Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:56 PM,
#65
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"तेरे इश्क़ मे यदि कोई मेरे सीने मे खंजर खोप दे....
या फिर दिल निकाल कर उसे अंगरो के बीच रख दे,
मुझे इसकी परवाह नही,लेकिन यदि तेरी आँखो से...
आँसू का एक बूँद भी निकला तो वो मेरे लिए कयामत है...."
.
"अरमान,कुच्छ कर ना,वरना आज जो होने वाला है उसका अंजाम बहुत बुरा होगा..."

"वेल...पहले एक बात बता, तू मार खाने से डरता तो नही..."

"कोशिश करूँगा..."

"तो चल आजा,एक प्लान है मेरे पास..."

"कैसा प्लान..."

"प्लान ये है कि एश और दिव्या को कैसे भी करके कॅंटीन से निकलना है और सीनियर्स पर हाथ भी नही उठाना है और तो और हमे इसका भी ख़याल रखना है कि उन दोनो आइटम्स मे से कोई भी बाहर जाकर नौशाद और उसके दोस्तो की शिकायत ना करे.."

"क्या ये मुमकिन है..."

"ओफ़कौर्स ,याद है मैने क्या कहा था कि कभी ये मत भूलना की मैं अरमान हूँ"

"भैया जी,अपनी बढ़ाई बाद मे करना,पहले ये बताओ की प्लान क्या है..."

मैने अरुण को पकड़ा और कॅंटीन के गेट पर जो कि आधा खुला हुआ था उसपर पूरी ताक़त से अरुण को धकेल दिया...गेट से टकराने के कारण एक जोरदार आवाज़ हुई...

"बीसी,तुझे यहाँ से जाने के लिए कहा था ना...."अरुण को कॅंटीन के अंदर देख नौशाद ने अपने दोस्तो को गालियाँ भी बाकी की उन्होने कॅंटीन का गेट क्यूँ बंद नही किया...

"मैं भी हूँ इधर..."कॅंटीन के अंदर किसी हीरो की तरह एंट्री मारते हुए मैने कहा..."साला जब भी आक्षन वाला सीन होता है, मेरा गॉगल्स मेरे साथ नही रहता...:आंग्री :"

"वैसे तेरा प्लान क्या है,मुझे अब तक नही पता..."कपड़े झाड़ते हुए अरुण खड़ा हुआ...

"प्लान ये है कि तू जाके नौशाद के उपर कूद पड़,मैं बाकियो को देखता हूँ..."

"साले,मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि तू इतना घटिया प्लान भी बनाता है...नौशाद तो आज मेरा कचूमर बना देगा..."लंबी साँस भरते हुए अरुण ने कहा और सीधे जाकर नौशाद के उपर कूद पड़ा...

अरुण के द्वारा किए गये अचानक इस हमले से नौशाद ने अपना कंट्रोल खो दिया और एक तरफ गिर पड़ा...नौशाद के गिरने के साथ ही दिव्या भी एक तरफ गिर पड़ी और मैने तुरंत जाकर दिव्या को सहारा देकर उठाया और एश के साथ उसे वहाँ से भाग जाने के लिए कहा.....लेकिन इस वक़्त मेरे सामने हॉस्टिल के तीन सीनियर्स खड़े थे....

"दो को तो मैं रोक लूँगा,एक को तुम दोनो संभाल लेना...."

"लेकिन कैसे..."हान्फते हुए दिव्या बोली...

"तुम दोनो के उपर का माला खाली है क्या, इतने सारे ग्लास ,प्लेट टेबल पर रखे है...सब फोड़ देना उसके उपर..."

"ठीक है..."
और मैने ऐसा ही किया...दो को मैने बड़ी मुश्किल से संभाला और तीसरे के सर पर दिव्या और एश ने काँच की ग्लास फोड़ डाली और वहाँ से भाग गयी....दोनो को भागते देख मैं भी वहाँ से उठा और बाहर जाकर उन दोनो से कहा कि...वो दोनो ये बात किसी को ना बताए और जाकर पार्किंग मे खड़ी अपनी कार पर आराम करे मैं ,थोड़ी देर मे उनसे मिलता हूँ....
.
वैसे उन दोनो पर यकीन करना कि वो दोनो वैसा ही करेंगी जैसा कि मैने उन्हे कहा है...इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल था...खैर इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी तो नही था...खुद को मजबूत करके मैं वापस कॅंटीन मे घुसा...जहाँ नौशाद और हॉस्टिल के तीनो सीनियर अरुण की ठुकाई करने के लिए तैयार खड़े थे...

