RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मुझे डरता देख कविता हँसने लगी,,,तभी मैने कविता को इशारा किया कि वो माँ की जगह पर बैठ जाए ऑर वो उठकर
वहाँ बैठ गई जबकि मैं उठके कविता की जगह पर बैठ गया ऑर कविता को टवल गीला करके देने लगा ऑर कविता टवल
को सोनिया एक फॉरहेड पर रखने लगी,,,,,
मैं जब भी गीला टवल कविता के हाथ मे देखता या कविता के हाथ से दूसरा टवल पकड़ता मेरा हाथ कविता के हाथ को
टच कर जाता तो वो शर्मा जाती ,,लेकिन मैं उसकी तरफ कोई खास ध्यान नही देता बस अपने काम मे लगा रहता,,,,,
लेकिन मेरा ध्यान सोनिया की तरफ ज़रूर जा रहा था जो मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन तभी उसकी आँखें बंद होने
लगी मैं समझ गया कि अब ये सोने वाली है क्यूकी डॉक्टर ने इसको नींद वाली मेडिसिन दी थी,,,,,ऑर ऐसा ही हुआ करीब 5-7 मिनट बाद उसकी आँखें बंद हो गई ,,,,,
ऑर तभी माँ अंदर आ गई ,,,,चलो चलो बच्चो उठो ऑर हाथ धो कर खाना खा लो,,,,माँ ने हाथ मे पकड़ी हुई प्लेट
को दूसरे बेड पर रख दिया जो मेरा बेड था,,,,माँ ने प्लेट को बेड पर रख दिया ऑर पानी वाले जग को टेबल पर रख दिया
ऑर कविता के हाथ से गीला ऑर ठंडा टवल पकड़ लिया,,,,,,,,,चलो अब उठो ऑर खाना खा लो ये सब मैं करती हूँ,,,
कविता कुछ नही बोली ऑर बातरूम मे चली गई ऑर हाथ धो कर वापिस आके बेड पर बैठ गई तब तक मैं माँ को टवल
गीला करके देता रहा,,,,,कविता के बाहर आते ही मैं भी बेड से उठा ऑर बाथरूम मे चला गया ऑर हाथ धो कर वापिस
अपने बेड पर गया,,,,,,मैने देखा कि कविता अपना खाना खा रही थी प्लेट से लेकिन मेरी प्लेट नही थी,,,,,
माँ आप कविता की प्लेट तो ले आई लेकिन मेरी प्लेट कहाँ है,,,,,,,,
यही तेरी प्लेट है सन्नी बेटा तुम दोनो एक ही प्लेट मे खाना खा लो,,,,,
लेकिन माँ मुझे अपनी प्लेट मे खाना है ,,मैं इसके साथ खाना नही खा सकता,,,,,
क्यू नही खा सकता छोटा था तब भी तो इसके साथ मिलकर खाना ख़ाता था तू अब क्या इतना बड़ा हो गया है कि एक प्लेट मे खाना नही खा सकता इसके साथ,,,,क्या शरम आती है तुझे,,,,,ऑर वैसे भी मेरे 2 हाथ है 4 नही जो एक साथ 2 प्लेट ऑर पानी का जग भी लेके उपर आ जाती,,,,,,चल अब बैठ उसके साथ ऑर खाना खा ले,,,,,,माँ हल्के गुस्से मे बोली ,,,,
नही आंटी जी ये शरमाता नही है इसको डर लगता है मेरे से क्यूकी मेरे हाथों पे ज़हर लगा हुआ है ना,,,,कविता ने
इतना बोला ऑर हँसने लगी माँ भी साथ मे हँसने लगी,,,,,लेकिन तभी माँ बोल पड़ी,,,,,,श्ह्ह्ह्ह्ह अब चुप करके खाना खा
लो ऑर कोई आवाज़ नही करना,,सोनिया को मेडिसिन दी है इसको सोने दो आराम से,,,,,,माँ ने मेरी तरफ देखा ऑर मुझे बेड पर कविता के साथ बैठने का इशारा किया ऑर मैं भी चुप चाप बैठ गया,,,,क्यूकी सुबह कॉलेज मे कुछ नही खाया
था ऑर कारण के घर भी कॉफी ही पी थी इसलिए बहुत भूख लगी हुई थी मुझे,,,,,मैं अपने बेड पर बैठा ऑर खाना खाने
लगा एक ही प्लेट मे कविता के साथ,,,,,,
