अगला भाग फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)-1
मेरी पिछली कहानी अल्हड़ लड़की के साथ कामक्रीड़ा का तूफान भाग 1 और 2 में आपने पढ़ा की कैसे दारू के सुरूर मैने और पिंकू ने तूफानी सेक्स का आनंद लिया, लेकिन शर्मीली सोनू ने अनमनेपन से नाम मात्र का ही साथ दिया। इसलिए मैने पिंकू के साथ मिल कर सोनू की झिझक मिटाने का प्लान बनाया। अब आगे..
हम लोग अब सोने के नाम से, क्यूंकी सबको पता था कि असली परपस तो कुछ और ही है, बेडरूम मे आ गए। मेरा बेड 9'X 9’ का बहुत ही मजबूत बना हुआ है, इतना की उसपर तीन लोग कुश्ती करें तो भी चूँ की आवाज़ ना निकले। सिरहाना बिल्कुल एक गद्देदार सोफे की शक्ल में है, जैसे किसी 9'लंबाई के सोफे की सीट को आगे की तरफ 9 फुट बढ़ा दिया गया हो।उसपे सभी शेप्स और साइजेज़ के बहुत सारे रंग बिरंगे कुशन्स और तकिये रखे हुए हैं। तीनों लोग पूरी तरह निर्वस्त्र अवस्था में अपनी अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन, मैं बीच मे और पिंकू और सोनू क्रमशः मेरे दायें बाएँ पहलूओं में, सोने की कोशिश करने लगे। मैंने सोनू की गुदाज छातियों पर हाथ फेरते हुए फुसफुसा कर कहा –तो फिर बजवाने के लिए तैयार हो न मेरी जान? वो तो पहले ही समझ रही थी कि पिंकू के बाद अब उसकी ही चुदाई का नंबर लगेगा। लेकिन उसके लिए तो मरवाने का मतलब बस टांगें फैला कर लेट जाना और दूसरे को ही जो वो चाहे करने देना होता है। अपनी आदत के मुताबिक उसने एक झीनी सी औपचारिक मुस्कान दे कर सहमति मे सर हिला दिया। उसे क्या मालूम की आज का नज़ारा कुछ और ही होने वाला है। ठीक है, मैं ज़रा वाशरूम हो कर आता हूँ , मैंने पिंकू को आँख मारते हुए बोला और उठ कर बाथरूम चला गया।
इधर प्लानिंग के मुताबिक, मेरे जाते ही पिंकू लाड़ दुलार की एक्टिंग करते हुए सोनू से लिपट गई, और उसे अपने आगोश मे ले लिया, या उसकी छोटी सी देह को देखते हुए यूं कहे की खुद उसके आगोश मे समा गई। बड़ी चालाकी के साथ पिंकू ने सोनू की दायीं बांह अपने नीचे दबा ली और उसके कंधे पर सर रख कर सोने की एक्टिंग करने लगी। तभी मैं बाथरूम से आया और सोनू के पिंकू की ओर करवट लेने से खाली हुई जगह पर सोनू की बायीं साइड मे लेट गया। मैंने झूठमूठ बुरा मानने की एक्टिंग करते हुए, सोनू की बाई बांह अपने नीचे दबाई और उसके आगोश मे समा गया। अब सोनू की दोनों बाहे हमारे नीचे दब कर पूरी तरह इम्मोबिलाइज्ड (स्थिर) हो चुकी थी। लेकिन सोनू अभी भी इसे नॉर्मल ही ले रही थी। फिर मैंने अपने बाईं टांग घुटनो से मोड़ते हुए सोनू की बायीं टांग मे हुक की तरह फंसा ली। पिंकू ने भी अपनी दायीं टांग से ऐसा ही किया। अब सोनू की दोनों टांगें भी इम्मोबिलाइज्ड (स्थिर) हो चुकी थी।उसका सर से लेकर जांघों तक का बदन पूरी तरह एक्स्पोज़ड था। यह एक तरह से विदेशी ब्लू फिल्मों मे दिखायी जाने वाली स्प्रेड ईगल पोजीशन ही थी।वो लोग इसमे मखमली लाइनिंग लगी हथकड़ी और बेड़ी यूज़ करते है।कहते है की ऐसी बेबसी जैसी हालत मे लड़की का एक्सायटमेन्ट दस गुना बढ़ जाता है। लेकिन ऐसे सेक्स ट्वाएज़ इंडिया मे बैन हैं, और मैं गैरकानूनी कामों मे विश्वास नहीं रखता।
