RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
सोनिया जल्दी से अपने सोफे से उठकर मेरे पास आ गई,,,,ओह्ह शिट्ट ,एम्म्म सूउररयी सुन्नयी मैने जानभूज
कर नही मारा मैने तो मज़ाक मे हल्के से रिमोट को तेरी तरफ फेंका था,,,,आइ म सूउरयी सन्नी
मेरा एक हाथ मेरी आँख पर था और मेरी आँख बंद थी लेकिन मैं दूसरी आँख से सोनिया की तरफ देख रहा था
वो थोड़ा परेशान हो गई थी और डर भी गई थी मेरी चोट की वजह से,,,,,यही तो प्यार था हम भाई बेहन मे
की किसी का दर्द नही देख सकते थे हम दोनो,,,ना वो मुझे हर्ट करके खुश थी ना मैं उसको,,,लेकिन जाने
अंजाने जैसे मैं उसको हर्ट कर देता था वैसे आज उसने भी मुझे हर्ट कर दिया था,,,,वो बस सौरी सौरी बोलती
जा रही थी,,,,और मेरे पास आके सोफे पर थोड़ी सी जगह मे बैठ गई थी,,,
सन्नी ज़ोर से लगा क्या,,,दिखा ज़रा,,,,इतना बोलके उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी आँख से मेरा हाथ हटा दिया
हाथ हट-ते ही उसने मेरी आँख को देखा,,,मेरी आँख के बिल्कुल पास आके लगा था रिमोट जिस से आँख पर हल्की
सूजन आ गई थी,,,,,ओह्ह मयी गॉड ये तो सूज गई है सन्नी,,,,उसकी आँखों मे आँसू आ गये मेरा दर्द
देखकर,,,,
आइम सौरी सन्नी मैने जान भूज कर नही मारा तेरी कसम सन्नी,,,,वो फिर से सौरी बोलती जा रही थी
अरे रो क्यूँ रही है पगली,,मैं जानता हूँ तूने जानभूज कर नही मारा क्यूकी मुझे पता है तू मुझे कभी
हर्ट नही कर सकती जैसे मैं नही कर सकता,,,,चल अब रोना बंद कर ,,,कुछ नही हुआ है मुझे,,,ठीक हूँ
मैं,,,इतना बोलकर मैने उसकी आँखों से निकलने वाले आँसू सॉफ किए अपने हाथ से और उसको चुप करवाने लगा
वो रोती जा रही थी और मैं एक हाथ से उसके आँसू पोंछ रहा था तभी उसने मेरा हाथ साइड कर दिया ,,आँख
खोल अपनी सन्नी दिखा ज़रा अंदर तो चोट नही लगी,,,वो रोती हुई बोल रही थी.,,
अरे कुछ नही हुआ बोला ना,,तू बिन-वजह परेशान हो रही है,,,,
फिर वो रोते हुए अपने ही अंदाज़ मे बोली,,,,बोला ना आँख खोल और दिखा मुझे,,,,
वो रोते हुए भी गुस्सा कर सकती थी यही तो खूबी थी उसकी जिस से मेरी फट-ती थी,,,उसके कहने पर मैने
आँख खोली तो वो ज़्यादा परेशान हो गई,,,
क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूँ हो गई,,,,
सन्नी वो तेरी आँख अंदर से लाल हो गई है,,,,लगता है बहुत ज़ोर से लगा तुझे,,,,दर्द हो रहा होगा ना,,,इतना
बोलकर वो फिर से रोने लगी,,,,
नही नही कुछ नही हुआ तू परेशान मत हो ठीक हूँ मैं,,,इतनी चोट तो लगती ही रहती है,,,अब तू रोना
बंद कर ,,,,
सौरी सन्नी ,,,,सब मेरी वजह से हुआ,,बहुत बुरी हूँ मैं,,,हर वक़्त गुस्सा करती रहती हूँ तेरे पर,,हर
बात पर डाँट देती हूँ,,,,आज तो खाना भी अच्छा नही खिला सकी तुझे और अब चोट भी लगा दी तेरे,,,वो
बहुत ज़्यादा रोने लगी,,,,
अरे पगली बोला ना कुछ नही हुआ मुझे,,,,अब तू मेरी छुटकी बेहन है मुझे डाँटने का तो पूरा हक़ बनता
है तुझे,,,,और तुझे किसने बोला कि खाना अच्छा नही था,,,,खाना बहुत अच्छा बना था,,,मैं तो मज़ाक कर रहा
था,,तूने देखा नही मैने आज 2 रोटी भी ज़्यादा खाई थी,,,,सच मे खाना बहुत अच्छा बना था,,इतना बोलते हुए
मैं उसकी आँखों से आँसू पोंछता जा रहा था,,,
खाने की तारीफ सुनके उसका रोना बंद हो गया लेकिन चेहरे पर मायूसी अभी भी थी उसके,,,,खाना अच्छा बना था
तो झूठ क्यू बोला तूने,,,ना तू झूठ बोलता और ना मैं तुझे मारती,,,सब तेरी वजह से हुआ और मैं पगली
समझ रही थी सब मेरी ग़लती है,,,,बिना वजह रो रही हूँ मैं ,,तेरे साथ ऐसा ही होना चाहिए,,,
अच्छा सौरी बाबा सब मेरी ग़लती है,,अब खुश,,,
