Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:06 PM,
#23
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
तभी आचनक किसी ने मुझे पीछे से बाहों में भर लिया और अपने हाथों से मेरे उरोज पकड़ कर मसल्ने लगा. मैने गर्दन घुमा के पीछे देखा तो आकाश था. मैने हड़बड़ाते हुए उसे कहा.
मे-आकाश छोड़ो मुझे महक देख लेगी.
आकाश-नही देखेगी वो तो कब की बाहर जा चुकी है.
मे-अरे तो कोई और भी तो देख सकता है. छोड़ो डोर भी खुला है.
आकाश-डोर तो बंद कर दिया है मैने अब तो सिर्फ़ मैं और तुम हो इस रूम में.
मे-तुम समझ क्यूँ नही रहे हो प्लीज़ छोड़ो अच्छा चलो छत पे चलते हैं.
आकाश-एक दफ़ा छोड़ कर देख लिया अब नही छोड़ूँगा.
मे-आकाश प्लीज़ मैं तुम्हारे साथ सब कुछ करूँगी पर यहाँ नही प्लीज़.
आकाश-और कहाँ.
मे-छत पे चलो प्लीज़.
आकाश-ओके तो छत पे चलते हैं मगर अब मैं तुम्हारी चाल में नही आने वाला. तुम्हे साथ लेकर जाउन्गा उपर.
कहते हुए आकाश ने मुझे गोद में उठा लिया. अब उसका एक हाथ मेरी पीठ के पीछे था और दूसरा मेरे घुटनो के नीचे और मैं उसकी गोद में छटपटा रही थी.
मे-आकाश प्लीज़ उतारो मुझे मैं वादा करती हूँ ज़रूर आउन्गि उपर.
आकाश-मेरी धोखे बाज़ हसीना आज तुम्हारी चाल नही चलने वाली.
उसने अलमारी को लॉक किया और मुझे गोद में लेकर डोर की तरफ बढ़ा और डोर के पास जाकर उसने मुझे उतारा और फिर डोर खोल कर गर्दन बाहर निकाली. ड्रॉयिंग रूम में कोई नही था. सभी लोग बाहर डॅन्स कर रहे थे. ड्रॉयिंग रूम में से ही सीडीया उपर की ओर जाती थी. आकाश ने मुझे फिरसे गोद में उठाया और जल्दी-2 सीडीया चढ़ने लगा. मेरा दिल बहुत घबरा रहा था और मैं मन ही मन सोच रही थी कि आज तो गई काम से.

आकाश मुझे छत पे बने स्टोर रूम में ले गया. वहाँ पे टूटा-फूटा फर्निचर पड़ा हुआ था और एक चारपाई पड़ी थी. आकाश ने मुझे चारपाई पे लिटा दिया और फिर डोर बंद करते हुए स्टोर की लाइट ऑन कर दी. मेरा बचना अब ना-मुमकिन था सो मैने सोच लिया था कि अब एंजाय करना चाहिए. मैने मुस्कुराते हुए आकाश की तरफ देखा और कहा.
मे-प्लीज़ आकाश लाइट तो ऑफ कर दो.
आकाश-डार्लिंग लाइट ऑफ हो जाएगी तो आपके खूबसूरत जिस्म के दीदार कैसे होंगे.
कहते हुए आकाश ने अपनी टी-शर्ट उतार दी. मैं उसकी बॉडी देखकर घबरा गई. क्या चौड़ा सीना था उसका वो भी एकदम गोरा दिल कर रहा था कि जाकर उसके सीने से लिपट जाउ. लेकिन मैं इतनी जल्दबाजी नही दिखाना चाहती थी. आकाश ने अपनी पॅंट भी उतार दी थी. और उसकी अंडरवेर में क़ैद उसका विशाल लिंग देखकर मेरा पूरा शरीर काँपने लगा था. कुछ ही देर बाद उसका विशाल लिंग मेरी योनि में जाने वाला था. यही सोच-2 कर मेरी योनि पानी छोड़ने लगी थी. आकाश मेरी तरफ बढ़ा और मेरी दिल की धड़कने भी बढ़ती चली गई. वो आकर मेरे उपर लेट गया. मैने उसका चेहरा अपने हाथों में थाम लिया और कहा.
मे-आकाश मेरा दिल कर रहा है तुम्हे एक किस करू.
आकाश-तो जल्दी करो ना.
मे-पूछोगे नही क्यूँ दिल कर रहा है मेरा.
आकाश-बताओ.
मे-आकाश मैं खुश हूँ कि तुमने मेरी बात मानकर महक को उसका बनता हक दिया है अब वो बहुत खुश है.
आकाश-अरे डार्लिंग तुम जो भी कहोगी वोही आकाश करेगा. अब टाइम वेस्ट मत करो जल्दी से किस करो.
