RE: गुलाबो
शाम को जब चाचा घर लौटे तो बहुत खुश थे ।
गुलाबो आज तो मिठाई खिला दे... चाचा सोफे पर बैठते हुए बोले।
ऐसा क्या हुआ जी, बहुत खुश लग रहें हो ... में सोफे पर चाचा से सट कर बैठती हुई बोली।
चाचा ने प्यार से मेरे होंठों को चूमा और बोले....मेरी जान आज मेंने रमेश से तेरी दीदी ( बसंत कौर) के बारे मे बात की थी, पहले तो वो नखरे दिखा रहा था पर जब मैंने अपने फोन पर उसकी फोटो दिखाई तो साले की लार टपने लगी और एकदम से राजी हो गया।
ये बात सुन कर मेरा मन बाग बाग हो गया, में चाचा को बाहों में भर कस कर उनसे चिपट गई....आप बहुत अच्छे हो जी , आपने बहुत ही पुण्य का काम किया है पिताजी और अम्मा बहुत खुश हो जाएंगे, वो कब से दीदी के रिश्ते को लेकर परेशान थे... में भावुक होते हुए बोली।
चाचा : मेरी जान में तेरा कहा कैसे टाल सकता था , में तुझे से अपने खुद से भी ज्यादा प्यार करता हूं, और तेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं।
चाचा की बातें सुनकर मेरे मन में भावनाओं का ज्वार-भाटा फूट पड़ा ..मेंने चाचा को और कस कर जकड़ लिया और उनके होंठों से अपने होंठ मिला अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी।
और चाचा की गोद में चढ़ कर बैठ गई मेरे पैर चाचा की कमर को लपटे हुए थे, मेरे नितम्ब चाचा के लंड को महसूस कर रहे थे। मेंने चाचा की शर्ट के बटन खोल उसे उनके शरीर से अलग किया और उनको चूमते हुए उनके सीने को सहलाने लगी ।
चाचा : मेरी जान बहुत मूड में हैं, चल बेडरूम मे चलते हैं।
नहीं जी,आज में अपनी मर्जी से जैसा मुझे अच्छा लगेगा वैसे करूंगी। रोजाना तुम मुझे अपनी मर्जी के अनुसार चोदते हो आज में आप को चोदूंगी....कह कर में चाचा के होंठ चूसने लगी, मेरे हाथ चाचा के बाल सहला रहें थे।
में चाचा के लंड को अपनी गांड़ के नीचे खड़ा होते हुए महसूस कर रही थी, ...आहहह मेरी जान आज चोद दे मुझे चाचा मेरी पीठ मसलते हुए बोला।
में चाचा के गले चूमते हुए अपने होंठ चाचा के कंधे पर लाई और कंधे पर जोर से दांत गडा दिए।
ओएएएए ये क्या कर रही हैं .... चाचा दर्द से बिलबिलाते हुए चिल्लाया।
क्यों क्या हुआ मेरे राजा... मेंने हंसते हुए पूछा।
चाचा : तूने इतनी जोर से काट लिया, दर्द होता है यार।
क्या जी, आप मेरे लिए इतना भी दर्द नहीं सहा सकते.... मेंने चाचा का डायलॉग उन्हीं पर मारा। चाचा कुछ नहीं बोला बस आंहे भरता रहा।
में चाचा की गोद से उतर कर उनके सामने नीचे बैठ गयी , में अब उनके सीने को चाट रही थी, मैंने चाचा की चूचियों पर हल्के से दांत गड़ाए, चाचा फिर चिल्लाया...आाआआ मान जा खून निकालेगी? मेंने कोई जबाब नहीं दिया ।
मैंने चाचा की पैंट और अंडरवियर उतार दिये, मेरे सामने चाचा की काली भुसंड तोप तनी हुई थी , में बेतहाशा चाचा की पुष्ट काली जांघों को चाट रही थी और मेरे हाथ चाचा के बड़े-बड़े और मुलायम टट्टो को सहला रहे थे । मेरी इस क्रिया से चाचा काफी कामातुर हो गिड़गिड़ाने लगा था
