मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
08-01-2016, 06:58 PM,
#48
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
केवल १ मिनट में ही यासमीन ने अपना सफ़ेद ..नंगा बदन अपने २ कपड़ों में ढक लिया था ....

मैंने भी अपने पप्पू मिया को अंदर कैद कर ..पेंट ठीक कर ली ...

मगर सैतान यासमीन को तो अपनी चुदाई बीच में रुकने का बदला लेना था ...

वो तुरंत बाथरूम की ओर गई ..

एक बार मुझे पलट कर देखा ...

मुस्कुराई ...

और एक झटके में दरवाजा खोल दिया ...

दरवाजा अंदर की ओर खुलता था ...

अंदर सफ़ेद लाइट झमाझम चमक रही थी ...

उसमे एक तरफ ही वेस्टर्न शीट लगी थी ...

मैं जहाँ खड़ा था ..वहां से वो जगह साफ़ दिख रही थी ..
कहते हैं ना कि कोई दिन आपके लिए बहुत भाग्यशाली होता है ..
तो आज ये भी देखना था ..

मैंने सबसे पहले शानदार पुरे नंगे चूतड़ देखे ...

क्या लुभावना दृश्य था ...????

मेरी आँखे तो पलक झपकना ही भूल गई ..

मैं एक टक उसको निहार रहा था ..

दरअसल पिंकी अभी अभी ही सु सु करके उठी होगी ..

उसने अपनी नीली साडी पूरी ऊपर कर अपने बाएं हाथ से पकड़ी थी ...

और उसकी कच्छी जो शायद गुलाबी ही थी ..
जो वहां से लग रहा था ...
उसने अपने घुटनो तक उतार रखा था ..

और वो हलकी सी झुकी हुई फ्लश कर रही थी ...

वो इतनी मगन थी कि उसको पता ही नहीं चला कि बाथरूम का दरवाजा खुल गया है ...

मेरी आँखों ने भरपूर उसके मतवाले चूतड़ों के दर्शन किये ...

अभी मैं कुछ सोच ही रहा था कि ...

यासमीन ने एक और हरकत कर दी ...

उसने ऐसे जाहिर किया जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है ....

और तेज आवाज में बोली ...

यासमीन: अररररर ऐ एई तू यहाँ पिंकी .....

और स्वभाबिक पिंकी ने घूमकर उसको देखा ...
उसने वो कर दिया जिसकी उम्मीद न तो मुझे थी और ना शायद यासमीन को ही ...

पिंकी: हाय राम ...
और उसने अपनी साडी दोनों हाथो से पकड़ी ..
शरमाकर अपने चेहरे तक ले जाकर ढक ली ...

इस दृश्य की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी ..

पिंकी के घूमने से उसकी गुलाबी कच्छी ढीली हो उसके घुटनो से सरक कर नीचे गिर गई थी ...

उसकी साडी और उसका पेटीकोट दोनों उसने खुद पूरा उठाकर अपने चेहरे तक ले गई थी ....

उसका कमर के नीचे का भाग पूरा नंगी अवस्था में ..बाथरूम की सफ़ेद चमकती लाइट से भी ज्यादा चमक रहा था ..

पतली कमर, पिचका हुआ पेट, लम्बी टाँगे, गोल सफ़ेद जांघे... 
और जांघो के बीच फूली हुई चूत का उभार खिला खिला साफ दिख रहा था ...

ये तो नहीं पता चला कि उस पर बाल थे या नहीं ..
और अगर थे तो कितने बड़े ..
वैसे जितनी साफ़ वो दिख रही थी .
उस हिसाब से तो चिकनी ही होगी ..
या होंगे तो थोड़े थोड़े ही होंगे ...

दिल चाह रहा था कि अंदर जाऊं और उसके इन प्यारे होंठो पर अपने होंठ रख दूँ ...

पिंकी की तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी ...

मगर यासमीन पूरे होश में थी ...

वो चाहती तो दरवाजा बंद कर देती और सब कुछ सही हो जाता ...

मगर वो तो किसी और ही मूड में थी ..

वो अंदर जा पिंकी के कंधे पर हाथ रख ..

यासमीन: अरे सॉरी यार मुझे नहीं पता था कि तू अंदर है ...
चल अब तेरा तो हो गया ना ...

पिंकी: तू बहुत गन्दी है रे .तू बाहर जा न ...

यासमीन: हा हा ... क्या बात करती हो दीदी ..??
आपका तो हो गया ना ...
अब आप बाहर जाओ न ..
मुझे भी तो करनी है ...

और अस्वभाबिक रूप से वो नीचे बैठ ..पिंकी कि कच्छी को पकड़ ऊपर करने लगती है ..

इतनी देर में मैंने भरपूर पिंकी कि चूत के दर्शन कर लिए थे ...

यासमीन: अब कपडे तो सही कर लो दीदी ..
कब अपनी मुनिया को हवा लगाओगी ..

अब जैसे पिंकी को होश आया ..
कि चेहरा छुपाने के लिए उसने क्या कर दिया था ..??

और यासमीन तो पिछले एक साल में मेरे साथ रहकर पूरी बेशरम हो ही गई थी ...

उसने कच्छी को पिंकी के चूतड़ों पर चढ़ाते हुए ..
अपने एक हाथ से पिंकी कि पिंक चूत को सहलाया .
और कच्छी के अंदर करते हुए ..

यासमीन: बहुत प्यारी है दीदी अपनी मुनिया ...
इसको धो तो लिया था ना ..