अब सोनू चौंकती हुई बोली- अरे अरे यह तुम लोग क्या साजिश कर रहे हो? देखती जाओ मेरी जान!तुम्हें जन्नत की सैर पे ले चल रहे हैं! मैं उसके गालो को चिकोटी से मसलते हुए बोला। सोनू तो अब फंस ही चुकी थी और जानती थी की अब हम लोग रुकने वाले नहीं थे, इसलिए मुंह फुला कर चुपचाप लेटी रही। हम देर तक उसकी चूचियों से खेलते रहे। मैंने और पिंकू ने एक एक चूची आपस मे बाँट ली और उन्हे निचोड़ना, सहलाना और मींजना शुरू कर दिया। कभी कभी उसके निपल्स को भी उमेठने लगते। कभी अपनी बाहों को कुछ लंबा करके उसकी नाभि की भी मालिश करने लगते। एक साथ एक जनाने और एक मरदाने हाथ का स्पर्श सोनू के लिए एक अलग ही अनभव रहा होगा। काफी रोकने की कोशिश के बाद भी कभी सोनू के मुंह से हल्की सी ऊह आह निकल जाती तो वो एक झेंपती हुई सी मुस्कान दे देती।
काफी देर तक उसकी चूचियों और अपनी हथेलियों को स्पर्श सुख देने के बाद, अब हमने सोनू के चेहरे पर ध्यान केन्द्रित किया। हम दोनों ने ही सोनू के अपनी अपनी साइड के कानो की सेवा शुरू करी। उसकी इयर लोब्स को चूसा, पूरे कान को चाटा, सामने की घुंडी की क्लिट की तरह ही अपनी जबान से मालिश करी और ईअर केनाल को जीभ से चोदा। पिंकू अभी अभी अपने कान मे यह सब मुझसे करवा चुकी थी, इसलिए पूरी निपुणता के साथ इस काम मे लगी थी। अपनी बेबसी के चलते, सोनू काफी उत्तेजित हो रही होगी, लेकिन शायद अपनी जिद मे ज्यादा शो नहीं कर रही थी। खैर अब हमने उसके गालों पर धावा बोला और अपने अपने हिस्से के गालों को चाटना चूसना और दांतों से काटना शुरू करा। कभी कभी दाँत ज़ोर से लग जाते तो सोनू चिहुँक पड़ती। तब हम धीरे धीरे उसके गालों को चूस चाट कर उसको मानो तसल्ली देते।उसका काले मस्से वाला गाल मेरी साइड पर ही था , जिसे देख देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था। मैंने उसके मस्से के अनगिनत चुंबन लिए और अपनी जीभ रगड़ी। पिंकू बिलकुल एक प्रोफेशनल की तरह मेरे इन्स्ट्रक्शंस को फॉलो कर रही थीऔर अच्छी शागिर्द की तरह सब सीख रही थी। इस बात पर उसको इनाम के तौर पर मैं कभी कभी उसके होंठो पर चुंबन दे देता। फिर हमने सोनू के होंठों को चूमना और चूसना शुरू करा। पिंकू चूस कर हटती तो मैं चूमने लगता।या फिर कभी एक साथ ही पिंकू ऊपर का और मैं नीचे का होंठ चूसने लगते। एक साथ दो जीभों, दो जोड़ी होंठों और दो ही जोड़ी दांतों को अपने शरीर पर महसूस करना एक अलग ही आउट ऑफ दिस वर्ल्ड अनुभव रहा होगा। हम दोनों ने अपनी जीभें एक साथ उसके मुंह मे घुसेड़ कर डीप किसिंग का थ्रीसम भी किया। फिर बारी बारी से पहले पिंकू के मुंह मे सोनू और मैंने अपनी जवाने डाल कर यही काम किया, और फिर मेरे मुंह मे उन दोनो ने अपनी अपनी जीभ डाली तो मैं दोनों की जीभों को एक साथ ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा। उम्मीद के मूताबिक ही सोनू की इस काम मे अधिक दिलचस्पी ना देख, मैंने एक गेम सजेस्ट करा। जिसमे हम तीनों ने ही अपने अधखुले होंठ एक दूसरे के साथ मिलते हुए एक त्रिकोण सा बना लिया और एक दूसरे के मुंह मे अपनी जीभे घुसाने की कोशिश करने लगे। जिसके मुह मे दोनों जीभे घुस जाएंगी उसको -1 और जिनकी घुसी होंगी उन् दोनों को ही +2, +2 पॉइंट मिलेंगे।। ऐसे दस राउंड के बाद सबसे कम स्कोर वाला हारा माना जाएगा और उसे बाकी दोनों जो सजा देंगे वो मंजूर करनी पड़ेगी। हार के डर से सोनू ने भी बहुत तेजी के साथ अपनी जीभ अंदर बाहर करते हुए हमारे मुंह मे घुसाने की कोशिश शुरू कर दी। हम तो खैर पहले से ही ऐसा कर रहे थे। इससे कार्यक्रम मे एक जान आ गई। आखिर पूरी कोशिश के बाद भी सोनू हार ही गई। पिंकू की एनेर्जी और फुर्ती का कोई सानी नहीं है। मैंने पिंकू के मुंह को भरपूर चूमते हुए बधाई दी और सोनु के होंठों को चूसते हुए सांत्वना। इस गेम का नाम मैंने “टंग ऑफ वार” रखा।
