RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
फिर मैं ऑर करण घर की तरफ चल पड़े,,,,रास्ते मे ही बारिश शुरू हो गई थी,,
करण भाई ये क्या कर रहा था यहाँ,,,,क्या कोई प्रोबलम है,,,,
अरे नही भाई इसको वही कॉलेज के पंगे के बारे मे जानकारी चाहिए थी,,,,मुझसे बोल रहा था
सुमित के बारे मे भी कुछ पूछना है,,,,,
मेरी बात सुनके करण हँसने लगा,,,,भाई ये सब तो ठीक है लेकिन अगर घर बुला कर इन लोगो ने कोई
पंगा किया तो,,,तुम मुझे भी साथ लेके चलना,,,,
अबे नही कोई पंगा नही होगा मैं जानता हूँ, ऑर वैसे अकेले गया तो शायद पंगा नही होगा लेकिन
अगर तुझे साथ लेके गया तो पंगा पक्का होगा,,,,देखा नही उसका बाप तुझे कितने गुस्से से घूर
राह था,,,,शायद उसको तेरे ऑर रितिका के बारे मे पता लग गया होगा,,,,
पता लगता है तो लगने दो,,मैं कोई डरता हूँ उस से,,,ऑर वैसे भी मुझे डर तब होगा जब रितिका
मेरे साथ नही होगी,,,,अब तो वो मेरे साथ है मुझे किसी का डर नही,,,,
क्या मतलब,,,,,
मतलब ये भाई कि मैं ऑर रितिका शादी करना चाहते है,,,,
अरे बाप रे,,ये क्या बोल रहा है तू,,,,क्या सच मे तू रितिका से शादी करेगा,,,,
मैं ही नही भाई वो भी मुझसे शादी करने को तैयार है,,,बस डर लगता है उसको अपने बाप से बात
करने मे,,,ऑर मेरी तो गान्ड फॅट जाती है उसके बाप का नाम सुनते ही,,,
चल कोई बात नही जब होनी होगी शादी हो जाएगी,,,,अभी तू कॉलेज मे है स्टडी पर ध्यान दे,,बाकी
टाइम पर छोड़ दे सब,,,,वैसे अगर तुम दोनो तैयार हो तो कोई नही रोक सकता तुम दोनो को शादी
करने से,,,,,
जनता हूँ भाई लेकिन उसका बाप बहुत पॉवेरफ़ुल्ल इंसान है,,,,उसके आगे मेरा क्या ज़ोर,,,
रितिका अगर तेरे साथ है तो डर मत,,,,जो भी होगा ठीक ही होगा,,,ज़्यादा टेन्षन मत ले,,,
ऐसे ही बातें करते हुए मैने करण को उसके घर ड्रॉप कर दिया,,,उसका बाइक तो मेरे घर पर था
लेकिन बारिश की वजह से उसका मूड बहुत मस्त हो गया था,,,वो घर जाके माँ ऑर बेहन के साथ
मस्ती करना चाहता था,,,,
मैने उसको उसके घर ड्रॉप किया ऑर खुद जल्दी से अपने घर की तरफ चल पड़ा क्यूकी मुझे भी घर जाके बारिश
मे एंजाय करना था,,,,
मैं घर पहुँचा ऑर जल्दी से कार से निकल कर घर के अंदर गया,,,बेल बजाने पर माँ ने दरवाजा
खोला तो मैं जल्दी से भाग कर उपर छत की तरफ जाने लगा,,,,माँ भी समझ गई कि मैं बारिश मे
भीगने के लिए छत पर जा रहा हूँ इसलिए माँ ने भी मुझे नही रोका,,,क्यूकी मैं रुकने वाला
भी नही था,,,मैने सीडियों मे भागते हुए ही अपने जूते निकाल दिए थे ऑर नंगे पैर जल्दी से
छत पर पहुँच गया लेकिन छत पर जाते ही मुझे एक झटका लगा,,छत पर जो दरवाजा था उसपे लॉक
लगा हुआ था,,,,मैं जल्दी से हल्के गुस्से से नीचे या,,,
माँ सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी,,,,,माँ ये उपर छत वाले दरवाजे को लॉक क्यूँ किया है,,,,
बेटा बारिश की वजह से,,,सोनिया भी बारिश मे भीगने की ज़िद कर रही थी,,अभी तो बीमार हुई थी
कुछ दिन पहले अब फिर से बीमार नही हो जाए इसलिए उसको रोकने के लिए मैने छत पर लॉक लगा
दिया था,,,,
अच्छा उसको रोक लो तुम लेकिन मुझे चाबी दो मुझे उपर जाना है,,,,
नही तुझे भी चाबी नही मिलने वाली,,,तुझे जाने दूँगी तो वो मेरे से झगड़ा करेगी,,,,
ठीक है मत दो चाबी मैं बाहर चला जाता हूँ,,,मैं घर के मेन दरवाजे के पास गया ऑर देखा कि
दरवाजा भी लॉक था,,,,
माँ पीछे से हँसने लगी,,,,,यहाँ भी लॉक लगा हुआ है बेटा,,,,सोनिया बाहर नही आ जाए इसलिए लॉक लगा