लेकिन मुझे अच्छा नही लग रहा था अगर इतनी जोरो से भूख नही लगी होती तो मैं कभी एक प्लेट मे इसके साथ खाना नही ख़ाता ,,,,,,
हम दोनो खाना खाने लगे ऑर माँ सोनिया एक फॉरहेड पर ठंडे टवल रखने मे बिज़ी हो गई,,,,,,,,मैं चुप चाप
खाना खा रहा था तभी कविता बार बार मुझे देख कर शरमा रही थी हँसती जा रही थी ,,,,,मैने आँखों ही आँखों
मे पूछा क्या है,,तू इतना हंस क्यू रही है,,,,तो उसने भी अपने सर को ना मे हिला कर बोला कि कुछ नही,,,,
मैने फिर पूछा कि क्या हुआ तू पागल है जो हँस रही है,,,,तो वो बस शरमाती जा रही थी ऑर हँसती हुई हल्के हल्के खाने को चबा रही थी,,,,मैं भी चुप करके खाना खाने लगा ऑर उसकी तरफ ध्यान ही नही दिया,,,,,ऑर खाना खाते हुए माँ
ऑर सोनिया की तरफ देखने लगा,,,
तभी मेरे लिप्स पर कुछ टच हुआ मैने देखा कि कविता हाथ मे एक रोटी का नीवाला लेके मुझे खिलाने की कोशिश कर
रही थी ऑर हँस रही थी,,,,मैने मूह खोलने से मना कर दिया,,,,,,
खा ले ना मेरे हाथ पे सच मे ज़हर नही लगा हुआ,,,कविता के बोलते ही माँ का ध्यान हम लोगो की तरफ आया ऑर माँ
ने कविता को हाथ मे नीवाला लेके मुझे खिलाते हुए देख लिया,,,,मैं समझा कि बेटा अब तो तू गया माँ पता नही क्या सोच
रही होगी,,,,,,,तभी माँ हल्के से बोली,,,,,,इतना नखरा क्यू करता है ऑर शरमाता क्यूँ है ,,,बचपन मे भी तो तुम सब
मिलकर ऐसे ही खाना खाते थे तो अब क्या हुआ ,,,,चल खा ले रोटी कविता के हाथ से ऑर इतना मत शर्मा,,,,,मैने कुछ
नही बोला ऑर मूह खोल दिया ओर कविता के हाथ से नीवाला खा लिया,,,,,,
तभी कविता ने मुझे इशारा किया प्लेट की तरफ ऑर फिर अपने मूह की तरफ ऑर मूह खोल दिया,,,,वो बोल रही थी कि अब तुम मुझे रोटी का एक नीवाला खिलाओ,,,,मैने सर हिला कर मना कर दिया,,,लेकिन उसने ज़िद्द की ऑर ज़िद्द भी की किसी छोटे बच्चे की तरह,,
मैने भी उसकी ज़िद्द मान ली ऑर रोटी का नीवाला लेके उसके मूह की तरफ हाथ बढ़ा दिया,,,,उसने मूह खोला तो मैं उसके पिंक कलर के छोटे छोटे लिप्स को देखता रह गया,,,ये नही कि पहली बार देख रहा था लेकिन अभी पता नही क्यू उसके लिप्स बहुत ही ज़्यादा अच्छे लग रहे थे,,,,मैं उसके लिप्स मे खो ही गया था ऑर मेरा हाथ उसके मूह के पास जाके रुक गया था ,,मुझे पता ही नही था कि वो मूह खोल कर मेरे हाथ मे पकड़े हुए नीवाले का वेट कर रही थी,,,,मैं तो बस उसके लिप्स को देखता जा रहा था,,,,,,तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा ऑर जल्दी से मेरे हाथ को अपने मूह मे करीब करके मेरे हाथ से रोटी का नीवाला अपने मूह मे भर लिया ऑर खाने लगी,
,तभी मैं होश मे आया ऑर उसकी तरफ देखने लगा तो वो मुझे अजीब नज़रो