फिर मैंने और पिंकू ने सोनू के गले और कंधों के चुंबन लेते हुए उसकी चूचियों की तरफ बढ्ना शुरू करा। इससे सोनू के हाथ हमारे नीचे से छुटकारा पा गए लेकिन मैंने और पिंकू ने भी अपनी उँगलियाँ सोनू की उँगलियों मे पिरो ली। अब हमने उसकी चूचियों का भी बंटवारा कर लिया और अपने अपने हिस्से की चूची की सेवा शुरू करी। पहले पूरे स्तन पर हल्की हल्की चुम्मियां लीं, फिर जीभ घुमाते हुए उन्हें चाटा और फिर आखिरकार निपल्स को जीभ की नोक से छेड़ छेड़ कर खड़े करने के बाद मुंह में ले कर चूसने लगे। हम दोनों ही कभी निपल्स को चूसते तो कभी पूरे बोबे को मुंह मे भर भर कर सक्शन पम्प की तरह सक,ब्लो और पम्प करते। सोनू की हमारे हाथों मे पिरोयी हुई उँगलियाँ उसकी उत्तेजना के बैरोमीटर का काम कर रही थीं। कभी वो हमारी उँगलियों को कस कर जकड़ लेतीं तो कभी ढीली पड़ जातीं। दोनों चूचियों पर एक साथ दो दो जीभों और दो दो जोड़ी होंठों का अनुभव उसके लिए पागल कर देने वाला था।उसके मुंह से दबी दबी उईईए….उफ्फ्फ….सीईई… जैसी आवाजें निकल रही थीं। !
देर तक उसके स्तनो को चूसने चाटने और दांतों से काटने के बाद मैंने अपने और पिंकू के लिए एक और गेम डिजाइन करा। इसमे हमें अपनी आँखों पर आइ शेड चढ़ा कर सोनू के पेट पर लगातार रैनडम ब्लाईंड पुचचियाँ लेनी थी और जिसका भी मुंह उसकी नाभि पर पड़ता उसको नाभि को अपने हिसाब से दो मिनट तक चाटना और चूसना होता था।सोनू को इस काम मे कितना मजा आ रहा है यह तो उसकी उँगलियों का बैरोमीटर हमे बता ही रहा था। इसका जज हमने सोनू को ही बनाया। इस गेम मे मैंने बाजी मार ली। दस राउंड मे आठ मे मेरा ब्लाइंड निशाना सही बैठा था। सजा मैंने सोच रखी थी लेकिन चुप रहा। अब तक सोनू के मुंह से धीमी धीमी सिसकारियाँ निकलने लगी थीं –बर्फ पिघलना शुरू हो रही थी।
अब हमने और नीचे का सफर तय करते हुए, सोनू की चूत का रुख किया। मैंने क्लिटोरिस को चुटकी मे भर कर मसलना और कुचलना शुरू करा तो पिंकू ने उसकी चूत के लिप्स सहलाने शुरू करे। करीब पाँच मिनट तक ऐसे ही करने के बाद मैंने दो उँगलियाँ उसकी चूत मे डाल कर मालिश शुरू करी। उसका जी स्पॉट मिल ही नहीं रहा था। उसी समय पिंकू ने अपनी उँगलियों पर ढेर सारा थूक लगए कर उन्हे सोनू की गांड़ मे घुसा दिया। अब दोनों छेदों मे एक साथ घर्षण से सोनू काफी उत्तेजित हो रही थी और अपने होंठो को टाइटली बंद करे रहने के बावजूद, आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् जैसी आवाज़ों को निकलने से नहीं रोक पा रही थी। मुझे अपनी ओर देखते पा कर उसने एक एम्बरेस्ड सी गिगिल पास करी, लेकिन अभी भी अपने मुंह से खुल कर सेक्स की इच्छा नहीं जताई और ज्यादा दिलचस्पी न होने का दिखावा करती रही। खैर हमारा ट्रीटमेंट भी कहाँ पूरा हुआ था!हमने सोनू की गुदाज जांघों से ले कर पंजों तक हज़ार बोसे लिए। हम तीनों ही हाँफ रहे थे। लेकिन बर्फ पिघलने की मंज़िल अभी दूर ही थी। खैर अब सेकंड डोज़ का टाइम था।
