Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 10:05 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
धड़कते दिल से वो सुनील के साथ चली और सुनील उसे एक 5* होटेल में ले गया जहाँ उसने चेक्किन किया, एक रात के लिए सुनील ने हनिमून सूट बुक करवा लिया था, सवी तो सूट की चकाचोंध में खो गयी थी और सुनील अपने लिए ड्रिंक बनाता हुआ सोच रहा था कि कैसे बात शुरू करे.

सवी खिड़की पे खड़ी हो बाहर शाम के नज़ारे लेने लगी, बीच से दूर शहर की चहल पहल आज अच्छी लग रही थी, क्यूंकी आज वो सुनील के साथ अकेले थी, कोई नही था जो उसका ध्यान बाँट ले.

सुनील ने दो पेग गटगट डकारे और सवी के पास जा उसके साथ चिपक के खड़ा हो गया उसकी गर्दन पे अपने गरम तपते हुए होंठ रगड़ते हुए बोला ' क्या सोच रही हो?'

'कुछ भी तो नही बस ये टिमटिमाती हुई लाइट्स देख रही हूँ, अच्छी लग रही है ना'

'हां ये लाइट्स भी एक दूसरे से कितना जलती होंगी देखने वाले की नज़र एक पे नही टिकती सबको बराबर देखता है'

सवी की साँस उपर नीचे हो गयी एक डर सा समा गया उसके अंदर, कहते हैं कि चोर की दाढ़ी में काला तिनका होता है, कुछ ऐसा ही हाल हुआ सवी का 'जलन' शब्द सुन कर.

'ह्म्म तुम कब खुद को बदलोगी ?' सुनील उसकी साँसों की बढ़ती हुई रफ़्तार को महसूस कर उसके कंधे पे अपनी जीब फेरते हुए उसकी साड़ी के पल्लू के क्लिप को खोल बैठा और पल्लू लहराता हुआ ज़मीन पे गिर पड़ा.

'म म म मतलब?'

'वो तुम जानती हो....अब इतनी मासूम भी ना बनो'

'मैं...मैं...मैं....' सवी आगे बोल ना पाई उसका रोना निकल गया.

'मैं ..मैं क्या? हम...जो तुमने रूबी के साथ किया पिछले दो दिन, क्या वो ठीक था ? ...वो तुम्हारी बेटी है..कैसे भूल गयी तुम ??? और अब तक जो करती आ रही हो ..क्या वो सब ठीक है .../ ' सुनील के हाथ सवी के उरोज़ पे आ गये और उसे मसल्ने लगे.

सवी के मुँह से कोई बोल नही निकल पा रहा था .

'प प पता नही कैसे मुझ से .....'

'झूठ मत बोलो सवी कम से कम अपने आप से, मुझसे तो कभी कुछ नही छुपा पाओगि, लेकिन अपनी आत्मा के आईने में झाँक के देखो - तुम कहाँ हो और सूमी कहाँ है - तुमने खुद को ज़्यादा ज़रूरी समझा और सूमी के लिए सोनल और मैं ज़रूरी हैं और अब तो तुम और रूबी भी शामिल हो गयी हो जिनको वो खुद से आगे रखती है ......सोचो क्या कर रही हो तुम और इस सबका अंजाम क्या होगा ?'

सवी को काटो तो खून ना निकले..जैसे सारा खून पल भर में सुख गया हो....सुनील ने उसे उसकी असली शकल दिखा दी थी, जिसे खुद के आईने में देखना उसके लिए दुश्वार हो गया था.

'म म ...'

'बहुत नाटक कर चुकी हो तुम सवी.....हद से ज़्यादा ....लेकिन काठ की हंडी बार बार नही चढ़ती ...'

और सुनील ने झट से सवी को घुमाया और उसकी आँखों में झाँकने लगा.


सुनील की पैनी दृष्टि से सवी की रूह तक कांप गयी.

सुनील बार बार सवी को उसका आईना दिखा रहा था और जब सुनील ने सवी को पलट उसकी आँखों में झाँका तो उनमें उसे कोई पछतावा नज़र नही आया, सुनील को अपना प्रयास विफल होता हुआ नज़र आया, बात सूमी और सोनल की होती तो सुनील सवी की परवाह ना करता, पर बात रूबी की भी थी, जो उसकी जिंदगी में शामिल हो चुकी थी, कहने को रूबी ने आसानी से कह दिया था कि माँ दहेज में नही आती, पर उसके अंदर छुपे दर्द को सुनील समझ चुका था और उसने फिर एक प्रयास किया.

सवी की आँखों में झाँकते हुए सुनील बोला ' क्या तुम खुद को सच्चे मन से बदलना चाहोगी, या मैं ये समझू, कि जो खेल तुमने खेला था उसका भंडा फुट गया और अब हम दोनो के अलग रास्ते हैं.

सवी छिटक के सुनील से दूर हुई और फटी आँखों से उसे देखने लगी.

सुनील ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा मानो जैसे पागल ही हो गया हो, फिर कुछ देर बाद रुका और गुस्से से सवी को बोला, 'अगर तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा बनना चाहती हो, तो जाओ और सुनेल के दिमाग़ में जो जहर तुमने भरा है उसे निकालो, सूमी को उसका वो बेटा वापस करो जो अपनी माँ को ढूंढता हुआ आया था, जिसके दिल में कोई मैल नही था.'

सवी : मैं मैने ....

सुनील : कोई और नौटंकी नही तुमने कब क्या किया क्यूँ किया सब पता चल गया है मुझे बस ये आखरी मौका तुम्हें दे रहा हूँ, वो भी इस लिए कि रूबी का दिल ना दुखे वरना कसम से तुम्हारी शकल भी देखने को दिल नही करता.

सवी धम्म से वहीं सोफे पे बैठ गयी.

सुनील ने अपनी जेब से एक टिकेट निकाली सवी की जो मुंबई के लिए थी.

सुनील - ये रही तुम्हारी टिकेट मुंबई की और ये रहे 4000$ तुम्हारे खर्चे के लिए. ख़तम हो जाएँ तो मेसेज कर देना और भेज दूँगा. याद रखना - सुनेल उसी तरहा बिल्कुल सफेद काग़ज़ की तरहा वापस चाहिए और इस काम के लिए तुम्हें 3 महीने दे रहा हूँ. ना ना ऐसे मत देखो मेरी तरफ मैं जानता हूँ इतना टाइम तुम्हें लगेगा ही उसे सही रास्ते पे लाने के लिए. तुम्हारी फ्लाइट 2 घंटे बाद है, नीचे कार इंतजार कर रही है तुम्हें एरपोर्ट ले जाने के लिए. उम्मीद तो नही है फिर भी दिल में एक ख्वाइश है कि तुम सुधर जाओ - रूबी को उसकी सवी मिल जाए और सूमी को उसका बेटा. अब देखना ये है तुम इस इम्तिहान में पास होती हो या फैल.

इतना कह सुनील कमरे से निकल गया नीचे लॉबी में पहुँचा और पियर की तरफ कार दौड़ा दी.
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