RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं करण के रूम मे पहुँचा तो देख कर दिल खुश हो गया मेरा,,,,उसका रूम इतना अच्छा सजाया हुआ
था जैसे फ़िल्मो मे होता है,,,,बेड पर हर तरफ फूल ही फूल थे ,,बेड के चारों तरफ फूलों के
लंबे लंबे हार लटक रहे थे,,बेड पर वाइट कलर की बेडशीट बिछी हुई थी लेकिन गुलाब की पत्तियों
की वजह से बेड शीट गुलाबी लग रही थी,,,बेड से लेके रूम के दरवाजे तक भी फूलों का कार्पेट बनाया
हुआ था,,,,उसको देख कर मैं बड़ा खुश हो गया,,,,बस खो ही गया था ,,,
तभी मेरे लिप्स पर शिखा ने अपने लिप्स रख दिए और मेरे कुछ करने से पहले ही एक डीप किस करने लगी
मुझे,,,,,,मैं भी रूम की सज़वट देख कर इतना मस्त हो गया था कि दिल कर रहा था अभी शिखा को लेके
बेड पर चला जाउ और अपनी सुहाग शाम मना लूँ,,,क्यूकी अभी शाम हो रही थी,,,,
मैं सुहागरात के लिए सज़ा हुआ रूम देख कर और शिखा के किस करने पर मस्ती के सागर मे गोते खाने
लगा और मेरे हाथ शिखा के बदन पर कसने लगे ,,मैं उसकी पीठ को सहलाते हुए उसको किस करने लगा वो
भी मस्ती मे मुझे किस करती हुई मेरी पीठ को सहलाने लगी थी लेकिन तभी उसका हाथ मस्ती मे मेरे लंड
पर चला गया,,,,मैं एक दम से उछल गया,,,,,,मस्ती से नही डर से ,,,क्यूकी हम लोग करण के रूम के
'बाहर खड़े हुए थे ,,अंदर बेड से लेके दरवाजे तक फूलों का कार्पेट लगा हुआ था,,,हम लोग चलके
अंदर जाते तो सब खराब हो जाता और बाहर खड़े रहके हम हद से ज़्यादा नही बढ़ सकते थे,,क्यूकी कोई
भी आ सकता था वहाँ पर,,,,,और तभी ऐसा ही हुआ,,,,माँ कुछ बर्तन रखने के लिए शिखा के रूम से बाहर
निकल आई तभी उनकी नज़र हम दोनो पर पड़ी और इसका पता मुझे तब लगा जब मेरी पीठ पर हल्का सा हाथ
लगा उनका,,,,,,
कुछ तो शरम करो तुम दोनो,,,,माँ ने मेरी पीठ पर हाथ मारते हुए बोला,,,,
माँ ने इतना बोला तो एक दम से मैं और शिखा एक दूसरे से दूर हो गये,,,,
कुछ तो सोचो अगर रितिका देख लेती तो,,,,,माँ ने थोड़ा गुस्से मे लेकिन हल्की आवाज़ मे बोला,,,,
सौरी आंटी जी,,,वो करण की शादी हो गई है अब रितिका के आने के बाद पता नही वो हम लोगो की तरफ
ध्यान भी देगा या नही,,,और वैसे भी इस बेड को देखकर मुझसे कंट्रोल नही हुआ,,,,
जानती हूँ बेटी,,मैं समझ सकती हूँ,,,,अब भाभी आ गई है तो थोड़ा सम्भल कर रहना होगा तुम सबको
कहीं उसने देख लिया तो पंगा हो जाना है,,,और इस बेड को देखकर तो मुझसे भी रहा नही जा रहा,,,माँ
ने मस्ती मे मुझे हल्की किस करते हुए बोला,,,
चलो अब जाके भाभी और भाई के पास बैठ जाओ,,,,,,माँ ने इतना बोला और किचन की तरफ चली गई जबकि
मैं और शिखा करण और रितिका के पास चले गये,,,,शिखा ने जाते जाते मुझे बड़े प्यार से बोला,,,,
याद रखना एक दिन तेरे साथ भी मैं ऐसे ही सजे हुए बेड पर सुहागरात ज़रूर मनाउन्गी सन्नी,,,शिखा
ने इतना बोला और मुझे पीठ पर हल्की सी चुटकी काट दी,,,,,,,,फिर हम दोनो जाके बैठ गये रितिका और करण
के पास,,,,,
फिर काफ़ी टाइम तक हम लोग ऐसे ही बैठ कर मज़ाक करते रहे और जब रात होने को हुई तो हम लोगो ने बड़े
