Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
07-28-2018, 12:57 PM,
#36
RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
उसे अपनी पैंटी के अंदर गीला पन महसूस होने लगा था…पूरा शरीर थरथर कांप रहा था…वो कभी मस्ती मे अपने सर को इधर उधर पटकती तो, कभी अपने होंटो को अपने दाँतों के बीच मे चबाने लगती….तभी किरण का ध्यान विनय के फूले हुए शॉर्ट्स की तरफ गया. तो किरण अपनी पलकें झपकाना भी भूल गयी….विनय का लंड उसकी शॉर्ट्स मे विशाल उभार बनाए हुए था….जिससे उसके लंड की लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था.

किरण तो मानो जैसे साँस लेना भी भूल गयी हो…वो अपनी मदहोशी भरी आँखो से विनय के शॉर्ट्स मे बने हुए टेंट को देख रही थी. तभी उसे अंजू की कही हुई एक-2 बात उसके दिमाग़ मे कोंधने लगी. मानो जैसे अंजू की बताई हुई कहानी संजीव हो होकर उसकी आँखो के सामने आ गयी हो…किरण को अपनी चूत मे तेज कुलबुलाहट होती हुई सॉफ महसूस होने लगी थी…उसके हाथो की उंगलियाँ बेखयाली से विनय के सर के बालो मे थिरक रही थी…क्या विनय सच में मेरे जिस्म का लमस पाकर कर गरम हो गया है…क्या विनय का लंड सच मे मेरे बदन की गरमी से खड़ा हुआ है. क्या विनय सच में मेरे बारे में ऐसा कुछ सोचता है…जिसकी कल्पना भी कभी मेने नही की….

ये सब सवाल किरण के मन में एक -2 करके कोंध रहे थे….पर इनका जवाब खुद किरण के पास नही था. जवाब सिर्फ़ विनय के पास था. पर अब किरण विनय से जाने तो कैसे जाने…विनय की तो छोड़ो, अगर विनय सच मे मुझे एक औरत की तरह देखता है, तो क्या मुझे आगे बढ़ कर उससे संबंध बना लेने चाहिए…कम से कम इस तरसती चूत को एक लंड तो मिल जाएगा…..छि ये मैं क्या सोच रही हूँ…..विनय मेरे बेटे जैसा है. वो क्या सोचेगा…..मेरे बारे मे…. क्या सोचेगा अगर वो खुद ही यही चाहता हो….बेटे जैसा है…पर बेटा तो नही…किरण तू किस जमाने मे जी रही है….आज कल तो ये आम बात है…वो देहातन अंजू ने भी तो अपने भानजे के साथ….

तभी किरण को अहसास हुआ, कि, विनय उसकी गोद मे लेटा-2 सो गया है. उसने विनय को सीधा करके बेड पर लिटा दिया…और उसके चेहरे की ओर देखा….अभी भी उसके चेहरे पर वही मासूमियत झलक रही थी. जिस पर किरण अपनी जान छिढ़कती थी….फिर वो अपने आप को उसकी शॉर्ट्स की तरफ देखने से ना रोक पाए…पर अब वहाँ कोई उभार नही था…विनय के साथ-2 उसका लंड भी सो चुका था…..उसने विनय के माथे पर प्यार से चूमा और फिर खड़ी होकर बाहर आई….”यी वशाली भी ना अभी तक नही आई….” किरण ने झुनझूलाते हुए कहा….

और फिर गेट खोल कर बाहर गयी…रिंकी का घर उनके घर के सामने ही था….उसने वहाँ जाकर डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद रिंकी ने डोर खोला वशाली भी उसके साथ मे ही थी….”तुझे घर नही आना क्या. देख कितना टाइम हो गया है…?” किरण ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए कहा….”आंटी मैं घर अकेली हूँ…वशाली को यही रहने दो ना. हम यही घर के अंदर ही तो है…गेट भी बंद कर रखा था….” रिंकी ने किरण की मिन्नत सी करते हुए कहा…..

किरण: अच्छा ठीक है…पर अब शाम को ही आना…मैं सोने लगी हूँ. नींद मत खराब करना गेट खटका कर….

वशाली: जी मम्मी….

जैसे ही किरण मूडी रिंकी ने फिर से गेट बंद कर लिया….किरण वापिस अपने घर मे घुसी और गेट बंद करके, अपने रूम मे चली गयी… जहा विनय उसके बेड पर आराम से सो रहा था…विनय को देखते ही, वही सब उसके दिमाग़ मे फिर से घूमने लगा….
किरण ने वो सब अपने दिमाग़ से निकालने की बहुत कॉसिश की, पर हर बार दिमाग़ की सुई वही आकर अटक जाती. फिर किरण ने मन ही मन एक फैंसला किया…और वो अब ये जानना चाहती थी कि, आख़िर विनय के मन मे है क्या…और ये जानना इतना आसान नही था…ये सब जानने के लिए किरण को अपनी कुछ मर्यादाओं को लंगाना ज़रूरी था….फिर उसने सब कुछ ताक पर रख दिया….किरण बेड पर आकर लेट गयी…उसने अपनी पीठ विनय की तरफ कर ली…और फिर बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने पेटिकोट को अपने चुतड़ों तक ऊपेर उठा लिया….और फिर अपनी पेंटी नीचे सरकाते हुए, अपने बदन से अलग करके वही बेड के बिस्तर के नीचे रख डी. 