पाँच मिनट यूं ही सुस्ताने के बाद हमने पोजीशन बदलीं। मैंने बेड के सोफे नुमा हेड रेस्ट से पीठ टिका कर बैठते हुए, सोनू को अपनी गोद में खींच लिया और पीछे से बगलों के नीचे से हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियां मसलते हुए उसकी पीठ पर जीभ घुमा घुमा कर चाटने और चुंबन लेने लगा। धीरे धीरे पीठ पर ही ऊपर बढ़ते हुए मेरे होंठ उसकी गर्दन तक पहुंचे। वहां पर जी भर कर चूमने चाटने का मजा लेने के बाद फिर बारी बारी से उसके दोनो कानों के पीछे और गालों पर अठखेलियां करने लगे।उसके मुंह को पीछे की ओर घुमा कर उसके होंठों के कोनों को भी चूमा चाटा। इस सबके बीच मेरी हथेलियों के नीचे उसके निपल्स में बढ़ता हुआ तनाव उसकी बढ़ती हुई उत्तेजना की गवाही दे रहा था। देर तक उसकी पीठ गर्दन कानों की सेवा करने के बाद मुझे उसके निचले हिस्से का ध्यान आया।
अब पिंकू सोनू की टांगों को फैला कर उनके बीच मे पेट के बल अधलेटी सी पोजीशन मे उसकी चूत को ताकने लगी और मैंने सोनू के दाईं तरफ आ कर अपनी बाईं बांह के कोहनी जाइंट को उसके सर का क्रेडल (तकिया) बनाते हुए, हाथों से उसके बाएँ हाथ की उँगलियों मे फिर से अपनी उँगलियाँ पिरो लीं। उसकी दायीं बांह तो मेरे नीचे दबी हुई ही थी।पीछे से मेरे हटने के बाद सोनू फिर से हेड रेस्ट पर अधलेटी मुद्रा में आ गई। क्यूंकी पिंकू का कार्य क्षेत्र नीचे शिफ्ट हो गया था, इसलिए सोनू के पूरे चाँद से रौशन चेहरे और दोनों दूध के लोटों पर मेरा ही अधिकार था। अब योजना के अनुसार पिंकू ने सोनू की दायीं जांघ के अंदर की ओर बहुत धीमे धीमे, फ़ीदर टच किस देने शुरू करे। और अपने किस्सियों का दायरा बढाते हुए चूत और गाँड़ के बीच के हॉट स्पॉट से गुजरती हुई दूसरी जांघ तक पहुंची, फिर वापसी का सिलसिला शुरू हुआ। यह साइकल दस बारह बार चला। इधर मैं भी कदमताल मिलाते हुए सोनू के गले के ऊपरी भाग से अपनी फ़ीदर टच किस्सियों का काफिला शुरू कर के दायें कपोलों से होते हुए माथे, नाक, आँख, लिप्स, ठोड़ी पर किस्सियों की बौछार करते हुए बाएँ गाल पर पहुंचा, अपने फेवरिट मस्से पर थोड़ा ज्यादा देर मंडराया और स्टार्टिंग पॉइंट पर पहुँच कर वापसी के सफर पर रवाना हुआ।मैंने भी काफी देर तक यह साइकल रिपीट किया। लड़कियों को उत्तेजित करने के किए यह फ़ीदर टच किस्सियाँ राम बाण साबित होती है। हमारे होंठों का दबाव धीरे धीरे बढ़ते हुए होंठों की सख्त रगड़ मे तब्दील हो रहा था। सोनू का सुनहरा चेहरा लगातार रगड़ और उत्तेजना से गुलाबी हो चला था। फिर हमने ज़ोर ज़ोर से पुच्च पुच्च की आवाज़े निकलते हुए उसके पूरे चेहरे और जंघाओं पर पुच्चियों की बौछार कर दी।
अब मैंने अपने होंठों से सोनू के पूरे चेहरे को पहले की तरह ही प्यार से चूसना शुरू करा। पिंकू ने भी मुझे फॉलो करते हुए जंघाओं पर ऐसा ही करना चालू करा। फिर मैंने पूरे चेहरे पर नन्ही नन्ही लव बाइट्स की बौछार की। पिंकू एक अच्छी स्टूडेंट साबित होते हुए बहुत जल्दी पिकअप कर रही थी। उसने ऐसी ही टाइनी लव बाइट्स सोनू की जंघाओं पर बनाई। इससे उत्तेजना के साथ साथ सोनू के चेहरे और जंघाओं पर छरछराहट भी होने लगी थी। सो मैंने उसके चेहरे को जीभ घूमा घूमा कर चाटना शुरू करा। बीच बीच मे फूँक भी मारता जाता, जिससे सोनू को कुछ ठंडक महसूस होती। पिंकू ने भी मेरी कॉपी करते हुए सोनू की जंघाओं को ऐसे ही चाट चाट कर और फूँ फूँ करके राहत पहुंचाई। कहने कि ज़रूरत नहीं कि मैंने सोनू कि चूचियों को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं किया था। मेरा फ्री वाला हाथ लगातार सोनू कि चूचियों से खेल रहा था। लेकिन खास ध्यान उसके चेहरे पर ही था। बीच बीच में मैं पिंकू के बालों में उंगलियां फिरा कर या उसके गाल सहला सहला कर उसे भी शाबाशी दे रहा था।
