Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"आधार कोई विशेष नहीं है लेकिन मेरा दिल कहता है कि जो मैं सोच रही हूं वह सच हो सकता है । जिस घटना से मेरे मन में यह विचार पनपा था, वह मैं आप को सुनाती हूं ।"
"सुनाइये ।"
"एक बार बिन्दु मुकुल को कोठी पर अपने साथ लाई थी और मैंने छुप कर मुकुल को स्टडी करने का प्रयत्न किया था । उसके कुछ ऐसे ऐक्शन मैंने नोट किये थे जो मुझे हिप्पियों के स्वभाव से मेल खाते दिखाई नहीं दिये थे ।"
"जैसे ?"
"वह अपने हिप्पियों वाले बेढंगे परिधान में ही कोठी में आया था और नंगे पांव था । उसके पांव मिट्टी से अटे हुए थे । जब वह ड्राईंग रूम मे प्रविष्ट होने लगा था तो उसने पायदान पर अच्छी तरह रगड़कर अपने पांव साफ किये थे और फिर भीतर प्रविष्ट हुआ था । एक आदमी, जो अपनी फिजिकल अपीयरेंस, पहरावे इत्यादि के प्रति हिप्पियों जितना उदासीन हो, वह भला इस बात की परवाह क्यों करेगा कि उसके मिट्टी से सने पैरों से ड्राईंग रूम में बिछा कीमती कालीन खराब हो जायेगा । फिर मैंने उसे ड्राईंग रूम में अकेले बैठे देखा । वह ड्राईंग रूम में रखी हर चीज को बड़ी प्रशंसात्मक और लालसाभरी निगाहों से देख रहा था । फिर उसने खुद अपने आप पर दृष्टि डाली थी और अपनी बेढंगी उगी दाढी और लम्बे, रूखे बालों को यूं खुजलाया था जैसे उसे अपने आप से भारी विरक्ति हो रही हो । मिस्टर सुनील, उस समय मेरे मन में यह विचार घर कर गया था कि यह आदमी अपनी नेचर की वजह से हिप्पी नहीं था बल्कि किसी मजबूरी की वजह से उस रूप को मेकअप की तरह इस्तेमाल कर रहा था ।"
"शायद आपकी बात सच हो । मैं तो मनोविज्ञान को कोई विशेष समझता नहीं हूं ।"
"लेकिन मुझे दिन-ब-दिन विश्वास होता जा रहा है कि उस आदमी के बारे में जो मैंने सोचा है, वह सच है ।"
"खैर, अगर मान भी लिया जाये कि मुकुल कोई पुराना अपराधी है तो फिर आप क्या करेंगी ?"
"फिर तो काम बड़ा आसान हो जायेगा । फिर तो मैं उसे सीधे-सीधे धमका सकती हूं कि वह बिन्दु का पीछा छोड़ दे वरना मैं पुलिस को उसकी खबर कर दूंगी ।"
"आप उसे ब्लैकमेल करेंगी ?"
"क्या हर्ज है ? मिस्टर सुनील, मैं अपने मृत पति के प्रति यह अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझती हूं कि मैं बिन्दु को गुमराह होने से बचाऊं । बिन्दु ने मुझे कभी मां नहीं माना लेकिन मैंने उसे हमेशा अपनी बेटी माना है । बिन्दु जिस रास्ते पर जा रही है, उसकी ओर से मैं अपनी आंखें बन्द नहीं कर सकती । किसी-न-किसी प्रकार मैंने बिन्दु को बरबाद होने से बचाना ही है । इस सन्दर्भ में धमकी और ब्लैकमेल तो बड़े मामूली काम हैं ।"
"लेकिन अगर वह आप की धमकी में न आया और उसने बिन्दु से शादी कर ली और उसे लेकर भाग गया तो ?"