उसने अपनी आँखें बंद की और मैने धीरे-2 अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिया और हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपक गये. होंठ ऐसे चिपके कि जुदा होने का नाम ही नही लिया. उसका लिंग मुझे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रहा था. आकाश ने अब मेरे होंठों को आज़ाद किया और नीचे की तरफ जाने लगा. उसके हाथ मेरे उरोज मसल्ने लगे और वो मेरे उरोजो को हाथों में भरकर अपने होंठों से चूसने लगा. अब वो थोड़ा और नीचे हुआ और उसने मेरी दोनो टाँगों को इकट्ठा किया और उन्हे उपर हवा में उठा दिया. अब मेरी दोनो टाँगें छत की तरफ थी. अब मेरे नितंब उसकी आँखों के सामने थे जो कि टाँगो को उठाने की वजह से उपर उठ गये थे. ग्रीन कलर की पाजामी मेरे नितंब और जांघों पे एकदम कसी हुई थी. जिस शेप में मेरे नितंब और जंघें अब आकाश को दिख रही थी वो बेहद उत्तेजक था. आकाश ने अपना चेहरा मेरे नितंबों के पास किया और जैसे ही उसकी जीभ मुझे अपने नितंबों की दरार में महसूस हुई तो मेरे शरीर में एक झटका सा लगा और योनि से पानी बहने लगा. अब वो अपनी जीभ पाजामी के उपर से ही मेरे नितंबों और जांघों पे फिराने लगा. अब में आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी और कामुकता से भरी सिसकियाँ पूरे स्टोर रूम में गूँज़ रही थी. उसकी इस हरकत को मैं ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई और मेरी योनि ने अपना काम रस उडेल दिया. योनि रस का गीलापन मेरी पैंटी के साथ-2 अब मेरी पाजामी के उपर भी आ गया था और पाजामी के उपर भी गीलेपन का दाग बन गया था. आकाश अब उसी गीलेपन को अपनी जीभ से चाट रहा था. उसकी हरकतें मुझे एक दफ़ा फिरसे गरम होने पे मज़बूर कर रही थी. अब उसने मेरी टाँगों को नीचे उतार दिया और मेरी पाजामी का नाडा पकड़ कर झटके के साथ खोल दिया. नाडा खुलते ही मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. आकाश ने मेरी पाजामी को किनारों से पकड़ा और उतरने लगा. पाजामी मेरे नितंबों और जांघों पे कसी हुई थी. इसलिए वो बड़ी मुश्क़िल से नीचे जा रही थी. आख़िरकार काफ़ी मेहनत के बाद आकाश ने मेरी पाजामी को मेरी टाँगों से निकाल कर मेरे नीचे वाले बदन को नंगा कर ही दिया. 

आकाश ने अब अपनी अंडरवेर भी उतार दी थी उसका लिंग हवा में झूलता देख मेरा दिल घबराने लगा. बहुत बड़ा था उसका लिंग. तुषार के लिंग से ज़्यादा लंबा था और मोटा भी अधिक था. आकाश ने अपना लिंग मेरे चेहरे के पास किया और मुझे कहा.
आकाश-अपने होंठो खोलो ना डार्लिंग.
मगर मैने अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया.
आकाश अपने लिंग को मेरे गोरी गालों पे फिरने लगा और बोला.
आकाश-अच्छा मूह में मत लो मगर एक किस तो कर दो बेचारे को बहुत तडपा है ये तुम्हारे लिए.
मैने अपना चेहरा घुमाया तो देखा उसका विशाल लिंग बिल्कुल मेरी आँखों के सामने झूल रहा था. मैने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और उसके लिंग के सुपाडे पे अपने होंठ लगाकर अपने होंठों को भींच लिया और अपने होंठ पीछे हटा लिए. मेरे होंठों के पीछे हट ते ही उसके लिंग ने एक झटका खाया जैसे मुझे सलामी दे रहा हो. फिर वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी दोनो टाँगों को पकड़ कर उपर उठाने लगा और अब उसने मेरी टाँगों को इस कदर मोड़ दिया था कि मेरे कंधों को मेरे घुटने टच हो रहे थे. अब मेरी योनि खुल कर उसके सामने आ गई थी. आकाश ने टाइम ना गँवाते हुए अपना लिंग मेरी योनि के मुख पे टीकाया और फिर मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा मैने भी मुस्कुरा कर जबाब दिया. आकाश ने अपने लिंग को पकड़ा और हल्का सा दवाब उसके उपर डालने लगा. उसका लिंग मेरी योनि में उतरने लगा. उसका लिंग थोड़ा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. आकाश के लिंग का सुपाडा अब मेरी योनि में घुस चुका था अब उसने अपने लिंग के उपर दवाब डालना बंद कर दिया था. अभी उसका आधे से ज़्यादा लिंग मेरी योनि के बाहर था. आकाश ने अब फिरसे अपना लिंग बाहर की ओर खिचा और फिरसे उतना ही लिंग मेरे अंदर कर दिया और वो ऐसे ही करने लगा. मुझे अब बेचैनी हो रही थी मैं चाहती थी कि आकाश अब जल्दी से अपना पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दे. लेकिन वो कमीना खेल रहा था मेरे साथ. मैने उसे कहा.
