Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 12:50 PM,
#36
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह अब घर कम ही आता था। उसने अपने ऑफिस में ही ज्यादा वक्त बिताना शुरू कर दिया था। रात रात भर वही रुकता. इसका एक फायदा तो ये हुआ कि उसका बिज़नेस दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहा था। पर नुकसान ये कि अब वो पहले जैसा हसमुंख इंसान नही रहा था।

जयसिंह की पत्नी मधु भी उसकी उदासी का कारण नही जान पायी।जब वो कभी उससे उदासी की वजह पूछती तो जयसिंह बस बिज़नेस का बहाना बना देता। दिल्ली वाली घटना के बाद से ही जयसिंह ने मधु के साथ कभी भी शारीरिक संम्बंध नहीं बनाए थे। हालांकि वो लोग पहले भी महीने में एक या दो बार ही सेक्स करते थे पर अब तो वो भी बिल्कुल बन्द हो चुका था। मधु अपनी तरफ से भी कभी कोशिश करती तो भी जयसिंह का ठंडा रेस्पांस देखकर वो भी ठंडी हो जाती। वो सोचती की शायद बिज़नेस की वजह से जयसिंह की रुचि सेक्स में कम हो गयी है पर उसे क्या पता था कि जयसिंह कौनसी चोट खाये बैठा है।

उधर लाख कोशिशों के बाद भी मनिका के मन मे जयसिंह के प्रति प्रेम दिनोदिन बढ़ता ही गया। उसकी वासना ने उसके दिमाग को पूरी तरह से वश में कर लिया था।

परन्तु उसके मन मे डर था कि

"" उसने इतने महीने तक अपने पिता के साथ जैसा सलूक किया, उसके लिए वो उसे माफ करेंगे ? कहीं इतने महीनों में पापा सब कुछ भूल तो नही गए? कहीं वो बिल्कुल बदल तो नही गए?
क्योंकि अगर वो बदल चुके हैं, और मुझे अब एक बेटी के रूप में देखते है तो मैं किस तरह उनका सामना कर पाऊंगी जबकि मेरा मन उन्हें अपना मानने लगा है ... मैं कैसे उनके सामने जा पाऊंगी, कैसे उनसे बात कर पाऊंगी, कहीं उन्होंने मुझे ठुकरा दिया तो, नहीं नहीं मैं बर्दास्त नही कर पाऊंगी.....मैं किसी भी हाल में अपने पापा को दोबारा पाकर रहूंगी" मनिका यही सब सोचती रहती।

दिनों दिन मनिका की वासना बढ़ती जा रही थी। मनिका 1 साल से अपने घर नही गयी थी ताकि उसे अपने पापा का सामना न करना पड़े। पर अब वो जल्द से जल्द घर जाना चाहती थी। लेकिन उसे मौका ही नही मिल पा रहा था।
दिन ऐसे ही कटते गए,पर न तो मनिका को घर जाने का मौका मिला और ना ही इस दौरान उसकी जयसिंह से बात हो पाई। उसने एक दो बार कोशिश भी की जयसिंह से बात करने की पर मोबाइल में नम्बर डायल करने के बाद भी कभी वो कॉल न कर पाती और तुरन्त काट देती।

दिसम्बर के महीने में उसके सेमेस्टर एग्जाम थे। इस बार उसका ध्यान पढ़ाई पे कम ही था, इसलिए उसके एग्जाम भी ज्यादा अच्छे नहीं हुए पर उसे इस बात की ज़रा सी भी परवाह नही थी। वो तो ये सोचकर खुश थी अब उसकी 1 महीने की छुट्टियाँ पड़ने वाली थी।

उसने लास्ट पेपर खत्म होते ही होस्टल जाकर सीधा मोबाइल निकाला और अपनी मम्मी को फ़ोन किया-

मनिका - हेलो, मम्मी ,मैं मनिका बोल रही हूं

मधु - हां मणि , कैसी है बेटा, आज तेरा लास्ट पेपर था ना, कैसा हुआ पेपर ?

मनिका - पेपर तो ठीक ही हुआ है मोम

मधु - अच्छा तो अब दोबारा कब शुरू होगी तेरी क्लासेस

मनिका - क्या मम्मी ,अभी तो पेपर खत्म हुए है और आप अभी से मुझे दोबारा क्लासेज के बारे मे पूछ रहे हो।

मधु - तो क्या करूं, तुम तो घर आती नही जो मैं तुमसे छुट्टियों के बारे में पूछुं। तुम तो दिल्ली जाकर ऐसी रम गई हो कि घर आना ही नही चाहती

मनिका - सॉरी मम्मी, पर इस बार मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी


मधु(खुश होते हुए) - मतलब तू घर आ रही है

मनिका - हाँ मम्मी , और इस बार मैं एक महीना रुकने वाली हूं.

मधु ने जब ये सुना तो वो तो खुशी के मारे फुले ना समाई।

मनिका - मम्मी आप मेरी कल की ही ट्रेन की टिकट करा दो,

मधु - हाँ बेटा, मैं अभी तुम्हारे पापा से कहकर टिकट करवाती हूँ
और तू कल आराम से आना, मैं तुझे लेने तेरे पापा को भेज दूंगी।

मनिका - ok मम्मी, bye


जब मनिका ने अपने पापा का नाम सुना तो उसके बदन ने एक जोर की अंगड़ाई ली और उसका शरीर गरम होने लगा।
इसे अपनी पेंटी थोड़ी गीली सी महसूस हुई।
वो मन ही मन सोचने लगी कि वो अपने पापा का नाम सुनकर ही गीली हो गई तो जब कल वो उसे लेने स्टेशन पर आएंगे तो क्या होगा।
वो अपनी ही सोच से शर्मा उठी। अब बस उसे कल का इंतज़ार था।