क्रमशः
अगले भाग में पढ़िए फोरप्ले के बाद सोनू की धुंआधार फकिंग।
फ्रिजिड सोनू का कायाकल्प ( राइट ऑफ पैसेज)-2
अब तक आपने पढ़ा की मैंने और पिंकू ने सोनू का सेक्स के प्रति अरुचि को खत्म करने के लिए एक योजना बनाई और एकसाथ सोनू के कामोत्तेजक अंगों को अपने हाथ और मुंह से उत्तेजित करने की कोशिश करने लगे। अब आगे
अब हम दोनों ने अपने अपने हिस्से के होंठों पर काम चालू करा। पिंकू ने सोनू की वेजाईना के होठों को बिलकुल मुंह के होठों की तरह किस करना चालू करा। कभी उनको चाटती, कभी एक को चूसती कभी दूसरे को, तो कभी दोनों को एकट्ठा अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगती। मैं तो सोनू के होंठों पर पिला ही हुआ था। तभी सोनू ज़ोर से चिहुंकी। पिंकू ने उसकी क्लिटोरिस को चूसते चूसते अचानक से दांतों से ज़ोर से कचकचा दिया था। मैंने उसके गालों को अपने सीने में भींचा और होठों को चूमते हुए उसे तसल्ली दी।
फिर मैंने ऊपर के और पिंकू ने नीचे चूत के होंठों को पीना शुरू करा। तभी पिंकू ने एकाएक अपनी जीभ सोनू की चूत के होंठों को फैलाते हुए उसमे घुसा दी। सोनु ने उह्ह्ह्ह आःह्ह्ह उईईईए ज़ोर की सिसकी भरी और उसके होंठ थोड़ा खुल गए। मैंने फायदा उठाते हुए अपनी जीभ सोनू के मुह मे घुसा दी। फिर मैंने सोनू के मुंह और पिंकू ने उसकी चूत की चुदाई अपनी अपनी जीभ से चालू कर दी। सोनू की चीखें निकल रही थीं, लेकिन मुंह मेरे मुंह के साथ सिला होने से गूँ गूँ गूँ गूँ गूँ .... की आवाज़ ही निकाल रही थी। आखिर उसकी झिझक खोलने के लिए मैंने उसके लबों को आज़ाद कर दिया। ओह्ह्ह अह्ह्हह्हउईईईईईई मर गई आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.....की चीख़ों से कमरा गूंजने लगा। पिंकू का मुंह सोनू के कामरस से पूरा सन गया था। मैंने पिंकू के मुंह को चाट चाट के साफ करा और सोनू के कामरस से भीगी अपनी जीभ सोनू के ही मुंह मे डाल कर उसे उसके ही कामरस का स्वाद दिलाते हुए, उसके मुंह की जीभ चुदाई करने लगा। सोनू भी ज़ोर ज़ोर से मेरी जीभ पर लगा पिंकू और मेरे थूक मिश्रित अपना कामरस चूस रही थी।
पिंकू हाँफती हुई सोनू के बगल मे लेट गई और उसकी चूचियों से खेलने लगी। सोनू अब ऊब कर बोली- अब और क्या करना है? अब तो मेरी चीखें भी निकल गईं। जल्दी से डालो और निबटो। उस के मुंह से यह बात कोई नई नहीं थी । पुरानी आदतें धीरे धीरे ही जाती हैं। हांलांकि अब तक सोनू भी कामक्रीड़ा मे आनंद लेने लगी थी। मैंने उसके बोबे मसलते हुए हुए कहा की जानेमन अभी तो तुम्हारी निगेटिविटी पूरी तरह खत्म कहाँ हुई है? कुछ कोशिश मरीज को भी करनी चाहिए। ज़रा खुल कर बताओ क्या चीज़ कहाँ डालने को कह रही थीं? सोनू ने शर्माते हुए मेरे पेनिस की तरफ इशारा कर दिया। मैंने उसका हाथ बढ़ा कर अपना लंड उसके हाथ मे देते हुए पूछा की इसको कहते क्या है? पेनिस... सोनू फुसफुसाई और शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया। हिन्दी मे ? मैंने और कुरेदा। उसको बहुत शर्म आ रही थी। ल ल ल लंड.... उसने हकलाते हुए बोला। शाबाश शाबाश, मैंने उसे चूमते हुए बोला। और कोई नाम? लौड़ा.... पिंकू ने उसके कान मे फुसफुसाया। इस बार सोनू ने थोड़ा सहज होते हुए इसे दोहराया। अब इसे