Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 02:32 PM,
#71
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कोई बीस मिनट बाद एक योद्धा और कमाण्डर करण सक्सेना को ‘मंकी हिल’ पर दिखाई पड़ा ।
वह मास्टर था ।
मास्टर ने हंसिया अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बड़ी चौकन्नी अवस्था में उसी तरफ बढ़ा चला आ रहा था ।
मास्टर भी उसकी कैमोफ्लाज किट के करीब से गुजरा । मगर गुजरते-गुजरते वो एक क्षण के लिए ठिठका । कुछ देर वो वहीं किट के आसपास मंडराता रहा और उसके बाद आगे चला गया ।
“लगता है, मास्टर को मेरी यहाँ मौजूदगी का अहसास हो गया है ।” कमाण्डर करण सक्सेना के दिमाग में खतरे की घण्टी बजी ।
और !
बिल्कुल सही सोचा था कमाण्डर ने ।
मुश्किल से एक फर्लांग दूर जाते ही मास्टर ने अपनी उस रिस्टवॉच को ऑन किया । जो वास्तव में ट्रांसमीटर सैट था । फिर वो जल्दी-जल्दी अपने उस ट्रांसमीटर पर आगे गये दोनों योद्धाओं से सम्पर्क स्थापित करने लगा ।
“हैलो-हैलो ! मास्टर स्पीकिंग ।”
“मास्टर स्पीकिंग !”
“यस !” फौरन दूसरी तरफ से एक भारी-भरकम आवाज ट्रांसमीटर पर सुनायी दी- “मैं हवाम बोल रहा हूँ । क्या बात है मास्टर ?”
“मैंने ‘मंकी हिल’ पर कमाण्डर करण सक्सेना को खोज निकाला है हवाम !”
“क... क्या कह रह हो तुम ?”
“मै बिल्कुल ठीक कह रहा हूँ ।” मास्टर बेहद गरमजोशी के साथ बोला- “वह एक कैमोफ्लाज किट के नीचे छिपा हुआ है और इस वक्त मुझसे बस थोड़ा सा फासले पर है ।”
“तुम कहाँ हो ?”
“यहाँ ‘मंकी हिल’ पर जो काली पहाड़ी है, मैं उसी पहाड़ी के पास खड़ा हूँ । तुम दोनों जितना जल्द से जल्द हो सके, यहाँ पहुंचो ।”
“ठीक है, हम अभी वहाँ पहुँचते हैं ।” हवाम व्यग्रतापूर्वक बोला- “तब तक तुम कमाण्डर करण सक्सेना पर पैनी निगाह रखो ।”
“ओके ।”
“और अकेले ही उसके ऊपर हमला करने की बेवकूफी मत कर बैठना ।”
“मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला हूँ ।”
“बेहतर !”
मास्टर ने ट्रांसमीटर बंद कर दिया ।
हंसिया अभी भी उसके हाथ में था ।
हालांकि एक अड़तीस कैलीवर की रिवॉल्वर भी उसकी जेब में पड़ी हुई थी । मगर उस रिवॉल्वर से कहीं ज्यादा भरोसा मास्टर को अपने हंसिये पर था ।
वो पहले की तरह ही चौकन्नी निगाहों से इधर-उधर देखने लगा ।
तभी उसे ऐसा अहसास हुआ, जैसे उसके पीछे कोई है ।
मास्टर झटके से पलटा ।
पलटते ही चौंका ।
कमाण्डर उसके सामने खड़ा हुआ था । कमाण्डर के हाथ में रिवॉल्वर थी, जो उस वक्त उसी के हाथ को घूर रही थी ।
“त... तुम !”
मास्टर को चार सौ चालीस वोल्ट का शॉक लगा ।
“क्यों, मुझे अपने सामने देखकर हैरानी हो रही है मास्टर ।” कमाण्डर मुस्कुराया-“शायद तुम जानते हो, तुम्हारे दोनों साथी तुम्हारी मदद के लिए इतनी जल्दी यहाँ नहीं पहुँचने वाले हैं ।”
“कौन से साथी ?”
