Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:44 PM,
#52
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
समर ने सुमन को बाँहों में भर साँत्वना देने की कोशिश करी तो सुनील उसपे झपट पड़ा – सुमन को उसकी बाँहों से अलग करते हुए पथरीली आवाज़ में जिसे सुन के कोई भी कांप जाए – स्टे अवे आंड नेवेर ट्राइ टू टच हर.

समर को समझ नही आया कि ये क्या हो गया. सुमन तो पत्थर हो चुकी थी. सविता ने समर को दूर ही रहने का इशारा किया और समर जहाँ सारे मर्द बैठे थे चुप चाप वहाँ जा के बैठ गया.

वक़्त आ चुका था सागर को आखरी विदाई देने का – सुनील ने विधि पूर्वक अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.

घर सूना हो गया और रह गये बस तीन लोग जो दीवारों में सागर को खोज रहे थे- उसकी यादें उन्हें तडपा रही थी. सविता सुमन के पास रुकना चाहती थी पर सुनील को समर की मोजूदगी बर्दाश्त नही थी - उसने दोनो को सॉफ सॉफ जाने के लिए कह दिया ---- और दुबारा कभी भी अपनी शकल ना दिखाने को बोल दिया.

सुनील अपने आँसू रोक अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहा था. रात हो चुकी थी - सुनील ने मुश्किल से सुमन और सोनल को खाना खिलाया जो कि उनके पड़ोसी लेके आए थे.

सोनल ने सागर का मोबाइल सुनील को दे दिया. पर इस वक़्त सुनील को सुमन और सोनल की ज़यादा चिंता थी. दोनो माँ बेटी सुनील से चिपकी हुई आँसू बहा रही और वो बस उनके सर पे हाथ फेरता हुआ संतावना देने की कोशिश करता रहा.

रोते रोते दोनो सुनील की गोद में सर रख सो गयी. सुनील अपनी जगह से बिकुल ना हिला और रात धीरे धीरे सरक्ति रही एक नये दिन के इंतेज़ार में - एक नयी सुबह - एक नयी जिंदगी जो बिखर चुकी थी - जिसे सुनील को समेटना था.

सुबह जब सुमन की नींद खुलती है तो उसे पता चलता है कि सुनील सारी रात बैठा रहा और वो और सोनल उसकी गोद में सर रखे हुए जाने कब सो गये थे – सोनल अभी भी सो रही थी. सुनील सागर की फोटो को बस देखे ही जा रहा था. उसकी आँखों में आँसू थे जिन्हें वो टपकने नही दे रहा था.

जाने वाला जा चुका था अब लॉट के नही आएगा – उसकी यादें साथ रहेगी – उसके प्यार का अहसास साथ रहेगा – सुमन अपने जी को कड़ा करती है – उसके बच्चों की जिंदगी का सवाल सामने खड़ा था – वो सुनील को अपने गले लगा लेती है ‘पगले सारी रात बैठा रहा – हमे हटा के थोड़ा तो आराम कर लेता’

‘कैसे आप दोनो की नींद तोड़ता – अब मुझे ही तो सब संभालना है’

‘मेरा बच्चा – मेरी जान’ भाव विहल हो सुमन सुनील के चेहरे को चुंबनो से भर देती है.

इतने में कोई पड़ोसी इनके लिए छाई नाश्ता ले आता है – सोनल भी उठ जाती है – तीनो फ्रेश हो कर नाश्ता करते हैं.

शोक मनाने लोग आते जाते रहते हैं- एक कोने में बैठे सुनील को सागर के मोबाइल की याद आती है – वो उसे खोलता है और जैसे ही उसकी नज़र उस मेसेज पे पड़ती है जो रमण ने भेजा था ग़लती से – वो समझ जाता है सागर की जान क्यूँ गयी – एक बाप अपनी बेटी की रक्षा नही कर पाया – उसका खून खोलने लगा – वो दूसरे कमरे में चला गया और उसने रूबी को कॉल किया.

‘भाई !’ रूबी की आवाज़ में दर्द था वो अपने प्यारे अंकल को आख़िरी बार देख भी ना पाई थी.

‘टेक युवर ऑल डॉक्युमेंट्स – पॅक अप और अगली फ्लाइट से यहाँ आजा – अकेले आने में डर लगता है तो मैं आता हूँ तुझे लेने – कहाँ है अभी तू’

‘अभी तो अपनी सहेली के घर हूँ – मम्मी पापा आ चुके हैं वो मुझे यूँ नही आने देंगे’

‘तू अपनी सहेली के पास रह – मुझे अड्रेस एसएमएस कर दे – मैं आरहा हूँ तुझे लेने’

सुनील अभी सुमन को कुछ बता नही सकता – थोड़ा संभली हुई नज़र आ रही है – ये बात पता चलते ही उसका दुख और भी बढ़ जाएगा – सोनल को कुछ बता नही सकता था – मोका ऐसा था कि दोनो को छोड़ के जा नही सकता – अभी तो सागर की अस्थियों का विसर्जन भी करना था – पर डॅड का भी हुकुम था – सेव रूबी – तो ये तो करना ही था – आख़िर बहन थी उसकी – जिसका शोषण हुआ था.

