Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:50 PM,
#68
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने जब सुमन की जीब को शिद्दत के साथ चूसना शुरू किया तो सुमन के नाख़ून सुनील की पीठ में गाढ़ने लगे --- अभी तक सुनील ने उसके उरोजो को हाथ नही लगाया था जो इंतेज़ार कर रहे थे एक मर्द के हाथों का अहसास पाने के लिए .

सुमन खुद अपने उरोज़ उसकी छाती में दबाने लगी और सिसकने लगी ---- उसकी आँखें नशे के मारे बंद हो गयी - जिस्म ढीला पड़ने लगा - उस से अब खड़ा रहना कतई भी मुमकिन नही था ----- वो गिरने को हुई तो सुनील ने उसे बाहों में जाकड़ लिया और वहीं सोफे पे उसे ले के बैठ गया ----- अब सुमन सुनील की गोद में थी और तेज तेज साँस ले रही थी.

'ठीक तो हो' सुनील पूछ बैठा

'हाँफती हुई सुमन बोली ' जालिम तूने तो स्वर्ग की सैर करवा दी - कब से तड़प रही थी --- आज मेरी रूह को उसका मोहसिन मिल गया --- म्म्म्माममम कैसे ब्यान करूँ जो लज़्ज़त --- जो आनंद --- जो सकुन आज मिला है .... मेरे सोए हुए अहसास जाग गये---- मेरा जिस्म का रोया रोया कर्ज़दार हो गया----- उम्म्म्म लव यू ---- लव यू--- लव यू' और सुमन पागलों की तरहा सुनील के चेहरे को चुंबनो से भरने लगी.

अब सुनील खुल चुका था मर्यादा की बेड़ियों से आज़ाद हो चुका था वो अब पूरा का पूरा सुमन का सागर बन चुका था..... उसे इतना आता तो नही था पर अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा था के सुमन को आज ऐसा आनंद मिले उसकी रूह को ऐसा सकुन मिले - जो आज तक ना मिला हो.

सुनील का दिल तो नही कर रहा था सुमन को गोद से हटाने का -- पर अब उसे ड्रिंक की तलब होने लगी --- उसने सुमन को साइड करने की कोशिश करी तो सुमन उसका इरादा समझ गयी.

'जब साक़ी गोद में बैठी हो तो तकलीफ़ क्यूँ कर रहे हो जानू' ये कहते हुए सुमन ने वाइन की बॉटल उठा एक घूँट भरा और सुनील के होंठों से होंठ जोड़ उसके मुँह में वाइन उडेल दी - सुनील ने भी वो घूँट गले के नीचे नही उतरा --- उसे फिर से सुमन के मुँह में डाल दिया.

ये वाइन का घूँट दोनो के मुँह में इधर से उधर होने लगा और चन्द कतरे गले तक जाने लगे --- प्यास बढ़ती जा रही थी लेकिन पीने को कोई भी तयार नही था --- आँखों में लाल डोरे तैरने लगे थे--- धीरे धीरे ये वाइन का घूँट ख़तम हो गया तो दोनो एक दूसरे की ज़ुबान पे टूट पड़े और बड़ी लगन से एक दूसरे को चूसने लगे - ज़ुबान की अपनी मिठास उपर से वाइन की खटास - क्या कॉकटेल थी--- नशा और बढ़ने लगा----- अब तो हद हो गयी थी सुनील के सयम की ---- सुमन ने तो कभी सोचा ही ना था कि जवान खून भी इतना सयम रख सकता है - अब तक तो उसे रोन्द दिया होता अगर सागर खुद भी होता तो........ सुमन के बर्दाश्त की सीमा ख़तम हो चुकी थी - लेकिन सुनील था कि होंठों तक ही रुका हुआ था . सुमन की आँखों ने संदेश देना शुरू कर दिया पर सुनील उसको समझते हुए भी ना समझने का ढोंग करते हुए फिर से सुमन के होंठों पे टूट पड़ा ....

आज लगता था सुमन की खैर नही .... इतनी मासूमियत और इतना नशा तो सागर के प्यार में भी नही था.

