गुलाबो
08-22-2023, 10:51 PM,
#7
RE: गुलाबो
पढकर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 

मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।


शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 


हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।


चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।


अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।


चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।


अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।



नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।


नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।


ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 


वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 


मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 


तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 


नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।


में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।


चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।


आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।


चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।



गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।


नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 


अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।

में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।


चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 


तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 

उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।


आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।

हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।


चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।

अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 

अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।


 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।


चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।


ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।


उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।


जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।


ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 



उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।

मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।


चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ

वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।


पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।


अगले दिन शाम में और चाचा प्रदर्शनी देखने गये, ये विज्ञान की प्रदर्शनी थी , चूंकि चाचा विज्ञान के अध्यापक थे वो हर‌ एक चीज को विस्तार से समझा रहे थे।

अब हम प्रदर्शनी के जिस भाग में थे वो मानव शरीर रचना एवं प्रजनन के बारे में थी , मेंने महसूस किया कि चाचा इस विषय को समझाते हुए काफी गर्म हो गए हैं, उन्होंने मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मेरे हाथ दर्द करने लगा था।


चल गुल्लू बाहर चलते हैं...चाचा ने फुसफुसाते हुए कहा।


क्यों क्या हुआ इतना तो अच्छा लग रहा है....में चाचा की आंखों में झांकता हुआ बोला, चाचा की आंखें लाल हो रही थी , उनमें अजीब सा खुमार था।


अभी तो तू बाहर चल ... कहते हुए चाचा ज़बरदस्ती मुझे बाहर ले आया। 

बाहर अंधेरा था, प्रदर्शनी भवन के चारों ओर बाग फ़ैला हुआ था जहां बड़े बड़े पेड़, झाड़ियां थी ।


चाचा मुझे एक बड़ी झाड़ी के पीछे ले आया और अपनी पैंट उतारते हुए बोला....हाययय रे.. गुल्लू कुछ कर मेरा लंड फट जाएगा  रे जल्दी कुछ कर .. में मर जाऊंगा.. गुल्लू मुझे बचा ले


मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं...अनजाने ही मेने चाचा का पत्थर जैसा सख़्त मोटा लंड , जिसकी उभरी हुई नसें साफ महसूस हो रही थी, अपने हाथ में ले लिया और  मुठ मारने लगा।


चाचा-औहहह अब जाकर चैन पड़ा चैन पड़ा आआआह.. तू बहुत प्यारा है मेरी जान .. है भगवान.. नहीं तो आज मेरे लंड ने फट ही जाना था... तूने मुझे बचा लिया रे मेरे गुल्लू औऔऔह ... तेरा अहसान कैसे चुकाऊंगा।


ऐसे क्यूं बोलते हो चाचा ..  दुनिया में मुझे सबसे प्यारी चीज लगती है तो वह तुम्हारा लंड ही है .. में प्यार से चाचा का लंड मसलते हुए बोला ... इसको फटने कैसे दूंगा... इसको तो में अपने अंदर छुपा कर रख लूंगा। कहते हुए मैं नीचे बैठ गया और चाचा के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।


जहां तक अहसान चुकाने की बात है, मुझ से वादा करो कि जिंदगी भर मुझ से ऐसे ही प्यार करते रहोगे , कभी भी मुझे छोड़ोगे नहीं । मेंने भावुक होते हुए कहा।


चाचा ने लंड मेरे मुंह से निकला और मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करते हुए बोला ... में वादा करता हूं कि तुझे कभी धोखा नहीं दूंगा... तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा...आज से तुझे गुल्लू नहीं गुलाबो बुलाऊंगा ...और तू भी खुद को लड़की की तरह ही सम्बोधित करेंगी । ठीक है... चाचा ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरा मुंह उठाते हुए पूछा। 


ठीक है जी ... मेंने शरमाते हुए जबाब दिया।


चाचा ने मेरी पेंट व शर्ट उतार दी , और मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर कस कर अपने बदन से चिपका लिया ... चाचा का विशाल लंड मेरे पेट पर गडा हुआ था... तभी  चाचा ने‌ थोड़ा जोर लगाया जैसे पेशाब निकलना चाहता हो... मेंने अपने पेट पर गर्म गर्म चिकना पदार्थ फैलता महसूस किया।