"लिसन...जेंटल्मेन आंड जेंटल्मेन..."पहले मैने अपने हाथो की उंगलियों को चटकाया और फिर गर्दन...उसके बाद मैने अपने शर्ट का कॉलर खड़ा किया ,जिससे उन सबको ऐसा लगने लगा कि मैं उनसे भिड़ने के लिए तैयार हूँ...लेकिन मेरा प्लान कुच्छ दूसरा था..मैने एक बार और अपनी उंगलियो को दूसरे आंगल से फोड़ा और फिर कहा"नौशाद भैया,हम दोनो मार खाने के लिए तैयार है "
.
मुझे अंदाज़ा था कि अब नौशाद और उसके दोस्त हम दोनो बहुत जमकर कुटाई करेंगे...उनके गुस्से को देखकर भी यही लग रहा था...लेकिन उन्होने ऐसा नही किया,उन्होने हमे ज़्यादा नही सिर्फ़ दो-तीन थप्पड़ और चार-पाँच घुसे ही मारे और धमकी दी की वो लोग आज रात मे हम दोनो को जान से मार देंगे....

"चल उठ,अभी प्लान का एक और हिस्सा बाकी है..."अरुण को ज़मीन से उठाते हुए मैने कहा...

"गान्ड मराए तू ,और तेरा प्लान...बोसे ड्के,हाथ मत लगा मुझे..."कराहते हुए अरुण उठकर बैठ गया"साले ये कॅंटीन वाले भी महा म्सी है,जो लफडा शुरू होते ही यहाँ से खिसक लिए..."

"लड़की चाहिए तो मार खाना ही पड़ता है..."

"अरे लंड मेरा...साले तुझे कॉलर उपर करते देख मैने सोचा था कि तू अब इन सबको मारेगा लेकिन तू तो एक नंबर का फटू निकला...हाए राम! उस बीसी नौशाद ने सीधे एक लात पेट पर दे मारी है...लगता है मेरे लिवर फॅट चुके है...तू आज के बाद मुझसे बात मत करना..."

"अबे इतना भी नही मारा उन लोगो ने,जो तू ऐसे लौन्डियो की तरह रो रहा है...साले तू देश की सेवा कैसे करेगा फिर,देश के लिए तू जान क्या देगा जो इतनी सी मार ना सह सका..."

"अरे भाड़ मे जाए देश...लवडे जब तू दिव्या और एश को लेकर यहाँ से भागा था,तभी उन चारो ने मिलकर मुझे जमकर ठोका,...."

"ले पानी पी ,शाम को दारू पिलाउन्गा...और तू कहे तो अभी ,इसी वक़्त दिव्या से भी बात करता हूँ..."

"दारू-पानी छोड़,पहले दिव्या से बात करवा...जिसके लिए मैने इतनी मार खाई है..."मेरे कंधे के सहारे खड़ा होते हुए अरुण कराहते हुए बोला"वैसे ये बता कि अब दिव्या मुझसे इंप्रेस तो हो जाएगी ना..."

"बेटा दिव्या इंप्रेस तब हुई होती ,जब तू पिट कर नही पीट कर आया होता...."

"तू साले दोस्त के नेम पर कलंक है..."

"और ये कलंक ज़िंदगी भर नही छूटेगा..."
.
वहाँ से हम दोनो पार्किंग की तरफ बढ़े और मैं रास्ते भर यही दुआ करता रहा कि एश ,दिव्या के साथ वही मौजूद हो...क्यूंकी ये मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे उपजे प्लान का हिस्सा था और यदि ऐसा नही हुआ तो फिर एक बहुत भयानक तूफान आने वाला था,जिसे मैं चाहकर भी नही रोक पाता...पर मेरी किस्मत ने यहाँ पर मेरा साथ दिया ,जैसा कि अक्सर देती थी....कभी-कभी तो मुझे शक़ होने लगता कि मैं किस्मत का गुलाम हूँ या किस्मत मेरी गुलाम है....
.
"बिल्ली दरवाजा खोल..."कार के शीशे पर नॉक करते हुए मैने कहा और अरुण को वही खड़ा कर दिया लेकिन उसके अगले पल ही अरुण ज़मीन मे बिखर गया,उससे अपने पैरो पर खड़ा भी नही हुआ जा रहा था....
.
"शरीर का जो एक-दो हिस्सा सही-सलामत है,तू उसका भी भरता बना डाल..."ज़मीन पर पड़े-पड़े वो मुझपर चीखा...

