RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
आंटी करण की बात सुनके चुप हो गई ऑर माँ की तरफ देखने लगी,,,आंटी को कोई जवाब नही सूझ रहा था,,,
तभी माँ बोल पड़ी,,,,बेटा मेरी ग़लती से अलका की साड़ी पर जूस गिर गया था ,,इसलिए इसकी साड़ी को मैने धो कर सूखने
डाल दिया ऑर इसको अपनी साड़ी पहना दी,,,,माँ बात कर रही थी तो करण माँ की तरफ देख रहा था तो माँ ने उसको आँख
मार दी थी,,,,करण समझ गया कि उसकी माँ अभी आज मेरी माँ के साथ मस्ती कर चुकी है,,,वो खुश हो गया
अब चले माँ,,,,इतना बोलकर वो अलका आंटी को साथ लेके बाहर जाने लगा तभी सामने सोनिया आ गई,,,,
दरवाजा अभी खुला हुआ था,,,सोनिया अंदर आते हुए,,,,,हेलो आंटी,,,
अलका,,,,हेलो बेटी ,,हाउ आर यू,,,
सोनिया,,,आइम फाइन आंटी जी ,,,यू टेल,,,,
अलका,,,,आइम ऑल्सो फाइन बेटी,,,,,आज तुम भी लेट हो गई कॉलेज से,,,
सोनिया,,,,जी आंटी जी वो कविता के घर थोड़ा टाइम लग गया,,,,,आप जा रही हो आंटी जी,,,
अलका,,,,हाँ बेटी मैं तो सुबह से आई हुई हूँ अब जा रही हूँ,,,
सोनिया,,,,,ये तो ग़लत बात है आंटी जी मैं आई ऑर आप जा रही हो,,थोड़ी देर रुक जाओ ना,,,
अलका,,,,नही बेटी अब काफ़ी टाइम हो गया है,,फिर कभी आउन्गी,,,,,ऑर हो सके तो तुम भी कभी आ जाना चाइ कॉफी पीने,,
सोनिया,,,,,जी आंटी पक्का आउन्गी ,,ओके बाइ आंटी जी,
अलका आंटी दरवाजे से बाहर चली गई जबकि करण दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था ,,उसने सोनिया को ही बोला लेकिन सोनिया ने कोई जवाब नही दिया ,,,करण चुप चाप घर से बाहर अपनी माँ मे पास चला गया ऑर बाइक स्टार्ट करके माँ के साथ अपने
घर की तरफ चल दिया,,,,
हरम्जादा ,,कुत्ता ,कमीना,,,,सोनिया गुस्से से बोलती हुई घर के अंदर चली आई,,
अरे अरे आराम से बेटी ,,ये किसको गलियाँ दे रही हो ऑर क्यूँ,,,,
माँ मैं वूऊओ सोनिया बोलने ही लगी तभी उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,,,,,,,,,उसने जल्दी ही बात पलट दी,,,,,माँ वो रास्ते
मे एक लड़का बत्त्मीजी कर रहा था उसी को गालियाँ दे रही थी,,,,,
अरे बेटी राह चलते लोफेर टाइप के लड़के बदतमीज़ी करते ही रहते है तू टेन्षन मत लिया कर,,,,,चल अब गुस्सा थूक दे
मेरे साथ कोई बदतमीज़ी करके तो देखे माँ मैं उसका सर फोड़ दूँगी,,,,ये बात बोलते हुए भी सोनिया मेरी तरफ देख रही
थी,,मेरी तो साँसे ही अटक गई ,,साला ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई पत्थर उठा कर मार देगी मेरे सर पे,,,,
छोड़ो इन बातों को माँ,,,बोलो खाने मे क्या बनाया है,,,,,
अभी तो कुछ नही बना मेरी बेटी पर तू बोल तुझे क्या खाना है मैं अभी बना देती हूँ 5 मिनिट मे,,,,
कुछ भी बना दो माँ बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होके आई,,,,सोनिया उपर चली गई ऑर जाते हुए एक बार फिर से
मुझे पूरे गुस्से से घूर कर गई,,,,
मैं समझ गया था की सोनिया करण को गालियाँ दे रही थी तभी तो उसने करण के हाई का रिप्लाइ भी नही किया था,,,,,,मेरी
तो गान्ड फटी हुई थी कहीं सोनिया ने अलका आंटी को रोक लिया ऑर सब बता दिया करण ऑर शिखा के बारे मे तो आज तो करण
ऑर शिखा गये काम से ऑर अलका भी गई मेरे हाथ से,,लेकिन अलका आंटी नही रुकी ऑर सोनिया ने उनको रोका भी नही,,,
आज का दिन भी बोर रहा ऑर रात भी ,,कुछ भी नही हुआ ,,,,ना तो दिन मे किसी की चूत मिली ओर ना रात को,,,बस 2-3 बार
मूठ ज़रूर मारी थी माँ ऑर अलका आंटी को देख कर,,,,,
नेक्स्ट डे जब मैं ड्रॉयिंग रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ गया तो देखा रूम का दरवाजा खुला हुआ था सोनिया नही
थी रूम मे मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया ,,,,नीचे मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आ रही थी,,
जब नीचे आया तो देखा कि सोनिया ऑर कविता सोफे पर बैठी हुई थी साथ मे मां हही थी,,,,सोनिया ऑर कविता आज काफ़ी चेंज लग