कहाँ डालना है? चू... चू... चू... चूत सोनू का चेहरा फिर से लाल भभूका हो गया। धीरे धीरे सोनू की झिझक मिटती जा रही थी। और वो ज़ोर ज़ोर से गिगिल करते हुए लंड, लौड़ा, चूत चूचि, बोबे चूतदाना, कामकणिका, बुर ...... पहाड़े पढ़ रही थी। सोनू और मेरे हाथ उसके उरोजों का लगातार मर्दन कर रहे थे। उसकी चूत की खुजली तो बनी ही हुई थी बल्कि और बढ़ती जा रही थी, जिसको वो नर्वस हंसी से छुपाने की कोशिश कर रही थी। उसकी गिगलिंग अभी भी नर्वस सी ही थी। लेकिन यह नर्वस गिगलिंग उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाती है।
मैंने सोच रखा था की जब तक सोनू हाथ जोड़ के नहीं गिड़गिड़ाएगी, मैं अपना लंड उसकी चूत मे नहीं डालूँगा।
अब पिंकू घोड़ी बन कर सोनू के ऊपर सिक्स्टी नाइन कि पोजीशन मे आ गई, लेकिन अपनी चूत को उसके मुंह से कुछ ऊंचाई पर ही रक्खा,जबकि अपना मुंह सीधे उसकी कामकणिका पर टिका कर क्रीज़ सम्हाल ली, और आगे की इन्सट्रकशंस का इंतज़ार करने लगी।बिलकुल ऐसा पोज था जैसे शेरनी शिकार को छलांग लगाने जा रही हो। पिंकू कि रसीली चूत , क्लिटोरिस,और गांड हम दोनों को साफ साफ नज़र आ रहे थे। अब मैंने टेलीप्रिंटर कि तरह उसके बटन दबाते हुए इन्सट्रकशंस देनी शुरू करीं। एक तरीके से पिंकू का शरीर टेलीफोन लाइन बन गया। मैं इधर उसके गुप्तांगों पर टाइप करता और उधर वो इन्फोर्मेशन पिंकू के मुंह तक पहूँच जाती। पहले मैंने पिंकू कि क्लिटोरिस को मसलना, सहलाना उमेठना शुरू करा। उसने बिलकुल इन्ही ऐक्शन को सोनू कि क्लिटोरिस पर अपनी जीभ से दोहराया। मैंने पिंकू की चूत के होठो को सितार के तारों कि तरह छेड़ा, उसने यही काम सोनू कि चूत कि फाँकों पर अपनी जीभ से किया।मैंने उसकी चूत कि उँगलियों से चुदाई करी, उसने सोनू कि चूत मे अपनी जीभ घूमा घूमा कर चोदा। फिर मैंने अपनी उँगलियों को आराम देते हुए यही हिदायतें अपनी जीभ से देनी शुरू करी। एक तो पिंकू का कला कौशल और दूसरी तरफ मेरी उँगलियों और जीभ कि मेहनत से उसकी कामरस छोड़ती चूत, गांड और क्लिट के भव्य दर्शन, सोनू कि हालत मारे उत्तेजना के पतली होती जा रही थीऔर वो ज़ोर ज़ोर से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर आआह्ह्ह्ह्….श्ह्ह्ह्ह्ह्….सीईईई आईई…उई ईई ईई ईए आह्ह्ह जैसी आवाज़े निकाल रही थी। “अब तक कैसी छुई मुई बन रही थी, अब देखो बजवाने के लिए कैसी बेताब हो रही है।“ पिंकू खिलखिलाते हुए बोली।सोनू ने शर्माते हुए आंखें बंद कर लीं,लेकिन कुछ बोली नहीं। अभी तो बूस्टर डोज़ का आगे का असर देखो, मैंने पिंकू कि गांड मे उंगली करते हुए जवाब दिया।
अब मैंने पिंकू का रिमोट सोनू को ट्रांसफर कर दिया, कि जैसा मन हो वैसे मजे लो। सोनू को जैसे अपनी चूत, क्लिट वगैरह पर करवाने का मन करता वो अपनी उंगलियों से वही काम पिंकू कि चूत और कामकणिका पर करती और वैसा ही जवाब अपने कामाँगों पर पाती। इधर इस काम से फुर्सत पा कर मैंने अपनी अटेन्शन फिर से सोनू कि चूचियों और मुंह पर केन्द्रित करी। उसकी चूचियों से खेलते हुए उसके मुखड़े के चुंबन लिए, गालों और ठोड़ी को चूसा, होठों को अपने होंठों से रौंदा, उसके कानों को चाटा। इस बार सोनू ने भी बराबर का सहयोग दिया। उसने भी मेरे पूरे चेहरे के पूरे जोशोखरोश के साथ दोगुने चुंबन लिए और मेरे होंठों को बार बार चूसा। उसके चेहरे से कामातुरता टपक रही थी। उसके चेहरे का यह कामुक लुक आज तक