"सॉरी यार,मैने ध्यान नही दिया..."

मैने अरुण को सहारा देकर वापस उठाया और कार के अंदर उसे बैठने के बाद मैं खुद भी कार के पीछे वाली सीट पर बैठ गया...

"चलो..."कार के अंदर बैठकर मैने दिव्या से कार चलाने के लिए कहा...

"कहाँ चलें..."पीछे पलट कर एश बोली...

"अमेरिका चल,जापान चल,चीन चल,पाकिस्तान चल...जहाँ मर्ज़ी हो वहाँ चल...लेकिन इस वक़्त यहाँ से चल...बिल्ली कही की,दिमाग़ तो है ही नही "

दिव्या ने कार स्टार्ट की और कार को कॉलेज के मेन गाते की तरफ तेज़ी से दौड़ाने लगी...

"अबे तूने इन दोनो को तो बचा लिया,लेकिन अब सवाल ये है कि नौशाद और पूरे हॉस्टिल से हमे कौन बचाएगा....अब तो ना घर के रहे ना घाट के...मतलब कि ना सिटी वालो के रहे और ना हॉस्टिल वालो के...जहाँ जाएँगे थूक कर आएँगे...अरमान तूने तो मुझे जीते जी मार दिया.."

"क्या यार तू भी ऐसे तूफ़ानी सिचुयेशन मे ऐसा सड़ा सा डाइलॉग मार रहा है...और हॉस्टिल वालो की फिकर छोड़ दे ,क्यूंकी अभिच मेरे भेजे मे एक न्यू प्लान आएला है...""तेरे इश्क़ मे यदि कोई मेरे सीने मे खंजर खोप दे....
या फिर दिल निकाल कर उसे अंगरो के बीच रख दे,
मुझे इसकी परवाह नही,लेकिन यदि तेरी आँखो से...
आँसू का एक बूँद भी निकला तो वो मेरे लिए कयामत है...."
.
"अरमान,कुच्छ कर ना,वरना आज जो होने वाला है उसका अंजाम बहुत बुरा होगा..."

"वेल...पहले एक बात बता, तू मार खाने से डरता तो नही..."

"कोशिश करूँगा..."

"तो चल आजा,एक प्लान है मेरे पास..."

"कैसा प्लान..."

"प्लान ये है कि एश और दिव्या को कैसे भी करके कॅंटीन से निकलना है और सीनियर्स पर हाथ भी नही उठाना है और तो और हमे इसका भी ख़याल रखना है कि उन दोनो आइटम्स मे से कोई भी बाहर जाकर नौशाद और उसके दोस्तो की शिकायत ना करे.."

"क्या ये मुमकिन है..."

"ओफ़कौर्स ,याद है मैने क्या कहा था कि कभी ये मत भूलना की मैं अरमान हूँ"

"भैया जी,अपनी बढ़ाई बाद मे करना,पहले ये बताओ की प्लान क्या है..."

मैने अरुण को पकड़ा और कॅंटीन के गेट पर जो कि आधा खुला हुआ था उसपर पूरी ताक़त से अरुण को धकेल दिया...गेट से टकराने के कारण एक जोरदार आवाज़ हुई...

"बीसी,तुझे यहाँ से जाने के लिए कहा था ना...."अरुण को कॅंटीन के अंदर देख नौशाद ने अपने दोस्तो को गालियाँ भी बाकी की उन्होने कॅंटीन का गेट क्यूँ बंद नही किया...

"मैं भी हूँ इधर..."कॅंटीन के अंदर किसी हीरो की तरह एंट्री मारते हुए मैने कहा..."साला जब भी आक्षन वाला सीन होता है, मेरा गॉगल्स मेरे साथ नही रहता...:आंग्री :"

"वैसे तेरा प्लान क्या है,मुझे अब तक नही पता..."कपड़े झाड़ते हुए अरुण खड़ा हुआ...