गुलाबो मेरी जान प्लीज़ अब इसे अंदर ले ले .... चाचा गिड़गिड़ाते हुए बोला।
अंदर ले लूंगी मेरे राजा अभी जरा अपने शरीर से खेलने तो दो ... मेंने चाचा के टट्टो को हल्के से दबाते हुए कहा।
रानी.... आहहह ...अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा... अरे मेरी मां,.... मेरा लन्ड उत्तेजना से फट जाएगा री मान जा ...चाचा ने तड़प कर अपने शरीर को तोडते मरोड़ते हुए कहा।
मेंने चाचा के सुपाड़े को प्यार से चूमा... इसे फटने कैसे दूंगी मेरे राजा, ये फट गया तो मेरी गांड़ विधवा हो जाएगी , ऐसा तो मैं कभी नहीं होने दूंगी .... मेंने चाचा का लंड अपने दोनों हाथों में ले धीरे-धीरे मुठ मारते हुए कहा।
मेरी गुड़िया अब और ज्यादा मत तडफा, मेरे से बिल्कुल काबू नहीं हो रहा .... चाचा याचना भरे स्वर में बोला।
ठीक है ... में उठा कर खड़ी हो गई, चाचा के माथे को चूमा फिर अपने घाघरे का नाड़ा खोल दिया मेरा घाघरा जमीं पर गया, फिर मैंने अपनी चोली भी उतार दी । अब चाचा के सामने मेरा मांसल बदन मादरजात नंगा था।
चाचा ने बेचैनी से मेरे नितंबों को पकड़ अपनी तरफ खींचा ..... आजा रानी मेरे लंड पर बैठ जा .... में मरा जा रहा हूं , चाचा अपने चूतड उछाल उछाल कर हवा में ही धक्के मारे जा रहा था।
चाचा की बैचेनी देख मुझे मजा आ रहा था , में चाचा के शरीर को अपने दोनों पैरों के बीच कर उस पर बैठ गयी मैने हथेली पर थूक लेकर अपनी गांड़ तथा चाचा के सुपाड़े पर अच्छी तरह चुपड़ा। अब मैंने एक हाथ से चाचा के लंड को पकड़ कर अपनी गांड़ के छेद पर सेट किया और अपनी सारा वजन चाचा के लंड पर डाल उसपर बैठे गयी।
चाचा का लंड मेरी गांड़ में ऐसे घुसता चला गया, जैसे म्यान में तलवार। चाचा ने मेरे बदन को बाहों में भर लिया और ढंडी सांस भरते हुए बोला.... आहहहहह मेरी रानी अब जाकर चैन पड़ा।
चाचा का पूरा लंड जड़ तक मेरी गांड़ में समाया हुआ था , मुझे भी बहुत चैन मिला था .... चोद दे ... मेरे राजा ...फाड़ दे मेरी आहहहहह बहुत मज़ा आ रहा है ... उईईईई मां रे....में चाचा के उपर उछल उछल कर धक्के लगाते हुए चिल्ला रही थी।
ले मेरी जान घुसेड़ ले निचोड़ लें मेरे लंड को... आहहह तेरी गांड़ बहुत प्यारी है मेरी गुलाबो मन करता है जिंदगी भर इसमें अपना लंड डाले पड़ा रहूं ..ओओओ ...अब चाचा ने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिये थे ।
मेरी हालत उस घुड़सवार जैसी थी जो तेजी से घोडा दौड़ा रहा हो ।.... आहहहहह और जोर से धक्का मार.. मेंने चाचा की जांघ पर थप्पड़ मारते हुए कहा ...., बहुत अच्छे और तेज फाड़ दे मेरी आईईईई मां अपने टट्टे भी घुसा दे मेरे अंदर मादरचोद, दम नहीं है क्या । में अनर्गल चिल्लाए जा रही थी ।