और फिर अपनी गान्ड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर विनय की तरफ पीठ करके लेट गयी…पर विनय तो गहरी नींद मे था..और अब किरण को इंतजार था विनय के उठने का….वो जानना चाहती थी कि, विनय जब उठेगा तो, उसे इस हालत में देख कर उसका क्या रियेक्शन होगा…क्या वो कुछ करेगा. या नही करेगा….पर ये सब तब पता चले…जब विनय नींद से बाहर आए…इसीलिए वो वैसे ही करवट के बल लेटी रही…इंतजार के सिवाए और वो कुछ कर भी नही सकती…पर इंतजार इतना लंबा हो गया की, उसे नींद आने लगी…और फिर किरण को आख़िर नींद ने अपने घेरे मे घेर ही लिया…

दूसरी तरह शाम के करीब 4:30 बजे विनय की नींद खुली….उसने अपनी आँखे खोली और अपने आप को मामी के रूम मे पाया….लाइट बंद थी. डोर भी बंद था…इसीलिए बहुत कम रोशनी थी रूम मे…पर इतनी थी. कि रूम मे आसानी से देखा जा सकता था….विनय को अब हल्का हल्का दिखाई देने लगा तो, उसने अपनी नज़र उस तरफ घुमाई…..जिस तरफ उसकी मामी लेटी हुई थी….जैसे ही उसके नज़र करवट के बल लेटी हुई अपनी मामी पर पड़ी तो, विनय की साँसे मानो उसके हलक मे ही अटक गयी हो. उसकी आँखो की पुतलियाँ ऐसे फेल गयी….जैसे उसने अपने सामने किसी अजीब सी चीज़ को देख लिया हो….

सामने उसकी मामी उसकी तरफ पीठ किए हुए करवट के बल लेटी थी…. उसकी मामी ने ब्लॅक कलर की प्रिंटेड साड़ी और ब्लॅक कलर का बहुत ही पतला सा ट्रॅन्स्परेंट ब्लाउस पहना हुआ था. यहाँ तक की उस ब्लाउस के नीचे पहनी हुई किरण की ब्लॅक कलर की ब्रा भी सॉफ नज़र आ रही थी. उसकी साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर तक ऊपेर चढ़ा हुआ था…किरण के मोटे और बड़े-2 चुतड़ों को एक दम नंगा देखा, मानो जैसे विनय को साँप सूंघ गया हो…वो कुछ पल बिना पलकें झपकाए अपने सामने मनमोहक और कामुक नज़ारे को देखता रहा….उसके बदन मे तेज झुरजुरी दौड़ गयी….

फिर उसने घबराते हुए रूम मे चारो तरफ देखा, वशाली अभी तक रिंकी के घर से नही आई थी…मामी की मोटी गदराई हुई गान्ड देख उसके लंड ने शॉर्ट के अंदर अपना आकार लेना शुरू कर दिया था… और उसने सिसकते हुए, जैसे ही अपने लंड के ऊपेर हाथ रखा तो, उसके लंड ने ऐसा जबरदस्त झटका खाया कि, विनय का हाथ भी उसके लंड पर से छिटक गया. उसका दिमाग़ एक दम सुन्न हो चुका था…उसे ना की कुछ सुनाई दे रहा था…और ना ही कुछ समझ आ रहा था….किरण के नंगे चुतड़ों को देख तो 80 साल के बूढ़े का लंड भी खड़ा हो जाता.

उसके दिल की धड़कने तेज होकर इस बात की गवाही दे रही थी….कि उस समय विनय किस हद तक एग्ज़ाइटेड हो चुका था….दिल धक धक करता हुआ सीना फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था…उसके हाथ पैर, और यहाँ तक कि उसका पूरा बदन मामी के चुतड़ों को देखते हुए मारे रोमांच के कांप उठा था…उसे अपने गाले का थूक भी गटकना मुस्किल हो रहा था….वो चुप चाप धीरे-2 बिना आवाज़ किए किरण की तरफ मूह करके करवट के बल फिर से लेट गया…फिर धड़कते दिल के साथ कुछ देर इंतजार किया…और फिर थोड़ा सा घबराते हुए मामी की तरफ खिसका….फिर रुका और फिर से मामी की तरफ खिसका…और इस बार वो मामी के बदन के इतना करीब था कि, उसे मामी के गदराए हुए बदन से उठती हुई तपिश भी सॉफ महसूस होने लगी थी…..

