RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मेरा ध्यान उसकी आँखों की तरफ था जिसमे मुझे हल्की शरारत नज़र आ रही थी लेकिन उसकी हँसी उस से भी ज़्यादा नटखट
लग रही थी,,,,उसके लिए ये सब मज़ाक था लेकिन उसकी तेज ऑर गर्म साँसे मुझे बता रही थी कि वो भी कुछ हद तक गर्म हो
चुकी है लेकिन फिर भी खुद पर क़ाबू कर रही है,,,,,,
अच्छा तो मैं पागल हूँ,,,,,तू मुझे पागल समझती है,,,,,मैं भी मज़ाक मे बोला ऑर उसकी चिन को अपने हाथ से अलग करके
अपने हाथ को वापिस उसकी पीठ पर ले गया ऑर दोनो हाथों से उसको अपने से सटा लिया जिसस से उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी
छाती से बुरी तरह से चिपक गये ,,उसके मूह से हल्की अहह निकल गई शायद दर्द की वजह से,,,,,
तुझे पागल क्या समझना तू तो है ही पागल ,,ब्लॅकी,,,,,वो हँसती हुई बोलती जा रही थी लेकिन उसके बोलने का अंदाज़ बता रहा
था कि बोलते टाइम उसकी ज़ुबान उसका साथ नही दे रही थी,,,,लड़खड़ाती सांसो की वजह से उसकी आवाज़ भी लड़खड़ा रही थी,,,,,
ठीक है तो मैं पागल सही ऑर पागल बंदा तो कुछ भी कर सकता है ,,कैसी भी गुस्ताख़ी कर सकता है उसके लिए तो कोई सज़ा
भी नही मिलती उसको,,,,अब मैं भी पागल हूँ तो तेरे से गुस्ताख़ी करने का हक़ है मुझे,,,,इतना बोलकर मैने अपने फेस
को आगे किया तो उसने जल्दी से अपने फेस को टर्न कर लिया ,,मैं भी अपने फेस को उसकी गर्दन की तरफ करके अपने लिप्स उसकी
गर्दन पर रख दिए,,,,,,उसके मूह से एक लंबी अहह के साथ मेरा नाम निकल गया सुउन्न्ञननन्न्नयययययययी,,,,,,,,,,,,,,
मैं उसकी गर्दन पर अपने लिप्स रखे ओर हल्की किस करदी ,,मेरे ऐसा करते ही उसके हाथ जो अभी तक मेरी छाती पर थे वो
जल्दी ही मेरी पीठ पर चले गये ऑर उसने मुझे अपनी बाहों मे जकड लिया ,,,उसके ऐसा करते ही मैं समझ गया कि ये अपने
बस मे नही है,,,गरम हो गई है,,,जवान लड़की के लिए खुद पर क़ाबू करना मुश्किल होता है ऐसी हालत मे,,,मैं उसकी
इस हरकत के बदले मे अपने हाथ उसकी पीठ पर से सहलाते हुए उसकी गान्ड पर ले गया ओर अपने दोनो हाथों से उसको उठाकर
शेल्व पर बिठा दिया,,शेल्व पर बैठते ही उसने मुझे एक बार देखा ओर शरमा कर सर नीचे झुका लिया मैं अपने हाथ
से उसके सर को उपर किया ऑर देखा की उसकी आँखें शरम के मारे बंद थी ,,मैं आगे बढ़ कर अपने लिप्स उसके लिप्स पर रख
दिए,,,वो एक दम से शेल्व पर उछल गई ओर मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया,,,,,मैं तो हैरान ही रह गया,,मुझे अभी
एक पल ही हुआ था उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखे की उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भर लिया ओर किस करने लगी,,,मैने अपने हाथ
उसकी गान्ड के नीचे से हटा कर उसकी पीठ पर रख दिए ऑर इस से पहले मैं उसकी पीठ को सहलाना शुरू करता उसके हाथ
मेरी पीठ पर चलने लगे,,,मेरी तो एक दम से हालत ही खबर हो गई,,,साला ये क्या हो गया एक दम से,,,मैं तो इसको गर्म करने
की कोशिश कर रहा था लेकिन ये तो पहले से ज्वालामुखी की तरह आग उगल रही है,,,,मैने भी उसको किस का रेस्पॉन्स देना
शुरू कर दिया ओर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाते हुए अपने दूसरे हाथ को उसके सामने की तरफ ले आया ऑर उसकी कमर
को सहलाने लगा,,,,उसके हाथ भी मेरी पूरी पीठ को सहला रहे थे,,,,,
