RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
शोबा दीदी जाने को तैयार नही हुई,,,क्यूकी उनका कोई एग्ज़ॅम था कल जो बहुत ज़रूरी था,,,,इसलिए
मैं ऑर सोनिया रत को निकल पड़े बुआ की कार मे गाँव जाने के लिए,,,,कार से गाँव तक की ड्राइव
कम से कम 8 अवर्स की थी,,,,,मैने अपने 2-3 जोड़ी कपड़े बाग मे डाल लिए थे ओर सोनिया ने
भी पता नही किटन आतिमे लगना था गाँव मे,,,,,,,,,,,हम लोग वहाँ से चल पड़े रास्ते भर
सोनिया रोती रही,,,,वो चुप होने का नाम ही नही ले रही थी,,,मैं तो बस चुप चाप ड्राइव
करता रहा,,,,वो पूरा सफ़र इतना रोती रही कि मैं उसकी तरफ वासना या सेक्स की नज़र से नही बल्कि
पूरा रास्ता उसको तरस ऑर दया की नज़रो से देखता रहा,,,लानत थी जो अब इस हालत मे भी उसको
ऐसी नज़र से देखता,,,,,,,,हालाकी वो रोती हुई भी बहुत मासूम लग रही थी लेकिन मुझे उसके
मासूम चेहरे पर आँसू अच्छे नही लग रहे थे,,,,,रात को करीब 11 बजे हम घर
से चले थे ऑर अगले दिन 9 बजे गाँव मे चाचा जी के घर पहुँच गये थे,,,,वैसे तो
8 अवर्स लगने थे लेकिन गाँव की सड़क बहुत ख़स्ता हालत मे थी इसलिए हमे ज़्यादा टाइम
लग गया था गाँव आने मे,,,,,,,,,,,वैसे भी रात को हल्की बारिश हुई थी जिसस से गाँव की सड़कें
ऑर भी ज़्यादा खराब हो गई थी,,,
मैने घर के गेट के सामने कार रोक दी ,,,गाँव का घर बहुत पुराना बना हुआ था लेकिन
था बहुत बड़ा,,,,लेकिन रहने के लिए 4 रूम थे बाकी सारा आँगन खुला था,,,4 मे से 2 रूम
ही थे जिसमे सोया जा सकता था,,,,एक स्टोर रूम था जबकि एक गोदाम था जहाँ फसल की कटाई
के बाद आनाज़ रखा जाता था,,,,घर के आस पास बहुत सारी ज़मीन थी ऑर गाँव मे घर भी
बहुत कम थे वो भी बहुत दूर दूर थे जो सबसे करीबी घर था वो भी कम से कम
500 मीटर दूर था,,,,,लेकिन ये क्या ,,,,,जैसे ही मैं कार से उतरा सामने देखा कि एक नया घर
बना हुआ था जो गाँव के हिसाब से नही किसी शहर घर के हिसाब से बना हुआ था ऑर इस
घर के करीब ही था,,,,मैं गाँव पहले करीब 4 साल पहले आया था तब ये घर नही था
लगता था अभी अभी बना है,,,वैसे भी देखने से ही लग रहा था कि ये घर कुछ टाइम
पहले ही बना था,,,,,मैं अभी घर को देख रहा था कि सोनिया गेट पर चली गई ऑर गेट पर
नॉक करने लगी,,,,जब तक मैने कार मे से कपड़ो वाला बॅग निकाला तब तक माँ ने गेट खोल
दिया था ऑर सोनिया माँ के गले लग कर रोने लगी थी,,,इतने मे मैं भी गेट पर पहुँच गया
लेकिन मैं रोया नही बस उन माँ बेटी को रोते देख थोड़ा उदास ज़रूर हो गया था,,,,,,,
मैं भी माँ के गले लगा ऑर हम लोग अंदर चले गये ,,,माँ हमे चाचा जी के रूम मे
ले गई चाचा जी का रूम बहुत बड़ा था वैसे घर के सारे रूम ही इतने बड़े बड़े थे कि
शहर मे हमारे घर के 2 रूम ऑर गाँव मे चाचा जी के घर का एक रूम ,,,,रूम मे
चाचा जी बेड पर लेटे हुए थे जो बेड हॉस्पिटल का बेड लग रहा था ऑर साथ मे ही एक चेयर
पर चाची बैठी हुई थी ऑर उनके साथ मामा जी बैठे हुए थे,,,,,मामा जी के पीछे एक
