RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
शिखा,,,,तो जैसा मैं कहती हूँ वैसा कर,,,,,आज रात सोने की आक्टिंग कर ऑर नकली खर्राटे मारने शुरू
कर देना,,फिर देखना आंटी तुझे कहीं हाथ लगाती है या नही,,,,अगर उन्होने ऐसा वैसा कुछ किया तो
समझ जाना तेरी लाइन क्लियर है,,,,
मैं,,,,सच मे ऐसा हो गया तो मज़ा आ जाना है,,,,,मैं नही जानता आंटी भी वैसा चाहती है या नही
लेकिन मैं तो चाहता हूँ लेकिन मैं पहले कुछ करने से डरता हूँ क्यूकी वो मेरे दोस्त की माँ है
ऑर मेरी माँ जैसी है,,लेकिन अगर वो भी वहीं चाहती है तो बस एक बार मुझे अजीब तरीके से कहीं
टच कर्दे फिर मैं नही छोड़ने वाला आंटी को,,,,इतनी दमदार चुदाई करूँगा कि आंटी करण के
पापा को भी भूल जाएगी,,,,,
शिखा,,,,चल आंटी के साथ तो जो होगा वो होगा लेकिन बता क्या अभी तू आंटी के साथ मस्ती करना चाहता
है,,,,,
मैं,,,अभी ? अभी कैसे,,,,??
शिखा,,,मैं बनती हूँ ना तेरे लिए तेरी अलका आंटी ऑर तेरा जितना दिल करे उतनी देर चुदाई करले मेरी,,
मैं,,,हाँ ये ठीक है ,,,,हर बार की तरह हम लोग रोल प्ले करते है,,,,तुम अलका आंटी बन जाओ आज मेरे
लिए ऑर मैं पूरी मस्ती से तुम्हारी चुदाई करता हूँ,,,,
फिर मेरा ऑर शिखा का रोल प्ले शुरू हुआ जो करीब 1 अवर से ज़्यादा चला ओर इसके साथ ही मैं अपने
लंड की मालिश भी करता रहा ,,,जब मेरा ऑर शिखा दोनो का पानी निकल गया तो हम दोनो बेड पर लेट
गये फिर वो ऑफलाइन हो गई लेकिन जैसे ही वो ऑफलाइन होने लगी पीछे से उनके लॅपटॉप से आवाज़ आई,,,,,जल्दी
कर घर जाना है सभी वेट कर रहे होंगे,,,,,ये आवाज़ शोबा दीदी की थी,,,पता नही आंटी ने वो आवाज़
सुनी थी या नही लेकिन मैं तो सुन ली थी,,,,जैसे ही मैं अपने लॅपटॉप बंद करके पीछे की तरफ मुड़ा तो
देखा कि आंटी वहाँ से जा चुकी थी,,,,,शायद आंटी ने शोबा की आवाज़ नही सुनी थी,,,,,
मैं बहुत खुश था ,,,मेरा काम तो हो गया था,,,आंटी आज पूरी तरह क़ाबू मे आ गई थी,,अब तो बस
रात का इंतजार था,,लेकिन अभ तो शाम थी डिन्नर भी करना था,,,,,,,देखते है रात को क्या होता है ,,,,,,
मैं लॅपटॉप बंद करके निक्कर पहन कर रूम से बाहर निकला ,,,आंटी घर वापिस आ चुकी थी लेकिन मैं
रूम से ऐसे अंजान बनके निकला जैसे आंटी अभी घर मे है ही नही,,,,,
जब मैं आंटी के रूम के सामने से गुजर रहा था तो रूम के अंदर देखा तो आंटी अपने कपड़े चेंज
करके नाइटी पहन रही थी,,,,ये नाइटी भी काफ़ी पलते कपड़े की थी लेकिन काफ़ी लंबी थी जो घुटनो से काफ़ी
नीचे तक आ रही थी,,,,,,मैने एक बार आंटी की तरफ देखा ओर जैसे ही उन्होने पलट कर बाहर की तरफ देखा
तो मैं अंजान बनके वहाँ से आगे बढ़ गया किचन की तरफ,,मेरे हाथ मे देसी घी की खाली कटोरी थी,,
मैं अपनी मस्ती मे अंजान बनते हुए किचन की तरफ जाने लगा तभी आंटी अपने रूम से बाहर निकली,,
सन्नी बेटा तू इतनी जल्दी उठ भी गया,,या अभी तक सोया ही नही,,,,आंटी ने बड़े शरारती अंदाज़ मे बोला ,,,,