और पिंकी ने अब अपनी साडी छोड़कर उसको नीचे कर दिया ...
और यासमीन के धप लगते हुए ..

पिंकी: पूरी पागल ही है तू ...
चल हट...

अभी तक शायद उसको पता नहीं था ..
या वो मेरे बारे में बिलकुल भूल ही गई थी ..

कि मैं बाहर कमरे में से दोनों की हर हरकत को देख रहा हूँ ...

पिंकी बाहर आ दरवाजा अभी बंद ही कर रही थी ..

इतनी देर में यासमीन अपनी कुर्ती ऊपर उठा अपनी लेग्गिंग चूतड़ों से नीचे खिसका ..शीट पर बैठने की तैयारी कर रही थी ...

पिंकी: अरे दरवाजा तो बंद करने देती ...
तू सच पूरी पागल है ... हे हे ....

और जैसे ही पिंकी दरवाजा बंद कर घूमती है .
मुझे देख उसे सब कुछ का अहसास होता है ...

वो बुरी तरह शर्मा रही थी ...

पिंकी: अरे सर आपने यासमीन को रोका नहीं ...
वो अंदर .. मैं ....ये ...

मैं: अरे मैं काम में बिजी था ...और वो पता नहीं कैसे ..
मुझे पता ही नहीं चला ...

पिंकी: वो ..ओह ....मैं तो ...

मैं: अरे इतना घबरा क्यों रही हो ..???
शादी सुदा हो ..समझदार हो ...
हो जाता है ऐसा ...
कोई बड़ी बात नहीं है ..

पिंकी: वो सब अचानक ...मेरे को तो पता ही नहीं था ..
और आप भी ...

मैं: अरे यार कुछ नहीं हुआ ....
इतनी सुन्दर तो हो तुम ..
जरा सा देख लिया तो क्या हो गया ..??
वैसे एक बात बोलू ...

पिंकी ने अपनी नजर बिलकुल नीचे कर रखी थी ..
वो बहुत शर्मा रही थी ...

लेकिन इतना शुक्र था कि वो कमरे से बाहर नहीं गई थी ..

वो मेरे से बात कर रही थी ...

पिंकी: क्या सर ?????

मैं: तुम अपने नाम से लेकर ..अंदर तक पिंक ही हो ..
मतलब गुलाबी ...

पिंकी: धत्त ..क्या कह रहे हो सर आप ???

मैं: सच यार मजा आ गया ...
कच्छी से लेकर अंदर तक सब गुलाबी था ...

पिंकी: आप भी ना सर ... अपने सब देख लिया ...

मैं: अरे यार इतना सुन्दर दृश्य कौन ..छोड़ता है ...
और बाकई बहुत प्यारी लग रही थी ...

पिंकी के चेहरे से लग रहा था कि उसको मेरी बात अच्छी लग रही है ..

पिंकी: ये यासमीन भी बहुत गन्दी है ..ये सब उसकी वजह से हुआ ...

मैं: हा हा ..मेरे लिए तो बहुत लकी रही यार ..
और तुमको उससे बदला लेना हो तो ले लो ..
जाओ दरवाजा खोल दो ... हा हा 

पिंकी: धत्त ..मैं ऐसी नहीं हूँ ...
आपका मन कर रहा हो तो ..आप खुद खोलकर देख लीजिये ...

मैं: अरे इतनी खूबसूरत देखने के बाद तो अब किसी और की देखने का दिल ही नहीं करेगा ...
सच बहुत सुन्दर है तुम्हारी ...

और अब पिंकी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई ..

मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी ...

कुछ देर बाद यासमीन भी अपने काम में लग गई ..

अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था ...

दोपहर को लंच करने के बाद मैंने ...
जूली को फोन लगाया ...
उधर से अनु की आवाज आई ..

अनु: कौन ..???

मैं: अरे अनु तू ..क्या हुआ ..?? जूली कहाँ है ...??

अनु: अरे भैया ..हम स्कूल में हैं ...भाभी की जॉब लग गई है ...
वो अंदर हैं ...

मैं: क्यों ?? तू बाहर क्यों है ????

अनु: अरे अंदर उनका इंटरव्यू चल रहा है ...
वो कुछ समझा रहे थे ... तभी ...

मैं : ओह ...मगर तू उसका ध्यान रख ...
देख वो क्या कर रही है .???

अनु: हाँ भइया ... पर क्यों ???

मैं: तुझसे जो कहा वो कर ना ...

अनु: पर वो अपने कोई पुराने दोस्त के साथ है ..
वो क्या नाम बोला था ???
हाँ याद आया ...
विकास ...
वो उनके कोई पुराने दोस्त हैं ...
वो ही हैं यहाँ बड़े वाले टीचर ..

मेरे दिमाग में एक झनका सा हुआ ...

अरे विकास वो तो कहीं वही तो नहीं ...

मुझे याद आया जूली ने एक दो बार बताया था ..
उसका फोन भी आया था शायद ...

विकास उसके स्कूल के समय से दोस्त था ...
पर हो सकता है कि कोई और हो ...

तभी अनु की आवाज आई ...

अनु: भैया ..ये तो ... अंदर ...

मैं: क्या अंदर ??? क्या हो रहा है ...

अनु: वव व्व्व्व्व्व्वो भाभी अंदर ... और व्व्व्वो ववकास 

?????????
.....................
..........

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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - by desiaks - 08-01-2016, 06:58 PM

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