Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-04-2021, 12:20 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
जितेश का गुस्सा काफी हद तक कम हो गया था | वो फिर से रीमा की मादकता में खोने की कोशिश करने लगा | रीमा उसे चूमती रही | वो रीमा के जिस्म को मसलता रहा | उसके बाद जहाँ गाडी रुकी थी वही से फिर से शुरू करना था | देखते ही देखते रीमा जितेश के ऊपर आ गयी | अभी तक वो गिरधारी से खुद के जिस्म को छिपा रही थी लेकिन इस लडाई ने वो पर्दा भी ख़त्म कर दिया |

रीमा ने जितेश के लंड पर ढेर सारी लार उड़ेली और उसे अपनी गुलाबी चूत के मुहाने पर सटाकर बैठती चली गयी | जितेश का तना सख्त लंड रीमा की चूत की दीवारों को चीरता हुआ, भीषण रगड़न के साथ अन्दर तक समां गया | रीमा ने तीन चार बार कमर हिलाई और जितेश के लंड के लिए अपनी चूत में जगह बनायीं | उसके बाद आराम से कमर हिलाकर उसका लंड पानी चूत में सटासट लेने लगी |

इधर गिरधारी जितेश से पिटने के बाद जमीन पर ही फ़ैल गया और रोने लगा - और मारो और मारो |
गिरधारी जमीन पर अपनी छाती पीट पीट रो रहा था | रीमा को पहले पहले लगा वो नौटंकी कर रहा है लेकिन उसके आँखों के निकले आंसू लगा, सच में वो रो रहा है |
गिरधारी - भाग क्यों गए, आवो और मारो, और पीटो, बॉस जो हो | दिन रात लगा रहता हूँ पीछे पालतू कुत्ते की तरह उसका यही सिला दिया है | आज तक कभी चु तक नहीं करी | जो दे देते हो रख लेता हूँ |
जितेश उसकी नौटंकी से परेशान हो रहा था लेकिन इससे पहले जितेश कोई प्रतिक्रिया से रीमा ने झुककर उसके ओंठो को अपने आगोश में ले लिया | रीमा जितेश के कान में फुसफुसाई - तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है, उसे बडबडाने दो |
इतना कहकर उसने अपनी नुकीली पहाड़ियों की चोटियों को जितेश के मुहँ से सटा दिया | जितेश में किसी छोटे बच्चे की तरह उन्नत उरोजो की पहाड़ियों से बह रहे रस का रस स्वादन करने लगा |

रीमा जितेश का ध्यान गिरधारी की नौटंकी से हटाने में लगी थी लेकिन उसका खुद का ध्यान अब उसी की तरफ चला गया |
ऐसा लग रहा था वो सच में बहुत दुखी है - और पीटो आकर मुझे, मै तो तुमारा कुत्ता हूँ न | जब मन करेगा रोटी का टुकड़ा फेक दोगे जब मन करेगा दुत्कार दोगे | कितनी जल्दी भूल गए जिस गोली पर तुमारा नाम लिखा था उसे मैंने अपने कंघे पर झेला था | लेकिन आखिर कुत्ता तो कुत्ता होता है |
जितेश फिर से वासना की मस्ती में डूबने लगा था | कुछ ही पलो में उसका गुस्सा जैसे फुर्र हो गया | रीमा ने उसकी तरफ सवलिया नजरो देखा | उसने पलके बंद कर इशारा किया, जैसे वो गिरधारी की बातो को सहमती दे रहा हो |
गिरधारी रोता हुआ - क्या कुछ नहीं किया हाय इस पालतू ने अपने मालिक के लिए | तीन चाकू मारे थे हाथ में लेकिन उफ़ जो मैंने अपने मालिक को छोड़ा हो | जो कुछ मिलता है सब तुमारे चरणों में लाकर रख देता हूँ फिर भी ये सिल दिया मुझे | वो भी एक औरत के लिए |
एक औरत की वजह से मुझ पर हाथ उठा दिया | मेरी इतने दिनों की दिन रात की सेवा का भी ख्याल नहीं आया |
जीत तो तुमसे सकता नहीं, आपाहिज जो हूँ इसलिए और पीट लो | मालिक जो हो, मेरा भाग्य तुमारे हाथ में जो है |
रीमा भी कामुकता के नशे में उतारने लगी थी लेकिन गिरधारी की बकवास अब उसे परेशान कर रही थी |
रीमा जितेश के कान बुदबुदाती हुई - कितना नौटंकी बाज है |
जितेश - मैंने पहली बार हाथ उठाया है | उसके बाये हाथ में तीन बार चाकू से वार हुआ था और मै तीस फीट से ज्यादा ऊँचाई से लटक रहा था लेकिन इसने मुझे पकडे रखा, नहीं तो आज शायद मै जिन्दा नहीं होता |
रीमा ने एक करारा झटका नीचे की तरफ मारा | उसके मांसल चूतड़ जितेश की जांघो से जाकर टकराए और उसका पूरा लंड रीमा की गुलाबी मखमली सुरंग में | जितेश और रीमा दोनों के मुहँ से मादक कराह एक साथ निकल गयी |