“वही, जिनसे तुमने अभी-अभी ट्रासमीटर पर बात की है ।”
“मैंने किसी से बात नहीं की ।”
“लेकिन... ।”
धोखा खा गया कमाण्डर करण सक्सेना !
वह भूल गया, उसका मुकाबला ‘असाल्ट ग्रुप’ के पहले यौद्धा से ही हो रहा है ।
वो बातों में उलझ गया ।
और !
यही मास्टर का उद्देश्य था ।
फौरन ही मास्टर का हंसिया बड़ी अद्वितीय फुर्ती के साथ चला और सीधे कमाण्डर की रिवॉल्वर से जाकर टकराया ।
टन्न !
तेज आवाज हुई और रिवॉल्वर कमाण्डर के हाथ से निकलकर दूर जा गिरी ।
एक ही झटके में वो निहत्था हो गया ।
वह संभलता, उससे पहले ही हंसिया तूफानी गति से फिर चला ।
कमाण्डर की भयप्रद चीख निकल गयी ।
हंसिया इस बार उसकी पतलून फाड़ता हुआ टांग के ढेर सारे गोश्त को काटता चला गया ।
कमाण्डर ने झपटकर अपने दोनों स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिये ।
इस बार वह बिल्कुल नहीं चूका ।
स्प्रिंग ब्लेड निकालते ही उसने झटके के साथ दोनो स्प्रिंग ब्लेडों को मास्टर की तरफ खींचकर मारा ।
किसी हलकाये कुत्ते की तरह दहाड़ा मास्टर ।
दोनों स्प्रिंग ब्लेड सनसनाते हुए उसके कंधों में जा धंसे । उसके दोनों हाथ बेकार होकर रह गये ।
फौरन ही कमाण्डर ने मास्टर के हाथ से उसका हंसिया छीन लिया ।
मास्टर अब बहुत डरा-डरा नजर आने लगा ।
“मैंने सुना है मास्टर !” कमाण्डर हंसिया उसकी आँखों के गिर्द घुमाता हुआ बोला- “कि तुमने अपने इस हंसिये से आज तक बेशुमार औरतों के गुप्तांग फाड़ डालें हैं । मैं समझता हूँ, आज तुम्हें भी इस हंसिये की धार को देख लेना चाहिये कि यह कितनी पैनी है ।”
“न... नहीं ।” मास्टर की रूह कांप गयी- “नहीं ।”
वो भांप गया, कमाण्डर क्या करने वाला है । वो तेजी से पीछे हटा ।
तुरंत कमाण्डर करण सक्सेना ने मास्टर के गुप्तांगों की तरफ हंसिये का प्रचण्ड प्रहार किया ।
मास्टर एकाएक इतने हृदयविदारक ढंग से डकराया कि पूरे जंगल में उसके चीखने की आवाज दूर-दूर तक प्रतिध्वनित हुई ।
उसके गुप्तांग वाले हिस्से से खून का फव्वारा छूट पड़ा ।
मास्टर ने जल्दी से दोनों हाथ अपने गुप्तांगों के ऊपर रख लिये ।
“नहीं, कमाण्डर नहीं ।”
सड़ाक !
हंसिया अपने फुल वेग के साथ फिर चला ।
मास्टर और भी ज्यादा भूकम्पकारी अंदाज में चिल्लाया ।
इस बार हंसिया मास्टर के एक हाथ की सभी अंगुलियों के साथ-साथ उसके अण्डकोष को भी काटता चला गया ।
मास्टर छटपटाने लगा ।
छटपटाते हुए ही उसने अपने दूसरे हाथ से अड़तीस कैलीबर की रिवॉल्वर निकालनी चाही ।
मगर इसकी मोहलत भी उसे नहीं मिली ।
हंसिया फिर द्रुतगति के साथ चला और मास्टर की आधी से ज्यादा गर्दन काटता चला गया ।
मास्टर की गर्दन और गुप्तांग से खून की धारायें छूट पड़ी ।
वह चीखता हुआ पीछे झाड़ियों मे जाकर गिरा ।
गिरते ही उसके प्राण-पखेरू उड़ गये ।
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RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - by hotaks - 05-16-2020, 02:32 PM

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