RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
डॉन मास्त्रोनी, सेठ दीवानचन्द, दशरथ पाटिल और दुष्यंत पाण्डे पर अदालत में मुकदमा चला ।
मुकदमे के दौरान एक बात का और पर्दाफाश हुआ वो यह कि सुपर बॉस डॉन मास्त्रोनी माफिया ग्रुप का एजेंट था और उसे जितनी भी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल होती थी, माफिया ग्रुप के माध्यम से ही हासिल होती थीं ।
उन चारों को अदालत ने उम्र कैद की सख्त सजा सुनायी ।
जगदीश पालीवाल को अपना बेटा मिल गया ।
और डॉली!
☐☐☐
सोनपुर स्थित अपने घर में खामोशी से लेटी थी डॉली ।
मुँह तकिये में छिपा रखा था और उसके अन्तर्मन में उठा ज्वार-भाटा उसे हिचकियां ले-लेकर रोने के लिये प्रेरित कर रहा था ।
वह रोती जा रही थी ।
रोती ही जा रही थी ।
उसकी आंखों के गिर्द राज का चेहरा चक्कर काट रहा था । उसे वह पल याद आ रहे थे, जब राज ने उससे बड़े अनुरागपूर्ण स्वर में कहा था- “मैं तुमसे प्यार करता हूँ डॉली- और कभी-कभी एक सपना भी देखा करता हूँ ।”
“क...कैसा सपना ?” डॉली का दिल धड़क उठा था ।
“यही कि हमारे पास खूब धन-दौलत हो- आगे-पीछे नौकर-चाकर हों- शानदार गाड़ी हो- खूबसूरत घर हो । और...और उस घर में तुम किसी राजकुमारी की तरह रहो ।”
राज के वह शब्द सुनकर डॉली का पूरा अस्तित्व हवा में परवाज़ करने लगा था- उसे यूँ महसूस हुआ था, जैसे सारे जहान की दौलत उसे मिल गयी हो ।
“हे भगवान!” डॉली ने जोर से सुबकी ली- “राज ने आखिर मेरे साथ ऐसा मजाक क्यों किया ? क्यों किया ?”
“उसने तुम्हारे साथ मजाक नहीं किया डॉली ।”
“यह मजाक नहीं तो और क्या था ?” डॉली गुर्रायी- “क्याअधिकार था उसे मेरे सपनों से खेलने का ?”
“यह अधिकार दिया नहीं जाता पागल ।” तभी किसी ने स्नेहसिक्त भाव से डॉली के बालों में उंगलियां फेरी- “यह अधिकार तो खुद-ब-खुद हासिल हो जाता है ।”
डॉली एकदम चौंककर पलटी ।
सामने राज खड़ा था ।
“त...तुम...तुम ।” डॉली हड़बड़ा उठी ।
“किसी महापुरुष ने सच ही कहा है डॉली- हर आदमी की सफलता के पीछे किसी-न-किसी स्त्री का हाथ होता है । आज मुझे यह जो सम्मान मिला- यह जो शोहरत मिली- उसकी एकमात्र हकदार तुम हो- सिर्फ तुम ।”
“य...यह तुम क्या कह रहे हो राज ?”
“जानती हो ।” राज भावुकतावश बोलता चला गया- “इस केस को सॉल्व करने का मुझे जो सबसे बड़ा पुरस्कार मिला है वह तुम हो डॉली- तुम । मुझे आज तुम हासिल हो गयीं- सच्चे दिल से प्यार करने वाली एक पत्नी हासिल हो गयी ।”
“म...मुझे यह सब कुछ एक सपना लग रहा है राज ।”
“नहीं- यह सपना नहीं है ।”
“ल...लेकिन मुझे यकीन नहीं आ रहा ।” डॉली की आवाज कंपकंपायी ।
राज ने फौरन अपने दहकते होंठ डॉली के होठों पर रख दिये- फिर उसे कसकर अपनी बांहों में भर लिया ।
“क्या अब भी तुम्हें यह सब एक सपना ही लग रहा है डॉली ?” वह गरम सांसों के वेग में बोला ।
डॉली खामोश रही ।
उसका शरीर तपने लगा ।
वक्ष उठने-गिरने लगे ।
“ज...जवाब दो डॉली ।” राज की आवाज में मदहोशी थी, बेचैनी थी- “क्या अब भी तुम्हें वह सब एक सपना ही लग रहा है ?”
“नहीं ।” डॉली की आवाज वासना के वेग से कांपी- “नहीं- यह सच है- अ...अटूट सत्य ।”
वह कसकर राज के सीने से लिपट गयी ।
बाहर एक शानदार गाड़ी डॉली का इंतजार कर रही थी ।
एक खूबसूरत जिंदगी उसका इंतजार कर रही थी ।
राज ने उसे जितने भी सपने दिखाये थे- वह आज तमाम सपने पूरे हो चुके थे ।
तमाम सपने !
समाप्त !!
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