RE: Maa Bete ki Vasna मेरा बेटा मेरा यार
"खैर........भगवन की कृपा से हम सभ उस रात बच गए और अब उसे याद कर कर परेशां क्यों होना। भूल जाओ उस रात को........और वैसे भी मुझे इस तरह ख़ामोशी पसंद नहीं है, बेचैनी महसूस होती है। और बरखुरदार तुम.......तुम अपनी माँ का ध्यान रखा करो......अब मेरा तो पूरा दिन ऑफिस में निकल जाता है और अगर तुम भी अपने कमरे में बंद रहोगे तो तुम्हारी माँ का ख्याल कौन करेगा? इसलिए यह तुम्हारी जिम्मेदारी है के तुम अपनी माँ का ख्याल रखो। उसके काम में हाथ बंटाया करो.......उसे कहीं घुमा लाया करो.......कहीं शौपिंग वगेरह के लिए ले जाया करो........उसका भी मन बहल जायेगा" मेरे पति बेटे को लंबा चौढ़ा भाषण देते बोले।
"जी पापा" बेटा धीरे से बोला।
"हुंह....और यह भीगी बिल्ली की तरह रहना, बोलना बंद करो.....मरद बनो मरद........हम तुहारी उम्र में गर्दन अकड़ कर चलते थे और तुम.....जैसे जैसे तुम पर जवानी चढ़ रही है तुम ठन्डे पढ़ते जा रहे हो......." मेरे पति बेटे का कन्धा थपथपा कर बोले। उसके गाल कुछ और लाल हो गए थे।
"हाँ हाँ..बहुत अच्छी बात है......आपका समझाने का तरीका तो ........माशाअल्लाह........आप क्या चाहते हैं वो पढ़ाई छोड़ कर आवारागर्दी करने लग जाये........जी नहीं, वो जैसा है, बहुत अच्छा है।" मैं मुस्कराती पति को टोकती हुयी बोली।
"अरे बेगम साहिबा। यह उम्र पढ़ाई के साथ साथ मस्ती करने की भी होती है। तुम क्या चाहती हो वो बंद कमरे में सारा दिन किताबों के पन्ने ही पलटता रहे। ऐसा नहीं चलेगा......अरे जवानी में मरद बड़े बड़े किले फ़तेह कर लेता है......हमें देखो....हम क्या थे और आज क्या हैं......" मेरे पति खुद पर गर्व करते बोले। अब उन्हें क्या पता जिस बेटे को वो मर्दानगी का पाठ पढ़ा रहे है, उसी बेटे ने उसकी बीवी पर मर्दानगी की ऐसी छाप छोड़ी थी जितनी वो आज तक नहीं छोड़ पाये थे। अपने मोटे लंड के ऐसे ताबड़तोड़ धक्के लगाये थे के पूरी चूत सूज गयी थी।
"बस कीजिये.......बस कीजिये.....वर्ना मेरी हंसी निकल जायेगी...." मैं हँसते हुए पतिदेव को चिढ़ाते हुए बोली। तभी मेरा बेटा उठ खड़ा हुआ। सायद वो हमारी बातचीत के कारन असहज महसूस करने लगा था।
उस रात जैसे ही मैं काम खत्म कर अपने कमरे में गयी तो पतिदेव ने मुझ पर भूखे शेर की तरह झपट पड़े। मेरा नाईट सूट झटके से निकल कर कोने में फेंक दिया और फिर मुझे उठाकर बेड पर पटक दिया और फिर अपना पायजामा उतारकर छलांग लगा बेड पर मेरी टांगो के मध्य आ गए।
"क्या बात है आज तो बहुत उछल कूद लगा रहे हो?" मैं हंसती हुयी बोली।
"तुम्हे मेरी मर्दानगी की बातें सुनकर हंसी आती है.....हुंह.....अब तुम्हे दिखता हूँ जानेमन.....असली मरद क्या होता है"
"ओह तो जो आज तक दिखाया था वो क्या था........" मेरी बात पूरी न हो सकी। पतिदेव की लपलपाती जीभ मेरी चूत के अंदर घुस गयी। उनके हाथ मेरे मम्मो को बुरी तरह निचोड़ने लगे। उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या आनंद था। कुछ भी कहूँ, मेरे पति चूत चाटने में उस्ताद थे। उनकी खुरदरी जिव्हा जैसे ही मेरे भग से टकराई मेरे मुख से तेज़ सिसकारी निकली। फिर क्या था घूम घूम कर उनकी जिव्हा की तीखी नोंक मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगी। मेरे हाथ खुद बा खुद पतिदेव के सर पर पहुँच गए और मैं उनका सर अपनी चूत पर दबाने लगी। कुछ ही क्षणों में मैं बुरी तरह कामोत्तेजित हो चुकी थी। चूत से रस बहने लगा था जिसे मेरे पतिदेव बड़े प्यार से चाट, चूस रहे थे। उनके हाथ मेरे तीखे अकड़े निप्पलों का खूब ज़ोरदार मर्दन कर रहे थे। उन्होने जोश में मेरी फूली हुयी चूत को पूरा मुंह में भर लिया और उसे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगे।
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