Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 01:19 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मैने कहा , भाभी मैं क्या बात करूँगा उनसे, और वैसे भी उन्हे इस बात से ज़रा भी खुशी नही होगी, आप ही बता देना उनको मैं अब फोन रखता हूँ तो भाभी बोली –रूको तो सही, देखो हर माँ के कुछ अरमान होते है और पिछले कुछ दिनो मे जिस दर्द से तुम गुज़रे हो वो हम सब ने भी महसूष किया है मेरी बात सुनो और तुम ही उन्हे बता दो

माँ-बेटे को अच्छे से समझती है मुझे विश्वास है कि तुम्हारी खुशी मे ही हम सब की खुशी है लो मैं फोन उन्हे दे रही हूँ बात करो, और फिर कुछ सेकेंड्स बाद मम्मी की आवाज़ मेरे कानो से टकराई, मैने नमस्ते किया और कहा कि मम्मी कुछ बताना था आपको, तो उन्होने कहा- बोलो,सुन रही हूँ मैं

मैं जानता था कि उस टाइम उनका दिल भी कुछ ज़ोर से धड़क रहा होगा शायद वो सोच रही होंगी कि अब क्या नयी बात खड़ी हो गयी

मैने एक गहरी सांस ली और फिर बस इतना ही कहा मम्मी मैने शादी कर ली है कुछ देर तक दूसरी तरफ खामोशी छाई रही और फिर मम्मी ठंडी सी आवाज़ मे बोली अच्छा किया , करनी ही थी पर अचानक क्यो बताना चाहिए था ना मैं कुछ नही बोला मम्मी ने कहा औलाद ना जाने कब बड़ी हो जाती है सच मे पता ही नही चलता, पर ठीक है तो घर कब आओगे

मैने कहा कुछ दिनो बाद आउन्गा, किस से शादी की है ये नही पुछोगी क्या तो वो बोली क्या फरक पड़ता है तुम्हे पसंद है जिसका भी हाथ पकड़ा होगा सोच-समझ कर ही पकड़ा होगा तुम्हारी लाइफ है जैसे जियो बस मेरा बेटा खुश रहे और मुझे कुछ नही चाहिए, उनकी उस ठंडी आवाज़ मे छिपे एक माँ के दर्द को महसूस कर लिया था मैने वो अपनी फीलिंग्स को छुपाने की कोशिश कर रही थी पर ये जो माँ बेटे का रिश्ता होता है ना

ये बड़ा ही गहरा होता है , मम्मी के अनकहे दर्द को मैने सॉफ पकड़ लिया था उन्होने अपना गला खंखारा और पूछा क्या नाम है हमारी बहू का मैने कहा आप जानते है उसे, मैने निशा को अपना हमसफ़र चुना है मम्मी तो वो बस इतना ही बोली ये ठीक किया तुमने अच्छी लड़की है और तुम्हे समझती भी है फिर मम्मी बोली जल्दी घर आना और फिर कुछ और बातों के बाद फोन कट कर दिया

मैने अपना सर निशा की गोद मे रख दिया और लेट सा गया सिर थोडा भारी भारी सा हो रहा था , वो मेरे बालो मे उंगलियाँ फिराते हुए बोली क्या बात है कुछ परेशानी है क्या मैं मुस्कुराया और कहा नही कुछ नही रात धीरे-धीरे जवान होने लगी थी कहने को तो वो हमारी सुहागरात होनी थी पर क्या ये शादी असल मायने मे शादी थी या फिर ये एक उपाय था कि निशा हमेशा मेरे साथ ही रहे

मैने निशा से कहा कि मुझे बस थोड़ा सा टाइम देना मैं कोशिश करूँगा एक बेहतर पति बन ने की तो निशा हँसते हुए बोली क्या सोचने लग जाते हो तुम तुम साथ हो मेरे यही बहुत है लाइफ का जो ये दौर है मैं इस को समझती हूँ और तुम भी ऐसा ना सोचो टाइम के साथ सब ठीक हो जाएगा रिलॅक्स रहो और मुझे गले से लगा लिया वो बोली काफ़ी टाइम हो गया है चलो अब सो जाओ

कल मुझे भी बॅंक जाना है और तुम्हे भी एजेन्सी जाना है, रात को अचानक ही मेरी आँख खुल गयी गला कुछ सूख सा रहा था मैं पानी पीने के लिए उठा पास ही मेरे निशा सोई पड़ी थी अपने सपनो की दुनिया मे मस्त, कितना सुकून था उसके चेहरे पर , सुख की नींद सोई पड़ी थी वो मैं सोचने लगा काश इसी बेफिक्री से मुझे भी नींद आती पर अब कहाँ मुमकिन था मैं रसोई मे गया

फ्रिड्ज से बॉटल निकाली और पानी पी ही रहा था कि एक हवा का झोंका जैसे मुझसे टकराया उस खुश्बू को मैं हज़ारो मे भी पहचान सकता था, ना जाने क्यो मैं मुस्कुरा पड़ा मेरी निगाह दरवाजे पर गयी तो देखा ….. कि मिता थी या कोई हवा का झोंका सा था क्या ये मेरा आभास था नही ये वो ही थी, वो मेरी ओर देख कर मुस्कुराइ


मैने कहा आ गयी तुम वो अपनी पॅल्को को घूमाते हुवे बोली मुझे तो आना ही था मैने कहा फिर गयी ही क्यो थी तुम तो वो बोली जाना पड़ा मेरी आँखे डब डबा आई वो मेरे पास आई और मेरी आँखो से आँसू पोछते हुवे बोली रोते हुए बिल्कुल अच्छे नही लगते हो तुम, मैने कहा जी नही पाउन्गा तुम्हारे बिना वो बोली मैं तो हर पल ही साथ हूँ तुम्हारे मैने कहा फिर ये दूरी क्यो, वो बोली-कहाँ है दूरी देखो कोई दूरी नही मैं बस एक फीकी मुस्कान बिखेर गया

वो बोली वैसे ये अच्छा किया तुमने जो शादी कर ली , मैने कहा जान कर जख़्मो को कुरेद रही हो मिता मेरे और पास सट गयी और बोली मनीष हमारा प्यार सदा बना रहेगा देखो अब तुम्हारे मेरे बीच कोई दीवार नही , कोई फासला नही मैं हर पल तुम्हारा ही तो साया हूँ जुड़ी हूँ मैं तुमसे मैने कहा हाँ मेरी रूह मे बस्ती हो तुम मैं कभी जुदा ना हो पाउन्गा तुमसे

मिता की साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी वो ही खुसबू मेरे अंतर मन को छू रही थी मेरी आँख से टपक कर आँसू बहने लगा मिता ने उसे अपनी जीभ से चाट लिया पूरा जिस्म जैसे अपने मुकाम को पा गया था मैं शांत सा हो गया था और फिर अगले ही पल कुछ नही था वहाँ पर फिर से चली गयी थी वो वहाँ से अब मुझे नींद कहाँ आनी थी कमरे मे आया एक नज़र निशा पर डाली और फिर मैं घर से बाहर आ गया
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