तभी उसने हल्के से थप्पड़ मारा मेरे गाल पर जिसस से मेरी आँख के पास हल्का दर्द हुआ,,
अहह ,,,,,,,मेरे मुँह से आहह निकल गई,,,
ओह्ह सौररी सन्नी,,,मैने वो जानभूज कर,,,सौरी ,,,,उस से ग़लती हो गई थी इसलिए उसने अपने दोनो हाथों से
अपने कान पकड़ लिए और सौरी बोलने लगी,,,,वो किसी छोटी बच्ची की तरह कान पकड़ कर बैठी हुई थी और मुझे
सौरी बोल रही थी
इस वक़्त वो किसी मासूस बच्ची जैसी लग रही थी उसको देखकर मैं उसके मासूम चेहरे मे खो सा गया,,भूल गया कि मुझे चोट लगी है भूल गया कि मुझे दर्द हो रहा है,,,,जैसे मैं उसके मासूम चेहरे मे खो गया था वो भी एक टक मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,
तभी उसने अपनी जीन की पॉकेट से एक रुमाल निकाला और मेरी आँख बंद करके उस रुमाल को मेरी आँख पर
रख दिया,,,,
ये क्या कर रही हो,,,,रुमाल क्यू रखा मेरी आँख पर,,,,
कुछ नही भाई,,,,रुमाल रखकर हल्की गरम हवा दूँगी अपने मुँह से तो तेरी आँख का दर्द थोड़ा कम हो
जाएगा,,,,इस से पहले मैं कुछ बोलता या उसको ऐसा करने से मना करता उसने मेरी आँख बंद करके मेरी
आँख पर रुमाल रखा और खुद नीचे झुककर उस रुमाल पर अपने होंठ रखे और मुँह खोलकर अपने मुँह से
गरम हवा मारने लगी रुमाल पर जिसकी गर्मी मुझे अपनी आँख पर महसूस होने लगी और शायद मुझे कुछ
आराम भी मिलने लगा मुझे कुछ रहट महसूस होने लगी,,,,,
मैं सोफे पर लेटा हुआ था,,,,और वो सोफे पर थोड़ी सी जगह पर बैठी हुई थी,,,,मेरी लेफ्ट आँख पर चोट
लगी थी जिस पर रुमाल रखकर वो गर्म हवा मार रही थी,,,,वो मेरे जिस्म पर झुकी हुई थी जिस वजह से
उसका लेफ्ट हॅंड मेरी चेस्ट पर था और उसका राइट हॅंड उस रुमाल पर था,,उसने रुमाल को अपने हाथ से पकड़ा
हुआ था,,
जबकि मेरा लेफ्ट हॅंड सोफे से नीचे लटक रहा था और राइट हॅंड मेरे और सोफे के बीच मे था,,,मेरा लेफ्ट हॅंड
सोफे से नीचे उसकी टाँगों के पास टच हो रहा था लेकिन किसी ग़लत मकसद से नही,,,,लेकिन मेरा राइट हॅंड
पता नही कब मेरे पेट पर आ गया और वहाँ से सोनिया की कमर को टच करने लगा,,,वो मेरी चेस्ट पर झुकी
हुई थी और मेरी आँख पर हवा मार रही थी ,,,उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी चेस्ट पर टच करने लगे थे
जिस से मुझे हल्की मस्ती चढ़ने लगी थी और उसकी गर्म साँसे जो रुमाल से होती हुई मेरी आँख तक गर्मी पहुँचा
रही थी ,,उस गर्मी से मेरा जिस्म भी गर्म होने लगा और पता नही कब मेरा राइट हॅंड उसकी कमर को टच
करता हुआ उसकी पीठ पर चला गया,
वो मेरे उपर झुकी हुई थी जिस वजह से उसका टॉप थोड़ा उपर उठ गया था और मेरा हाथ उसकी जीन और टॉप के
बीच मे नंगी हुई पीठ पर रखा गया था,,,मैने अपने हाथ को हिलाया नही बस ऐसे ही वहाँ पड़ा रहने
दिया मुझे पता था अगर हाथ हिला तो पंगा हो जाना है,,,पंगा तो वैसे भी हो ही रहा था मेरे साथ,,,
किसी ग़लत मकसद से ना सही लेकिन हाथ नंगी पीठ पर टच होते ही मेरी हालत खराब होने लगी और शायद
सोनिया की भी,,,उसकी साँसे पहले से ज़्यादा गर्म हो गई थी और उसकी हार्ट बीट भी तेज हो गई थी,,,तेज तेज धड़कते
दिल के साथ उसकी छाती उपर नीचे होने लगी और उसके छोटे छोटे बूब्स रुक रुक कर मेरी छाती से टच होने
लगे,,,मेरा हाथ जो उसकी नंगी पीठ पर था उसकी उंगलियों ने मस्ती मे अपनी हरकते करना शुरू कर दिया
था,,,सोनिया शायद घबरा गई थी इसलिए मेरे जिस्म से उपर नही उठ रही थी लेकिन जैसे ही मेरे हाथ की हरकते
शुरू हुई वो एक दम से उपर उठ गई,,,उसके उठने की वजह से मेरा हाथ जो उसकी पीठ पर था वो पीठ से गिरता
हुआ मेरे पेट पर उसकी कमर के पास आ गया और अभी भी उसकी कमर को टच कर रहा था
|