बंदा ऑर खड़ा हुआ था जो देखने मे चाचा जी का बेटा लग रहा था,,,,वैसे इन जनाब को
मैने पहले भी देखा था लेकिन बहुत टाइम पहले आज कल ये शहर मे रहते है अपनी फॅमिली
के साथ,,,,शायद चाचा जी की वजह से ही ये यहाँ आया होगा,,,,,,,,चाचा जी के बेड के पास एक
वेंटिलेटर मशीन पड़ी हुई थी जिस से एक ऑक्सिजन मास्क चाचा जी को लगा हुआ था,,,,चाचा
जी उसकी वजह से साँस ले रहे थे,,,,,,,,सोनिया कमरे मे एंटर होते ही चाचा जी के गले लग कर
रोने लगी,,,,,,तभी चाचा जी ने हल्के हाथों से मास्क उतारा ,,,,,,अभी मैं ज़िंदा हूँ बेटी
अभी तो मत रो,,इतने टाइम बाद आई हो यहाँ अब तो हंस कर मिलो ,,,,,,,तभी चाचा जी ने धीरे
धीरे हाथ उठाकर सोनिया के आँसू पोछे ऑर माँ को बाहर जाके चाइ नाश्ते का इंतज़ाम
करने को बोला,,,,,माँ बाहर चली गई ऑर मैं मामा जी को मिलके चाचा जी के बेटे से मिला
मुझे उसकी शकल कुछ अजीब लग रही थी,,,कुछ जानी पहचानी,,,ये मतलब नही कि मैं
उसको पहले भी मिल चुका था लेकिन अब मैं बड़ा हो गया था ऑर अब मुझे उसकी शकल
कुछ अजीब लग रही थी,,,,उधर सोनिया चाचा जी के गले से हटके चाची के गले लग गई
चाची गाँव की औरत थी छोटी छोटी बात पे जल्दी ही एमोशनल होने वाली औरत सोनिया के गले
लगते ही वो भी मेरी माँ की तरह रोने लग गई,,,,,जबकि चाचा जी हल्की आवाज़ मे गुस्सा करते
हुए चाची को बोल रहे थे कि क्यूँ रुला रही है पगली मेरी बेटी को इतने टाइम बाद शहर से
क्या रोने आई है ये अपने चाचा के पास,,,,,,,वो बंदा चाचा जी का बेटा हमे मिलके बाहर
चला गया ,,फिर मैं चाचा जी को मिला तब तक मामा जी बाहर से 2 चेयर ऑर एक टेबल लेके
आ गये ,,मैं चाचा जी को मिलके चेयर पर बैठ गया ऑर मेरे साथ वाली चेयर पर मामा जी
फिर चाची ऑर सोनिया भी बैठ गई,,,इतने मे माँ चाइ ऑर कुछ बिस्कुट लेके अंदर आ गई ऑर
सामने टेबल पर रख दिए,,,,हम लोग चाइ पीने लगे ऑर बातें करने लगे,,,
आपको बता दूं कि शहर मे कॉन कॉन हैं,,,
किशन लाल,,,,,,,,,,मेरी माँ के चाचा जी जो अभी 65 से उपर की उमर के है,,,गाँव मे खेती
करते है बहुत अच्छे इंसान है,,,ज़मीन भी काफ़ी है घर के साथ लगती जितनी भी ज़मीन
है सब इनकी है,,,ऑर बाकी क्या प्रॉपर्टी है ये मुझे नही पता,,इतना ही पता है कि ज़मीन
पर खेती करते है ऑर उसी की फसल को बेचकर काफ़ी पैसा कमा लेते है लेकिन अभी कुछ टाइम
से बहुत बीमार है,,,
पुस्पा देवी,,,,,,चाची जी,,,,,उमर 60 के आस पास,,,,,,,,गाँव की सीधी साधी औरत है,,हर टाइम
अपने पति की सेवा करती है बस,,,वही इसका धरम है ओर वही कर्म है,,इस से ज़्यादा ऑर कुछ
नही लिखूंगा इनके बारे मे,,,,
केवल किशन,,,,ये चाचा जी का एक्लोता बेटा है 38 ,,आज कल यही रहता है शायद चाचा जी की
वजह से लेकिन वैसे शहर मे रहता है अच्छी नोकरी है ,,अपनी फॅमिली के साथ वही रहता है
इसका इस कहानी से कुछ लेना देना नही है ऑर ना ही इसकी फॅमिली का इसलिए ज़्यादा कुछ नही
लिखूंगा,,,,
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