RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
“यह ले मेरे और मेरी पत्नी के बीच ग़लतफहमी पैदा करने के लिए और हमे एक दूसरे से जुदा करने के लिए....” गुर्राते हुए करण ने पास मे पड़ा त्रिशूल उठा लिया और उसे अपनी पूरी ताक़त लगाकर त्रिकाल के हृदय को चीरते हुए आर पार कर दिया. करण की आँखो मे बदले की आग भड़क रही थी.
त्रिकाल का शरीर वही ढेर हो गया. करण के हाथो से त्रिशूल छूट गया. आज यह साबित हो गया कि आख़िर बुराई कितनी ही क्यू ना बढ़ जाए, कभी सच्चाई से जीत नही सकती. त्रिकाल के मरते ही अचानक से वातावरण हल्का और खुशनुमा हो गया मानो कोई मनहूसियत का साया इस धरती से हट गया हो.
तूफान के बाद की शांति की तरह वहाँ सब कुच्छ शांत हो चुका था.
निशा भाग कर आई और करण के होंटो को चूमने लगी. रत्ना और काजल ने अपने कपड़े पहनकर अपने बहादुर बेटे और भाई से लिपट गयी. अर्जुन ने बारह साल बाद अपनी माँ को देखा था. थोड़ी देर वही पर मेल मिलाप चला.
फिर सभी उस मनहूस गुफा को छोड़ कर जयपुर होटेल मे आ गये. आज सब कुच्छ नॉर्मल हो गया था.
“माँ यह है निशा मेरी पत्नी....” करण ने निशा को अपनी माँ रत्ना से मिलता.
निशा ने तुरंत रत्ना के पाओ छु लिए और रत्ना ने उसे अपना आशीर्वाद दिया और बोली, “वाह करण...तूने कितनी सुंदर बहू ढूंढी है मेरे लिए...” और बोलते हुए रत्ना ने निशा का माथा चूम लिया.
“वाह भैया.....आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले...मुझे निशा से एक दो बार ही मिलवाया यह कह कर कि वो सिर्फ़ आपकी फ्रेंड है....और आज वो आपकी फ्रेंड से पत्नी हो गयी....वाह मेरे भैया वाह..” काजल के इस बात पर सभी हँसने लगे.
“आज मुझे अपने दोनो बेटो को साथ देखकर बहुत खुशी हो रही है...जिन्हे बचपन मे एक दूसरे से नफ़रत करता देखती थी वो आज एक दूसरे को प्यार करते है...” रत्ना ने अपने दोनो बेटो को गले लगाया.
“माँ जी मुझे भी आपको एक खुश खबरी देनी है...” निशा शरमाते हुए बोली.
“हाँ हाँ बहू कहो....” रत्ना ने पूछा.
“माँ जी मेरे पेट मे आपके खानदान का चिराग पल रहा है....मैं करण की बच्चे की माँ बनने वाली हू...आइ आम प्रेग्नेंट...” निशा ने शरमाते हुए कहा.
“आज कितने सालो बाद इस खानदान मे कोई नया सदस्य आने वाला है...मेरी आँखे तो ऐसी खुशियो के लिए तरस गयी है..” रत्ना ने निशा के पेट छूते हुए कहा.
“लो अर्जुन भैया आप चाचू और मैं बुआ बन ने वाले है....” काजल खिलखिला कर हंस पड़ी.
“चलो अब यहा से चलते है....घर की याद आ रही है...” करण बोला.
“पर भाई जाते जाते एक काम रह गया है....” अर्जुन ने त्रिशूल को उठाते हुए कहा और सीधा निशाना लेकर शैतान की मूर्ति पर दे मारा जिससे त्रिशूल लौट कर उनके पास आगया और शैतान की मूर्ति ध्वस्त हो गई.
रास्ते मे लौट ते हुए सबने शिव मंदिर का दर्शन किया और त्रिशूल को वचन अनुसार वापस लौटा दिया. उसके बाद सब लोग वापस मुंबई अपने घर लौट आए.
आफ्टर वन ईयर....
शादी के 9 महीने बाद निशा ने एक प्यारे से बेटे को जनम दिया और उसका नाम वीर प्रताप रखा गया. करण आज भी अपनी पत्नी से उतना ही प्यार करता है जितना पहले करता था और वो भी इतना की अपनी बीवी निशा की कोख से पूरी क्रिकेट टीम निकालने का इरादा था उसका.
निशा और करण के बेटे वीर ने निशा के मम्मी पापा को मजबूर कर दिया उनकी शादी को आक्सेप्ट करने के लिए. आज वो भी हँसी खुशी अपनी बेटी की खुशियो मे शरीक होते है और अपने नाती वीर को जी भर के प्यार करते है.
अर्जुन को भी आख़िरकार दोबारा प्यार हो गया और वो भी निशा की बहुत ही सुंदर छोटी कज़िन सिस्टर पूजा से. वो आज भी सलमा की कब्र (ग्रेव) पर जाता है और भगवान से उसकी आत्मा की शांति की दुआ करता है.
काजल को आज अपने ही एक दोस्त से प्यार हो गया है जिसके साथ वो बहुत खुश है.
रत्ना को आज हर तरफ से खुशी मिल रही है. उसके आँगन मे किल्कारी गूँज रही है और वो तो अपने पोते वीर को थोड़े भी समय अपने से दूर नही करती है.
आचार्य सत्य प्रकाश के आश्रम को उनके लंडन मे पढ़ रहे बेटे ने संभाल लिया है और उसने वचन लिया है कि अपने पिताजी के आदर्श और उसूलो पर ही चल कर आश्रम को चलाएगा.
और इन सबसे आख़िर मे रामपुरा राजस्थान के शिव मंदिर मे आज भी ज़हरीले नागो की सुरक्षा मे वो त्रिशूल शिव जी की मूर्ति की शोभा बढ़ा रहा है...
दा एंड
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