से देखने लगी,,,,वो मुझे पूछ रही थी कि क्या हुआ सन्नी लेकिन मेरे पास उसकी घूरती नज़रो के सवाल का कोई जवाब नही था इसलिए मैं रूम मे इधर उधर देखने लगा,,,,,फिर वापिस मेरा ध्यान उसकी तरफ गया तो वो हाथ मे रोटी का नीवाला लेके मुझे खिलाने के लिए अपने हाथ को मेरे मूह के करीब कर रही थी ऑर हल्के से मुस्कुरा रही थी,,,,,मैने फिर से मूह खोला उसके हाथ का नीवाला खाने लगा ,,ऑर तभी उसने मुझे फिर से उसको एक नीवाला खिलाने को बोला तो मैने मना नही किया लेकिन इस बार मैने ध्यान रखा कि मैं उसके लिप्स देखने मे खो ना जाउ कहीं ऑर ठीक तरह से एक नीवाला उसके मूह तक पहुँचा दूं,,,,,ऑर ऐसा ही हुआ मैने रोटी का नीवाला उसके मूह तक पहुँचा दिया ऑर उसके लिप्स की तरफ ध्यान नही दिया ,,लिप्स क्या मैं तो मूह की तरफ भी ध्यान नही दे रहा था पता नही कब मेरा हाथ उसके मूह मे गया 'ऑर उसने नीवाला खाने की कोशिश मे मेरी उंगली पर ज़ोर से काट दिया,,,,,मुझे बहुत दर्द हुआ मैं चिल्लाने वाला ही था कि मेरा ध्यान माँ ऑर सोनिया की तरफ गया,,,,,ऑर मेरी आवाज़ मेरे मूह मे घुट कर रह गई लेकिन दर्द तो हुआ था ऑर इसी वजह से मेरी आँखों से हल्का सा पानी निकलने लगा,,,,,,
मैं दर्द से तड़प उठा था लेकिन वो हँसती जा रही थी,,,,,उसको ये सब मज़ाक लग रहा था इस वक़्त वो कोई छोटी बच्ची बनीहुई थी ऑर खाना खाते टाइम मेरे से मज़ाक कर रही थी,,,,,मेरी आँखों मे पानी था लेकिन उसको कोई फ़र्क नही पड़ रहा था वो तो मुझे ज़ुबान निकाल का चिड़ा रही थी ,,मेरा मज़ाक बना रही थी,,,
माँ भी उसकी तरफ देखने लगी और हँसने लगी,,, माँ ने अपने माथे पर हाथ मारते हुए उसको बोला,,,,,,,,पगली कहीं की,,,तू बच्ची की बच्ची रहना,,,,ऑर फिर से माँ हल्के से हँसते हुए अपने हाथ मे पकड़ा हुआ गीला टवल सोनिया के माथे पर रखने
लगी,,,,
मैने कविता की तरफ देखा ऑर उसको बोला कि अब तू मुझे खाना खिला तो उसने सॉफ मना कर दिया,,,,क्यूकी उसको पता था
अब मैं भी उस से बदला लूँगा तो उसने सॉफ तोर पर सर को ना मे हिला कर मना कर दिया,,,,मैं फिर से उसको बोला ऑर ज़िद करने लगा,,,माँ ने एक बार हम लोगो की तरफ देखा ऑर वापिस अपने काम मे लग गई,,,माँ के देखते ही कविता मुझे खाना खिलाने को मान गई ऑर फिर अपने हाथ मे एक नीवाला लेके मुझे खिलाने लगी,,,लेकिन वो बहुत डर रही थी उसको पता था कि अब मैं भी उसकी उंगली पर काटुन्गा ऑर मैं वैसे भी उसको अपने दाँत दिखा कर डरा रहा था ऑर वो डर भी रही थी जैसे जैसे उसका हाथ मेरे मूह के करीब आ रहा था वो अपनी आँखों को बंद करती जा रही थी,,जब उसका हाथ मेरे लिप्स के पास टच करने लगा तो उसने आँखें बंद करके अपने फेस को एक तरफ मोड़ लिया ऑर हाथ को आगे बढ़ा दिया ऑर ऐसे फेस बनाने लगी कि जैसे मैं अभी उसके हाथ पर काट रहा हूँ,,,,फिर उसने फेस को पूरी तरह से टर्न कर लिया ऑर बुरी तरह से डर गई,,,,मैने उसके हाथ को पकड़ा ऑर अपने मूह मे भर लिया ऑर उसके हाथ से नीवाला ख़ाके उसके हाथ को मूह से निकाल दिया ,,,मैं उसके हाथ को या उंगली को काटा नही,,,उसने अपने हाथ के पीछे होते ही अपने फेस को मेरी तरफ किया ऑर रहट की साँस ली ओर मुझे नज़रो ही नज़रो मे थॅंक्स्क्स्क्स बोला,,लेकिन मैं उसका डरा हुआ चेहरा देख कर हँसने लगा
