नामी बिज़्नेसमॅन है....

मदन गुप्ता- ये भी खानदानी रहीश है और नेतागिरी करते है...

आज़ाद,अली और मदन दोस्त कम भाई ज़्यादा थे ....एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे ...

इन दोस्तो के अलावा ग्राउंड पर आकाश का फ्रेंड भी था....जिसका नाम है धर्मेश...

आकाश और धर्मेश की दोस्ती भी बहुत खास थी...दोनो मे भाइयों जैसा प्यार था...

ग्राउंड पर जाते ही सब लोग बॉडी को फिट करने मे जुट गये....रन्निंग, योगा , पुश-अप एट्सेटरा..


जब कसरत हो गई तो सब वही ग्राउंड पर बैठ कर बातें करने लगे...एक तरफ आज़ाद अपने फ्रेंड्स के साथ और उनसे दूर आकाश, धर्मेश के साथ....

अली- यार आज़ाद...वो तेरी फॅक्टरी की प्राब्लम सॉल्व हुई कि नही...

आज़ाद- कहाँ यार..इस मदन ने कहा था कि 2 दिन मे सब ठीक कर देगा...क्यो मदन...

मदन- हाँ भाई...हो गई...कल रात को ही उस ज़मीन के मालिक से बात हुई...तुम फॅक्टरी को आगे बढ़ा सकते हो...उस ज़मीन के पेपर मेरे पास आ गये है...

आज़ाद- वाह...मज़ा आ गया...अब फॅक्टरी बढ़ने से 200 लोगो को और रोज़गार मिल जाएगा...

अली- ह्म्म...तू सच मे अच्छा काम कर रहा है....तेरी वजह से गाओं के लोगो को पैसे कमाने का मौका मिल गया...नही तो साले दारू और जुए मे अपनी जिंदगी खराब कर लेते....

मदन- हाँ यार...सही कहा...वैसे तेरे बेटे के अड्ड्मिशन का काम भी हो गया...

आज़ाद- सच मे...ये तो खुशख़बरी है भाई....अब मेरा बेटा सहर जाएगा..कॉलेज मे पढ़ेगा...

मदन- ह्म्म...तो चल फिर आज इसी बात पर जश्न मनाते है...

आज़ाद- हाँ क्यो नही..बोलो क्या इंतज़ाम है...

अली- यार आज तो खास माल है...माँ और बेटी एक साथ....

आज़ाद- क्या बात है..पर है कहाँ...

मदन- आज दोपहर बाद...मेरे फार्महाउस पर...

आज़ाद- तो फिर चल पहले फॅक्टरी का काम देखता हूँ फिर रात को जश्न मनाएँगे....

फिर आज़ाद ने आकाश को बुला कर उसके अड्मिशन की बात बताई....

आकाश- सच पापा...अब मैं कॉलेज जाउन्गा...

आज़ाद- हाँ बेटा....अब तू कॉलेज जाएगा और बड़ा आदमी बनेगा...

आकाश- ठीक है पापा ..मैं घर जा कर सबको बताता हूँ...आप भी चलिए ना..

आज़ाद- तू चल हम आते है...और हाँ..अपनी माँ से बोलना की गरमा-गरम चाइ-नाश्ता तैयार करे..हम सभी आ रहे है...

आकाश- ठीक है पापा...चल धर्मेश...

फिर आकाश अपने दोस्त के साथ घर आ गया और सबको खूसखबरी दी...
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-06-2017, 11:22 AM

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