दोनों एक साथ कामुकता के जोश में कराह उठे - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़ आआआह्ह्ह्ह बेबी तुमारा लंड कितना बड़ा है ...................... मेरी पूरी चूत भर गयी है |
गिरधारी की बडबडाना रीमा के कामुक माहौल में खलल डाल रहा था |
रीमा - ओओ फोफोफ़ जितेश अब ये चुप कैसे होगा |
रीमा के लयबद्ध कमर हिलाने से जितेश तो स्वर्ग की सैर करने लगा था | मादक कराह के साथ - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् पता नहीं |
रीमा - मुझे देखने की ही इजाजत मांग रहा था, देखने दो न | अब कौन सा पर्दा बचा है वैसे भी उसने सब कुछ तो देख लिया है | अभी भी देख ही रहा है
जितेश - मै उसके साथ चार सालो से काम कर रहा हूँ, उंगली पकड़ कर पन्हुचा पकड़ने वालो में से है | बहुत ही लीचड़ और बेह्शर्म किस्म का इन्सान | मेरे काम धंधे में ऐसे आदमी की जरुरत पड़ती है इसलिए पाल रखा है | लेकिन मुहँ नहीं लगाता हूँ |
रीमा - ऐसा भी क्या जोंक है, हम दोनों को इस तरह नंग धढंग देखकर अरमान जाग जाग गए होंगे, हिलाने दो न अपने हाथ से |
रीमा जितेश के उपर जोरो से उछलती हुई - गलती हमारी ही है | अब क्या करे |

जितेश और रीमा के दिलो दिमाग पर वासना का नशा पूरी तरह से हावी हो चूका था | अब दुसरी तरफ ध्यान लगाने की हालत में नहीं थे | दोनों एक दुसरे में खो से गए |
गिरधारी उधर जमीन पर अपनी छाती पीटता रहा | उसकी कर्कश आवाज उन दोनों के कामुक मादक माहौल को ख़राब कर रही थी |
जितेश से रीमा अनुरोद्ध करती हुई - इससे कुछ बोलो न बेबी | इतनी मेहनत से फोकस आता है ये सारा मूड ख़राब कर रहा है | ये हमारी इंटिमेसी को डिस्टर्ब कर रहा है |
रीमा की कामुक आवाज और तेज उफनती सांसो के बीच निकले शब्द जैसे जितेश के दिल में उतर गए |
जितेश हांफता कांपता कड़क आवाज में बोला - चुप हो जा, देख ले जितना देखना है मैडम |
गिरधारी की आवाज बंद हो गयी | जब उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया | औरत मर्द पर चढ़ी बैठी है | क्या ऐसा भी होता है | उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी | पहली बार वो रीमा के हुस्न का दीदार खुली आखो से भरपूर कर रहा था | कितनी गोरी है, कितने बड़े बड़े दूध है और कैसे फूटबाल की तरह उछाल रहे है |वो हैरान था उसने हमेशा औरत को मर्द की जांघ के नीचे ही देखा था | जिस तरह से खुद को उछाल उछाल कर जितेश का लंड रीमा अपनी चूत में घोंट रही थी वो देखकर गिरधारी तो बस रीमा के गोरे गुलाबी बदन का उछलना ही देखता रहा | उसका रोना धोना सब बंद हो चूका था लेकिन अंदर से वो दुखी था क्यूंकि जितेश ने उस पर हाथ उठाया |
गिरधारी - मुझे मारा क्यों ?
जितेश को ये खलल बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था - गलती हो गयी अब आगे से नहीं होगा |
गिरधारी - लेकिन मुझे मारा क्यों ?
जितेश गरजते हुए - बोला न गलती हो गयी |
बड़ी मुश्किल से दोनों कामुकता में डूबने का माहौल बना पा रहे थे और वो एक पल में ही उसकी ऐसी की तैसी करे दे रहा था |
गिरधारी कुछ देर तक रीमा के हुस्न को घूरता रहा | उसका लंड फिर से तनने लगा | उसे रीमा बहुत अच्छी लग रही थी | इतनी अच्छी की उसके लिए सीने पर गोली खा ले |
जितेश रीमा आपस में अपने जिस्मो की आग की ताप बढ़ाने में लगे हुए थे |
जैसे ही वो दोनों फिर से वासना की रौ में पंहुचे गिरधारी ने फिर एक सवाल पूछ लिया -तुमने मुझे मैडम के लिए मारा है, आगे फिर नहीं पीटोगे इसकी क्या गारंटी है |
जितेश का लंड रीमा चूत में पूरा का पूरा धंसा हुआ था, दोनों अब जमकर चुदाई करना चाहते थे लेकिन बीच में गिरधारी अड़चन बनकर उनके सारे मूड का सत्यानाश कर देता | रीमा और जितेश दोनों के लिए ये मंद्बुधि अब झेला नहीं जा रहा था | मन कर रहा था उसे उठाकर बाहर फेंक दे |
जितेश कुछ बोलता उससे पहले रीमा ने उसके मुहँ पर हाथ रखकर - अब ये तुम्हे कभी नहीं मारेगे | मेरी कसम | तुमने कहाँ था तुम हमें डिस्टर्ब नहीं करोगे | अब तुम अपना काम करो हमें अपना करने दो |
रीमा की पतली सी मीठी सी मादक आवाज उसे अपने कानो में ऐसी लगी जैसे किसी ने उसे फूल फेंककर मारा हो | वो रीमा की आवाज सुनकर अन्दर तक गनगना गया |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-04-2021, 12:20 PM

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