"बिन्दु अभी नाबालिग है । वह मेरी मर्जी के बिना उससे शादी नहीं कर सकती । अगर वह बिन्दु को लेकर भागा तो मैं एक नाबालिग लड़की को बरगलाने और उसका अगवा करने के अपराध में उसे गिरफ्तार करवा दूंगी । एक बार वह पुलिस के चक्कर में आ गया तो इस बात का मैं पूरा इन्तजाम करवा दूंगी कि वह उसी में फंसा रहे । मिस्टर सुनील, दोहराने की जरूरत नहीं कि मैं रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल की विधवा हूं और इस नगर में रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल के प्रभाव से पुलिस भी बरी नहीं था । मेरी सहायता करना पुलिस अपने लिये सम्मान का विषय समझेगी और यह बात मैंने गर्वोक्ति के रूप में नहीं, केवल आप पर अपनी सामर्थ्य प्रकट करने के लिये कही है ।"
"अगर ऐसी बात है तो आप सीधे पुलिस से ही सहायता का अपील क्यों नहीं करती । पुलिस मुकुल के पिछले जीवन के बखिये ज्यादा अच्छी तरह उधेड़ सकती है ।"
"नहीं ।" - कावेरी नकारात्मक ढंग से सिर हिलाती हुई बोली - "उससे तो बहुत गड़बड़ हो जायेगी । अगर मैंने ऐसा किया और बिन्दु को इसकी खबर हो गई तो वह तूफान खड़ा कर देगी और फिर मेरे और उसके बीच में उत्पन्न हो चुकी घृणा की खाई और चौड़ी हो जायेगी । मैं मुकुल के बारे में एकदम गुप्त रूप से जानकारी हासिल करना चाहती हूं इसीलिये मैं आपके पास आई हूं । मिस्टर सुनील, यह बड़ा नाजुक मामला है । इसे बड़े नाजुक ढंग से हैण्डल करना बहुत जरूरी है ।"
"लेकिन अगर मुकुल आपके सन्देह के अनुसार जरायमपेशा आदमी न निकला तो ?"
"तो फिर मैं उसे रुपये से खरीदने की कोशिश करूंगी । बिन्दु की दौलत के लिये उसे इन्तजार करना पड़ेगा जबकि मैं उसे बिन्दु की दौलत के लिये उसे इन्तजार करना पड़ेगा जबकि मैं उसे बिन्दु का पीछा छोड़ने के लिये तत्काल एक मोटी रकम अदा कर सकती हूं ।"
"अगर आप उसे न खरीद पाईं तो ?"
"क्यों नहीं खरीद पाऊंगी ?"
"शायद वह इसलिये बिकने के लिये तैयार न हो क्योंकि शायद वह बिन्दु से सच्ची मुहब्बत करता हो !"
"फिर तो समस्या ही खत्म हो जायेगी । अगर ऐसा हुआ तो मैं खुद बड़ी खुशी से बिन्दु की शादी उससे कर दूंगी । फिर भला मुझे क्या एतराज होगा ! मिस्टर सुनील, आखिर मैं बिन्दु की दुश्मन तो नहीं । मैं तो केवल गलत किस्म के धनलोलुप व्यक्तियों से उसकी रक्षा करना चाहती हूं । मैं तो मुकुल के इसलिये खिलाफ हूं क्योंकि वह मुझे बिन्दु के प्रति कतई ईमानदार दिखाई नहीं देता । अगर मेरा ख्याल गलत है तो फिर मैं भला उनके रास्ते में रोड़े क्यों अटकाऊंगी ?"
"मैं आपकी बात समझ गया" - सुनील बोला - "मैं मुकुल के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करूंगा ।"
"शुरुआत कब से करेंगे आप ?" - कावेरी ने पूछा ।
"अभी से । इसी क्षण से ।" - सुनील घड़ी पर दृष्टिपात करता हुआ बोला । रात के आठ बजने को थे ।
"ओके दैन ।" - कावेरी उठती हुई बोली - "फिर मैं आपका वक्त बरबाद नहीं करूंगी ।"
सुनील भी उठ खड़ा हुआ ।
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