वो मुझे इतने बढ़िया तरीके से किस कर रही थी की मुझे यकीन ही नही हो रहा था,,,,वो मेरे लिप्स को अपने मूह मे भरके
कभी चुस्ती तो कभी हल्के से काट देती तो कभी मेरी ज़ुबान को अपने दाँतों मे भरके अपने मूह मे खींच लेती तो
कभी अपनी ज़ुबान को मेरे मूह मे घुसा देती ऑर हर तरफ घुमाने लगती,,,मैं तो इतना ज़्यादा मस्त हो गया था कि पता नही
कब मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया और मैने उसके बूब को हल्के से दबा दिया,,,,तभी एक दम से उसने मुझे धक्का
दिया ऑर मैं जाके ज़मीन पर गिर गया वो जल्दी से शेल्व से जंप करके नीचे उतरी ओर किचन से बाहर की तरफ भाग गई लेकिन
वो दरवाजे के पास जाके रुक गई ऑर वही खड़ी होके मुझे देखने लगी,,,,,
उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी ऑर छोटे छोटे बूब्स उपर नीचे हो रहे थे,,,उसकी आँखों मे एक अजीब सी कशिश थी एक
मस्ती थी जिसकी मदहोशी मे वो खो गई थी ,,,उसकी आँखों मे इतना नशा था कि ऐसा लग रहा था उसने ड्रिंक की है,,इधर
मैं भी ज़मीन पर गिरा हुआ था ऑर मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही थी,,,उसके सॉफ्ट लिप्स का स्वाद अभी तक मेरे मूह मे था उसकी
सांसो को मैं अभी भी अपने फेस पर महसूस कर रहा था ,,इधर मेरा लंड भी मस्ती मे सर उठाने लगा था जिस पर
कविता का ध्यान चला गया था,,उसने कुछ पल मेरे लंड की तरफ देखा,,,,,
अब जल्दी उठ जा पागल ब्लॅकी ऑर कॉफी लेके उपर आ जाना ,,,वो सांसो पर क़ाबू करके इतना बोली ओर हँसती हुई वहाँ से भाग
गई,,,,,मैं तो साला चाकर खाने लगा था ज़मीन पर बैठा बैठा,,,ये साला क्या हो गया एक दम से,,,इसने वो सब कैसे ,,,
मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,,,मैं बस कन्फ्यूज़ सा हो गया था,,,,दिमाग़ खराब कर दिया था उस कविता ने एक
ही पल मे,,,,मैं खुद पर क़ाबू करता हुआ ज़मीन से उठा ऑर खड़ा हो गया,,,,इधर मेरा लंड भी पूरी ओकात मे खड़ा
हुआ था,,,,,,मैं जैसे तैसे कॉफी को कप मे डालके उपर सोनिया के रूम मे लेके गया ,,ऑर मैं उपर तक कैसे पहुँचा
ये मैं ही जानता हूँ,,,,,,ऐसा लग रहा था कि अभी मेरे हाथ से कप नीचे गिर जाने है ओर शायद मैं भी गिर जाउन्गा,,उस
कविता ने मेरी ऐसी हालत करदी थी कि मैं बता नही सकता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं कॉफी के कप लेके सोनिया के रूम मे गया तो सोनिया लेटी हुई थी जबकि माँ ऑर कविता सोनिया के सर पर कोल्ड वॉटर के टवल
रख रही थी,,,,वो भी सोनिया के पास उसी के बेड पर बैठी हुई थी,,,,
मैं अंदर गया तो कविता मुझे देख कर शरमा रही थी लेकिन सोनिया अभी भी गुस्से मे थी,,,,अब तो मुझे ऐसे लगने
लगा था जैसे उसकी आँखें है ही ऐसी,,,हर दम गुस्से से लाल ही रहती है,,,
अरे बेटा तू कॉफी लेके क्यू ले आया,,तेरी मालकिन ने कॉफी नही बना के दी तुझे,,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी साथ मे कविता
भी,,,ऑर हल्की स्माइल सोनिया एक फेस पर भी आ गई ,,लेकिन जब मैं उसकी तरफ देखा तो फिर से मुझे गुस्से से देखने लगी,,,
माँ ये मेरी मालकिन नही नौकरानी है,,,,लेकिन कुछ ज़्यादा ही सर पर चढ़ि हुई है ,,,खुद कोई काम नही करती सब काम मेरे
से करवाती है,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा लेकिन मेरा साथ किसी ने नही दिया तो मैं जल्दी ही चुप हो गया,,,ऑर मेरे चुप