प्यार से करण और रितिका को उनके रूम तक छोड़ दिया,,,
हम लोगो ने करण और रितिका को करण के रूम के बाहर तक छोड़ा,,,यहाँ से करण को रितिका को गोद मे
उठाकर बेड तक लेके जाना था,,करण शरमा रहा था लेकिन जब हम लोगो ने ज़ोर डाला तो उसने रितिका को गोद
मे उठा लिया,,,,,अब रितिका शरमाने लगी,,,,लेकिन जैसे ही मैने रितिका की तरफ देखा तो उसने मुझे अजीब
नज़रो से देखा ,,,मैं कुछ समझ नही पाया,,,,हम दोनो एक दूसरे की आँखों मे आँखें डालके देख रहे
थे तभी माँ मेरे पास आई,,,,
ये दोनो तो चले रूम मे बेटा चलो अब हम भी चले अपने घर,,,,डिन्नर टाइम हो गया है डॅड रास्ता
देख रहे होंगे,,,,,मैं एक दम से माँ की बात सुनके उनकी तरफ पलट गया और मैने वापिस मुड़कर
रितिका और करण की तरफ नही देखा,,,शायद तब तक वो भी रूम मे चले गये होंगे,,,,
मैं मोम को लेके घर की तरफ चल पड़ा ,,,मैं रास्ते मे बाइक चलाता हुआ रितिका और करण के बारे मे
सोच रहा था,,,,और ख़ासकर रितिका की घूरती आँखों के बारे मे ,,,वो मुझे बहुत अजीब नज़रो से देख रही
थी,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,तभी मैने अपने लंड पर माँ का हाथ महसूस किया जो हल्की
मस्ती एक साथ मेरे लंड को दबा रही थी,,,,
माँ मत करो ना कोई देख लेगा,,,,,,
माँ ने हँसते हुए बोला,,,,,इतना अंधेरा है कॉन देखने वाला है यहाँ बेटा,,,,,और वैसे भी उन दोनो को
देख कर मेरी हालत खराब हो गई है,,,,जल्दी से घर जाके तेरे बाप के साथ सुहागरात मनाउन्गी मैं,,,
तेरा दिल करे तो तू भी आ जाना ,,,,
माँ की बात सही थी,,,,अंधेरा बहुत था,,वैसे भी सर्दियों मे रात जल्दी ही हो जाती है और बहुत कम लोग
नज़र आते है सड़क पर,,,,और दूसरा करण और रितिका की वजह से मैं भी मस्त हो गया था,,,,लेकिन जब भी मैं
रितिका के बारे मे सोचता तो उसकी घूरती हुई आँखें मुझे कन्फ्यूज़ कर देती,,,,,खैर हल्की मस्ती मे कन्फ्यूज़
होता हुआ मैं माँ को लेके घर आ गया,,,,
घर पर आके मैं सीधा रूम मे चला गया,,,सोनिया नीचे थी और डॅड भी,,,माँ भी नीचे डिन्नर की तैयारी
करने लगी थी,,,,,
मैं जल्दी से बाथरूम मे घुस गया और शवर लेने लगा,,,बहुत थक गया था इसलिए शवर लेके जब बाहर
निकला तो बेड पर लेट-ते ही मेरी आँख लग गई,,,
रात जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मेरे पास ही सोनिया बैठी हुई थी अपने बेड पर,,,वो बुक गोद
मे रखकर स्टडी कर रही थी,,,साला मैं इतना थक गया था कि इसी रूम मे सो गया,,,मुझे पता ही नही
चला,,,,
जैसे ही मेरी आँख खुली सोनिया बोल पड़ी,,,,,लगता है करण की शादी करवा कर कुछ ज़्यादा ही थक गये तुम
सन्नी,,,अब और सोना है या उठकर स्टडी करनी है,,,,
मैं आँखें मल्ता हुआ उठा,,,,नही अभी स्टडी नही करनी ,,,कल करते है,,,मैने इतना बोला और बेड से उठ
गया,,,और उठकर रूम के दरवाजे के पास गया,,,,दरवाजा तो बंद था लेकिन कुण्डी नही लगी हुई थी,,,मैने
दरवाजे की कुण्डी लगा दी,,,,कुण्डी की आवाज़ से सोनिया थोड़ा डर गई,,,,मैं कुण्डी लगा कर वापिस पलटा और अपने