मे-आकाश जल्दी करो जो करना है. सब ढूंड रहे होंगे मुझे.
आकाश-तुम बताओ ना मैं क्या करू.
मे-ज़्यादा बनो मत तुम्हे अच्छी तरह से पता है.
आकाश-मुझे कहाँ पता है कुछ.
मैने सोचा इस बेवकूफ़ से बात करना बेकार है. वो कमीना बस उसी तरह थोड़ा सा लिंग अंदर बाहर कर रहा था. अब मुझसे रहा ना गया और मेरे मूह से निकल ही गया.
मे-आकाश पूरा डालो ना अंदर.
आकाश-यस ये हुई ना बात.
और आकाश ने एक ज़ोर से धक्का दिया और पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दिया धक्का इतना जबरदस्त था कि मेरे मूह से जोरदार चीख निकल गई. मैने चारपाई को हाथों में जाकड़ लिया. अब आकाश बहुत तेज़-2 मुझे चोदने लगा. वो लिंग को बाहर खीचता और फिर पूरे ज़ोर के साथ अपना लिंग मेरी योनि के अंदर पहुँचा देता. उसके धक्के इतने जबरदस्त थे की उसका लिंग मुझे अपनी बच्चेदानी पे महसूस हो रहा था. उसने चारपाई की दोनो साइड पे हाथ टिकाए हुए थे और पूरी ताक़त के साथ मुझे चोद रहा था. चारपाई भी आवाज़ करने लगी थी. मुझे डर था कि कहीं वो टूट ही ना जाए. आकाश की वाइल्डनेस को मैं बर्दाश्त नही कर पाई और मेरी योनि ने दूसरी बार पानी छोड़ दिया. आकाश का लिंग मेरे योनि रस से भीग गया था और अब चुदाई करते वक़्त 'पच-पुच' की आवाज़ आ रही थी. मेरी आँखों के किनारों से भी पानी निकल आया था. लेकिन आकाश था कि झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. मेरी टाँगें अब थक चुकी थी और मैने उन्हे अब आकाश की कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया था. आकाश के धक्के बदस्तूर जारी थे. उसने मुझे ऐसे ही उठा लिया था. अब वो चारपाई से नीचे उतार कर खड़ा हो गया था और मैं उसकी कमर के इर्द-गिर्द टाँगें लपेटे उसकी गोद में थी और उसका लिंग मेरी योनि में था. वो बहुत ताक़त वर था इसलिए मुझे ऐसे उठा कर रखने में उसे ज़्यादा दिक्कत नही हो रही थी. वो नीचे से जोरदार धक्के लगा रहा था और मैं उसकी गोद में उच्छल रही थी. मेरी सिसकियों से पूरा स्टोर रूम गूँज़ रहा था. लगभग 30मिनट हो चुके थे आकाश को मुझे चोद ते हुए मगर वो अभी तक नही झडा था. कुछ देर पहले ही उसने महक के साथ सेक्स किया था शायद यही कारण था कि अब उसे ज़्यादा टाइम लग रहा था. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लिया था और वाइल्ड तरीके से मेरे होंठ चूसने लगा था. मेरा तो बुरा हाल हो चुका था और धक्के के बाद मेरी योनि में से पानी रिसने लगा था. अब आकाश ने भी मुझे कस कर पकड़ लिया था और उसके धक्के और तेज़ हो गये थे. उसने आख़िरी धक्का लगाया और अपना लिंग मेरी योनि में जड़ तक उतार दिया और फिर उसके लिंग से कामरस निकलकर मेरी योनि को भरने लगा. मेरी योनि ने भी फिरसे पानी छोड़ दिया. उसने मुझे उसी पोज़िशन में चारपाई पे लिटा दिया और जब तक उसका लिंग मेरी योनि में खाली नही हुआ तब तक उसे बाहर नही निकाला. उसका लिंग बाहर निकलते ही मुझे थोड़ी राहत मिली. फिर उसने मेरे होंठों पे एक किस की और मैं उठ कर कपड़े पहन ने लगी. मैने कपड़े पहन ने के बाद उसे कहा.
मे-पैंटी नही चाहिए थी क्या मेरी.
आकाश-डार्लिंग ये पैंटी नही जो पैंटी तुम्हारे पीछे वाले छेद में से निकलने वाले खून से सनी होगी वो लूँगा मैं.
मैने उसे उंगूठा दिखाते हुए कहा.
मे-वो कभी नही मिलेगी तुम्हे.
और मैं जल्दी से नीचे आ गई और अपने रूम में चली गई.
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