कि शालीनता से बिल्कुल अलग सा था। फिर सोनू ने भी अपनी उँगलियों को आराम देते हुए अपनी जीभ से मैसेज पास करने शुरू करे और जब चुलबुलाहट ज्यादा बढ़ी तो शर्माना छोड़ कर पिंकू के चूतड़ो को पकड़ कर अपने मुंह पर गिरा ही लिया और बाकायदा सिक्स्टी नाइन कि पोजीशन मे आ गई। मैं थोड़ा रेस्ट लेते हुए उन दोनों की जोशीली काम क्रीडा का आनंद लेने लगा। दोनों ही एक दूसरी कि चूतें चाट रही थीं, पी रही थीं ,जीभ से चोद रही थीं , क्लिटोरिस को चूस रही थी। जी -स्पॉट ढूंढो! मैंने सजेस्ट करा। दोनों ने अपनी जीभों को इस मिशन पर लगाया और एक दूसरे की कन्ट मे अपनी अपनी जीभों से पड़ताल करने लगीं। पहली बाजी सोनू ने मारी। अब पिकू बुरी तरह से उत्तेजित हो कर अपने चूतड़ हिलाने लगी और सोनू कि चूत को भूखी शेरनी कि तरह खाने लगी। तब तक कुशल और अनुभवी पिंकू ने भी सोनू के जी -स्पॉट को पा लिया। अब तो दोनों के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं और क्यूंकी दोनों ने ही एक दूसरे के चूतड़ो को अपनी बाहों मे जकड़ रखा था और जीभें चूतों मे घुसाई हुई थी ,वोह बिस्तर पर “एक शरीर- दो जान” कि तरह कलाबाजियाँ खा रही थीं। सेक्स एंजॉयमेंट थेरेपी काम कर रही थी। खैर उनको उत्तेजना के शिखर पर पहुँचने से पहले ही मैंने रोक दिया।और अलग अलग होने को बोला। अभी तीनों डोजेज़ के पूरे असर की भी तो जांच करनी थी।
पिंकू के सोनू के ऊपर से हटते ही सोनू ने मुझे शिकायती अंदाज में घूरा, लेकिन मैं उसकी बगल मे लेट गया और उसको अपने ऊपर लेटने को बोला। वो कामातुर हो कर पूरी उत्तेजना से तड़पती हुई बिना झिझक मेरे ऊपर चढ़ कर काउबॉय पोजिशन में बैठ गई और बिना समय बर्बाद करे मेरा लौडा पकड़ कर अपनी चूत मे घुसाने की कोशिश करने लगी। लेकिन प्रैक्टिस ना होने से नाकामयाब रही और तीन चार बार कोशिश करने के बाद झेंप कर अपनी चूत और कामकणिका मेरे लंड पर घिसने लगी। उसकी इस हरकत को देख कर पिंकू फिर खिलखिला कर हँसते हुए बोली की देखो कैसी शर्मीली बनती थी, अब देखो कैसी चुदासी हो रही है।लकी अब तो इसकी बजा ही डालो।
मैं मुस्कुराते हुए उठ कर आलथी पालथी मार कर बैठ गया और सोनू को लोटस पोजिशन में अपने आगोश में ले लिया। वो उत्तेजनावश अपनी छातियां मेरे सीने से रगड़ रही थी और मेरा लौड़ा हम दोनों के नंगे बदन के बीच में पिस रहा था। उसके गले और कंधे पर मेरी चुम्मियाँ लगातार जारी थीं और हाथ उसकी नर्म और मुलायम पीठ की हल्के हल्के मसाज कर रहे थे।क्योंकि सोनू अच्छे कद की है, इसलिए इस पोजीशन में उसका चेहरा मेरे चेहरे से थोड़ा ऊपर पड़ रहा था। मैं कभी अपना मुंह ऊपर उठा कर उसके अधरों का स्वाद लेने लगता, तो कभी अपना मुंह थोड़ा नीचे झुका कर उसकी चूचियों को चूसने लगता। इस पोजीशन में उसकी ठुड्ढी भी आम की गुठली की तरह चूसने में भी बहुत मजा आया।
आखिर में फिर से चित लेटते हुए मैने उसको अपने ऊपर खींचा और प्यार से चूमते हुए सोनू के अधर अपने निपल्स की तरफ खिसकाये। सोनू एक शर्मीली मुस्कुराहट के साथ मेरे ऊपर लेट लेटे नीचे अपनी चूत और क्लिट मेरे लंड से रगड़ने के साथ साथ मेरे निपल्स भी चूसने लगी। पिंकू को देख देख कर उसे मालूम तो सभी कुछ था, लेकिन इच्छा नहीं होती थी, जो की आज सारे बांध तोड़ कर जाग गई थी। सोनू ने पूरे मनोयोग से मेरे निपल्स को चाटा,चूसा, चुम्मियाँ लीं और दांतों से लव बाइट्स भी दीं। मैं प्यार से उसके