पूरी बैठक मेरे चूतड़ों और चाचा की जांघों की टक्कर से पैदा होने वाली धप धप और गांड़ चुदाई की फच फच की आवाज से गूंज रही थी।
तभी मेरे पास पड़े मोबाइल की रिंग बजी , मेंने देखा दीदी का फोन था मैंने देखा दीदी का फोन था , मेंने काल रिसीव कर फोन वहीं छोड़ दिया। पूरे कमरे में चुदाई की धप धप , फच फच और हमारी सिसकारियां गूंज रही थी, में दीदी को वहीं सुनाना चाहती थी।
लगभग पन्द्रह मिनट की घनघोर चुदाई के बाद चाचा चिल्लाया..... गुलाबो मेरी जान मेरा निकलने वाला है....में झड़ने वाला हूं।
नहीं... आहहहहह.. मेरे राजा अभी मत झड़ना ... उईईईई मां... बहुत मज़ा आ रहा है।
करीब दस धक्कों के बाद चाचा फिर बोला ..... मेरी रानी मेरे से नहीं रूका जा रहा ...हाय रे मेरा निकलने वाला है।
आहहहहह...भड़वे , मुझे बीच में ही प्यासा छोड़ेगा क्या बस पांच मिनट और रुक जा ...में आवेश में चिल्लाई।
मगर चाचा अपने आपको रोक नहीं पाया.....आआआ...मेरा निकल रहा है, तेरी गांड़ में इतनी गर्मी है कि मैं रोक नहीं पाया रे .….. आहहहहह में तो गया।
और चाचा की तोप ने मेरी गांड़ में गोले दागने शुरू कर दिये... मगर में उसके लंड को छोड़ने के मूड में नहीं थी, उसके झड़ने के बाबजूद में धक्के लगाए जा रही थी, मगर कुछ ही देर में लंड ढीला हो गया।
चाचा ने अपना सर मेरे कंधे पर रखा हुआ था.... मुझे माफ़ कर दे गुलाबो आज में पूरा साथ नहीं दे पाया... चाचा दुखी स्वर में बोला।
में खुश थी कि आज मेंने चाचा और उसके लंड की औकात क्या है, ये चाचा को दिखा दी थी । फिर भी मैं उन्हें सांत्वना देती हुई बोली...कुछ नहीं जी कभी कभी हो जाता है, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए कि जोश में आकर आपको गाली दे दी , आप तो मेरे देवता हैं।
फिर मैं चाचा के ऊपर से उठी पंच करके चाचा का लंड मेरी गांड़ से बाहर निकला साथ ही ढ़ेर सारा चाचा वीर्य मेरी गांड़ से टपकने लगा।
तभी मुझे ध्यान आया कि मोबाइल तो आन ही पड़ा है , मेने फोन उठाया।
में : हैलो दीदी नमस्ते
दीदी : बन्नो आज तो तूने घमासान चुदाई करी है , और जीत भी तू ही गई। मुझे अपनी चुदाई की लाइव कामेंटरी सुनाने के लिए धन्यवाद, आज तो मुझे भी मोटा खीरा लेना पड़ेगा तब आराम मिलेगा।
में : दीदी आपके लिए भी खीरे का इंतजाम कर दिया है।
दीदी : कौन है?
में : है इनका दोस्त, हम इतवार को पिताजी व अम्मा से बात करने आएंगे।
दीदी : अरे मेरी लाडो तू तो कमाल की निकली, इसीलिए चाचा तेरे पर फ़िदा है।
में : अच्छा दीदी रात में बात करूंगी अभी तो बैठक में एकदम नंगी खड़ी हूं
कह कर मैंने फोन काट दिया, अपने कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ चल दी , अपनी सफाई करके फिर रात का खाना भी बनाना था।
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