अब सुनील ने सुमन से वाइन की बॉटल ले ली गट गट दो घूँट पी गया और फिर एक घूँट अपने मुँह में रख वही खेल फिर से शुरू कर दिया. आग बढ़ती जा रही थी --- सुमन की चूत पिघलने लगी थी और जैसे ही सुनील ने हिम्मत करते हुए सुमन के उरोज़ पे हाथ रखा सुमन की बस हो गयी - वो हाँफती हुई लगभग चीखती हुई सुनील से चिपक गयी - उसकी चूत ने नदियों के बाँध खोल दिए थे - जिस्म अकड़ के काँपने लगा था और सुमन एक जोंक की तरहा सुनील से चिपक गयी - और अपने अतुलनीय ओर्गसम का सुख भोगने लगी ----- ऐसा तो कभी नही हुआ था उसके साथ जो आज हो रहा था.


मचलती हुई फ़िज़ाओं से सुमन जब वापस लॉटी तो उसका जिस्म ढीला पड़ चुका था. एक खुशी थी उसके चेहरे पे --- एक अदभुत अहसास को उसने आज अनुभव किया था --- अधरों पे मुस्कान ने अपना डेरा डाल लिया था.

मन था कि बस अब उड़ते ही रहना चाहता था.

आज पहली बार सुनील ने एक औरत को ऑर्गॅज़म को अनुभव करते हुए देखा था - उसके लिए ये एक नया अध्याय था जीवन के छुपे रहस्यों को जानने का.

'आर यू ओके' जब सुनील ने ये पूछा

सुमन हँसने लगी ' ओह माइ स्वीटू लगता है सेक्स लेसन्स पूरे करने पड़ेंगे - आइ जस्ट हॅड दा बेस्ट ऑर्गॅज़म ऑफ माइ लाइफ इन युवर आर्म्स डार्लिंग..... उम्म्म्म लव यू ' सुनील के होंठों को चूम लिया -- चूमा क्या थोड़ा काट भी लिया

अहह सुनील सिसक पड़ा अपने होंठ काटे जाने पर.

'जंगली बिल्ली' सुनील बुदबुदा उठा जिसे सुमन ने सुन लिया

'अब देखना ये जंगली बिल्ली कहाँ कहाँ काटती है'

'काटती है या कटवाती है'

'धत्त!!'

कुछ देर यूँ ही चप्पी रही - सुमन प्यार भरी नज़रों से सुनील को देख रही थी---आँखों से बोलना शुरू कर दिया - पर अभी कहाँ सुनील उसकी आँखों को पढ़ना सीखा था.

तंग आ के सुमन को बोलना ही पड़ा ' उफ़फ्फ़ अब सारी रात यहीं बैठना है क्या'

सुनील को हिचकी आ गयी --- वक़्त आ चुका था आगे बढ़ने का --- सुमन खड़ी हो गयी और अपना हाथ आगे बढ़ाया ---- पर सुनील ने कुछ और ही किया - उसने सुमन के हाथ को थाम उसे फिरकी की तरहा घुमाया और फिर अपनी गोद में उठा कर बेड रूम की तरफ बढ़ गया.

आह्ह्ह्ह क्या सजावट थी अंदर सुमन के बेडरूम की - हर चीज़ अपनी जगह --- एक भीनी भीनी सुगंध कमरे में फैली हुई थी.

सुनील ने सुमन को बिस्तर पे लिटा दिया और उसके पास बैठ उसे देखने लगा.

अब ये नज़रें बदल चुकी थी -- दोनो एक दूसरे को - प्यास भरी नज़रों से देख रहे थे सुनील के मन में थोड़ी झीजक थी - पहली बार किसी औरत के साथ प्रेम मिलन की राह पे चल रहा था - पर उसकी आँखें सुमन के कामुक बदन का रास्पान करने लगी थी.

सुमन ने अपनी बाँहें फैला दी और सुनील उन बाहों में समा गया 'अहह सुनील - मेरी जान' सुमन सिसक पड़ी जब सुनील की चौड़ी छाती ने सुमन के मम्मो को दबा डाला.
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