RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
फिर उस दिन भी कुछ ख़ास नही हुआ,,,मैं डिन्नर के बाद पहले कुछ देर सोनिया के रूम मे रहा
ओर फिर जब माँ ऑर डॅड सो गये तो मैं शोबा के रूम मे जाके सो गया,,मैं जितना टाइम रहा सोनिया
के रूम मे जान भूज कर बारिश वाले सॉंग प्ले करता रहा लॅपटॉप पर ताकि उसको मेरे पर गुस्सा
आता रहे,,,,
अगले दिन भी कॉलेज से छुट्टी थी,,,कुछ खास नही था करने को,,,दाद ऑफीस चले गये थे,,मा
घर पर थी ओर सोनिया भी,,,तभी मा मेरे पास आ गई,,,,,
तूने कहीं जाना तो नही सन्नी बेटा,,माँ ने अंदर आते ही पूछा,,,,
नही माँ मुझे कहीं नही जाना,,,,क्यू माँ कोई काम था क्या,,,
हाँ बेटा काम था एक,,,,
क्या काम था माँ बोलो कर देता हूँ,,,,
बेटा तुझे तो पता है मुझे क्या काम होता है तेरे से लेकिन सोनिया घर पर है तो कुछ नही कर
सकते हम,,,
सोनिया की बात नही माँ वैसे भी मुझ स्टडी करनी है,,,,आज कुछ नही करने को दिल करता,,
जानती थी तू यही बोलेगा इसलिए मैं अलका के घर जा रही हूँ उन लोगो के साथ मस्ती करने,,,तुझे तो
सिर्फ़ बताने आई थी मैं,,,,
अलका का नाम सुनते ही लंड उछालने लगा था मेरा लेकिन मुझे स्टडी करनी थी ,,,कल एग्ज़ॅम जो था,,
फिर माँ वहाँ से चली गई ऑर जाते हुए मुझे नीचे बैठने को बोल गई क्यूकी घर पे कोई नही
था ,,,सोनिया अपने रूम मे थी ऑर स्टडी कर रही थी,,,,मैं नीचे जाके सोफे पर बैठ गया ऑर स्टडी
करने लगा,,लेकिन स्टडी मे कहाँ दिल लगना था मेरा जल्दी ही बोर हो गया ऑर लॅपटॉप पर गेम खेलने
लगा,,,,फिर सोचा कि माँ के साथ ही चला जाता तो मस्ती कर लेता ,,,घर पर बोर तो नही होना पड़ता
तभी कुछ देर बाद बाहर बेल बजी,,मैं ग़मे मे बिज़ी था लेकिन बेल की आवाज़ सुनते ही जल्दी से उठकर
दरवाजा खोलने चला गया लेकिन तभी मेरे पीछे से चलती हुई सोनिया तेज़ी से मेरे से आगे निकल कर
दरवाजे के पास पहुँच गई,,,,
उसने दरवाजा खोला तो सामने कविता थी,,,,इस से पहले कविता अंदर आती या मुझे मिलती या मैं उसको
मिलता सोनिया ने कविता का हाथ पकड़ा ऑर बाहर की तरफ ले गई,,,ऑर फिर दोनो घर के गेट की तरफ चली
गई,,मैं भी दरवाजा बंद करने के लिए बाहर निकला ऑर जाते जाते कविता को आवाज़ लगा दी,,,,,
कहाँ जा रही हो तुम,,,,मैने कविता से पूछा था
तभी सोनिया पीछे मूडी ओर गुस्से से बोली,,,,,,तुझे क्या लेना देना मैं जहाँ भी जाउ,,,
तेरे से नही पूछा मैने तो कविता से पूछा है,,,इतना सुनके वो ओर भी ज़्यादा गुस्से से मुझे देखने
लगी लेकिन कविता मेरे इस मज़ाक से खुश हो गई लेकिन जैसे ही सोनिया ने कविता की तरफ देखा तो कविता
चुप हो गई,,,
सन्नी हमारी एक क्लासमेट का बर्तडे है उसी के लिए गिफ्ट लेने जा रहे है हम लोग,,,ऑर अपने लिए भी
कुछ शॉपिंग करनी है,,,,
कविता अभी मेरे से बात कर ही रही थी कि सोनिया चिड़ते हुए बोली,,,,,,अब चल ना जल्दी से यहाँ बेकार
मे टाइम क्यू बर्बाद कर रही है,,,,,
