Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"तुमने क्या मंगाया है ?" - सुनील ने उससे पूछा ।
"हैंडसम ।" - वह सिगरेट का एक लेकर नाक से धुआं निकालती हुई बोली - "जब तुमने बात मर्जी पर छोड़ी है तो फिर चाहे मैंने जहर मंगाया हो । तुम्हें पीना पड़ेगा ।"
"ओके । ओके ।" - सुनील बोला ।
"तुम मैड हाउस में पहली बार आये हो न ?"
"तुम्हें कैसे मालूम ?"
"अगर तुम पहले कभी आये होते तो मैंने तुम्हें जरूर देखा होता ।"
"तुम यहां रोज आती हो ?"
"हां । और वैसे भी अगर तुम यहां के रंग-ढंग जानते होते तो अपने साथ एक गर्ल फ्रैंड लेकर ही आते और सूट पहनकर यहां आने की गलती कभी नहीं करते । हर कोई तुम्हें यूं घूर रहा है जैसे राजमहल में चोर घुस आया हो ।"
"तो फिर क्या पहनकर आता ?"
"कोई भी ऐसी पोशाक जो तुम्हें सबसे बेहूदा लगती हो । जिसे पहनकर तुम्हें घर से बाहर निकलने में भी शर्म महसूस होती हो ।"
"अगली बार ख्याल रखूंगा ।" - सुनील बोला ।
"हां, जरूर ।" - फ्लोरी बोली । उसने सिगरेट का एक और कश लिया और उसे बगल की मेज पर बैठे एक विदेशी हिप्पी की ओर बढा दिया । हिप्पी ने बिना प्रश्न किये सिगरेट ले लिया और उसे अपनी मेज पर पड़ी एक भौंडी-सी ऐश-ट्रे में डाल दिया ।
सुनील ने हैरानी से फ्लोरी की ओर देखा ।
"हमारी मेज पर ऐश ट्रे नहीं है न !" - फ्लोरी बड़े मासूम स्वर में बोली ।
"मैं अपने सिगरेट का क्या करूं ?"
"तुम बचे हुए टुकड़े को बुझाकर अपनी जेब में रख लेना ।"
"गम्भीर हो ?"
"नहीं ।" - फ्लोरी मुस्कराती हुई बोली और उठ खड़ी हुई - "मैं अभी आती हूं ।"
उसने अपने कन्धे का बोझ मेज पर रख दिया, बैग में से चार लिफाफे निकाले और फिर मेजों के बीच में से गुजरती हुई आगे बढ गई ।
सुनील की दृष्टि ने उसका अनुसरण किया ।
वह एक मेज पर रुकी । उसने एक युवती का कन्धा थपथपाया । युवती ने सिर उठाकर उसकी ओर देखा । फ्लोरी ने एक लिफाफा उसकी ओर बढा दिया । युवती ने लिफाफा लेकर खोला । भीतर कुछ तस्वीरें थीं । तस्वीरें उसने अपने साथियों की ओर बढा दीं और फिर उसने अपनी जेब में से कुछ नोट निकालकर फ्लोरी की ओर बढा दिये । फ्लोरी नोट लेकर आगे बढ गई । उसके बाद वह भीड़ में कहीं गुम हो गई ।
सुनील सारे तहखाने में दृष्टि दौड़ाने लगा । मुकुल का जैसा हुलिया कावेरी ने उसे बताया था वैसे हुलिये वाले कम से कम एक दर्जन आदमी वहां मौजदू थे । उस भीड़ में से मुकुल को पहचान पाना बड़ा कठिन काम था । वास्तव में उसके पास तो यह जानने का भी साधन नहीं था कि मुकुल वहां था भी या नहीं ।
सुनील ने अपने सिगरेट का आखिर कश लगाया, उसे मेज के कोने से रगड़ा और जमीन पर फेंक दिया ।
उसी क्षण फ्लोरी वापिस आ गई ।
"तस्वीरों का क्या किस्सा है ?" - सुनील ने पूछा ।
"मैं फोटोग्राफर हूं और ये लोग" - फ्लोरी तहखाने में मौजूद लोगों की दिशा में हाथ घुमाती हुई बोली "नाचते-गाते हुए अपनी तस्वीरें खिंचवाने के शौकीन हैं । बस यही किस्सा है । हर शाम को कम से कम दो सौ रुपये की कमाई हो जाती है ।"
"और फिल्मी पत्रिकाओं के लिये फिल्म स्टारों की तस्वीरें खींचने का धन्धा तुम अब भी करती हो ?"
"हां ।"
"फिर तो पांचों उंगलियां घी में हैं ।"
"वे तो पहले भी थीं । अब मैड हाउस के इस नये धन्धे की वजह से सिर भी कढाई में आ पड़ा है ।"
सुनील हंसा ।
उसी क्षण वेटर वहां पहुंचा ।
उसने चाय की एक केतली, कप, दूध, चीनी और भुने हुए काजुओं की एक प्लेट मेज पर रख दी औ वहां से विदा हो गया ।
फ्लोरी ने दूध और चीनी एक ओर सरकाई और प्यालों में चाय डालने लगी । चाय का एक कप उसने सुनील की ओर सरका दिया और बोली - "पियो ।"
"दूध ! चीनी !" - सुनील बोला ।
"ऐसे ही पियो । यह विशेष प्रकार की चाय है, दूध और चीनी मिलाने से इसका मजा मारा जाता है ।"
"लेकिन..."
"पियो तो । अगर मजा न आये तो दूध और चीनी मिला लेना ।" - वह बोली और अपनी चाय की चुस्कियां लेने लगी ।
सुनील ने अपना कप उठाकर एक घूंट पिया और फिर उसके नेत्र फैल गये ।
"आ गया न मजा !" - फ्लोरी बोली ।
"फ्लोरी !" - सुनील बौखलाये स्वर में बोला - "यह तो..."
"श-श..."
सुनील फौरन चुप हो गया ।
वह चाय नहीं थी । वह कोका कोला मिली हुई विस्की थी जो सूरत में चाय जैसी मालूम होती थी ।
"तुम्हीं ने तो कहा था कि मैं जो मर्जी पिला दूं ।" - फ्लोरी अपना निचला होंठ दांतों में दबाकर बोली ।
"लेकिन मेरा यह मतलब तो नहीं था ।"
"तुम्हारा यह मतलब इसलिये नहीं था क्योंकि तुम्हें यहां ऐसी किसी चीज के हासिल होने की आशा नहीं थी ।"
"यह 'चाय' यहां हर किसी को हासिल है ।"
"नहीं । केवल जाने-पहचाने लोगों को ।"
"और कोई तो गड़बड़ नहीं होती ?"
"नहीं होती ।"
"यहां का मैनेजमैंट इस बात के लिये जिद क्यों करता है कि यहां जो भी आदमी आये अपने साथ गर्ल फ्रेंड लेकर आये ।"
"इस बात को यूं समझो राजा, कि जब हर आदमी अपना खाना साथ लेकर आयेगा तो फिर वह किसी दूसरे की थाली पर क्यों झपटेगा ?"
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