होते सब लोग फिर से हँसने लगे,,,,,
मैं समझ गया भाई लेडीस से तू नही जीत सकता भला इसी मे है कि चुप चाप बैठ जा ऑर कॉफी पी ले,,,,ऑर मैने ऐसा
ही किया ,,,
मैं बैठ गया अपने बेड पर ऑर कॉफी पीने लगा कविता का कप मैने पास के टेबल पर रख दिया,,,,,
माँ सोनिया ऑर कविता अपनी बातों मे लगी हुई थी तो मैने लॅपटॉप ऑन किया ऑर गेम खेलने लगा ,,,सब अपनी मस्ती मे थे
मैने कॉफी ख़तम की ऑर आराम से लेट गया तभी माँ उठी ऑर उठकर रूम से बाहर जाने लगी,,,,अच्छा बेटी अब तुम यही
बैठ कर सोनिया से बात करो मैं थोड़ी देर मे आई,,इतना बोलकर माँ बाहर गई ऑर जाते टाइम सोनिया ऑर कविता की नज़रो से बच
कर मुझे इशारा कर गई नीचे आने का,,,,मैं भी 2 मिनट बाद उठा ऑर नीचे चला गया,,,,,मुझे पता था कविता के आने
से सोनिया के दिल लगा रहेगा ,,शोबा सो चुकी है तो माँ इस मोके का फ़ायदा ज़रूर उठाएगी,,,,ऑर वैसे भी कविता की वजह से
मैं काफ़ी गरम हो गया था या बोलू कि उसने मुझे काफ़ी गर्म कर दिया था,,,,वो मेरी सोच से कुछ तेज निकली,,,,
मैं नीचे गया तो माँ अपने रूम मे थी,,,,,,क्या हुआ माँ मुझे क्यू बुलाया,,,,,माँ अपनी अलमारी से कपड़े निकाल रही थी,,,
कुछ नही बेटा,,मुझे ज़रा मार्केट तक जाना है ये कुछ मेडिसिन लेके आनी है सोनिया के लिए ऑर साथ ही कुछ देर के लिए मुझे
अलका के पास भी जाना है,,,तू भी मेरे साथ चल,,,
लेकिन माँ अलका आंटी तो करण के नाना नानी के पास गई है ,,उसके नाना जी की तबीयत ठीक नही थी,,,,,करण ने बताया था मुझे
गई हुई थी बेटा लेकिन आज ही सुबह कुछ देर पहले वो वापिस आ गई है,,,,अब हमे उसके घर जाना है तेरे लिए एक खुश खबरी
है वहाँ पर,,,,,
क्या खुशख़बरी माँ ,,क्या वो मान गई है मेर साथ मस्ती करने के लिए,,,,,,मैने खुश होके माँ से पूछा,,,,,
मानी तो कब्से हुई है बेटा लेकिन अगर मस्ती करनी ही है तो क्यू ना थोड़ी ज्याद मस्ती के साथ की जाए,,,,थोड़ा तडपाया जाए
थोड़ा तरसाया जाए,,,,मेरे पास एक प्लान है ,,तू बस तैयार होके मेरे साथ चल फिर देख मैं क्या करती हूँ,,,,
मैं तो माँ की बात सुनके खुश ही हो गया,,कविता की वजह से मेरा बुरा हाल था ,,कविता से तो कुछ नही कर सका तो माँ
ने नीचे बुला लिया तो सोचा कि माँ के साथ मस्ती कर लूँगा लेकिन अब माँ ने भी मना कर दिया था,,लेकिन एक अच्छी बात थी कि
अलका आंटी तैयार थी मस्ती करने के लिए,,,मैं तो दिल ही दिल मे सोचने लगा कि जाते ही अलका आंटी को चोदना शुरू कर दूँगा,,
बेड पर नंगी कर लूँगा ऑर घुसा दूँगा अपना मूसल उनकी गान्ड मे,,,,
मैं जल्दी से तैयार हो गया ऑर माँ भी तैयार हो गई,,,,,,माँ उपर जाके कविता को बोल आई कि हम लोग सोनिया के लिए मेडिसिन लेने
जा रहे है ऑर फिर हम दोनो करण के घर की तरफ चल पड़े,,,,,,माँ ने रास्ते मे कुछ नही बताया मैने एक दो बार पूछा
भी कि माँ आपका प्लान क्या है लेकिन माँ कुछ नही बोली,,,,,
कुछ देर बाद हम करण के घर पहुँच गये,,,,मुझे बार बार ऐसा लग रहा था कि अलका आंटी नही आई होगी शायद
माँ का मूड होगा करण ऑर मेरे साथ मिलकर मस्ती करने का ,,ऑर हो सकता है शिखा भी हम लोगो का साथ दे लेकिन जब
हम लोगो के डोर बेल बजने पर अलका आंटी ने गेट खोला तो मैं हैरान हो गया,,,,लेकिन आंटी मुझे देख कर बहुत
खुश हो गई थी,,,,,,
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