सोनिया ने इतना बोला कि कविता अक्तिवा पर बैठ गई ऑर आक्टिव स्टार्ट करली ऑर सोनिया पीछे बैठ गई,,,कविता
ने एक बार हंस कर मुझे बाइ बोला ऑर तभी सोनिया ने फिर से उसकी पीठ पर हाथ मारा ऑर उसको चलने
के लिए बोलने लगी,,,कविता ने हंस कर मुझे देखा ऑर वहाँ से चलने लगी,,,
उनके जाने के बाद मैने गेट बंद किया ऑर घर के अंदर जाने लगा तभी मेरा ध्यान उपर आसमान
की तरफ गया,,बहुत बदल हो गये थे,,शायद बारिश होने वाली थी इसलिए मैं जल्दी से अंदर गया ऑर
अपना लॅपटॉप लेके घर के फ्रंट गार्डन मे बैठ गया,,,सोचा जब तक बारिश नही होती तब तक मौसम
का मज़ा लेते है ओर जब बारिश होगी तो लॅपटॉप को अंदर रखके बारिश का मज़ा लेंगे,,,,
लेकिन बारिश नही हुई,,बट मौसम बहुत अवेसम रहा ,,,,मैं 2-3 अवर्स तक बाहर गार्डन मे रहा
ऑर लॅपटॉप पर टाइम पास करता रहा,,,तभी कुछ देर बाद गेट खुला फिर सोनिया ऑर कविता अंदर आ
गई,,,उन दोनो के हाथ मे कुछ गिफ्ट पॅक पकड़े हुए थे ऑर साथ मे काफ़ी समान था,,,लगता है खूब
शॉपिंग करके आई थी दोनो,,,कविता मेरे पास आने लगी थी समान लेके लेकिन सोनिया उसको अपने साथ अंदर
ले गई,,,
मैं वापिस अपने लॅपटॉप पर बिज़ी हो गया,,तभी कुछ देर बाद ज़ोर से बादल गरजने की आवाज़ हुई ऑर
मेरा ध्यान उपर आसमान की तरफ गया लेकिन वहाँ तो 2-2 बिजलियाँ बैठी हुई थी,,,,सोनिया ऑर कविता दोनो
उपर वाले ड्रॉयिंग रूम मे बैठी हुई थी जिसकी खिड़की सामने वाले गार्डन की तरफ थी,,,वो दोनो
शायद कॉफी पी रही थी ऑर बातें कर रही थी साथ साथ मौसम का लुफ्त उठा रही थी,,,लेकिीन मैने
गौर किया कि कविता का ध्यान मेरी तरफ ही था जो बड़ी क़ातिल मुस्कान लिए मेरी तरफ देख रही थी वैसे
देख तो सोनिया भी रही थी लेकिन गुस्से से,,,,,फिर कॉफी ख़तम होने के बाद दोनो उठी ऑर वहाँ से
चली गई,,फिर कुछ देर बाद घर का मेन दरवाजा खुला ऑर कविता बाहर आ गई,,लेकिन सोनिया नही आई
कविता के हाथ मे कुछ समान पकड़ा हुआ था वो गेट की तरफ जा रही थी,,,,ओके बाइ सन्नी,,
अरे ऐसे कैसे बाइ,,,बाइ ऐसे बोलते है क्या,,,,
वो हँसने लगी,,,ऐसे नही तो कैसे बोलते है,,,,
भूल गई इतनी जल्दी,,,अभी कुछ दिन पहले तो बताया था तुझे कि बाइ कैसे बोलते है,,,लगता है फिर
से बताने परेगा,,,,,
वो मेरी बात समझ गई थी ऑर हँसने लगी,,,,,नही मुझे नही सीखनी तेरी वो बेहूदा बाइ श्यीई,,वो
हँसती हुई उपर खिड़की की तरफ देख रही थी,,,,लेकिन सोनिया खिड़की पर नही थी,,,इसलिए वो खुलकर
हँसने लगी थी,,,,,
अच्छा मत सीख लेकिन ये समान तो दिखा मुझे,,,मुझे भी तो पता चले तूने क्या शॉपिंग की है आज,,
वो बड़ी मस्ती से ऑर खुश होते हुए मेरे पास आ गई,,,जैसे नॉर्मल लड़कियाँ अक्सर करती है,,,उनको
अपना शॉपिंग का समान दिखाने मे बड़ा मज़ा आता है,,,फिर चाहे शॉपिंग से कुछ भी अजीब सा
समान क्यूँ ना लेके आई हो,,,,
कविता भी हँसते हुए मेरे पास आ गई ऑर मुझे समान दिखाने के लिए घास पर मेरे पास ही बैठ गई