"प्लान ये है कि तू जाके नौशाद के उपर कूद पड़,मैं बाकियो को देखता हूँ..."

"साले,मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि तू इतना घटिया प्लान भी बनाता है...नौशाद तो आज मेरा कचूमर बना देगा..."लंबी साँस भरते हुए अरुण ने कहा और सीधे जाकर नौशाद के उपर कूद पड़ा...

अरुण के द्वारा किए गये अचानक इस हमले से नौशाद ने अपना कंट्रोल खो दिया और एक तरफ गिर पड़ा...नौशाद के गिरने के साथ ही दिव्या भी एक तरफ गिर पड़ी और मैने तुरंत जाकर दिव्या को सहारा देकर उठाया और एश के साथ उसे वहाँ से भाग जाने के लिए कहा.....लेकिन इस वक़्त मेरे सामने हॉस्टिल के तीन सीनियर्स खड़े थे....

"दो को तो मैं रोक लूँगा,एक को तुम दोनो संभाल लेना...."

"लेकिन कैसे..."हान्फते हुए दिव्या बोली...

"तुम दोनो के उपर का माला खाली है क्या, इतने सारे ग्लास ,प्लेट टेबल पर रखे है...सब फोड़ देना उसके उपर..."

"ठीक है..."
और मैने ऐसा ही किया...दो को मैने बड़ी मुश्किल से संभाला और तीसरे के सर पर दिव्या और एश ने काँच की ग्लास फोड़ डाली और वहाँ से भाग गयी....दोनो को भागते देख मैं भी वहाँ से उठा और बाहर जाकर उन दोनो से कहा कि...वो दोनो ये बात किसी को ना बताए और जाकर पार्किंग मे खड़ी अपनी कार पर आराम करे मैं ,थोड़ी देर मे उनसे मिलता हूँ....
.
वैसे उन दोनो पर यकीन करना कि वो दोनो वैसा ही करेंगी जैसा कि मैने उन्हे कहा है...इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल था...खैर इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी तो नही था...खुद को मजबूत करके मैं वापस कॅंटीन मे घुसा...जहाँ नौशाद और हॉस्टिल के तीनो सीनियर अरुण की ठुकाई करने के लिए तैयार खड़े थे...

"लिसन...जेंटल्मेन आंड जेंटल्मेन..."पहले मैने अपने हाथो की उंगलियों को चटकाया और फिर गर्दन...उसके बाद मैने अपने शर्ट का कॉलर खड़ा किया ,जिससे उन सबको ऐसा लगने लगा कि मैं उनसे भिड़ने के लिए तैयार हूँ...लेकिन मेरा प्लान कुच्छ दूसरा था..मैने एक बार और अपनी उंगलियो को दूसरे आंगल से फोड़ा और फिर कहा"नौशाद भैया,हम दोनो मार खाने के लिए तैयार है "
.
मुझे अंदाज़ा था कि अब नौशाद और उसके दोस्त हम दोनो बहुत जमकर कुटाई करेंगे...उनके गुस्से को देखकर भी यही लग रहा था...लेकिन उन्होने ऐसा नही किया,उन्होने हमे ज़्यादा नही सिर्फ़ दो-तीन थप्पड़ और चार-पाँच घुसे ही मारे और धमकी दी की वो लोग आज रात मे हम दोनो को जान से मार देंगे....

"चल उठ,अभी प्लान का एक और हिस्सा बाकी है..."अरुण को ज़मीन से उठाते हुए मैने कहा...

"गान्ड मराए तू ,और तेरा प्लान...बोसे ड्के,हाथ मत लगा मुझे..."कराहते हुए अरुण उठकर बैठ गया"साले ये कॅंटीन वाले भी महा म्सी है,जो लफडा शुरू होते ही यहाँ से खिसक लिए..."

"लड़की चाहिए तो मार खाना ही पड़ता है..."

"अरे लंड मेरा...साले तुझे कॉलर उपर करते देख मैने सोचा था कि तू अब इन सबको मारेगा लेकिन तू तो एक नंबर का फटू निकला...हाए राम! उस बीसी नौशाद ने सीधे एक लात पेट पर दे मारी है...लगता है मेरे लिवर फॅट चुके है...तू आज के बाद मुझसे बात मत करना..."