गुलाबो मेरी रानी तू कितनी प्यारी है रे ... चाचा ने अपने लंड को मेरे पेट पर दबा घिसना शुरू कर दिया था या यूं कहें कि मेरे पेट को चोदना शुरू कर  गुलाबो में तेरा गुलाम बन कर रहूंगा री हआआआ...बस तू मेरे लंड का इसी तरह ख्याल रखना...हाययय मेरी जान तुझे किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा। उच्च

चाचा बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था। चाचा ने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और बुरी तरह घिसे जाता रहा था । मेरे दोनों हाथ चाचा के कूल्हे सहला रहे थे


मेरे राजा...आहह..थोड़ा ढीला छोड़ दें ...उफ़ .. मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मेंने फंसी हुई आवाज में कहा।


आहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सहन कर लें , तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तूने मुझे स्वर्ग का सुख दिया है मेरी जान ... उफ्फ


चाचा की बात सुनकर कर में भावुक हो गईं... हाययय रे मेरे राजा तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है...उईईई कुचल दे इस बदन को ये तेरा ही है.... कहते हुए में चाचा से कस के चिपक गई। 

मैंने चाचा के कूल्हे को बुरी तरह मसल रही थी ...आहहह मार और तेज और ... ऊईईई और जोर से पीस दे मुझे, घुसेड़ दे पेट पर से ही लंड मेरे अंदर ... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।



चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी ...हाययय रे मेरी गुड़िया मेरा निकलने वाला 

उुउउउउउ... मेरी रानी  में झड़ने वाला हूं... इतना सुख मुझे आज तक नहीं मिला...आआआआ मेरी जान , में गया रे आहहहहह... चाचा बहुत जोर से डकराया, और फिर एकदम से ढीला पड़ गया। 

मुझे ऐसा सा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया।

चाचा निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रखे लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था। मेरा एक हाथ चाचा का सिर सहला रहा था दूसरे हाथ से में चाचा के वीर्य को अपने पेट पर मल रही थी  उसकी मादक गंध मुझे मस्त किए दे रही थी, मेंने वीर्य को अंगुली में ले चांटा उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा । तब मैंने उसे और चाटना शुरू कर दिया।

ऐ यह क्या कर रही है... गंदा है वह... चाचा ने मुझे झिड़कते हुए कहा।

क्या गंदा है, मेरे लिए तो अमृत समान है.... में मुस्कराते हुए बोली..और चाटना जारी रखा।

ले में रूमाल देता हूं, पेट साफ कर लें... चाचा मुझे रुमाल देते हुए कहा।

वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने लल्लू राम को साफ कर दूं ... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर चाचा का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
फिर वहां से हम घर के लिए चल पड़े।

घर पहुंचते पहुंचते रात के साढ़े नौ‌ बज चुके थे, मै खुश थी क्योंकि मेरा मर्द मेरे से संतुष्ट व खुश था , खाना खा कर हम लोग ‌अपने बैंड रूम में आ गए।

करीब साढ़े ग्यारह का समय था, मैंने चाचा से पूछा...सुनो जी सो गए क्या, नाइट बल्ब की रोशनी में पता नहीं चल रहा 

नहीं गुड़िया जगा हुआ हूं..बोल क्या कह रही है।

ऐ जी एक बात तो बताओ,मुझे कितना इंतजार करना पड़ेगा, वो दिन कब आएगा, जब ये मेरी  प्यारी में जायेगा। मेंने चाचा के लंड को सहलाते हुए पूछा। 

मेरी गुलाबो म तो खुद ये सोच रहा हूं कि कब मेरा ये मुस्टंडा तेरी दुलारी की धज्जियां उड़ाएगा, और कब में तेरी चींखें सुनूंगा... चाचा मुस्कराते हुए बोला।

मरी चीखें सुन कर आपको अच्छा लगेगा.. मेंने चाचा की आंखों में झांकते हुए कहा।

और क्या, तेरी प्यारी का उदघाटन जोर शोर से होना चाहिए... चाचा शरारत से मुस्कराते हुए बोला।

अच्छा गुलाबो एक आइडिया आया है दिमाग में, क्यों ना में भैय्या - भाभी से कहूं कि आगे कि पढ़ाई के लिए वो तुझे मेरे साथ शहर भेज दें ।

ओह राजा कमाल का आइडिया है, आप तो कल ही मम्मी पापा से बात कर लो, मुझसे ज्यादा इंतजार नहीं होता।

ठीक है कल बात करता हू... चाचा मेरे कूल्हे सहलाता हुआ बोला।
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