बेड की तरफ जाने लगा,,,,
तभी सोनिया हल्की डरी हुई आवाज़ मे बोलने लगी,,,अच्छा हुआ करण की शादी हो गई रितिका से,,,अब वो अपनी ही
बेहन के साथ ऐसी घटिया हरकते तो नही करेगा कभी,,,,
मैं सोनिया की बात सुनके हँसने लगा,,,क्यूकी उसने करण का ताना मुझे मारा था,,उसको डर था कि कुण्डी
लगाकर मैं उसकी तरफ आ रहा हूँ और उसने मुझे रोकने के लिए करण की बात की थी,,,
मैं हँसते हुए अपने बेड के पास गया और अपने बेड से मॅट्रेस उठा लिया और उठकर दरवाजे के पास वाली
दीवार के पास ज़मीन पर मॅट्रेस लगा लिया और वहीं लेट गया,,,,,
सोनिया मेरी इस हरकत से थोड़ा खुश हो गई क्यूकी मैं मॅट्रेस को ज़मीन पर उसके बेड से दूर लगा रहा
था,,,उसने हंस कर मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोला शायद और मैने भी हंस कर उसको देखा और बता दिया कि डरने की ज़रूरत
नही मेरे से,,,,,,
उन दोनो की शादी ज़रूरी थी,,,,तुझे नही पता उसके पीछे कोई वजह थी,,,,जो वजह तू सोच रही है वो नही,,,
वो दोनो एक दूसरे से प्यार करते है इसलिए उनकी शादी करवाना ज़रूरी थी,,,और जो उसके और उसकी बेहन शिखा
के बीच मे है वो सब उन लोगो की आपस की बात है,,,कोई मजबूरी रही होगी उनकी,,,,तुझे उनका पूरा सच
नही पता और पूरा सच जाने बिना किसी पर ग़लत उंगली करना बुरी बात है,,,,
मुझे पता है उनका सच ,,तूने बताया था मुझे,,,वो अमित और बाकी की सारी बात भी,,लेकिन फिर भी उन्दोनो
का ऐसा करना बुरी बात है,,,,
मैं हँसने लगा उसकी बात पर,,,,तुम अगर किसी को अच्छा नही कह सकती तो तुम्हारा कोई हक़ नही बनता उसको
बुरा कहने का,,,,और रही बात सही ग़लत की तो बता मैं यहाँ तेरे रूम मे सोके ग़लती कर रहा हूँ या
तेरे रूम मे तेरे से दूर सोके ग़लती कर रहा हूँ,,,,क्या जवाब है तेरे पास इस बात का,,,,
वो सन्नी वो मियन्न,,,,उूओ,,,,,,उसको कोई जवाब नही सूझ रहा था वो बस चुप करके बैठ गई,,,मैने
एक बार उसकी तरफ हंस कर देखा और बोला,,,,
चल अब सोजा रात बहुत हो गई है,,,सुबह मिलकर स्टडी करते है,,और कल शायद कविता भी आ जाएगी मेरी
हेल्प करने के लिए,,,,
उसने गुस्से से मुझे देखा और बोली,,,,,,,,,वो नही आने वाली कल,,,,,कल वो अपने भाई के साथ अपनी माँ को
मिलने जा रही है,,,,उसने इतना बोला और मेरी तरफ पीठ करके लेट गई,,,,
उसने ये बात थोड़ी गुस्से मे बोली तो मैं डर गया,,,कहीं उसने सोनिया को कुछ बता तो नही दिया,,,कहीं
वो उस दिन की हरकत पर गुस्सा तो नही हो गई,,,मैं यही बातें सोचता हुआ दोबारा नींद के आगोश मे
चला गया,,,
सुबह जल्दी सोनिया ने मुझे उठा दिया,,,,,,सन्नी उठो,,,,सन्नी,,,सन्नी,,,,
मेरी आँख खुली तो सोनिया मुझे उठा रही थी,,,,क्या हुआ क्यूँ उठा रही हो,,,,और कितनी बार बोला मेरे पास
मत आया करो,,,,,
मुझे भी शॉंक नही तेरे पास आने का लेकिन मुझे अब उठकर बाहर जाना है ये दरवाजा खोलना है,,और अगर
दरवाजा खुलते ही मोम अंदर आ गई और उसने तुझे ज़मीन पर यहाँ सोते देख लिया तो पंगा हो जाना है ,,
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