सुनील – सुमन को एक कमरे में ले गया

‘मोम मुझे आज और अभी मुंबई जाना है – रात तक वापास आ जाउन्गा – डॅड ने एक काम दिया है उसे पूरा करना बहुत ज़रूरी है’

सुमन : बेटा इस वक़्त ऐसे महॉल में तुम घर नही रहोगे तो ….

सुनील : माँ बस आज दिन की ही तो बात है जल्दी आने की कोशिश करूँगा – मैं कॉन सा आप दोनो को एक पल के लिए अकेला छोड़ना चाहता हूँ – पर ये काम बहुत ज़रूरी है रूबी की जिंदगी का सवाल है – मैं उसे लेने जा रहा हूँ

सुमन : कुछ बोलने वाली थी --- पर रुक गयी सवालिया नज़रों से सुनील को देखने लगी – उसे वो एसएमएस याद आगया जो सागर ने मरने से पहले भेजा था.

सुनील : ट्रस्ट मी मोम.

सुमन : ठीक है जा – अपना ख़याल रखना – और गुस्से को कंट्रोल में रखना ( वो समझ गयी थी कि आज समर और इसके बीच ज़रूर कुछ होगा – पर होनी को कोई टाल सकता है क्या)


सुनील उस पते पे पहुँच गया और रूबी को साथ ले उसके घर गया. सविता ने दरवाजा खोला – सुनील को देख बहुत हैरान हुई आंड साथ में रूबी को देख तो और भी हैरान हुई.

वो दिल से प्यार करती थी सुनील से – उसके आने पे हैरानी के साथ उसे खुशी भी हुई. आगे बढ़ उसने सुनील को गले से लगा लिया ‘ मेरा राजा – अचानक कैसे आना हुआ – चल अंदर चल’

समर अंदर हॉल में ही बैठा टीवी देख रहा था. सुनील को देख हैरान हुआ – उसे सुनील के व्यवहार पे बहुत गुस्सा था – और उसे देखते ही फिर वो गुस्सा उसके चेहरे पे दिखने लगा – वो आगे बढ़ सुनील को गले लगाना चाहता था पर जैसे ही उसने सुनील से नज़रें मिलाई – उन आँखों में उसने नफ़रत का जवालामुखी देखा.

समर को कुछ समझ नही आ रहा था कि ऐसा क्या हो गया है – वो सुनील जो उसकी इतनी इज़्ज़त करता था आज किस तरहा नफ़रत से देख रहा है.

सुनील : रूबी – जा पॅक अप कर – आंड टेक ऑल युवर डॉक्युमेंट्स.

समर – सविता : क्या मतलब?

सुनील : मासी मैं रूबी को साथ ले जा रहा हूँ हमेशा के लिए – अब ये मेरी ज़िमेदारी है – रूबी यहाँ नही रहेगी.

समर : बहुत ही गुस्से में बोला – क्या बकवास है ये – रूबी कहीं नही जाएगी.

सुनील : हिम्मत है तो रोक के दिखा दो – मेरी बहन तुम जैसे गलिज़ इंसान के साथ नही रहेगी.

सविता : सुनील हद में रहो क्या बक रहे हो तुम – तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई अपने मोसा से ऐसी बात करने की.

सुनील : मोसा…… एक ख़ूँख़ार हँसी के साथ – मोसा नही मासी – मेरा नाजाएज बाप.

समर और सविता की आँखें फटी रह गयी – इसे ये राज कैसे पता चला.

समर : बड़ों की बातों में तुम्हें बोलने का कोई अधिकार नही – जो हुआ हो गया – हम चारों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं – और हम अपने सभी बच्चों से बहुत प्यार करते हैं. अपने आप को ठंडा कर बेटा – ऐसे नही करते.

सुनील – बहुत ही गुस्से से चिल्लाया – शट दा क्रॅप – तू इंसान कहलाने के लायक नही – मुझे गर्व है मैं अपने डॅड का बेटा हूँ- गलिज़ इंसान – तू मेरी माँ को मुझे सेक्स लेसन्स देने के लिए मजबूर कर रहा था – जो माँ –बेटे के रिश्ते की मर्यादा को नही समझता – वो क्या रिश्ते निभाएगा – मेरी बहन तेरे साथ सेफ नही है. वो यहाँ किसी कीमत पे नही रुकेगी. मुझे मजबूर मत करना – मैं कुछ भी कर जाउन्गा.

सविता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया – उसे अपने कानो पे भरोसा नही हुआ :
सुनील क्या बक रहा है – जो भी मन में आया भोंकने लग गया – माना तुझे गुस्सा है – पर इसका मतलब…..

सुनील : बस मासी बस – इस गलिज़ इंसान को तुम इतने सालों में नही समझी. तभी इसका खून इतना गंदा निकला.
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