Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"लेकिन कभी-कभी दूसरे की थाली में आपकी अपनी थाली से बढिया खाना भी तो होता है !"
"जिस किसम के लोग यहां आते हैं, वे ऐसे फर्क महसूस नहीं करते ।"
सुनील चुप हो गया और चाय की चुस्कियां लेने लगा ।
उसी क्षण बैंड स्टैण्ड पर एक लड़की प्रकट हुई और जोर से बोली - "बॉयज ! बॉयज !"
तहखाने में काफी हद तक शान्ति छा गई ।
सुनील ने देखा, वह लड़की एक बेहद टाइट पतलून और खुले गले की बुशशर्ट पहने हुए थी । बुशशर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और उसमें से उसके उन्नत वक्ष का पर्याप्त भाग दिखाई दे रहा था । उसके गले में एक संगमरमर के बड़े-बड़े नक्काशीदार मनकों की माला थी और कानों में हाथी दांत के असाधारण आकार के इयरिंग थे । उसके बाल कटे हुए थे ।
"बॉयज !" - वह जोर से बोली - "नाओ, माई मुकुल विल मेक दि सीन वीद ए सांग नम्बर ।"
सुनील सावधान हो गया ।
लोग तालियां और सीटियां बजाने लगे ।
"माई मुकुल !" - सुनील बोला - "क्या मतलब !"
"यह लड़की मुकुल से सादी करने वाली है । इसलिये मुकुल को अपनी प्रॉपर्टी समझती है ।"
"लड़की है कौन ?"
"तुमने रायबहादूर भवानी प्रसाद जायसवाल का नाम सुना है ?"
"उनका नाम किसने नहीं सुना ?"
"यह उनकी लड़की है । बिन्दु ! बाप के मर जाने के बाद उनका नाम रोशन कर रही है । मुकुल नाम के जिस आदमी से कोई घसियारिन भी शादी करने को तैयार न हो, उससे रायबहादुर भवानी प्रसाद जायसवाल की सुपुत्री शादी कर रही है । जितना महान बाप था, उतनी ही बेहूदा लड़की पैदा की है ।"
बिन्दु बैंड स्टैण्ड के कोने पर पहुंची, उसने समीप की मेज पर बैठे एक युवक की ओर हाथ बढा दिया । युवक ने उसका हाथ पकड़ लिया और एक झटके से स्टेज पर चढ आया । बिन्दु सीधी उसकी छाती से जाकर टकराई । उसने बिन्दु की बगल से कमर में हाथ डाला और स्टेज के बीच में पहुंच गया ।
लोग और जोर-जोर से तालियां पीटने लगे ।
"यह मुकुल है ?" - सुनील ने पूछा ।
फ्लोरी ने स्वीकारत्मक ढंग से सिर हिला दिया ।
मुकुल टखनों से ऊंची पतलून और सामने से खुली जैकेट पहने हुए था । उसकी बालों भरी नंगी छाती पर कितने ही कंठे, हार और मालायें लटक रही थीं । उसके चेहरे पर बिखरी हुई दाढी-मूंछ थीं और सिर पर औरतों जैसे ही कन्धे तक लटकते हुए बाल थे । वह पैरों से नंगा था ।
बिन्दु उसके शरीर के साथ और सट गई ।
मुकुल ने हाथ उठाकर लोगों को चुप रहने का संकेत किया ।
लोग धीरे-धीरे चुप हो गये ।
"बॉयज !" - वह जोर से बोला - "माई चिक विल मेक दि सीन विद मी ।"
लोगों ने फिर तालियां बजाकर हर्ष प्रकट किया ।
मुकुल ने बैंड बजाने वालों को कुछ निर्देश दिये और फिर माइक हाथ में लेकर गाने लगा ।
बिन्दु उसके साथ गा रही थी ।
लोग बड़ी तन्मयता से सुन रहे थे ।
"गाता अच्छा है ।" - सुनील फ्लोरी की ओर झुककर बोला ।
"हां ।" - फ्लोरी ने भावहीन ढंग से स्वीकार किया ।
गाना समाप्त हुआ । तहखाना तालियों की आवाज से गूंज उठा और मुकुल से और गाने की फरमायश होने लगी ।
"पांच मिनट बाद ।" - मुकुल जोर से बोला और बिन्दु को साथ लिये बैण्ड स्टैण्ड से उतर गया । वे दोनों उस मेज पर जा बैठे जिस पर से मुकुल उठकर आया था ।
"यह मुकुल है क्या बला ?" - सुनील ने पूछा ।
"एक खुशकिस्मत इन्सान है जिस पर नगर की सबसे खूबसूरत और सबसे अमीर लड़की मरती है ।" - फ्लोरी बोली ।
"लेकिन यह है कौन ?"
"सुनील" - फ्लोरी गम्भीर स्वर में बोली - "दरअसल इसके बारे में कोई भी विशेष कुछ नहीं जानता है । पिछले सात-आठ महीने से ही यह राजनगर में दिखाई दे रहा है । इससे पहले यह अपने कथनानुसार दिल्ली, बैंगलोर, लखनऊ, कलकत्ता और चण्डीगढ वगैरह में रह आया है लेकिन मैंने सुना है कि वास्तव में यह बम्बई का रहने वाला है । और पता नहीं क्यों कभी बम्बई का जिक्र आ जाने पर यह बात को टालने की कोशिश करने लगता है ।"
"और बस ?" - सुनील बोला ।
"और है ही नहीं कुछ ।" - फ्लोरी बोली ।
"वैरी गुड । मुकुल पांच मिनट बाद वाकई आयेगा ?"
"हां ।"
सुनील कुछ क्षण सोचता रहा और फिर फ्लोरी की ओर झुकता हुआ बोला - "स्वीटहार्ट, मेरा एक काम कर दो ।"
"क्या ?"
"अभी जब मुकुल स्टेज पर आये तो मुझे इसकी एक तस्वीर खींच दो ।"
"क्या करोगे ?"
"सवाल मत पूछो । प्लीज ।"
"ओके ।" - फ्लोरी लापरवाही से बोली ।
"क्लोज अप चाहिये ।"
"ऑल राइट । क्लोज अप ही मिलेगा ।"
"थैंक्यू ।"
"मुकुल आ गया ।" - सुनील बोला ।
फ्लोरी ने स्टेज की ओर देखा । उसने अपना कप उठाकर एक ही सांस में खाली किया, अपना कैमरा और बक्से वगैरह को कन्धे पर लादा और उठ खड़ी हुई ।
"तस्वीर मुझे जल्दी चाहिये ।" - सुनील बोला ।
"कितनी जल्दी ?"
"जितनी जल्दी तुम दे सकती हो ।"
"एक घन्टा ।"
"पन्द्रह मिनट ।"
"लेकिन मैंने अभी कैमरे में नई फिल्म डाली है ।"
"कोई बात नहीं । मुकुल के स्नैप के बाद फिल्म निकाल लेना । पैसे मैं दूंगा ।"
"ओके ।"
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