"अबे इतना भी नही मारा उन लोगो ने,जो तू ऐसे लौन्डियो की तरह रो रहा है...साले तू देश की सेवा कैसे करेगा फिर,देश के लिए तू जान क्या देगा जो इतनी सी मार ना सह सका..."

"अरे भाड़ मे जाए देश...लवडे जब तू दिव्या और एश को लेकर यहाँ से भागा था,तभी उन चारो ने मिलकर मुझे जमकर ठोका,...."

"ले पानी पी ,शाम को दारू पिलाउन्गा...और तू कहे तो अभी ,इसी वक़्त दिव्या से भी बात करता हूँ..."

"दारू-पानी छोड़,पहले दिव्या से बात करवा...जिसके लिए मैने इतनी मार खाई है..."मेरे कंधे के सहारे खड़ा होते हुए अरुण कराहते हुए बोला"वैसे ये बता कि अब दिव्या मुझसे इंप्रेस तो हो जाएगी ना..."

"बेटा दिव्या इंप्रेस तब हुई होती ,जब तू पिट कर नही पीट कर आया होता...."

"तू साले दोस्त के नेम पर कलंक है..."

"और ये कलंक ज़िंदगी भर नही छूटेगा..."
.
वहाँ से हम दोनो पार्किंग की तरफ बढ़े और मैं रास्ते भर यही दुआ करता रहा कि एश ,दिव्या के साथ वही मौजूद हो...क्यूंकी ये मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे उपजे प्लान का हिस्सा था और यदि ऐसा नही हुआ तो फिर एक बहुत भयानक तूफान आने वाला था,जिसे मैं चाहकर भी नही रोक पाता...पर मेरी किस्मत ने यहाँ पर मेरा साथ दिया ,जैसा कि अक्सर देती थी....कभी-कभी तो मुझे शक़ होने लगता कि मैं किस्मत का गुलाम हूँ या किस्मत मेरी गुलाम है....
.
"बिल्ली दरवाजा खोल..."कार के शीशे पर नॉक करते हुए मैने कहा और अरुण को वही खड़ा कर दिया लेकिन उसके अगले पल ही अरुण ज़मीन मे बिखर गया,उससे अपने पैरो पर खड़ा भी नही हुआ जा रहा था....
.
"शरीर का जो एक-दो हिस्सा सही-सलामत है,तू उसका भी भरता बना डाल..."ज़मीन पर पड़े-पड़े वो मुझपर चीखा...

"सॉरी यार,मैने ध्यान नही दिया..."

मैने अरुण को सहारा देकर वापस उठाया और कार के अंदर उसे बैठने के बाद मैं खुद भी कार के पीछे वाली सीट पर बैठ गया...

"चलो..."कार के अंदर बैठकर मैने दिव्या से कार चलाने के लिए कहा...

"कहाँ चलें..."पीछे पलट कर एश बोली...

"अमेरिका चल,जापान चल,चीन चल,पाकिस्तान चल...जहाँ मर्ज़ी हो वहाँ चल...लेकिन इस वक़्त यहाँ से चल...बिल्ली कही की,दिमाग़ तो है ही नही "

दिव्या ने कार स्टार्ट की और कार को कॉलेज के मेन गाते की तरफ तेज़ी से दौड़ाने लगी...

"अबे तूने इन दोनो को तो बचा लिया,लेकिन अब सवाल ये है कि नौशाद और पूरे हॉस्टिल से हमे कौन बचाएगा....अब तो ना घर के रहे ना घाट के...मतलब कि ना सिटी वालो के रहे और ना हॉस्टिल वालो के...जहाँ जाएँगे थूक कर आएँगे...अरमान तूने तो मुझे जीते जी मार दिया.."

"क्या यार तू भी ऐसे तूफ़ानी सिचुयेशन मे ऐसा सड़ा सा डाइलॉग मार रहा है...और हॉस्टिल वालो की फिकर छोड़ दे ,क्यूंकी अभिच मेरे भेजे मे एक न्यू प्लान आएला है..."
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:56 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,667,714 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 564,127 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,304,518 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 987,902 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,750,433 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,160,256 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,089,531 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,530,603 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,183,874 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 300,994 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)