रही थी दोनो अच्छी तरह से तैयार हुई थी जैसे किसी शादी मे जा रही थी,,,,,
मुझे देख कर कविता ने मुझे हाई बोला,,,,
हाई सन्नी,,,,,
हेलो कविता,,,,,,तभी माँ सोफे से उठी ,,,,तेरा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर पड़ा है बेटा ,,,
ठीक मैं माँ,इतना बोलकर मैं डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा तभी माँ अपने रूम मे चली गई,,मैं बैठ कर नाश्ता
करने लगा,,,,
आज तुम तैयार होके कहीं जा रही हो क्या कविता,,,,,मैने डाइनिंग टेबल से ही कविता को आवाज़ लगा कर पूछा,,,
हाँ सन्नी,,,,आज हम दोनो मूवीस देखने जा रहे है,,,,,
मूवी तो सुना था लेकिन मूवीस,,,एक साथ 4 मूवीस देखोगी क्या,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,
हाँ सन्नी,,,आज हम सुबह से शाम तक मूवीस देखेंगे ,,काफ़ी टाइम से हम लोग मूवीस देखने नही गई,,,आज पहले
मॉर्निंग शो फिर नून टाइम मे भी मूवी फिर ईव्निंग शो देख कर ही घर वापिस आएँगी,,,,,तूने चलना है तो
तू भी चल हमारे साथ,,,,,
थन्क्ष्क्ष कविता लेकिन मैं नही आ सकता मेरे आने से किसी का दिन खराब हो जाएगा ऑर शायद मूड भी,,,,,तुम जाओ ऑर एंजाय
करो,,,,,
कविता मेरी बात सुनके हँसने लगी क्यूकी वो समझ गई थी मैं सोनिया की बात कर रहा हूँ,,,लेकिन सोनिया मुझे वैसे ही गुस्से
से घूर रही थी,,,,
चल उठ कविता चले टाइम काफ़ी हो गया है ऑर वैसे भी इस से पहले की कोई साथ चलने को तैयार हो जाए हमे अब चलना
चाहिए,,,सोनिया गुस्से से उठी ओर कविता को भी हाथ से पकड़कर अपने साथ बाहर की तरफ ले गई,,,कविता सोनिया के साथ तो
जा रही थी लेकिन मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी लेकिन आँखों मे क्या था मैं
समझ नही सका,,,,
सोनिया ऑर कविता वहाँ से चली गई,,,
मैं नाश्ता करने लगा ऑर थोड़ी देर मे माँ अपने रूम से तैयार होके बाहर आ गई,,,,
माँ आज आप भी मूवी देखने जा रही हो क्या,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,,
नही बेटा मुझे कॉन लेके जाएगा मूवी के लिए मुझे तो अलका के घर जाना है,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,
मैं समझ गया कि माँ आज फिर मस्ती के मूड मे है ,,,,आज फिर माँ ऑर अलका आंटी की मस्ती होगी लेकिन आज वो सब होगा
करण के घर मे,,,,
चल तेरा नाश्ता हो गया तो कॉलेज जाते टाइम मुझे करण के घर ड्रॉप कर देना,,,,,
ठीक है माँ नाश्ता तो करने दो पहले या इतनी आग लगी हुई है,,,,,,
आग तो लगी हुई है बेटा लेकिन मेरे नही अलका की चूत मे,,,,
अच्छा माँ शोबा दीदी कहाँ है फिर गई क्या मामा को लेके बुटीक पर,,,,
नही बेटा वो अपने रूम मे है ऑर मामा गया है बुटीक पर शिखा को लेके ,,,आज उन लोगो का प्रोग्राम घर पर होगा,,
साला मेरा दिल तो किया घर पर ही रुक जाऊ ऑर मामा शोबा ऑर शिखा के साथ मस्ती करू क्यूकी करण के घर जाके माँ ऑर
अलका आंटी के साथ तो अभी मस्ती नही कर सकता था,,,,,
तभी माँ बोली जल्दी कर ना नाश्ता कितना टाइम लगाता है तू,,,
लो कर लिया नाश्ता ,,अब मैं उपर जाके अपना बॅग लेके आता हूँ आप चलो बाहर,,,क्यूकी आपको ज़्यादा जल्दी है ना,,,मैने
हँसते हुए माँ को बोला ऑर उपर अपना बॅग लेने चला गया,,,,
अभी रूम से बाहर ही आ रहा था तभी मोबाइल पर मेसेज आया,,,देखा तो मेसेज कामिनी भाभी का था,,,,जल्दी घर बुलाया
था भाभी ने,,,,
मैं दिल ही दिल मे खुश हो गया ऑर शुक्रिया अदा करने लगा उपर वाले का उसने मेरी भी सुन ली ,,सब लोग मस्ती करने वाले
थे ऑर एक मैं ही था जिसको बोर होना पड़ना था,,,लेकिन अब कामिनी भाभी ने बुलाया था तो आज मैं भी फुल डे मस्ती
करने वाला था,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ आइडिया आया ऑर मैने भुआ के ड्रॉयिंग रूम से एक स्ट्रॅप-ऑन उठाकर अपने
बॅग मे डाल लिया ऑर वहाँ से नीचे आ गया फिर माँ को साथ लेके घर से निकल पड़ा,,,,
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