दिया था यहाँ भी,,,
माँ चालक थी लेकिन मैं माँ से भी चालाक था,,,मैं जल्दी से घर के पीछे वाले दरवाजे पर
चला गया जो पीछे की तरफ गार्डन मे खुलता था,,,,माँ समझ गई मैं पीछे वाले दरवाजे की तरफ
जा रहा हूँ तभी माँ भाग कर आगे आई मुझे रोकने के लिए लेकिन तब तक मैं दरवाजे से बाहर
चला गया ऑर बाहर जाके दरवाजे की कुण्डी लगा दी,,,
फिर गार्डन की घास पर नंगे पैर बारिश का लुफ्त उठाने लगा,,,,बारिश बहुत तेज हो गई थी,,उसकी
बूँदें बहुत तेज चोट कर रही थी बदन पर लेकिन फिर भी बारिश मे भीगने के बहुत मज़ा आ
रहा था मुझे,,,,मैने जल्दी से अपनी टी-शर्ट भी निकाल दी ऑर बारिश को फुल एंजाय करने लगा,,तभी
मेरा ध्यान गया उपर की तरफ,,उपर खिड़की पर सोनिया खड़ी हुई थी,,वो शोबा के रूम मे थी जिसकी
विंडो पीछे के गर्दन की तरफ थी,,,,,वो बारिश मे भीग तो नही सकती थी लेकिन बारिश को देख
कर ही एंजाय कर रही थी,,,वो बड़ी मायूस उदास ऑर गुम सूम खड़ी हुई थी,,,मुझसे उसकी हालत
देखी नही जा रही थी,,,,क्यूकी वो बारिश मे एंजाय करती हुई अच्छी लगती थी,,,ऐसे उदास खड़ी हुई नही,,,
उसका ध्यान मेरी तरफ था वो मुझे एक टक देखती जा रही थी,,मेरा उपर का जिस्म नंगा था,,मैं सिर्फ़
जीन्स मे था,,मैं भी एक टक उसकी तरफ देखने लगा,,,,आज उसकी आँखों मे मुझे गुस्सा नही दिख
रहा था,,,लेकिन अपने लिए प्यार भी नही दिख रहा था,,वो मुझे बड़ी अजीब नज़रो से देख रही थी
लेकिन चेहरे पर एक उदासी थी उसके,,,उसको देख मैं भी उदास हो गया,,फिर सोचने लगा कि अगर हम
दोनो मे हालात पहले जैसे होते तो मैं अभी उसको लेके बाहर गर्दन मे चला आता,,,मुझे माँ
की डाँट की कोई परवाह नही होती ऑर हम दोनो खूब मस्ती करते बारिश मे ,,जैसे पहले करते थे
लेकिन आज वो पहले वाली बात नही थी हम दोनो मे,,,क्या सेक्स ऑर वासना ने मुझे इतना बदल दिया था
कि मैं अपनी ही बेहन से खुल कर मौज मस्ती नही कर सकता था,,,,क्या सिर्फ़ सेक्स ही रह गया था मेरी
लाइफ मे,,,क्या फिर कभी मैं उसके साथ हँस खेल सकूँगा या नही,,,क्या सब कुछ पहले जैसा होगा या
नही,,,,इन्ही सवालो मे मैं इतना गुम हो गया कि बारिश की मस्ती को भूल ही गया,,,ऑर बस एक टक से
उसकी तरफ देखता रहा,,,,लेकिन तभी मुझे एक आइडिया आया सोनिया को गुस्सा दिलवाने का,,,वो मेरी किसी
हरकत से मुस्कुरा तो नही सकती लेकिन कम से कम गुस्सा तो हो ही सकती थी,,उदास होने से उसका गुस्से
मे होना ठीक था मेरे लिए,,,,इसलिए मैं जल्दी से गार्डन की घास पर लेट गया ऑर बच्चों की तरह
बारिश मे खेलने लगा,,जहाँ जहाँ भी बारिश का पानी जमा हुआ था वहाँ मैं अपने हाथों से
ज़ोर से ज़मीन पर मार करने लगा जिस से पानी उपर उछलने लगा,,मैं उसको दिखा रहा था कि मैं
फुल मस्ती कर रहा हूँ ऑर वो उदास होके खड़ी है खिड़की के पास,,,मेरा ये प्लान काम कर गया ऑर
जल्दी ही उसके चेहरे पर गुस्सा झलकने लगा क्यूकी वो भी समझ गई थी कि मैं उसको चिड़ा रहा हूँ
ऑर वो चिडने भी लगी थी,,,,,वो ज़्यादा देर नही रुकी वहाँ पर ऑर वहाँ से चली गई,,गुस्से मे मुझे
घूरती हुई,,,,,,उसके वहाँ से जाने के बाद मैं फिर से अपनी मस्ती करने लगा,,,लेकिन मैं भी ज़्यादा
देर तक मस्ती नही कर सका क्यूकी बारिश जल्दी ही रुक गई थी,,,शायद मैने सोनिया को रुसवा किया था ये
बात बारिश को अच्छी नही लगी इसलिए वो भी मेरे से रुसवा हो गई थी,,,,
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