मुलायम मुलायम कपोल सहलाते हुए उसके कानों में स्वीट नथिंग्स की सरगोशियां कर रहा था। इस बीच पिंकू उसकी पीठ पर गर्दन से लेकर चूतडों तक अपनी जीभ फिरा फिरा कर और धीमी धीमी पुच्चियाँ ले ले कर उसकी कामोत्तेजना को और बढ़ा रही थी। कभी उसके ऊपर लेट कर अपनी निपल्स से उसकी पीठ को सहलाती तो कभी उसके ऊपर पूरा दबाव डाल कर अपने बोबों से पीठ की जोरदार घिसाई करते हुए मालिश करती। करीब आधे घंटे तक सोनू से मजे लेने के बाद आखिर मैंने अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया।
वो एक दम बेकाबू हो कर उसे अपनी चूत की फाँकों से निचोड़ने लगी और तेजी से कभी आगे पीछे तो कभी दायें बाएँ हिल हिल कर अपनी बुर की खुजली मिटाने लगी।मेरे आग्रह पर अपनी चूत को मेरे लन्ड के चारो ओर गोल गोल भी घुमाया और फिर उईईईईईई मर गई....... की एक लंबी सिसकारी लेते हुए मुझसे लिपट गई। उसके ज्वालामुखी की तरह फूटते कामरस के साथ साथ ,सेक्स के प्रति उसका मानसिक अवरोध अब पूरी तरह बह निकला था।उसकी आँखों से आंसुओं की धार बह रही थी, लेकिन होंठों पर एक अजीब संतोष भरी मुस्कान भी थी। मेरा इलाज कामयाब रहा था।मैं सोनू को उसी पोजीशन मे अपनी बाहों मे भींच भींच कर देर तक प्यार करता रहा।
जैसा की मैं बता ही चुका हूँ की मैं किसी भी सेक्स सेशन का समापन अपनी फेवरिट मिशनरी पोजीशन मे ही करता हूँ। सो मैंने अपना लंड उसकी चूत मे पिरोये पिरोये ही पलटी खाई और अपनी बाहें उसकी पीठ के पीछे ले जा कर उसे अपनी भुजाओं मे ज़ोर से जकड़ते हुए उसकी भयभीत हिरनी के समान बड़ी बड़ी बंद आँखों के आंसुओं को चूम चूम कर सुखाया और फिर आंसुओं से भीगे हुए गालों को चूसते हुए हौले हौले धक्के मारने शुरू करे। पूरी तरह झरने के बाद भी सोनू की चूत के होंठ फुदक फुदक कर मेरे लौड़े को चूस रहे थे।उसने अपनी बाहों से मेरी गर्दन और टांगों से कमर दबोच रक्खी थी। मैंने उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए अपनी स्पीड बढानी शुरू करी और उसके संतरे की फांकों जैसे होंठों को अपने होठों से कस कर भींचते हुए फ़ाइनल अटैक करा। अब मेरा गरमा गरम लावा उसके कामकुंड मे अंतिम आहुति दे रहा था। सोनू ने भी मुझे कस कर भींचा और एक बार फिर से स्खलित हो कर मेरा साथ दिया। मैने सोनू की टांगों को अपनी टांगों के बीच में लेते हुए उसकी चूत को मेरे लंड को पूरी तरह दबाने का मौका दिया।उसने भी अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरे लौड़े को अच्छी तरह निचोड़ डाला। अब बर्फ पूरी तरह गल चुकी थी । मैं देर तक सोनू के बदन पर निढाल हो कर पड़ा रहा। तब तक पिंकू भी सोनू के बगल मे आ कर लेट गई। मैंने पिंकू को भी मेहनताने और शाबाशी के तौर पर गिन कर एक सौ एक पुच्चियाँ उसके फ़ेस पर दीं। वो एक योग्य ट्रेनिंग असिस्टेंट सिद्ध हुई थी।
अब तक सुबह के चार बज गए थे। हम लोग निढाल हो कर जहां थे जिस पोजीशन मे थे, नींद के आगोश मे समाते चले गए। बीच मे मेरी आँख थोड़ी सी खुली तो नीले नाइट बल्ब की हल्की रोशनी मे देखा की सोनू एक मासूम बच्चे की तरह नींद मे ही हौले हौले मुस्कुरा रही है। मेरे दिल पर कटारियाँ चल गईं। मैंने अपने जज़्बात पर काबू किया और स्वप्नलोक मे खो गया।
अब इस कहानी की सीक्वेल “जीत का इनाम “ मे मैं लिखुंगा की कैसे मैंने पिंकू और सोनू से अपनी गेम मे जीतों का इनाम वसूला और उन्होने भी इसका कैसे भरपूर आनंद लिया।