RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
सुबह मेरी आँख खुली और मैं फ्रेश होकर बाहर निकली चाय पी और ब्रेकफास्ट तैयार करने लगी. कोमल एकदफ़ा किचन में आई मगर ना तो मैने उस से बात करने की कोशिश की और नही उसने मुझ से कोई बात की. मैने ब्रेकफास्ट रेडी करके डाइनिंग टेबल पे रखा और सभी ने ब्रेकफास्ट किया और फिर सभी अपने-2 रास्ते निकल गये.
मैं आकर अपने रूम में आराम करने लगी. मैं आकर अभी बैठी ही थी कि मेरे मोबाइल बज उठा. मैने नंबर देखा तो करू भाभी का था. मैने झट से कॉल पिक की और हेलो कहा फिर उधर से आवाज़ आई.
करू-ओये स्वीतू कैसी है तू.
मे-मैं ठीक हूँ भाभी आप बताओ आप कैसी हो और मम्मी-पापा और भैया कैसे हैं.
करू-अरे स्वीतू हम सब ठीक हैं. मुझे तो लगता है तू हमे भूल ही गई.
मे-भाभी कैसी बात करती हो आप.
करू-जब से ससुराल गई है ना कोई मुलाक़ात ना कोई फोन करण के साथ ही चिपकी रहती है क्या.
मे-भाभी ऐसा कभी हो सकता है की मैं आप सब को भूल जाऊं.
करू-तो फिर बता कब आ रही है हमसे मिलने.
मे-कहो तो आज ही आ जाऊं.
करू-सच बोल रही है तू.
मे-अरे भाभी आप बस खाने पीने का इंतज़ाम करो रेहान के आते ही मैं आ जाउन्गी.
करू-अरे उस लफंदर के साथ क्यूँ. करण कहाँ है.
मे-वो सब मैं आकर बताउन्गी और हां मम्मी पापा और भैया को मत बताना कि मैं आ रही हूँ.
करू-ओके स्वीतू.
मैने फोन रखा और रूम से बाहर आई तो देखा मम्मी जी किचन से निकल रही थी. मैने मम्मी से जाने का पूछा तो उन्होने हां कर दी और रेहान के साथ जाने को कहा.
मैं वापिस अपने रूम में आई और रेडी होने के लिए अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैने मोबाइल उठाया और रेहान का नंबर मिला दिया.
रेहान-हां भाभी बोलो क्या बात है.
मे-कहाँ हो.
रेहान-कॉलेज. कोई काम था क्या.
मे-मुझे आज मम्मी पापा से मिलने जाना है और तुम मुझे वहाँ छोड़ आओगे ना प्लीज़.
रेहान-अरे भाभी ये प्लीज़, सॉरी, थॅंक यू जैसे वर्ड करण भैया के लिए बचा कर रखो हम तो आपकी फ्री में सेवा करने वाले है अब सेवा चाहे कैसी भी हो.
मे-ओके तो जल्दी आओ.
रेहान-बस 10मिनट में आया भाभी जान.
मोबाइल साइड पे रखकर मैं नहाने चली गई और नहा कर बाहर आई और मैने पिंक ब्रा न्ड पैंटी पहन ली. मैं शीशे में खुद को देख रही थी कि एकदम से मेरे रूम का डोर ओपन हुआ मुझे याद आया मैने डोर लॉक नही किया था.
मेरी पीठ दरवाज़े की और ही थी इसलिए पक्का था जो भी दरवाज़ा खोलकर अंदर आया होगा उसने पिंक पैंटी में क़ैद मेरे गुदाज़ नितंबों के दीदार ज़रूर किए होंगे. मैने झट से पीछे घूम कर देखा तो हड़बड़ा गई क्यूंकी रेहान मेरे सामने खड़ा था और आँखें फाड़ कर मुझे पैंटी और ब्रा में देख रहा था. पहले उसकी तरफ पीठ होने की वजह से यहाँ मेरे नितंबों के दर्शन उसने किए थे वहाँ अभी मेरा चेहरा उसकी तरफ हो जाने की वजह से मेरी ब्रा में क़ैद मेरे गोरे-2 उरोज उसके सामने थे. जैसे ही मुझे एहसास हुआ की मैं रेहान के सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी हूँ तो एकदम मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई और मैं इधर उधर कुछ ढूँडने लगी ताकि अपना जिस्म उसकी निगाहों से छुपा सकूँ जब मुझे कुछ दिखाई नही दिया तो मैं भाग कर फिरसे वॉशरूम में घुस गई और अंदर से कहा.
मे-तुम यहाँ क्या कर रहे हो.
रेहान-व.वो भाभी अपने बुलाया था.
मैं वॉशरूम के दरवाज़े के साथ पीठ सटाये खड़ी थी और अपनी छाती पे हाथ रखकर अपनी उखड़ी सांसो को कंट्रोल करने में लगी थी. मैं अपने आप को संभाला और कहा.
मे-तुम बाहर वेट करो मैं रेडी होकर आती हूँ.
रेहान-ओके भाभी.
थोड़ी देर बाद मैं बाहर निकली तो झट से फिर अंदर घुस गई क्यूंकी रेहान अभी भी रूम में ही खड़ा था.
मैं गुस्से से कहा.
मे-तुम गये क्यूँ नही.
रेहान-वो भाभी आपको सॉरी बोलने के लिए रुका हुआ था.
मे-ओक जल्दी बाहर जाओ.
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