मैं डरने का नाटक करते हुए एक दम से पीछे मुड़ा,,,,,,आअप्प्प्प कब आयई अयूयूंटीयी ज्जिि,,,,मैं इतना
ज़्यादा नाटक कर रहा था की आंटी को लगा जैसे मैं बहुत ज़्यादा डर गया हूँ,,,,,
अरे तुम इतना डर क्यूँ रहे हो,,,,ऑर तुमको पसीना क्यू आ रहा है,,,तुम तो ऐसे डरने लगे हो जैसे मैने
तुम्हारी चोरी पकड़ ली है,,,,
चूरिई कैइईसीई चोरी मायिनी क्कोइ चोरि ंहिी क्कीिई,,,ऊरर पास्सीनना क्काहहानं आय्या हहाई
म्मूउुज्झहही ,,,मैं जानभूज कर अपने हाथ को अपने माथे पर रखते हुए बोला,,,,
तभी आंटी मेरे पास आ गई,,,,ऑर अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर मेरे माथे से नीचे कर दिया ऑर
हँसने लगी,,,,,,मैं तो मज़ाक कर रही थी बेटा,,,लेकिन तुम तो ऐसे डर रहे हो जैसे सच मे कोई ग़लत काम
कर के आरहे थे,,,,,
मैं क्या ग़लत काम कर रहा था,,,मैं तो सो रहा था आंटी जीई,,अभी उठा हूँ,,,,
अच्छा तो तेरे हाथ मे क्या है ये,,,,
ये तो देसी घी है आंटी जी,,,,मेरा दिल किया था देसी गीयी खाने को,,,,,इसमे कुछ ग़लत बात है क्या,,,,
नही बेटा ये तो बहुत अच्छी बता है,,,,तेरी उमर ही ऐसी है ,,,,,वैसे भी आज कल तू जितनी मेहनत करता है
उसके लिए अच्छी खुराक खानी ही चाहिए,,तभी तो ऑर ज़्यादा मेहनत करने की ताक़त आएगी,,,,लेकिन तू मेहनत
सही जगह किया कर,,,,फालतू मे थका मत कर,,,,,आंटी बड़ी नटखट अंदाज़ मे बोली थी ऑर मैं समझ गया
था उनका मतलब,,,,
ग़लत जगह ,,,,कॉन्सी ग़लत जगह मेहनत की है मैने आंटी जी,,,,
अरे मेरे कहने का मतलब है तू वीडियोगेम मे मेहनत बहुत करता है,,जब देखो लॅपटॉप पर लगा रहता
है पता नही क्या क्या गेम खेलता रहता है,,,,,मेहनत करनी है तो किसी ऑर तरफ मेहनत किया कर,,,,
कहाँ मेहनत करूँ आंटी जी,,,,मुझे तो गेम खेलने मे ही मज़ा आता है,,,,,आपको क्या पता गेम खेलके
कितना मज़ा आता है,,अपने एक बार खेली हो तो पता लगे,,,,,
जानती हूँ बेटा तू कितनी मस्ती करता है गेम खेलने मे,,,,आंटी हँसते हुए बोली,,,,,,
वैसे आप इतनी जल्दी कैसे आ गई आंटी जी,,,,मुझे तो आपके आने का पता भी नही चला,,,,,,
पता कैसे लगना था तुझे बेटा,,,,इतनी मेहनत करने मे जो बिज़ी था,,,,,,
क्या मतलब आंटी जी,,,,,,,
मेरा मतलब इतनी मेहनत करता है तू थक गया होगा,,,,ऑर वैसे भी तेरी नींद इतनी पक्की है कि तुझे सोते
टाइम कुछ पता नही चलता,,,,,,
हाँ ये बात तो ठीक कही अपने आंटी जी,,,,,सोते टाइम मुझे कुछ पता नही चलता,,,,,इसलिए तो अपने खर्राटे
भी नही सुन पाता मैं,,ये तो आपसे पता चलता है कि मैं खर्राटे मारता हूँ,,,,,वैसे आपने बताया नही
आप इतनी जल्दी कैसे आ गई,,,,,,
कुछ नही बेटा ,,जिस सहेली के साथ गई थी उसको कोई ऑर काम आन पड़ा ओर वो माल से वापिस घर चली गई,,तो
मैं अकेली क्या करती इसलिए मैं भी वापिस आ गई,,,,,,
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