RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
आपने मेरी कामुकता भरी हिन्दी सेक्सी कहानी में पढ़ा कि मैं अपने बेटे के घर में हूँ, मेरी बहु पूरी खुल कर चुद कर अपनी प्यास और मेरी कामुकता का इलाज कर चुकी है.
अब आगे:
सोमवार को बहूरानी जी का व्रत था, उस दिन उसने मुझे कहीं हाथ भी नहीं धरने दिया.
जैसे तैसे सोमवार की रात कटी.
अगले दिन मंगलवार को मैं उपवास करता था, कई वर्षों से करता चला आ रहा था. कई बार मन में आया कि ये मंगलवार का व्रत नहीं करते और बहू रानी की जवानी का भोग लगाते हैं.
अगले किसी दिन एक्स्ट्रा व्रत कर लेंगे इस मंगल के बदले.
लेकिन बहूरानी ने मंगल को भी मेरी दाल नहीं गलने दी, कहने लगी कि जब इतने सालों से व्रत रहते आये हो तो क्यों तोड़ते हो? मैं कोई भागी जा रहीं हूँ कहीं.
तो मंगल भी ऐसे ही खाली खाली चला गया. जैसे तैसे मंगल की रात भी काटी.
सुबह हुई तो बुधवार आ गया था. लगा कि जैसे कोई त्यौहार आ गया हो. मन में उल्लास, उमंग और उत्साह भर गया. बिस्तर में लेटा हुआ नींद की खुमारी दूर करने की कोशिश करने लगा.
सोकर उठो तो लंड महाराज तो सुबह सुबह रोज ही खड़े हुए मिलते हैं.
“सब्र करो बच्चू आज चूत मिलेगी तेरे को!” मैंने लंड को थपकी दे दे कर जैसे सांत्वना दी.
फिर याद आया कि बहूरानी की झांटें भी शेव करनी हैं आज तो. कुल मिला कर दिन बढ़िया गुजरने वाला था.
वाशरूम से फ्रेश होकर निकला तो बहू रानी चाय लेकर आ रही थी, उसने चाय साइड टेबल पर रख दी.
“नमस्ते पापा जी!” बहूरानी हमेशा की तरह मेरे पैर छू आदर से बोली.
“आशीर्वाद अदिति बेटा, खुश रहो. सौभाग्यवती भव!” मैंने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया.
“तू भी अपनी चाय यहीं ले आ न!” मैंने कहा.
“जी पापाजी, अभी लाई.”
वो चाय लेकर आई तो मैंने उसे अपने पास बिस्तर में दीवान पर बैठा लिया- बहूरानी, आज तो तेरी पिंकी का मुंडन संस्कार है न?
मैंने कहा.
“पिंकी… कौन पिंकी?” बहू रानी ने अचकचा कर पूछा.
“तेरी पिंकी. जो तेरी जांघों के बीच छुपी हुई है, उसका मुंडन है न आज!” मैंने कहा.
“हहहहहाआअहा… तो आपने इसका नाम पिंकी रख लिया अब!” बहू रानी खुल कर हंसती हुई बोली.
“पिंकी तो ऐसे ही कह दिया अब सुबह सुबह चूत शब्द बोलना अच्छा भी तो नहीं लगता न!” मैंने कहा.
“पापा जी, तो फिर पिंकी के मुंडन का निमंत्रण दे दें पूरे मोहल्ले में. मोहल्ले भर की लेडीज आ जायेंगी फंक्शन में, गाना बजाना भी हो जाएगा.” बहू रानी मजाक करते हुए बोली.
“हाँ हाँ, सबको बुला लो और मुंडन के बाद अपनी पिंकी की मुंह दिखाई भी करवा लो. तुझे भी गिफ्ट्स मिलेंगे और मुझे भी न्यौछावर मिलेगी आखिर नाई हूँ ना और हो सकता है मोहल्ले की लेडीज अपनी अपनी पिंकी का मुंडन करवाने मुझे ही बुला लें. कितना मज़ा आयेगा इसमें, सबकी पिंकी देखने और चोदने को मिलेगी.” मैंने कहा.
“रहने भी दो पापाजी, अब ज्यादा मत उड़ो. मैं किसी की भी नहीं देखने दूंगी आपको. आप सिर्फ और सिर्फ मेरे हो. समझ लो हाँ!” बहूरानी तुनक कर बोली.
“चल अब मजाक बहुत हो गया, ये बता कि तेरी झांटें कैसे बनानी हैं. रेज़र से या हेयर रेमूविंग क्रीम से?” मैंने पूछा.
“पापाजी, वो क्रीम एक बार यूज़ करके देखी थी. मेरे को तो सूट नहीं करती, मेरी स्किन काली पड़ जाती है उससे!”
“ठीक है, फिर रेजर से ही बना दूंगा. चल आजा रेज़र ब्लेड ले आ और लेट जा!”
“अभी सुबह सुबह नहीं. अभी काम वाली मेड आयेगी, उसके जाने के बाद करवाऊँगी. अभी तो आप अखबार पढ़ो आराम से!” बहूरानी बोली और न्यूज़ पेपर लाकर मुझे दे दिया.
कामवाली मेड अपने समय से आ गयी और अपने काम में लग गयी. मैं अखबार पढता रहा, इसी बीच मेरी दूसरी चाय भी हो गई.
मेड अपना काम निपटा के नौ बजे के पहले ही चली गयी. उसके जाते ही मैंने बहूरानी को बांहों में भर लिया और उठा कर बेडरूम में बेड पर लिटा दिया. फिर बहूरानी का नाईट गाउन, ब्रा पैंटी सब फ़टाफ़ट उतार कर उसे नंगी कर दिया और मैं खुद भी नंगा होकर उसके बदन से लिपट गया. लगा जैसे खुशबूदार रेशम की गठरी को सीने से लगा लिया हो, कितना मज़ा आता है नंगी जवानी को बांहों में भरने से.
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