विनय को ऐसा लगने लगा था कि, सिर्फ़ मामी के बदन की गरमी से उसका लंड पिघल जाएगा…और पानी छोड़ देगा….पर फिर भी विनय किसी तरह मैदान मे डटा रहा….वो कभी अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाता तो, कभी अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी मे कसकर दबा लेता….फिर उसने कुछ पलों के इंतजार के बाद अपने काँपते हुए हाथ को उठाया और किरण की नंगी कमर पर रख दिया…किरण तो बेचारी इसी का इंतजार करते-2 सो गयी थी….मामी की नंगी कमर को छूते ही, उसके बदन में मानो बिजली सी कोंध गयी हो….

उसने साँसे तेज हो चली थी….उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी थी….जब उसके नथुनो से हवा बाहर निकलती तो, उसकी आवाज़ भी उस रूम मे सॉफ सुनाई देती….फिर उसने अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को आगे की तरफ सरकाना शुरू किया….इंच दर इंच वो धीरे-2 अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को सरकाता हुआ आगे ले जाता रहा…और फिर जैसे ही उसका लंड शॉर्ट्स के ऊपेर से मामी के नंगे चुतड़ों पर टच हुआ, तो उसका पूरा बदन कांप गया…..दिल की धड़कने मानो जैसे थम गयी हो. उसने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए, अपने सर को हल्का सा उठा कर किरण के फेस की तरफ देखा….

और फिर जब विनय को पूरा यकीन हो गया कि, मामी गहरी नींद में है…..तो उसने अपने सर को वापिस नीचे रख लिया….विनय ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए, अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ा और फिर थोड़ा सा डरते हुए, अपने लंड को पकड़ कर किरण की गान्ड की दरार मे घुसाते हुए रगड़ने लगा….”अहह” विनय हल्का सा सिसक उठा. उसका लंड अब एक दम लोहे की रोड की तरह तन कर खड़ा था….वो शॉर्ट्स के ऊपेर से अपने लंड को किरण के चुतड़ों की दरार मे रगड़ कर मदहोश हुआ जा रहा था…..

पर आज मोका इतना अच्छा था कि, विनय उसे अपने हाथ से जाने नही देना चाहता था…वो थोड़ा सा पीछे की तरफ खिसका. और फिर अपने शॉर्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाला….और फिर से पहले वाली पोज़िशन मे आ गया….कुछ पलों के इंतजार के बाद उसने फिर से अपने लंड को किरण के चुतड़ों की दरार मे रगड़ा…तो इस बार उसका लंड किरण की दरार मे सरकता हुआ, उसकी गान्ड के छेद पर जा लगा….”विनय की तो आत्मा अंदर तक हिल गयी….उसे अपने लंड के सुपाडे पर तेज सरसाहट महसूस हुई…

और अगले ही पल विनय की आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी…उसने अपने लंड से हाथ हटाया, और किरण की कमर को उसी हाथ से कसते हुए उससे एक दम चिपक गया…मामी के बदन के सुखद अहसास से विनय एक दम मदहोश हो गया था….वासना ने डर का जैसे दमन कर दिया था. और वासना के आवेश में विनय सब कुछ भूल बैठा था…वो धीरे-2 अपनी कमर को हिलाने लगा…उसके लंड का सुपाडा जब किरण की गान्ड के छेद पर रगड़ ख़ाता तो, उसका पूरा बदन सिहर जाता….

“किरण ने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर विनय की जाँघ पर रखा हुआ था. वो अपने पीछे लेटे हुए विनय की जाँघ पर हाथ रखे अपनी गान्ड पीछे की ओर दाखेल रही थी…विनय का लंड उसकी गान्ड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था…जब विनय अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद से बाहर खेंचता तो, किरण भी अपनी गान्ड को आगे की तरफ सरकाती. और फिर जब विनय अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद मे चांपता, तो वो भी अपनी गान्ड विनय की तरफ पीछे की ओर धकेल्ती…जिससे विनय की जाँघो की जडे उसके चुतड़ों से आकर चिपक जाती…”ओह्ह्ह्ह उंह श्िीीईई विनय ओह्ह्ह……” तभी उसकी चूत मे तेज रिसाव होने लगा….आनंद चरम पर पहुँच गया….चूत से निकले पानी से उसकी काली घनी झन्टे एक दम से चिपचिपा गयी…

और फिर किरण एक दम से उठ कर बैठ गयी….उसकी साँसे उखड़ी हुई थी…उसने बेड पर नज़र मारी…पर वहाँ कोई नही था..उसकी साड़ी और पेटिकोट अभी तक उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था….किरण ने अपनी आँखो को सॉफ किया…उबासी ली….”ओह्ह ये तो सपना था….” किरण अपने आप मे ही बुदबुदाई…फिर तभी उसके दिमाग़ मे आया कि, विनय भी तो यही सोया था…और अचानक से उसे ये सपना कैसे आ गया…क्या विनय ने उसके चुतड़ों को देख कर कुछ किया था…या फिर उसने देखा ही ना हो….
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