तभी वो भी हँसने लगी,,,,,,
कुछ देर बाद मैं तो चुप हो गया लेकिन वो हँसती रही,,,,,मुझे लगा शायद ये पागल हो गई है,,,,डर की वजह से मैने उसको पूछा क्या हुआ पगली तो उसने अपने लिप्स के नीचे उंगली लगा कर मुझे इशारा किया कि तुम्हारे लिप्स के नीचे कुछ लगा हुआ है,,,मैं अपने हाथ से सॉफ करने की कोशिश की लेकिन साफ नही हुआ ,,उसने फिर मुझे हाथ थोड़ा राइट साइड करने को बोला तो मैने फिर कोशिश की लेकिन मेरा फेस सॉफ नही हुआ,,,,वो हँसने लगी ऑर मुझे रुकने को बोलने लगी,,,मैने हाथ अपने फेस से नीचे कर लिया तभी उसने अपने हाथ को मेरे मूह की तरफ किया ऑर अपनी उंगली से मेरे लोवर लिप्स के नीचे लगी हुई दाल को सॉफ करने लगी जो उसकी ग़लती से मेरे लिप्स के नीचे लगी थी,,,,जब वो डर कर मुझे खाना खिला रही थी तो उसका हाथ काँप रहा था जिस वजह से थोड़ी डाल मेरे लिप्स के नीचे लग गई थी,,,,,
उसने उंगली से डाल को सॉफ किया ऑर उंगली को मेरे मूह मे डाल दिया ताकि मैं डाल को उंगली से चाट सकूँ,,उसकी उंगली मूह मे घुसते ही मैं उंगली पर लगी दाल को चाटने लगा ऑर उंगली को चूसने लगा,,उसकी नरम ऑर छोटी उंगली मेरे मूह मे गर्म होने लगी थी ऑर मक्खन की तरह पिघलने लगी थी मेरे मूह मे,,,उसकी उंगली पर लगी दाल अब मुझे दाल मखनि का टेस्ट देने लगी थी,,,मैं उसके स्वाद मे इतना खो गया कि उसकी उंगली को चूस्ता ही रहा ,,,मुझे पता नही क्या हो गया था मुझे एक अजीब सा टेस्ट मिलने लगा था उसकी उंगली से जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ,,,उसकी उंगली को मेरे मूह मे करीब 15-20 सेकेंड हो गये थे उसने उंगली बाहर नही की ऑर ना मैने उसकी उंगली को मूह से बाहर किया,,तभी मैने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे उंगली चूस्ते देख परेशान हो गई थी,,उसके माथे पर पसीना आ गया था,,उसका मूह खुला हुआ था ऑर हार्ट बीट तेज हो गई थी,,उसका दूसरा हाथ उसके बूब्स के उपर क्लीवेज की लाइन पर था ऑर हल्का सा हार्ट की तरफ था वो दिल की धड़कन को क़ाबू मे कर रही थी,,मुझे सब देख कर डर लगने लगा था कि कविता क्या सोच रही होगी लेकिन डरने के बावजूद मैं उसकी उंगली को चूस्ता ही जा रहा था,,
मैने उसके हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर उंगली को ऑर भी ज़्यादा मूह मे भर लिया ,,,मुझे पता नही क्या हो गया था मैं उसकी उंगली को अपने मूह मे भरके अपनी ज़ुबान से उसकी उंगली के साथ खेलने लगा,,,मैने देखा कि उसकी उंगली भी मेरे मूह के हल्के से इधर उधर घमने लगी थी,,,वो शायद गर्म होने लगी थी,,तभी उसने तेज़ी से साँस लेते हुए माँ की तरफ देखा ऑर मुझे भी उधर देखने को बोला,,,मैने माँ की तरफ देखा तो माँ अपने काम मे लगी हुई थी लेकिन कविता ने मुझे माँ के कमरे मे होने का डर दिखा दिया ऑर मुझे हाथ छोड़ने को कहा ,,मैने जल्दी से उसके हाथ को अपने हाथ से छोड़ दिया ऑर वो जल्दी से बेड से उठी ऑर बाथरूम मे चली गई,,,,,
|