लेकिन बैठते टाइम उसका ध्यान फिर से उपर गया तो खिड़की मे सोनिया बैठी हुई थी,,,वो पहले तो थोड़ा
डर गई क्यूकी अगर ये मेरे से बात करती तो पक्का था सोनिया इसको गुस्सा होती,,लेकिन शॉपिंग का समान
दिखाने की खुशी मे उसने सोनिया को इग्नोर कर दिया ये बात सोनिया भी समझ गई ऑर जैसे ही कविता ने
समान दिखाना शुरू किया सोनिया गुस्से से वहाँ से चली गई,,,,मैं कविता की इस हरकत से खुश हो
गया,,,,
कविता मुझे समान दिखाने लगी,,,,नये कपड़े थे उसमे,,,कुछ जीन्स थी कुछ टॉप थे,,ऑर सबसे
खूबसूरत थी एक लाइट ब्लू कलर की साड़ी,,जो सबसे अच्छी लगी मुझे,,,,
ये किसके लिए है,,,,,मैं साड़ी को हाथ मे पकड़ा ऑर पूछा,,,,
उसने शरमाते हुए बोला,,,,,मेरे लिए है,,,
तू साड़ी भी पहनती है,,,मैने हैरान होके बोला,,,,,
नही आज तक पहनी नही कभी लेकिन सोच रही हूँ एक बार पहन कर देखु,,भाभी ने बोला था
लेके आने को इसलिए लेके आई,,,,क्यू तुझे अच्छी नही लगती क्या साड़ी,,,,
नही कविता जी ऐसी बात नही है मुझे साड़ी बहुत अच्छी लगती है ऑर ख़ास कर वो लड़की जो साड़ी पहनती
है,,,,,
मैने इतना बोला तो कविता का फेस शरम से लाल हो गया,,,
तुझे साड़ी वाली लड़कियाँ अच्छी लगती है सन्नी,,,,उसने शरमाते हुए बोला,,,,
हाँ बहुत अच्छी लगती है लेकिन उस से भी ज़्यादा अच्छा लगता है मुझे वाइट गुलाब का फूल,,,
कविता खुश हो गई,,,,वो तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है,,,,,,तुझे भी अच्छा लगता है क्या सन्नी,,
हाँ ना तभी तो एक न्यू वाइट रोज़ का प्लांट लगाया है मैने उस तरफ,,,मैने उंगली से एक तरफ
इशारा करते हुए बोला,,,,
सच मे,,,,वो खुश हो गई,,,,,हमारे घर पर तो नही है,,,भाई को बोला भी था लेकिन भाई सुनता
ही कहाँ है मेरी बात,,,
कोई बात नही तुम यहाँ से ले जाओ,,,,ऑर अपने घर लगा लेना,,,,चलो आओ तुमको दिखाता हूँ वो
प्लांट,,वो बड़ी खुशी से उठी ऑर मेरे साथ चलने लगी,,,उसने अपना सारा समान वहीं पड़ा रहने दिया
ऑर मेरे साथ चल पड़ी लेकिन जाते टाइम वो फिर उपर खिड़की की तरफ देखने लगी,,,
अरे आओ ना ,,क्या हो गया तुमको,,,वाइट रोज़ देखना है कि नही,,,
हां हां देखना है,,अभी आती हूँ,,,इतना बोलकर वो मेरे पास आ गई,,,मैं उसको खिड़की के पास
वाली दीवार के पास ले गया था,,,ऑर एक ट्री के पीछे खड़ा हो गया था,,,
कहाँ है वाइट रोज़ का प्लांट,,उसने मेरे करीब आके बड़ी खुशी से पूछा,,,,
ये रहा ना,,,,,मैं इशारा कर रहा था लेकिन वो ग़लत तरफ देख रही थी,,,
कहाँ है मुझे तो नही दिख रहा ,,वो ज़मीन की तरफ देखते हुए बोल रही थी,,,,,
दिखेगा कैसे,,,तुम ग़लत जगह जो देख रही थी,,,तभी उसने मेरी तरफ देखा ऑर मेरी उंगली थी उसकी
तरफ,,,क्यूकी उसने आज वाइट सूट पहना हुआ था,,,,खुली सी कमीज़ ऑर टाइट सलवार वाला,,,उसकी कमीज़
आगे से किसी फ्रॉक या लहंगे की तरह थी,,काफ़ी खुली हुई थी आगे से,,,ओर साथ मे टाइट चूद्दीदार सलवार
,,,,
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