Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:10 PM,
#31
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
हमारे होंठ एक दफ़ा जुड़े तो अलग होने का नाम ही नही लिया. ना तो करण मेरे होंठ छोड़ रहा था और नही मैं करण के होंठ छोड़ रही थी. आज मुझे जितना मज़ा आ रहा था पहले कभी नही आया था. शायद आज हमारे चुंबन में हमारे प्यार का रस घुला हुआ था. हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए बेड के उपर लेट गये थे. करण अब घूम कर मेरे उपर आ गया था और मेरे चेहरे को थाम कर मेरे होंठों का रस चूस रहा था. करण ने अपने होंठ मेरे होंठों से हटाए और मेरी आँखों में देखने लगा. मैने अपनी आँखें शरम से दूसरी और कर ली. वो मेरी गुलाबी गालों को चूमता हुआ कहने लगा.
कारण-तुम बहुत सुंदर हो रीत. मैं बहुत खुश हूँ तुम्हारे जैसी गिर्ल्फ्रेंड पाकर.


जैसे ही उसने दुबारा अपने होंठ मेरे होंठों पे टिकाने चाहे तो मैने उसे मुस्कुराते हुए अपने उपर से एक साइड को फेंक दिया और जल्दी से उठ कर खड़ी हो कर भागने लगी तो करण ने भी उठते हुए मेरा हाथ पकड़ा और वापिस मुझे अपनी तरफ खींचा. खीचने की वजह से मैं वापिस करण की तरफ आई और सीधा आकर उसकी गोद में बैठ गयी. अब करण बेड के नीचे टाँगें लटकाकर बैठा था और मैं एक साइड से उसकी गोद में बैठी थी. उसकी जांघों के उपर मेरे नितंब थे और उसका लिंग मुझे अपने लेफ्ट नितंब की साइड पे महसूस हो रहा था. वो अपनी गरम साँसें मेरी गर्दन पे छोड़ता हुआ बोला.
करण-तो हमारी जान सुंदर तो है ही और साथ ही साथ शैतान भी है.

मैने मुस्कुराते हुए अपनी बाहें उसके गले में डालते हुए कहा.

मे-शैतान हम नही आप हो जनाब. अकेली जवान लड़की देखकर शुरू हो गये आप.

करण-अरे भाई वो अकेली जवान लड़की कोई और नही हमारी होने वाली बीवी है.

जैसे ही मैने बीवी शब्द उसके मूह से सुना तो सचमुच मुझे बहुत खुशी हुई और अपनी खुशी कंट्रोल ना करते हुए मैने खुद ही अपने होंठ करण के होंठों के हवाले कर दिए. करण के हाथ अब मेरी जांघों पे घूमने लगे. मैने अपनी जांघों को भींच रखा था. मेरी योनि ने मेरी पैंटी को गीला करना शुरू कर दिया था. करण का हाथ अब मेरी योनि की तरफ बढ़ रहा था. जैसे-2 उसका हाथ नज़दीक आ रहा था मेरी धड़कने बढ़ती जा रही थी. अब उसका हाथ धीरे-2 मेरी योनि को पाजामी के उपर से मसल्ने लगा था. वो मेरी योनि मसल रहा था और उसका असर मेरे होंठों में हो रहा था. क्योंकि मैं उत्तेजित होकर गरम्जोशी से अपने होंठ उसके होंठों से चुस्वा रही थी. अब करण के हाथ मेरी पाजामी के नाडे के उपर पहुँच चुके थे. मैने उसके हाथों को थाम कर कहा.
मे-देखो अब कॉन कर रहा है शैतानी.

करण ने मेरे हाथ पकड़ कर अपने गले में डाले और कहा.
करण-जान शैतानी आज नही तो कल होनी तो है ही तो क्यूँ ना शुभ काम आज ही किया जाए. मौका भी अच्छा है और माहौल भी.

फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पे रख दिए और अपने हाथ नीचे लेजा कर मेरा नाडा खोल दिया. अब मैं भी अपने हाथ विरोध में नीचे नही ले जा पाई. भले ही मैं पहले भी आकाश और तुषार के साथ ये खेल खेल चुकी थी मगर फिर भी करण के साथ मुझे बहुत शरम आ रही थी. करण का हाथ जैसे ही मेरी पाजामी और पैंटी में घुस कर मेरी योनि के उपर लगा तो मेरा पूरा शरीर काँप उठा और मैं झटके के साथ उठ कर करण की गोद में से खड़ी हो गई और अपनी पाजामी को पकड़ कर भाग कर उस से दूर हो गई और उसे उंगूठा दिखाकर छिडाने लगी. करण भागता हुआ मेरे पास आया मैं भी तेज़ी से पीछे हटी मगर ज़्यादा पीछे नही हट पाई और दीवार के साथ जाकर सट कर खड़ी हो गयी. मैने अपनी पाजामी को हाथ में ही पकड़ रखा था. करण मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठ फिरसे अपने होंठों में क़ैद कर लिए. उसके हाथ मेरी पीठ के उपर से नीचे जाने लगे और मेरे नितंबों के उपर जाकर रुक गये. उसने अपने हाथ थोड़े उपर किए और फिर उन्हे मेरी पाजामी और पैंटी के अंदर कर दिया. अब उसके हाथ मेरे नंगे नितंबों के उपर थे और वो मेरे नंगे नितंबों को ज़ोर-2 से मसल्ने लगा. मैं अपनी पाजामी का नाडा बांधना चाहती थी मगर जब तक उसके हाथ मेरे नितंबों के उपर थे तब तक मैं लाचार थी. वो ज़ोर-2 से मेरे नितंब मसल रहा था. मैं पूरी तरह से मदहोश होती जा रही थी और मेरा बदन अब विरोध की स्थिति में नही रहा था. मेरी योनि अब और उतेजना बर्दाश्त नही कर पाई और मेरी योनि ने अपना कामरस छोड़ दिया. बहुत ही शानदार ओर्गसम आया था मुझे. पहली दफ़ा इतना आनद मुझे महसूस हुआ था. करण अब मेरी आँखों में देखता जा रहा था और उसके हाथ मेरे नितंबों को मसल रहे थे. मुझे उसकी नज़रों का सामना करने में शरम आ रही थी और मैं उसकी बाहों में ही घूम गयी थी अब मेरी पीठ करण की तरफ थी. करण के हाथ फिरसे मेरी पाजामी में घुसते हुए मेरे नितंब मसल्ने लगे थे. कुछ देर नितंब मसल्ने के बाद करण ने अपने हाथ बाहर निकाले और मेरे दोनो हाथ जो कि मेरी पाजामी को थामे हुए थे उन्हे पकड़ लिया और मेरे हाथों से मेरी पाजामी को छुड़ाने लगे. मैने अपना चेहरा घूमाते हुए कहा.
मे-प्लीज़ करण रहने दो ना.
करण-जानू एक दफ़ा सारे कपड़े उतार दो बस उसके बाद कुछ नही करूँगा.
मे-मैं नही उतारने वाली.
करण-मैं खुद उतार दूँगा.
और अब वो मेरे हाथ मेरी पाजामी के उपर से हटाने में कामयाब हो गया.
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