रात को जब जयसिंह घर आया तो डिनर की टेबल पर मधु उससे बोली

मधु - सुनिए, आज मणि के सारे पेपर खत्म हो गए है, उसकी 1 महीने की छुट्टियां हैं, इसलिए वो घर आ रही है , मैन आपको दिन में फ़ोन किया था ,पर आपका फ़ोन बन्द आ रहा था, इसलिए मैंने खुद ही उसकी ट्रैन की टिकर कर कर उसे मेसेज कर दिया है।

जयसिंह ने जब ये सुना कि मनिका 1 साल बाद कल घर आ रही है, तो उसके मुंह का निवाला गले मे ही अटक गया, और वो जोर जोर से खांसने लगा।

मधु ने उसे पानी दिया और बोली

मधु - मुझे लगता है कि मणि के आने की बात सुनकर खुशि से आपका निवाला गले मे ही अटक गया है,

और ये बोलकर वो हसने लगी। उसके साथ साथ उसकी छोटी बेटी कनिका ओर बेटा भी हसने लगे।

उनको यूँ हसता देख जयसिंह भी बेमन से मुस्कुरा दिया पर उसके मन मे एक अजीब सा डर बैठ गया था।


वो सोचने लगा " मैं मणि का सामना कैसे कर पाऊंगा, कैसे मैं उससे अपनी नज़रे मिला पाऊंगा, अब तक तो मैं मधु को झूठ बोलता था कि मैं मणि से बातें करता रहता हूँ पर उसके सामने मैं कैसे उससे बातें कर पाऊंगा, मेरी पुरानी गलती की सज़ा मैं अब तक भुगत रहा हूँ, मैं अपनी ही बेटी की नज़रों में गिर गया हूँ, अगर अब कुछ गलत हो गया तो कहीं मैं सबकी नजरों में न गिर जाऊं, नहीं नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, मैं मणि से जितना दूर हो सके रहूंगा ताकि मुझसे कहीं दोबारा कोई गलती न हो जाये "

जयसिंह यही सोचते सोचते पहले ही परेशान था कि मधु ने उस पर एक और बम फोड़ा

मधु - आप कल मणि को रिसीव करने स्टेशन चले जाना, उसकी ट्रैन शाम 5 बजे यहां पहुंच जाएगी

अब जयसिंह को मारे डर के पसीना निकलने लगा, वो तो मणि के सामने आने से भी बचना चाहता था और अब मधु तो उसे स्टेशन भेज रही थी मणि को पिक अप करने

जयसिंह सकपका कर बोला - नही मधु, मैं नही जा सकता, कल मेरी बहुत ज़रूरी मीटिंग है, तुम खुद ही उसे रिसीव करने चली जाना

मधु - आप तो हमेशा ही बिज़ी रहते हो, कभी तो घर परिवार का ख्याल किया करो, पैसे बनाने के चक्कर मे आप तो हमे जैसे भूल ही गये हो

जयसिंह - plz मधु समझा करो ना ,ये सब मैं तुम लोगो के लिए ही तो कर रहा हूँ

मधु - पर ऐसा भी क्या बिज़नेस की घर परिवार को ही समय न दे सको, पहले भी तो अच्छा चलता था बिज़नेस, पर पहले आप कितने खुशमिज़ाज़ हुआ करते थे और अब तो बिल्कुल ही.....
मधु को सचमुच गुस्सा आने लगा था

बात आगे बढ़ती इससे पहले ही जयसिंह वहां से उठा और हाथ धोकर सोने के लिए चला गया।मधु भी बेचारी हारकर चुप हो गई।

इधर मनिका अपने होस्टल में कल के लिए पैकिंग कर रही थी । वो बड़ी खुश थी कि " कल उसके पापा उसे स्टेशन पर लेने आएंगे। वो उन्हें 1 साल के बाद देखेगी, पर उनसे कहेगी क्या ?"

"वो सब बाद में देखा जाएगा" मनिका खुद ही अपने सवाल का जवाब देते हुए सोचने लगी।

वो पैकिंग कर ही रही थी कि उसकी नज़र अपनी अलमारी में रखे उन ब्रा पेंटी पर पड़ी जो उसके पापा ने उसे दिलाये थे, नफरत ओर गुस्से की वजह से उसने आज तक इनको पहना ही नहीं था, पर आज इनको सामने देखकर उसका रोम रोम रोमांचित हो उठा,
वो उन ब्रा पैंटी को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी, धीरे धीरे उसका शरीर गरम होने लगा, उसने तुरंत अपनी स्कर्ट उठाकर अपनी प्यारी सी पुसी पर अपनी अंगुलियां घुमाना शुरू कर दी।
वो मन ही मन उस पल को सोचने लगी जब उसने जयसिंह के काले लम्बे डिक को पहली बार देखा था, ऐसे ही सोचते सोचते उसके शरीर मे एक सिहरन सी दौड़ गयी और वो " ओह्हहहहहह पापा , आई लव यू" कहते हुए भलभला कर झड़ गयी।

कुछ देर बाद उसके वासना का तूफान शांत होने के बाद उसने शरम के मारे अपने मुंह को अपने हाथों से छिपा लिया। उसने वो ब्रा पैंटी भी अपने बैग में डाल ली।

जब उसकी पैकिंग खत्म हो गयी तो वो कल जयसिंह से मिलने के सपने संजोते हुए नींद के आगोश में चली गई।
Top
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी - by sexstories - 01-02-2020, 12:50 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,571,035 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,335 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,262,899 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 954,855 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,693,600 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,114,490 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,009,558 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,250,982 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,100,937 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,599 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)